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गुरुवार, 24 जनवरी 2019

जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों में ऐसा क्या अंतर हैं कि डॉक्टर हमें जेनेरिक दवाई नही लिखते?

जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों में ऐसा क्या अंतर हैं कि डॉक्टर हमें जेनेरिक दवाई नही लिखते?
ये हैं एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव। ये भाई साहब तय करते है कि हम और आप कौन सी दवाइयां लेंगे। आपने प्राइवेट डॉक्टर की क्लीनिक के बाहर 1–2 लोगो को गले मे टाई लगाए, हाथों में एक ब्रीफ़केस लिए देखा होगा जो मरीज़ों से भी ज़्यादा उतावले होते है डॉक्टर के केबिन में घुसने के लिए।
एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव अपनी कंपनी की दवाओं का प्रचार करता है। डॉक्टर को मनाता है कि वो उसकी ब्रांडेड महंगी दवाइयां मरीज़ों को लिखें।
पर इनका क्या दोष ये तो सिर्फ़ अपनी नौकरी कर रहें है।

इसके एवज में डॉक्टरों को ईनाम दिया जाता है। कई बार cash में कई बार kind में। cash का मतलब कुछ भी हो सकता है, अच्छी घड़ी, नकद रक़म, या कुछ बड़ा जैसा डॉक्टर वैसा ईनाम। उसी तरह kind में थाईलैंड, सिंगापुर की सैर। कभी कभी रिसर्च पेपर में authorship भी मिलती है। [1]एक बहुत बड़ा मायाजाल है जिसे तोड़ पाना मुश्किल लगता है।
सरकार क्या कर रही है?
जनता के स्वास्थ्य का मामला है तो सरकार ने कुछ ज़रूरी नियम बनाये है। डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए ज़रूरी निर्देश भी दिए गए है। 2016 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया न डॉक्टरों को यह कहा है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा जेनेरिक दवाइयां मरीज़ों को दें। [2] उन्होंने Indian Medical Council (Professional Conduct, Etiquette and Ethics) Regulations, 2002 में बदलाव कर जेनेरिक दवाओं के लिए रास्ता बनाया है। ऐसा न करने वाले डॉक्टरों के लिए दंड का प्रावधान भी है।
मौजूदा सरकार की यह कोशिश है कि गरीबों को दवाइयां सस्ते दामों पर मिले जो अपने आप मे अच्छा है। पर डॉक्टरों की भी कुछ आशंकाएं है।
डॉक्टर क्या कहते है?
डॉक्टरों के ऊपर यह थोप तो दिया गया है पर डॉक्टर भी अपनी चिंता व्यक्त करते है कि वो क्यों जेनेरिक दवा नही देना चाहते। डॉक्टर कहते है कि जेनेरिक दवाओं में कुछ खामियां होती है जिनसे वो उन्हें मरीज़ों को नही देना चाहते। जेनेरिक दवाओं की bioavailibility (एक पैमाना की कितने प्रतिशत दवा शरीर मे रह पाती है।)
डॉक्टरों का मानना है कि जेनेरिक दवाओं कि

बायोआवैलिबिलिटी संतोषजनक नही होती।
जेनेरिक दवाओं को बनाने के समय उनकी गुणवत्ता का ध्यान नही रखा जाता।
जेनेरिक दवाओं का कोई क्लीनिकल ट्रायल नही होता और मरीज़ों पर उनके असर का कोई अध्यन नही किया जाता।
ऐसा शोध भी उपलब्ध नही है कि जेनेरिक बिल्कुल ब्रांडेड दवाओं जैसा ही काम करता है। [3]

कुछ हद तक यह बातें सही भी हैं। जेनेरिक दवाओं की क़्वालिटी कंट्रोल बड़ी ढुलमुल होती है।
फार्मा इंडस्ट्री की बात करें तो sub-contracting शायद इसमें जिम्मेदार है। कई बार बड़ी कंपनियां ग्राहकों से आर्डर ले कर छोटी कंपनियों को दवा बनाने दे देती हैं। भले ही फार्मूला बड़ी कंपनी का हो पर जिस जगह वो बन रही होती है वहाँ नियमों का सख्ती से पालन नही किया जाता। इन सबसे दवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। मेरे हिसाब से अगर लोग एक न्यूनतम स्टैण्डर्ड का भी पालन करे तो गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
बात केवल डॉक्टरों तक ही सीमित नही है कई बार मरीज़ सरकारी अस्पताल जाकर भी बाहर से ब्रांडेड दवाएं लिखने का आग्रह करते हैं। शायद उन्हें खुद भी जेनेरिक दवाओं पर उतना भरोसा नही होता।[4]
भारत वैसे तो विश्व मे सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का निर्माता है पर अभी गुणवत्ता में काफी सुधार की ज़रूरत है।
डॉक्टरों को पूरी तरह से इसके लिए दोषी ठहराना सही नही होगा। जेनेरिक दवाओं को उनके ब्रांडेड के समतुल्य ला कर इस समस्या से निपटा जा सकता है।
सुझावों का स्वगात है और असहमति भी आपका अधिकार है।
धन्यवाद।


फुटनोट
[1] Want to bribe a doctor? Gift authorship of medical papers - Times of India
[2] Doctors to face action unless they only prescribe generic drugs: MCI - Times of India
[3] Doctors wary as Centre pushes for generic drugs
[4] Neither doctors nor patients opt for generic drugs

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अगर आप जीवन से ऊब गए हैं तो क्या कर सकते हैं?

अगर आप जीवन से ऊब गए हैं तो क्या कर सकते हैं?
उसे जी सकते हैं!

अब आप सोच रहे होंगे की ये कैसा अटपटा जवाब है। लेकिन जनाब, जीवन से ऊबना ही क्यों? दुनिया में तो कई ऐसी चीज़ें हैं जो मृत व्यक्ति को भी जीने की लालसा दे दे। तो फिर ऊबने का तो सवाल ही नहीं उठता।

चलिए उदहारण देता हूँ। आप जिस कमरे में बैठे हैं वहाँ पँखा तो होगा ही। अब सोचो की उस पँखे के पीछे कितने लोगों का दिमाग लगा होगा। अब सोचो की इस पँखे को चला कौन रहा है? आप कहेंगे बिजली, लेकिन बिजली तो तांबे या लोहे में नहीं होती। फिर पँखे में कैसे आयी? अजीब है न?

अब ये देखो की दरअसल बिजली क्या है! छोटे छोटे कण जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहते है बस उनका रेल पर चलने जैसे कार्य को ही बिजली कहते हैं। तो इसका मतलब ये हुआ की पँखे के अंदर कई सारे छोटे छोटे सिपाही हैं जो एक कतार में चलते है। वो एक दूसरे को धक्का देते हैं और ये धक्का जुड़ जुड़ कर पँखे को चला देता है। है न अद्भुत!

अब सोचो की बत्ती कैसे जलती है! आप कहोगे की फिलामेंट गर्म होता है तो बिजली निकलती है। मैं बोलूंगा नहीं। क्योंकि ट्यूब-लाइट में फिलामेंट कहाँ? तो बत्ती कैसे जलती है? दरअसल जब हम बिजली से किसी बल्ब या ट्यूब-लाइट को जोड़ते हैं तो वो छोटे छोटे सिपाही (इलेक्ट्रॉन) एक दुसरे को आगे धक्का देने लगते हैं। वो धक्का कुछ मिलीसेकंड में या तो फिलामेंट के अणुओं को, या ट्यूब-लाइट की गैस के अणुओं को धक्का को लगता है। अब ट्यूब-लाइट की गैस के अंदर अणु कतार में लगे नहीं है, तो वो झल्लाने लगते है इतनी सारी ऊर्जा पा कर। तो गैस के अणु धक्के की ऊर्जा को प्रकाश के रूप में बाहर फेंक देते हैं। इसी प्रकार फिलामेंट के अणु बड़ी जल्दी झल्ला जाते हैं और ऊर्जा को प्रकाश के रूप में बाहर फेंकने लगते हैं। है न अद्भुत!

अब ऐसे ही न जाने कितने उपकरण, कितने पहाड़, कितनी नदी, कितना कुछ बचा है जानने को। फिर उबासी कैसी?

दिमाग के द्वार खोलो और सारी उम्र उत्साहित रहो।


आप सभी साँवरिया सेठ के बारे मैं जानते होंगे | साँवरिया सेठ प्रभु श्री कृष्ण का ही एक रूप है जिन्होंने भक्तो के लिए कई सारे रूप धरकर समय समय पर भक्तों की इच्छा पूरी की है | कभी सुदामा को तीन लोक दान करके, कभी नानी बाई का मायरा भरके, कभी कर्मा बाई का खीचडा खाकर, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, प्रभु किसी न किसी रूप में भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं | और आप, मैं और सभी मनुष्य तो केवल एक निमित्त मात्र है | भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि "मैं सभी के लिए समान हूँ " मनुष्य को अपने कर्मो का फल तो स्वयं ही भोगना पड़ता है | आप सभी लोग देखते हैं कि कोई मनुष्य बहुत ही उच्च परिवार जेसे टाटा बिरला आदि में जन्म लेता है और कोई मनुष्य बहुत ही निम्न परिवार जेसे आदिवासी आदि के बीच भी जन्म लेता है कोई मनुष्य जन्म से ही बहुत सुन्दर होता है कि कोई भी उस पर मोहित हो जाये और कोई मनुष्य इतना बदसूरत पैदा होता है कि लोग उसको देखकर दर जाए, किसी के पास तो इतना धन होता है कि वो धन का बिस्तर बनवाकर भी उसपर सो सकता है और कोई दाने दाने का भी मोहताज़ है, कोई शारीरिक रूप से इतना बलिष्ठ होता है कि कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता और इसके विपरीत कोई इतना अपंग पैदा होता है जिसको देखकर हर किसी को दया आ जाये | कई बच्चे जन्म लेते ही मार दिए जाते है या जला दिए जाते है या किसी ना किसी अनीति का शिकार हो जाते है जबकि उन्होंने तो कुछ भी नहीं किया तो फिर नियति का एसा भेदभाव क्यों ?
क्या भगवान् को उन पर दया नहीं आती ?
आप सोच रहे होंगे कि इसका मतलब भगवान ने भेदभाव किया, नहीं !!!
आपने देखा होगा एक ही न्यायाधीश किसी को फांसी कि सजा देता है और किसी को सिर्फ अर्थ दंड देकर छोड़ देता है तो क्या न्यायाधीश भेदभाव करता है ? नहीं ना ?
हम जानते हैं कि हर व्यक्ति को उसके अपराध के अनुसार दंड मिलता है बिलकुल उसी प्रकार मनुष्य का जन्म, सुन्दरता, कुल आदी उसके कर्मों के अनुसार ही निर्धारित होते है इसलिए मनुष्य को अपने कर्मों का आंकलन स्वयं ही कर लेना चाहिए और
कलियुग में पाप तो स्वतः हो जाते हैं किन्तु पुण्य करने के लिए प्रयत्न करने पड़ते है |
"अपने लिए तो सभी करते हैं दूसरों के लिए कर के देखो " - Kailash Chandra Ladha
मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ | जीवन में कई सारे अनुभव से गुजरते हुए में आज अपने आप को आप लोगों के सामने स्थापित कर पाया हूँ . बचपन से लेकर आज तक आप सभी लोगो ने अपने जीवन में कई लोगो को भूखे सोते देखा होगा, कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास पहनने को कपडे नहीं है, किसी को पढना है पर किताबें नहीं है, कई बालक नहीं चाहते हुए भी किस्मत के कारण भीख मांगने को मजबूर हो जाते है | इन सभी परिस्थितियों को हम सभी अपने जीवन में भी कही ना कही देखते ही हैं लेकिन बहुत कम लोग ही उन पर अपना ध्यान केन्द्रित करते है या उन लोगो के बारे में सोच पाते है किन्तु भगवान् की दया से आज मुझे उन सभी की मदद करने की प्रेरणा जागृत हुई और इसलिए आज मेने एक संकल्प लिया है उन अनाथ भाई बहिनों की मदद करने का, जिनका इस दुनिया में भगवान् के अलावा कोई नहीं है और मेने निश्चय किया है कि उन भाइयों की मुझसे जिस भी प्रकार कि मदद होगी मैं करूँगा | मैं इसमें अपना तन -मन -धन मुझसे जितना होगा बिना किसी स्वार्थ के दूंगा . आज दिनांक 31-07-2005 से सावन के महीने में भगवान का नाम लेकर इस अभियान हेतु इस वेबसाइट www.sanwariya.webs.com की शुरुआत कर रहा हूँ | और इस वेबसाइट को बनाने का मेरा और कोई मकसद नहीं है बस मैं सिर्फ उन निस्वार्थ लोगो से संपर्क रखना चाहता हूँ जो इस तरह की सोच रखते है और दुसरो को मदद करना चाहते है मुझे उनसे और कुछ नहीं चाहिए बस मेरे इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुझे अपनी शुभकामनाये और आशीर्वाद ज़रूर देना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के गरीब लोगो की मदद कर सकूँ .
ये वेबसाइट www.sanwariya.org आप जेसे लोगों से संपर्क रखने के उद्देश्य से बनाई है
अगर आप मेरे इस काम मैं सहयोग करना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धानुसार तन-मन-धन से जिस भी प्रकार आप से हो सके आपके स्वयं के क्षेत्र में ही आप अपने घर में अनुपयोगी वस्तुऐ, कपड़े, किताबे, दवाईया, मेडिकल उपकरण, पुराने कम्प्यूटर, चश्में, चद्दर, बिस्तर, रजाई, कम्बल, जूते, चप्पल, स्वेटर, जर्सी, बेग, खिलोने, साईकिल आदि सभी प्रकार के एसी अनुपयोगी वस्तुएं जो आपके काम नही आ रही है तो जो आपके काम नही आ रही हो उन्हे फेंके नही बल्कि किसी निराश्रित बेसहारा गरीब के लिये एकत्र किजिये बेसहारा, निर्धन, व अनाथ व्यक्तियों के लिये उपलब्ध कराकर आप बिना पैसे पुण्य कमा सकते है और लाखों निराश्रितों को इससे फायदा मिलेगा और यदि आप सक्षम है या पैसे की मदद कर सकते है तो अपने जेब खर्च या धार्मिक बचत को गरीब निर्धन कन्याओं के विवाह, मरीजो की दवाईयाँ और गौ सेवा के लिये एकत्रित किजिये क्योंकि आपकी छोटी सी मदद किसी गरीब के लिये जीवनोपयोगी साबित हो सकती है और यदि आप ये सब हमे देना चाहते है तो हमसे सम्पर्क किजिये या हम तक पहुँचा दिजिये ताकि साँवरिया द्वारा उपरोक्त कपड़े, किताबे, दवाईया, मेडिकल उपकरण, पुराने कम्प्यूटर, चश्में, चद्दर, बिस्तर, रजाई, कम्बल, जूते, चप्पल, स्वेटर, जर्सी, बेग, खिलोने, साईकिल आदि को उचित बेसहारा निर्धन व्यक्तियों मे वितरीत किया जाता है। और आप इस तरह के काउन्टर अपने घर या क्षेत्र में लगाकर इस पुनीत कार्य में कड़ी बन सकते है।
फेसबुक, वाट्सअप, यूट्यूब व सभी सोशियल मीड़िया के माध्यम से इस कार्य मे सभी को माध्यम बनाने मे ज्यादा से ज्यादा सहयोग करे प्रेरित करें।
और अपनी धार्मिक बचत आदि से यदि एक गरीब व्यक्ति का पढाने, रोजगार सीखकर, रोजगार उपलब्ध कराने में सहायता करना शुरू करे तो भारत में गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नही लगेगा

इसी प्रकार भारत के उच्च परिवारो की जन्मदिन/शादी समारोहो व अन्य कार्यक्रमों में बचे हुये भोजन/पानी की जो अनावश्यक बर्बादी होती है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मे भूखे सोने वाले व्यक्तियों में बांट दिया जाये तो आपकी खुशिंया दुगुनी हो सकती है और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की दुआयें आपको मिलेगी तथा भूखमरी के कारण देश में होने वाली लूटपात/चोरी/डकैती जैसी घटनाओ कम होकर देश मे भाईचारे की व्यवस्था फिर से पनपने लगेगी और एक दिन एसा आयेगा जब देश मे शायद ही कोई भूखा सोयेगा। हर तरफ स्वच्छता, निरोगी काया, शान्ति व सुलभ जीवन यापन होगा।
इसी प्रकार विद्यालयों में पेरेन्ट्स मिटींग में सभी पेरेन्ट्स से स्कूल में सहयोग बैंक बनाकर उसमे पुराने विद्यार्थीयों की स्कूल सामग्री जैसे स्कूल ड्रेस, किताबें, कोपीयां, पेन, पेन्सिल, रबर, शार्पनर, बेग, स्वेटर जर्सी, व अन्य उपकरण, पुरानी साईकिल इत्यादि जो काम नही आ रहे है उन्हे जमा कराये जाये और जिन्हे चाहिये वे उनके लिये निःशुल्क उपलब्ध हो सभी सरकारी व निजी विद्यालयों को इस अभियान में जुड़ना चाहिये इसी प्रकार गौ सेवा हेतु अपनी अपनी काॅलोनीयों में प्रतिदिन रोटी सब्जी, फलो के छिलके हेतु अलग अलग बाल्टी अथवा टिफिन में एकत्र कर गौमाता हेतु भिजवाया जा सकता है अथवा किसी निर्धन बेरोजगार को इस कार्य के लिये नियुक्त कर पास की गौशाला अथवा गायो हेतु पंहुचाने का कार्य किया जा सकता है
"साँवरिया" का लक्ष्य ऐसे भारत का सपना साकार करना है जहाँ न गरीबी/ न निरक्षरता/न आरक्षण/ न असमानता/ न भुखमरी और न ही भ्रष्टाचार हो| चारो ओर सभी लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम और विकसित हो, जहाँ डॉलर और रुपया की कीमत एक समान हो और मेरा भारत जो पहले भी विश्वगुरु था उसका गौरव फिर से पहले जैसा हो जाये |

"सर्वे भवन्तु सुखिनः "
हो गई है पीर पर्वत-सी अब पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए आग जलनी चाहिए
www.sanwariya.org

जय महेश
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घर पर पैसे कमाने के तरीके



घर पर पैसे कमाने के तरीके
1. ब्लॉगिंग:

यदि आपके पास कुछ भी ऐसा है जिसे आप लोगों से साझा कर सकते है, चाहे वह आपका अनुभव हो, किसी विषय विशेष में ज्ञान हो, या आपके पास ऐसी कोई स्टोरी हो, जिसे पढ़ कर आपके यूज़र आनंदित हो सके तो आप को तुरंत अपना एक ब्लॉग बना कर घर से पैसे कमाने का काम शुरू कर देना चाहिए।

2. ईबुक्स:

आप यदि लेखन में रूचि रखते है, तो अपनी लिखी हुयी पुस्तक को ईबुक बना कर ऑनलाइन बेच कर घर बैठे पैसे कमा सकते है।

3. ऑनलाइन सेलिंग:

ऐमज़ॉन, फ्लिपकार्ट या इन जैसी ही किसी भी e-commerce पोर्टल पर आप किसी भी प्रोडक्ट को घर बैठे बेच कर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते है।

4. अफ़िलीयट मार्केटिंग:

इंटरनेट पर बहुत सी ऐसी अफ़िलीयट नेटवर्क कंपनिया है जिन्हें मुफ़्त में जोईन करके उनके प्रोडक्ट और सर्विसेज़ को अपने ब्लॉग पर, सोशल मीडिया नेटवर्क पर, या डाइरेक्ट प्रमोट करके घर बैठे आमदनी कर सकते है।

5. गेस्ट कंटेंट राइटिंग:

यहाँ पर बहुत से ऐसे पॉप्युलर ब्लॉग है, जिनके लिए आप आर्टिकल लिख कर अच्छा ख़ासा पैसा कमा सकते है।

6. शेयर ट्रेडिंग:

यदि आपकी रूचि फ़ायनैन्शल मार्केट में है तो आप घर बैठे शेयर ट्रेडिंग कर के घर बैठे पैसे कमा सकते है।

7. रेंट यॉर प्रॉपर्टी:

यदि आपके पास अपनी कोई ऐसी प्रॉपर्टी है जो आपके काम नहीं आ रही है, उसे किसी को किराए पर दे कर घर बैठे पैसे कमा सकते है।

8. टाइपिंग वर्क:

बहुत सी कंपनिया घर बैठे डेटा एंट्री का काम करवाती है, उनके लिए आप टाइपिंग का कार्य घर बैठे शुरू करके पार्ट टाइम या फ़ुल टाइम पैसा कमा सकते है।

9. वर्चूअल असिस्टन्स:

बड़ी बड़ी कम्पनियों को भी अपनी पोर्टल के लिए ऐसे लोगों की ज़रूरत पड़ती जो उनके यूज़र्स को गाइड कर सके। आप ऐसी कम्पनियों से जुड़कर घर बैठे पैसे कमा सकते है।

10. वेब डवेलपिंग:

यदि आप की अभिरुचि कोडिंग में है और आप दूसरे लोगों के लिए पोर्टल बना सकते है तो आप यह काम भी घर बैठे बहुत कम लागत से शुरू करके अच्छी आमदनी कर सकते है।

आशा है उपरोक्त जानकारी आपके लिए लाभप्रद होगी।
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ऑन लाइन मार्केटिंग से पैसा कमाना -इंटरनेट से पैसे कैसे कमाये?

ऑन लाइन मार्केटिंग से पैसा कमाना
इंटरनेट से पैसे कैसे कमाये?
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क्रेडिट कार्ड का बेहतर उपयोग इसके दुष्परिणाम -"Minimum Amount Due" एक जाल है:

क्रेडिट कार्ड का बेहतर उपयोग कैसे किया जा सकता है ?
इसके दुष्परिणाम से बचने के लिए क्या नहीं करना चाहिए ?

क्रेडिट कार्ड आपके नकद प्रवाह के प्रबंधन में एक अच्छा साधन है, लेकिन यदि आप इसे बुद्धिमानी से उपयोग नहीं करते हैं तो आप अपने वित्तीय जीवन को परेशानी में डाल सकते हैं। मैं यंहा कुछ पॉइंट्स की व्याख्या कर रहा हु जो आपको क्रेडिट कार्ड के प्रभावी उपयोग में आपकी मदद कर सकते हैं:
अपनी क्रेडिट कार्ड की सीमा जानें: आपको अपनी क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट सीमा से अवगत होना चाहिए। इस क्रेडिट सीमा को अनावश्यक रूप से न बढ़ाएं। आपकी सीमा को नियंत्रित करने से आपको अवांछित खरीद से बचने और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
नोट: कई देशों में भारत जैसे दो कारक प्रमाणीकरण (two factor authentication )नहीं हैं। अगर आपके कार्ड की डिटेल्स किसी बहार के व्यक्ति के पास है तो वह बिना OTP के आपके कार्ड का दुरूपयोग कर सकता है। सतर्क रहे।
सही समय पे खर्च करे: भारत में क्रेडिट कार्ड कम्पनीज 20 दिनों (न्यूनतम) से लेकर 50 दिनों (अधिकतम) तक मुफ्त क्रेडिट अवधि प्रदान करती हैं। इस अवधि को अच्छे से उपयोग करने के लिए आप अपने खर्चो को सही समय पे कैसे करे ये कोई रॉकेट विज्ञान नहीं हैं। जब आपकी Billing cycle शुरू होती है तब अपने खर्चो को plan करे ताकि आप मुफ्त क्रेडिट अवधि का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा पाए। मैं अमूमन Billing Date से 5–10 दिन पहले कुछ खर्च नहीं करता हु। अपने Cash flow को अच्छे से Manage करने के लिए इस मुफ्त क्रेडिट अवधि का पूरी तरह से उपयोग करें।
"Minimum Amount Due" एक जाल है: हमेशा पूर्ण भुगतान करें। "न्यूनतम राशि देय" (Minimum Amount Due) के जाल में न फंसे। हमेशा समय पे भुगतान करे। ये आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है।
रिवार्ड्स पॉइंट्स बढ़ाये: जब आप ऑनलाइन कुछ खरीदते हैं तो उत्पाद की कुल प्रभावी लागत की गणना करें (खरीद पर अर्जित Reward points की कटौती करने के बाद)। यदि कोई विशेष साइट, अपनी साइट पर किसी उत्पाद को खरीदने पर ज्यादा Reward points दे रही है, भले ही उत्पाद का मूल्य कुछ सौ रुपए अतिरिक्त हो, तो आपको आपको इस साइट से खरीदना चाहिए, बशर्ते प्रभावी लागत (Reward points की कटौती करने के बाद) यंहा कम है।
अपने खर्चों को प्री-प्लान एवं ट्रैक करें: देय तिथि से अपनी चुकौती क्षमता से अधिक खर्च करने की योजना न बनाएं। आपको पता होना चाहिए कि आप अपने क्रेडिट कार्ड पर क्या खर्च करना चाहते हैं। इससे आपको मासिक बजट योजना में मदद मिलेगी।
ज्यादा कार्ड्स न रखे: ऐसा करने से भुगतान में चूक होने की गुंजाइश ज्यादा रहती है। 1 या 2 कार्ड्स आमतौर पे प्रयाप्त होते है।

कैसे में अपने क्रेडिट स्कोर को बढ़ा सकता हूँ ?
आम तौर से अगर आप अपने सभी क्रेडिट कार्ड और लोन की किश्तों का पूरा और सही समय पर भुगतान करते हैं तो आपकी क्रेडिट रेटिंग अच्छी रहेगी।
क्रेडिट रेटिंग में unsecured लोन के लिए कुछ नेगेटिव पॉइंट होते हैं। इसलिए अगर आप के पास बहुत सारे क्रेडिट कार्ड हैं तो भी आपकी रेटिंग कम हो सकती है। कम रेटिंग का अर्थ है ज्यादा रिस्क। जिस व्यक्ति के पास बहुत ज्यादा संख्या में और बहुत ज्यादा रकम की क्रेडिट लिमिट हो वो व्यक्ति भी रिस्क हो सकता है।
अगर किसी व्यक्ति के हाल में 2–3 लोन या क्रेडिट कार्ड के आवेदन स्वीकार नहीं होते हैं तो भी उसकी रेटिंग कम हो सकती है। #creditcards #creditscore #cibilscore #loan #emi #savemoney #earnmoney #sanwariya #vinaycomputers

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संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा

माघी संकष्टी (तिल चतुर्थी) विशेष
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संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा

संकष्टी चतुर्थी माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को कहा जाता है। वर्ष 2019 में 24 जनवरी को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। इसे माघी चतुर्थी या तिल चौथ भी कहते हैं। बारह मास के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान श्री गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य प्रदान करने होती है और कष्टों को दूर करने वाली होती है। इस चतुर्थी पर व्रत करके गणेशजी का पूजन करने से सारी विपदाएं दूर होती हैं।

वस्तुतः संकट चतुर्थी संतान की दीर्घायु हेतु भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा है। इस दिन पूजा करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी कष्ट शीघ्रातिशीघ्र दूर हो जाते हैं। धर्मराज युधिष्ठिर न भीे भगवान श्री कृष्ण की सलाह पर इस व्रत को किया था।

गणेश भगवान का जन्मदिन
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शिव रहस्य ग्रंथ के अनुसार आदिदेव भगवान गणेश का जन्म माघ कृष्ण चतुर्थी को ही हुआ था। पूर्वांचल में इस दिन गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन से गणेश दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। संकष्टी व्रत करने वाले भक्तों पर श्रीगणेश की कृपा बनी रहती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले श्रद्धालुओं के जीवन के सभी कष्टों का भगवान श्री गणेश निवारण करते हैं।

षोडशोपचार पूजा विधि
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इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पूर्व या सूर्योदय काल से ही करनी चाहिए। सूर्यास्त से पहले ही गणेश संकट चतुर्थी व्रत  कथा-पूजा होती है। पूजा में तिल का प्रयोग अनिवार्य है। तिल के साथ गुड़, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए। इस दिन मूली भूलकर भी नहीं खानी चाहिए कहा जाता है कि मूली खाने धन -धान्य की हानि होती है। इस व्रत में चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को तिल, गुड़ आदि का अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही संकटहारी  गणेश एवं चतुर्थी माता को तिल, गुड़, मूली आदि से अर्घ्य देना चाहिए।

अर्घ्य देने के उपरांत ही व्रत समाप्त करना चाहिए। इस दिन निर्जला व्रत का भी विधान है माताएं निर्जला व्रत अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए अवश्य ही करती है। इस दिन तिल का प्रसाद खाना चाहिए। गणेश जी को  दूर्वा तथा लड्डू अत्यंत प्रिय है अत: गणेश जी पूजा में दूर्वा और लड्डू जरूर चढ़ाना चाहिए।

पूजन सामग्री👉 (वृहद् पूजन के लिए ) -शुद्ध जल,दूध,दही,शहद,घी,चीनी,पंचामृत,वस्त्र,जनेऊ,मधुपर्क,सुगंध,लाल चन्दन,रोली,सिन्दूर,अक्षत(चावल),फूल,माला,बेलपत्र,दूब,शमीपत्र,गुलाल,आभूषण,सुगन्धित तेल,धूपबत्ती,दीपक,प्रसाद,फल,गंगाजल,पान,सुपारी,रूई,कपूर |

विधि- गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें -और आवाहन करें -

गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं |
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव |
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव ||

और अब प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें -
  
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च |
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन ||
आसन-रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम |
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||

पाद्य (पैर धुलना)

उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम |
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम ||

अर्घ्य(हाथ धुलना )-
    
अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै :|
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते ||

आचमन
    
सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||

स्नान
    
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||

दूध् से स्नान

कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं ||

दही से स्नान
   
पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं |
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां ||

घी से स्नान
  
नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं |
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शहद से स्नान
  
तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः |
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शर्करा (चीनी) से स्नान
    
इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम |
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

पंचामृत से स्नान

पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं |
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान
   
मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

वस्त्र

सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे |
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां ||

उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )

सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव : |
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||

यज्ञोपवीत
   
नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||

मधुपर्क
   
कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः |
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां ||

गन्ध

श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||

रक्त(लाल )चन्दन
   
रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम |
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम ||

रोली
   
कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम |
कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्: ||

सिन्दूर
  
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ||
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां ||

अक्षत

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः |
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः ||

पुष्प
   
पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै: |
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां ||

पुष्प माला
  
माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर: ||

बेल का पत्र
    
त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै :शुभै : |
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर : ||

दूर्वा

त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि |
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव ||

दूर्वाकर
    
दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम |
आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:||

शमीपत्र
  
शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका |
धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी ||

अबीर गुलाल
  
अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च |
अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे ||

आभूषण
   
अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान |
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर: ||

सुगंध तेल
   
चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि: |
वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां ||

धूप

वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम : |
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां ||

दीप
   
आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम ||

नैवेद्य
   
शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम |
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां ||

मध्येपानीय
  
अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या |
त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि ||

ऋतुफल
  
नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम |
कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं
प्रतिगृह्यतां ||

आचमन
  
गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन |
आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम ||

अखंड ऋतुफल
   
इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव |
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ||

ताम्बूल पूंगीफलं

पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम |
एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||

दक्षिणा(दान)
   
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: |
अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे ||

आरती

चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च |
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम ||

पुष्पांजलि

नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च |
पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर: ||

प्रार्थना
   
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात ||
                                                          अनया पूजया गणपति: प्रीयतां न मम कहकर प्रणाम कर आरती के लिए खड़े हो जाये।

श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा |
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा ||
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी |
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी || जय ...

अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया |
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया || जय ...

हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा |
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा || जय ...

दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी |
कामना को पूरा करो जग बलिहारी || जय ...

पौराणिक कथा
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भगवान शिव और माता पार्वती एक बार नदी किनारे बैठे हुए थे। उसी दौरान माता पार्वती को चौपड़ खेलने का मन हुआ। लेकिन उस समय वहां माता और भगवान शिव के अलाना कोई और मौजूद नहीं था, लेकिन खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए एक व्यक्ति की जरुरत थी। इस विचार के बाद दोनों ने एक मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसमें जान डाल दी और उससे कहा कि खेल में कौन जीता इसका फैसला तुम करना। खेल के शुरु होते ही माता पार्वती विजय हुई और इस प्रकार तीन से चार बार उन्हीं की जीत हुई। लेकिन एक बार गलती से बालक ने भगवान शिव का विजयी के रुप में नाम ले लिया। जिसके कारण माता पार्वती क्रोधित हो गई और उस बालक को लंगड़ा बना दिया। बालक उनसे क्षमा मांगता है और कहता है कि उससे भूल हो गई उसे माफ कर दें। माता कहती हैं कि श्राप वापस नहीं हो सकता लेकिन एक उपाय करके इससे मुक्ति पा सकते हो। माता पार्वती कहती हैं कि इस स्थान पर संकष्टी के दिन कुछ कन्याएं पूजा करने आती हैं, तुम उनसे व्रत की विधि पूछना और उस व्रत को श्रद्धापूर्वक करना।

संकष्टी के दिन कन्याएं वहां आती हैं और बालक उनसे व्रत की विधि पूछता और उसके बाद विधिवत व्रत करने से वो भगवान गणेश को प्रसन्न कर लेता है। भगवान गणेश उसे दर्शन देकर उससे इच्छा पूछते हैं तो वो कहता है कि वो भगवान शिव और माता पार्वती के पास जाना चाहता है। भगवान गणेश उसकी इच्छा पूरी करते हैं और वो बालक भगवान शिव के पास पहुंच जाता है। लेकिन वहां सिर्फ भगवान शिव होते हैं क्योंकि माता पार्वती भगवान शिव से रुठ कर कैलाश छोड़कर चली जाती हैं। भगवान शिव उससे पूछते हैं कि वो यहां कैसे आया तो बालक बताता है कि भगवान गणेश के पूजन से उसे ये वरदान प्राप्त हुआ है। इसके बाद भगवान शिव भी माता पार्वती को मनाने के लिए ये व्रत रखते हैं। इसके बाद माता पार्वती का मन अचानक बदल जाता है और वो वापस कैलाश लौट आती हैं। इस कथा के अनुसार भगवान गणेश का संकष्टी के दिन व्रत करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और संकट दूर होते हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
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24 जनवरी के दिन चतुर्थी तिथि रात्रि 08:53 तक रहेगी इससे पूर्व ही चतुर्थी पूजा करना श्रेष्ठ है।
रात्रि 4 बजकर 17 मिनट से 5:47 तक शुभ की चौघडी  इसके बाद 8:47 तक क्रमशः चर और लाभ की चौघडी में भी पूजन श्रेष्ठ है।
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