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गुरुवार, 20 जनवरी 2022

हिंदुओं के खिलाफ ज़हर फैला रहा है बॉलीवुड

 हिंदुओं के खिलाफ ज़हर फैला रहा है बॉलीवुड,

IIM अहमदाबाद से आयी इस सनसनीखेज रिपोर्ट से सारा देश सन्न

अक्सर कहा जाता है कि बॉलीवुड की फिल्में हिंदू और सिख धर्म के खिलाफ लोगों के दिमाग में धीमा ज़हर भर रही हैं। इस शिकायत की सच्चाई जानने के लिए अहमदाबाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) के एक प्रोफेसर ने एक अध्ययन किया है, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। आईआईएम के प्रोफेसर धीरज शर्मा ने बीते छह दशक की 50 बड़ी फिल्मों की कहानी को अपने अध्ययन में शामिल किया और पाया कि बॉलीवुड एक सोची-समझी रणनीति के तहत बीते करीब 50 साल से लोगों के दिमाग में यह बात भर रहा है कि हिंदू और सिख दकियानूसी होते हैं।

उनकी धार्मिक परंपराएं बेतुकी होती हैं। मुसलमान हमेशा नेक और उसूलों पर चलने वाले होते हैं। जबकि ईसाई नाम वाली लड़कियां बदचलन होती हैं। हिंदुओं में कथित ऊंची जातियां ही नहीं, पिछड़ी जातियों के लिए भी रवैया नकारात्मक ही है। यह पहली बार है जब बॉलीवुड फिल्मों की कहानियों और उनके असर पर इतने बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है।

ब्राह्मण नेता भ्रष्ट, वैश्य बेइमान कारोबारी!

आईआईएम के इस अध्ययन के अनुसार फिल्मों में 58 फीसदी भ्रष्ट नेताओं को ब्राह्मण दिखाया गया है। 62 फीसदी फिल्मों में बेइमान कारोबारी को वैश्य सरनेम वाला दिखाया गया है। फिल्मों में 74 फीसदी सिख किरदार मज़ाक का पात्र बनाया गया। जब किसी महिला को बदचलन दिखाने की बात आती है तो 78 फीसदी बार उनके नाम ईसाई वाले होते हैं। 84 प्रतिशत फिल्मों में मुस्लिम किरदारों को मजहब में पक्का यकीन रखने वाला, बेहद ईमानदार दिखाया गया है। यहां तक कि अगर कोई मुसलमान खलनायक हो तो वो भी उसूलों का पक्का होता है।

हैरानी इस बात की है कि यह लंबे समय से चल रहा है और अलग-अलग समय की फिल्मों में इस मैसेज को बड़ी सफाई से फिल्मी कहानियों के साथ बुना जाता है। अध्ययन के तहत रैंडम तरीके से 1960 से हर दशक की 50-50 फिल्में चुनी गईं। इनमें ए से लेकर जेड तक हर शब्द की 2 से 3 फिल्में चुनी गईं। ताकि फिल्मों के चुनाव में किसी तरह पूर्वाग्रह न रहे। अध्ययन के नतीजों से साफ झलकता है कि फिल्म इंडस्ट्री किसी एजेंडे पर काम कर रही है।

‘बजंरगी भाईजान’ देखने के बाद अध्ययन

प्रोफेसर धीरज शर्मा कहते हैं कि “मैं बहुत कम फिल्में देखता हूं। लेकिन कुछ दिन पहले किसी के साथ मैंने बजरंगी भाईजान फिल्म देखी। मैं हैरान था कि भारत में बनी इस फिल्म में ज्यादातर भारतीयों को तंग सोच वाला, दकियानूसी और भेदभाव करने वाला दिखाया गया है। जबकि आम तौर पर ज्यादातर पाकिस्तानी खुले दिमाग के और इंसान के बीच में फर्क नहीं करने वाले दिखाए गए हैं।” यही देखकर उन्होंने एक तथ्यात्मक अध्ययन करने का फैसला किया।

वो यह जानना चाहते थे कि फिल्मों के जरिए लोगों के दिमाग में गलत सोच भरने के जो आरोप लगते हैं क्या वाकई वो सही हैं? यह अध्ययन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि फिल्में नौजवान लोगों के दिमाग, व्यवहार, भावनाओं और उनके सोचने के तरीके को प्रभावित करती हैं। यह देखा गया है कि फिल्मों की कहानी और चरित्रों के बर्ताव की लोग निजी जीवन में नकल करने की कोशिश करते हैं।

पाकिस्तान और इस्लाम का महिमामंडन

प्रोफेसर धीरज और उनकी टीम ने 20 ऐसी फिल्मों को भी अध्ययन में शामिल किया जो पिछले कुछ साल में पाकिस्तान में भी रिलीज की गईं। उनके अनुसार ‘इनमें से 18 में पाकिस्तानी लोगों को खुले दिल और दिमाग वाला, बहुत सलीके से बात करने वाला और हिम्मतवाला दिखाया गया है। सिर्फ पाकिस्तान की सरकार को इसमें कट्टरपंथी और तंग नजरिए वाला दिखाया जाता है। ऐसे में सवाल आता है कि हर फिल्म भारतीय लोगों को पाकिस्तानियों के मुकाबले कम ओपन-माइंडेड और कट्टरपंथी सोच वाला क्यों दिखा रही है? इतना ही नहीं इन फिल्मों में भारत की सरकार को भी बुरा दिखाया जाता है।

पाकिस्तान में रिलीज़ हुई ज्यादातर फिल्मों में भारतीय अधिकारी अड़ंगेबाजी करने वाले और जनता की भावनाओं को नहीं समझने वाले दिखाए जाते हैं।’ फिल्मों के जरिए इमेज बनाने-बिगाड़ने का ये खेल 1970 के दशक के बाद से तेजी से बढ़ा है। जबकि पिछले एक दशक में यह काम सबसे ज्यादा किया गया है। 1970 के दशक के बाद ही फिल्मों में सलीम-जावेद जैसे लेखकों का असर बढ़ा, जबकि मौजूदा दशक में सलमान, आमिर और शाहरुख जैसे खान हीरो सक्रिय रूप से अपनी फिल्मों में पाकिस्तान और इस्लाम के लिए सहानुभूति पैदा करने वाली बातें डलवा रहे हैं।

बच्चों के दिमाग पर बहुत बुरा असर

अध्ययन के तहत फिल्मों के असर को जानने के लिए इन्हें 150 स्कूली बच्चों के एक सैंपल को दिखाया गया। प्रोफेसर धीरज शर्मा के अनुसार ’94 प्रतिशत बच्चों ने इन फिल्मों को सच्ची घटना के तौर पर स्वीकार किया।’ यह माना जा सकता है कि फिल्म वाले पाकिस्तान, अरब देशों, यूरोप और अमेरिका में फैले भारतीय और पाकिस्तानी समुदाय को खुश करने की नीयत से ऐसी फिल्में बना रहे हों। लेकिन यह कहां तक उचित है कि इसके लिए हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों को गलत रौशनी में दिखाया जाए? वैसे भी इस्लाम को हिंदी फिल्मों में जिस सकारात्मक रूप से दिखाया जाता है, वास्तविक दुनिया में उनकी इमेज इससे बिल्कुल अलग है। आतंकवाद की ज्यादातर घटनाओं में मुसलमान शामिल होते हैं, लेकिन फिल्मों में ज्यादातर आतंकवादी के तौर पर हिंदुओं को दिखाया जाता है। जैसे कि शाहरुख खान की ‘मैं हूं ना’ में सुनील शेट्टी एक आतंकी संगठन का मुखिया बना है जो नाम से हिंदू है।



सलीम जावेद सबसे बड़े जिहादी?

सलीम-जावेद की लिखी फिल्मों में हिंदू धर्म को अपमानित करने की कोशिश सबसे ज्यादा दिखाई देती है। इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है। पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कॉमेडियन आदि ही दिखाया जाता है। ज्यादातर हिंदू किरदारों की जातीय पहचान पर अच्छा खासा जोर दिया जाता था। इनमें अक्सर बहुत चालाकी से हिंदू परंपराओं को दकियानूसी बताया जाता था। इस जोड़ी की लिखी तकरीबन हर फिल्म में एक मुसलमान किरदार जरूर होता था जो बेहद नेकदिल इंसान और अल्ला का बंदा होता था। इसी तरह ईसाई धर्म के लोग भी ज्यादातर अच्छे लोग होते थे।

सलीम-जावेद की फिल्मों में मंदिर और भगवान का मज़ाक आम बात थी। मंदिर का पुजारी ज्यादातर लालची, ठग और बलात्कारी किस्म का ही होता था। फिल्म “शोले” में धर्मेंद्र भगवान शिव की आड़ लेकर हेमा मालिनी को अपने प्रेमजाल में फँसाना चाहता है, जो यह साबित करता है कि मंदिर में लोग लड़कियाँ छेड़ने जाते हैं। इसी फिल्म में एके हंगल इतना पक्का नमाजी है कि बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढ़ने चल देता है कि उसने और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए।

“दीवार” फिल्म का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला ही बार-बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है। फिल्म “जंजीर” में भी अमिताभ बच्चन नास्तिक हैं और जया, भगवान से नाराज होकर गाना गाती है, लेकिन शेरखान एक सच्चा मुसलमान है। फिल्म ‘शान” में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर साधु के वेश में जनता को ठगते हैं, लेकिन इसी फिल्म में “अब्दुल” ऐसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है। फिल्म “क्रान्ति” में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीम खान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।

“अमर-अकबर-एंथोनी” में तीनों बच्चों का बाप किशनलाल एक खूनी स्मगलर है लेकिन उनके बच्चों (अकबर और एंथोनी) को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई बेहद नेकदिल इंसान है। कुल मिलाकर आपको सलीम-जावेद की फिल्मों में हिंदू नास्तिक मिलेगा या फिर धर्म का उपहास करने वाला। जबकि मुसलमान शेर खान पठान, डीएसपी डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेविड जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे।

हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो, लेकिन अबकी बार ज़रा गौर से देखिएगा केवल सलीम-जावेद की ही नहीं, बल्कि कादर खान, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट जैसे ढेरों कलाकारों की कहानियों का भी यही हाल है। सलीम-जावेद के दौर में फिल्म इंडस्ट्री पर दाऊद इब्राहिम का नियंत्रण काफी मजबूत हो चुका था। हम आपको बता दें कि सलीम खान सलमान खान के पिता हैं, जबकि जावेद अख्तर आजकल सबसे बड़े सेकुलर का चोला ओढ़े हुए हैं।

अब तीनों खान ने संभाली जिम्मेदारी?



मौजूदा समय में तीनों खान एक्टर फिल्मों में हिंदू किरदार करते हुए हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं। इनमें सबसे खतरनाक कोई है तो वो है आमिर खान। आमिर खान की पिछली कई फिल्मों को गौर से देखें तो आप पाएंगे कि सभी का मैसेज यही है कि भगवान की पूजा करने वाले धार्मिक लोग हास्यास्पद होते हैं। इन सभी में एक मुस्लिम कैरेक्टर जरूर होता है जो बहुत ही भला इंसान होता है। “पीके” में उन्होंने सभी हिंदू देवी-देवताओं को रॉन्ग नंबर बता दिया। लेकिन अल्लाह पर वो चुप रहे।

पहलवानों की जिंदगी पर बनी “दंगल” में हनुमान की तस्वीर तक नहीं मिलेगी। जबकि इसमें पहलवानों को मांस खाने और एक कसाई का दिया प्रसाद खाने पर ही जीतते दिखाया गया है। सलमान खान भी इसी मिशन पर हैं, उन्होंने “बजरंगी भाईजान” में हिंदुओं को दकियानूसी और पाकिस्तानियों को बड़े दिलवाला बताया। शाहरुख खान तो “माई नेम इज़ खान” जैसी फिल्मों से काफी समय से इस्लामी जिहाद का काम जारी रखे हुए हैं।


संस्कृति को नुकसान की कोशिश

हॉलीवुड की फिल्में पूरी दुनिया में अमेरिकी संस्कृति, हावभाव और लाइफस्टाइल को पहुंचा रही हैं। जबकि बॉलीवुड की फिल्में भारतीय संस्कृति से कोसों दूर हैं। इनमें संस्कृति की कुछ बातों जैसे कि त्यौहार वगैरह को लिया तो जाता है लेकिन उनका इस्तेमाल भी गानों में किया जाता है। लगान जैसी कुछ फिल्मों में भजन वगैरह भी डाले जाते हैं लेकिन उनके साथ ही धर्म का एक ऐसा मैसेज भी जोड़ दिया जाता है कि कुल मिलाकर नतीजा नकारात्मक ही होता है। फिल्मों के बहाने हिंदू धर्म और भारतीय परंपराओं को अपमानित करने का खेल बहुत पुराना है। सिनेमा के शुरुआती दौर में ये होता था लेकिन खुलकर नहीं। लेकिन 70 के दशक के दौरान ज्यादातर फिल्में यही बताने के लिए बनाई जाने लगीं कि मुसलमान रहमदिल और नेक इंसान होते हैं, जबकि हिंदुओं के पाखंडी और कट्टरपंथी होने की गुंजाइश अधिक होती है।

आईआईएम के प्रोफेसर धीरज शर्मा की इस स्टडी में होने वाले खुलासों ने सारे देश को झकझोर कर रख दिया है और साथ ही बीजेपी के कद्दावर नेता डॉक्टर सुब्रमणियम स्वामी के उस दावे को भी सही साबित कर दिया, जिसमे उन्होंने कहा है कि बॉलीवुड में दाऊद का कालाधन लगता है और दाऊद के इशारों पर ही बॉलीवुड का इस्लामीकरण किया जा रहा है.

स्वामी समेत कई हिन्दू संगठन भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि एक साजिश के तहत मोती कमाई का जरिया बन चुके बॉलीवुड में हिन्दू कलाकारों को किनारे किया जा रहा है और मुस्लिम हीरो, गायक आदि को ज्यादा से ज्यादा काम दिया जा रहा है. पाकिस्तानी कलाकारों को काम देने के लिए भी दाऊद गैंग बॉलीवुड पर दबाव बनाता है

बस यही सब बातें थी जो मैं बॉलीवुड में बहुत मिस करता हूँ #पुष्पा

 #पुष्पा
पुष्पा के खास दोस्त का नाम "केशव" था । पुष्पा की मां का नाम "पार्वती" था । उसके पिता का नाम "वेंकटरमण" था । उसकी प्रेमिका का नाम "श्रीवल्ली" था । उसके ससुर का नाम "मुनिरत्नम" था ।

पुष्पा के मालिक का नाम "कोंडा रेड्डी" था । जिस डीएसपी ने पुष्पा को पकड़ा था उसका नाम "गोविंदम" था ।
जिस थानेदार ने पुष्पा के साथ इंट्रोगेशन किया उसका नाम "कुप्पाराज" था ।

पुष्पा के सबसे बड़े दुश्मन का नाम "मंगलम श्रीनू" था । जो पुष्पा को मारना चाहता था , श्रीनू का साला उसका नाम "मोगलिस" था ।
डॉन कोंडा रेड्डी के विधायक दोस्त मंत्री जी का नाम "भूमिरेड्डी सिडप्पा नायडू" था ।
लाल चंदन का सबसे बड़ा खरीददार "मुरुगन" था ।

फ़िल्म मुझे इसलिए भी अच्छी लगी क्योंकि इसमें कैरेक्टर वाइज कोई न सलीम था न कोई जावेद था । न रहम दिल अब्दुल चचा थे । न पांच वक्त का नमाजी सुलेमान था ।
न अली-अली था न मौला-मौला था । न दरगाह थी , न मस्जिद थी , न अजान थी । न सूफियाना सियापा था ।
 
बस माथों पर लाल चंदन के तिलक थे । मंदिर थे । मंत्र थे । संस्कृत के श्लोक थे ।
काम शुरू करने से पूर्व देवी की पूजा थी । नए दूल्हा-दुल्हन के चेक पोस्ट से गुजरने पर उन्हें भेंट देने की प्रथा थी । पत्तल में खाना था । देशज वेशभूषा थी । अपनी प्रथाओं , परंपराओं का सम्मान था ।

बस यही सब बातें थी जो मैं बॉलीवुड में बहुत मिस करता हूँ और मेरी तरह बहुत से लोग करते होंगे । साउथ सिनेमा की ओर बॉलीवुड के दर्शकों का  झुकाव होने एक कारण यह भी है ।



ऐसी फिल्में देखने के बाद महसूस होता है कि हां हम अपने ही देश में है..............

सनातनी भारत भूमि पर ही हैं.......।
साभार🙏🏻😊

इन 6 वर्षों में विभिन्न माध्यमों से मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।

 मात्र 6-7 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था,  मुझे भी औरों की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा हिन्दू मुस्लिम भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।

मगर .....! मगर ...!!

इन 6 वर्षों में विभिन्न माध्यमों से मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।

1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नहीं होते। वे भी किसी मकसद/व्यक्तिगत स्वार्थ से जुड़े होते हैं।

2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नहीं होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुड़े होते हैं।

3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नहीं होते।

4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला।

5. हिन्दू धर्म को सनातन धर्म कहते हैं और देश का नाम हिंदुस्तान है, क्योंकि यह हिंदुओं का इकलौता देश है।

6. हिन्दू शब्द सिंधु से नहीं (ईरानियों द्वारा स को ह बोलने से) नहीं आया बल्कि "हिन्दू" शब्द "ऋग्वेद" में लाखों वर्ष पूर्व से ही वर्णित था।

7. जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा हजारों वर्ष पूर्व सनातनी नहीं बल्कि मुगलों के आगमन से उपजी कु-व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेजों ने सनातन से जोड़कर हिन्दुओं को बांटा। उसे लिखित इतिहास बनाया।

8. किसी समय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पूरे विश्व में फैला था, पता चला।

9. वास्कोडिगामा का सच ये था कि वह एक लुटेरा, धोखेबाज था और किसी भारतीय जहाज का पीछा करते हुए, भारत पहुंचा।

10. बप्पा रावल का नाम, काम और अद्भुत पराक्रम सुना। उनसे डरकर 300 वर्ष तक मुस्लिम आक्रांता इधर झांके भी नहीं, पता चला।

11. बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुलतान सहित सभी मुगल शासक क्रूर, हत्यारे, इस्लाम के प्रचारक, प्रसारक और हिंदुओं के नरसंहारक थे, यह सच पता चला।

12. ताज़महल, लालकिला, कुतुब मीनार हिन्दू भवन थे, इनकी सच्चाई कुछ और थी।

13. जिसे लोग व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहकर मजाक उड़ाते हैं, उसी ने मुझे  हेडगेवार, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल व हिन्दू समाज के साथ कि गई गद्दारी की सच्चाई बताईं।

14. गाँधी जी की तुष्टिकरण और भारत विभाजन के बारे में ज्ञान हुआ। गांधी जी जब अहिंसा के पुजारी थे तो शांतिदूतो को अहिंसा का पाठ न पढाके सिर्फ़ हिन्दुओं को क्यों पढाया ? पता चला !

15. नेहरू की असलियत, उसके इरादे, उसकी हरकतें, पता चलीं।

16. POJKL के बारे में भी इन 6 वर्षों में जाना कि कैसे पाकिस्तान ने कब्जा किया। और किस नेता की छुपी करतूत थी, कौन लोग POJKL को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं, पता चला।

17. अनुच्छेद 370 और उससे बने नासूर का पता चला।

18. कश्मीर में दलितों को आरक्षण नहीं मिलता, यह भी अब पता चला।

19. AMU मे दलितों को आरक्षण नहीं मिलती, वह इसी संविधान के तहत संविधान से परे ब्यवहार के लिये स्वतंत्रत है, पता चला।

20. जेएनयू की असलियत, वहाँ के खेल और हमारे टैक्स से पलने वाली टुकड़े टुकड़े गैंग का पता चला।

21. वामपंथी-देशद्रोही विचारधारा के बारे में पता चला।

22. जय भीम समुदाय के बारे में पता चला। भीमराव के नाम पर उनके मत से सर्वथा भिन्न खेल का पता चला। मीम, भीम, दलित औऱ हिन्दू-दलित अलग-अलग होते हैं, पता चला !

23. मदर टेरेसा की असलियत अब जाकर ज्ञात हुई।

24. ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण के बारे में पता चला।

25. समुदाय विशेष में तीन तलाक, हलाला, तहरुष, मयस्सर, मुताह जैसी कुरीतियों के नाम भी अब जाकर सुना। इनका मतलब जाना।

26. अब मुझे पता चला कि धिम्मी, काफिर, मुशरिक, शिर्क, जिहाद, क्रुसेड जैसे शब्द हिन्दुओं के लिए क्या संदेश रखते हैं।

27. सच बताऊं ! गजवा-ऐ-हिन्द के बारे मे पता भी नहीं था, कभी नाम भी नहीं सुना था। यह सब इन 6 वर्षों में पता चला। स्टॉकहोम सिंड्रोम और लवजिहाद का पता चला।

28. सेकुलरिज्म की असलियत अब पता चली। मानवाधिकार, बॉलीवुड, बड़ी बिंदी गैंग, लुटियंस जोन इन सबके लिए तो हिन्दू एक चारा था।

29. हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग हैं, यह भी सोशल मीडिया ने ही बताया। नेहरू ने हिन्दू पर्सनल लॉ को समाप्त कर दिया लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को रहने दिया।

30. भारतीय इतिहास के नाम पर हमें झूठी कहानी पढ़ायी गयी, जिन मुगलों ने हमें लूटा, हम पर अत्याचार किया उन्हें महान बताया गया। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर पर कब्जा करे, लूटे, अत्याचार करे, वह लुटेरा महान कैसे हो सकता है ?

31. इतना सब पता चलने के बाद भी और मोदीजी के महान नेतृत्व के बाद भी केवल तीस प्रतिशत हिन्दू ही असलियत समझ पाए हैं, बाकी वैसे ही हैं !

32. यहां तक कि न्यायमूर्ति कहे जाने वाले न्यायाधीश तक निष्पक्ष नहीं होते, कुछ विचारधारा से, कुछ डर के कारण, न्याय नहीं कर सकते!

33. अभिव्यक्ति की आजादी और सही इतिहास जिसे दफन कर दिया गया था वह अब धरती फाड़कर बाहर आ रहा हैै, पर पहले लिखा इतिहास सारा झूठ का पुलंदा था।

34. सभी राजनीतिक पार्टियों की वास्तविक हकीकत, और उनका एजेंडा पता चला !

🙏🏼 जय श्रीराम 🙏🏼

फ़िल्म में हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार हाजी बना हीरो, राष्ट्रवादी दिखाने की घोषणा

🚩 फ़िल्म में हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार हाजी बना हीरो, राष्ट्रवादी दिखाने की घोषणा

20 अगस्त 2020
azaadbharat.org

🚩 हिंदुस्तान में सदियों से हिंदुओं पर अनगिनत अत्याचार हुए है फिर भी हिंदू प्रगाढ़ निद्रा में है इसके कारण आज भी सनातन धर्म विरोधी अपनी गतिविधियों द्वारा हिंदुओं पर हुए अत्याचार को मिटाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं और हिंदुओं के खिलाफ़ धृणा पैदा करने वाली अनेक इतिहास लिखा जा चुका है और लिख रहे हैं और उसके ऊपर फिल्में बनाकर हिंदू धर्म को नीचा दिखाने व मिटाने की कोशिशें कर रहे हैं।

🚩 आपको बता दे कि साल 1921 में केरल में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji ) की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनने वाली है। इस फिल्म को बनाने वाले का नाम आशिक अबु है। हाजी का किरदार निभाने वाले एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन हैं। और, फिल्म का टाइटल वरियमकुन्नन (Vaariyamkunnan) हैं। ये सब सूचना स्वयं अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने फेसबुक पर दी है।

🚩 उन्होंने अपनी नई फिल्म का ऐलान करते हुए हाजी को ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ लड़ने वाली शख्सियत बताया है। साथ ही हाजी को न केवल एक नेता के तौर पर दर्शाया, बल्कि उसे एक फौजी और राष्ट्रवादी भी कहा।

🚩 इसके अलावा मालाबार में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को पृथ्वीराज ने मालाबार क्रांति का पहला चेहरा लिखा और जानकारी दी कि इसकी फिल्मिंग हाजी की 100वीं बरसी पर शुरू करेंगे।

🚩 यहाँ बता दें, इस जानकारी के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया। लोग पूछने लगे कि आखिर हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हीरो कैसे हो सकता है? या ये समझें कि ये फिल्म फिर से समुदाय विशेष के कुकर्मों को धोने का एक प्रयास है, जिसके जरिए सच्चाई को छिपाते हुए नया इतिहास समझाने की कोशिश हो रही है।

क्यों है विवाद?

🚩 दरअसल, साल 2021 में रिलीज होने वाली यह फिल्म मोपला समुदाय के उस मुस्लिम नेता की जिंदगी पर आधारित है, जिसे साल 1921 में मालाबार में हजारों हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताया जाता है।

कौन था वरियम कुन्नथु हाजी कुंजाहम्मद हाजी?

🚩 वरियमकुन्नथु या चक्कीपरांबन वरियामकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान जहाँ सैंकड़ों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ। जहाँ इस्लामिक ताकतों ने मिलकर लूटपाट की और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह की आड़ में हिंदुओं का रक्तपात किया। मगर, फिर भी, उन आतताइयों के उस चेहरे को छिपाने के लिए इतिहास के पन्नों में उन्हें मोपला के विद्रोहियों का नाम दिया गया।

🚩 बता दें, मोपला में हिंदुओं का नरसंहार वही घटना है, जब हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने न केवल हमला बोला। बल्कि आगे चलकर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के लिए उस बर्बरता को इतिहास के पन्नों से ही गुम कर दिया या फिर काट-छाँटकर इसपर जानकारी दी गई।

🚩 केरल के मालाबार में हिंदुओं पर अत्याचार के उन 4 महीनों ने सैंकड़ों हिंदुओं की जिंदगी तबाह की। बताया जाता है कि मालाबार में ये सब स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर शुरू हुआ। लेकिन जब खत्म होने को आया तो उसका उद्देश्य साफ पता चला कि वरियमकुन्नथु जैसे लोग केवल उत्तरी केरल से हिंदुओं की जनसंख्या कम करना चाहते थे।

🚩 खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया। इस दौरान हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया। जबरन धर्मांतरण हुए और कई प्रकार के ऐसे अत्याचार हिंदुओं पर किए गए, जिन्हें शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन है।

🚩 बाबा साहेब अंबेडकर अपनी किताब में इस नरसंहार का जिक्र करते हैं। वे पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया नाम की अपनी किताब में लिखते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे के अत्याचार अवर्णनीय थे। दक्षिणी भारत में हर जगह हिंदुओं के ख़िलाफ़ लहर थी। जिसे खिलाफत नेताओं ने भड़काया था।

🚩 इसके अलावा एनी बेसेंट ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में करते हुए बताया कि कैसे धर्म न त्यागने पर हिंदुओं पर अत्याचार हुए। उन्हें मारा-पीटा गया । उनके घरों में लूटपाट हुई। एनी बेंसेंट ने अपनी किताब में बताया कि करीब लाख से ज्यादा हिंदू लोगों को उस दौरान अपने घरों को तन पर बाकी एक जोड़ी कपड़े के साथ छोड़ना पड़ा था। उन्होंने लिखा, “मालाबार ने हमें सिखाया है कि इस्लामिक शासन का क्या मतलब है, और हम भारत में खिलाफत राज का एक और नमूना नहीं देखना चाहते हैं।”

🚩 आज मलयालम फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले अधिकतर लोग मालाबार मुसलमान हैं। जिन्हें लगता है शायद इस तरह के प्रयासों से वह हिंदुओं पर हुई बर्बरता को लोगों की नजरों में धुँधला कर देंगे और अपनी कोशिशों से एक नया इतिहास नई पीढ़ी के सामने पेश करेंगे।

🚩 लेकिन, आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब हाजी के आतताई चेहरे को नायक में तब्दील करने की कोशिश हुई। इससे पहले भी जामिया प्रदर्शन के समय सुर्खियों में आई बरखा दत्त की शीरो लदीदा ने हाजी का महिमामंडन किया था।
https://twitter.com/OpIndia_in/status/1296309080953217026?s=19

🚩 मोपला मुसलमानों के एक अलीम ने यह घोषणा कर दी कि उसे जन्नत के दरवाजे खुले नजर आ रहे हैं । जो आज के दिन, दीन की खिदमत में शहीद होगा वह सीधा जन्नत जाएगा । जो काफ़िर को हलाक करेगा वह गाज़ी कहलाएगा । एक गाज़ी को कभी दोज़ख का मुख नहीं देखना पड़ेगा । उसके आहवान पर मोपला भूखे भेड़ियों के समान हिन्दुओं की बस्तियों पर टूट पड़े । टीपू सुल्तान के समय किये गए अत्याचार फिर से दोहराए गए । अनेक मंदिरों को भ्रष्ट किया गया । हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनाया गया, उनकी चोटियां काट दी गई । उनकी सुन्नत कर दी गई । मुस्लिम पोशाक पहना कर उन्हें कलमा जबरन पढ़वाया गया । जिसने इंकार किया उसकी गर्दन उतार दी गई । ध्यान दीजिये कि इस अत्याचार को इतिहासकारों ने अंग्रेजी राज के प्रति रोष के रूप में चित्रित किया हैं जबकि यह मज़हबी दंगा था । 2021 में इस दंगे के 100 वर्ष पूरे होंगे।

🚩 हिंदुओं का नर संहार करने वाले लोगों को आज हीरो बनाया जा रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि रोल करने वाला भी हिंदू ही हैं, और देखने वाले भी अधिकतर हिंदू ही है, आज बॉलीवुड में अधिकतर फिल्में भी हिन्दू विरोधी ही बन रही है अभी "आश्रम" नाम की फ़िल्म बनाकर हिंदू धर्म को बदनाम ही किया जा रहा है। हिंदुओं को अब जागरूक होना चाहिए ऐसी फिल्मों का पुरजोर से विरोध करना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को ये लोग गुमराह करके हिंदू धर्म को खत्म न कर सकें।

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विश्व का एकमात्र मेंढक का मंदिर

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसमे शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं। जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ओयल कस्बे में स्थित इस मन्दिर को मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां नर्मदेश्वर महादेव का शिवलिंग रंग बदलता है, और यहां खड़ी नंदी की मूर्ति है जो आपको कहीं देखने को नहीं मिलेगी। मंदिर के बारे में इतिहासकार माणिक लाल गुप्ता कहते हैं कि "मंदिर राजस्थानी स्थापत्य कला पर बना है, और तांत्रिक मण्डूक तंत्र पर बना है। मंदिर के बाहरी दीवारों पर शव साधना करती उत्कीर्ण मूर्तियां इसे तांत्रिक मंदिर ही बताती हैं।

सामने से मेंढक के पीठ पर करीब सौ फिट का ये मन्दिर अपनी स्थापत्य के लिए यूपी ही नहीं पूरे देश के शिव मंदिर में सबसे अलग है।"

Unique frog temple at Lakhimpur khiri..

सावन में महीने भर दूर-दूर से भक्त यहां आकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर ओयल स्टेट के राजा बख्त सिंह ने करीब 200 साल पहले बनवाया था। इतिहास के जानकार रामपाल सिंह कहते हैं मंदिर के बनवाने के पीछे दो बातें सामने आती हैं। ओयल के राजाओं ने इसे युद्ध में जीते पैसे को सदुपयोग के लिए बनवाया वही कहा यह भी जाता है कि अकाल से निपटने को किसी तांत्रिक की सलाह पर ये अदभुद मंदिर बनवाया गया। मेंढक मंदिर के चारों कोनों पर भी बड़ी सुंदर गुम्बद बने हैं।

अश्वगंधा: एक चमत्कारी औषधि

अश्वगंधा को आधुनिक वैज्ञानिक जगत में वंडर हर्ब (Wonder Herb) कहा है और प्राचीन आयुर्वेद में इसे रसायन का दर्जा प्राप्त है। प्राचीन परंपरा और आधुनिक विज्ञान के मध्य अगर मैं सेतु (ब्रिज़) बना कर लिखने की कोशिश करूं तो अश्वगंधा के गुणों के बखान में जगह और समय दोनो कम पड़ जाएंगे। फिर भी मैं कोशिश करता हूं। संयोग है कि आज सुबह ही मैने अश्वगंधा की तस्वीर भी ली थी।



राज-निघण्टु के मतानुसार अश्वगंधा स्तम्मक या कसैला, उष्ण, तिक्त, मद्यगंधयुक्त, बलकारक, वातनाशक, तथा खाँसी, श्वास, क्षय और व्रण को नष्ट करने वाली है।

भाव-प्रकाश के मतानुसार अश्वगंधा वात, कफ, सूजन, श्वेत कुष्ठ और कफ-रोगनाशक तथा बलकारक, रसायन, कसैली, तिक्त, उष्णवीर्य, और अत्यंत वीर्यवर्धक है।

अश्वगंधा: प्राचीन आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान

एक अन्य मतों के अनुसार अश्वगंधा के पत्तों का लेप गाँठ, गलगाँठ आदि ग्रंथि रोगों को दूर करने वाला है। यह निद्रा लाने वाली और मूत्र बढ़ाने वाली अत्यंत गुणकारी औषधि है। शुक्र-वृद्धिकारक होने के कारण इसको शुक्ला भी कहते हैं।

इसके प्रयोग से गठिया, क्षीणता, प्रमेह, कटिशूल, क्षयरोग, बंधत्व, वात रक्त, दिल-दिमाग की कमजोरी, बुढ़ापे की कमजोरी और सिर के रोगों में बहुत लाभ होता है। जिनको वीर्य की कमी से नामर्दी अथवा क्षय हो उनके लिये तो अश्वगंधा अमृत है।

अश्वगंधा: स्त्रियों के लिए भी हितकारी

यूनानी चिकित्सा पद्धति में असगंध को पुष्ट करने वाली, श्वास में लामदायक तथा नलियों के प्रदाह को मिटाने वाली है । यह ऋतुस्राव को नियमित करने वाली, गर्भाधान में सहायक तथा कटिवात और संधि-प्रदाह में लाभकारी है|



आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसके पुष्टिकारक, दाह शामक, कैंसररोधी, एंटीस्ट्रेस, एंटीऑक्सिडेंट, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (रोग प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने वाला), रक्तवर्धक और कायाकल्पकारी गुणों को सही पाया गया। यह भी पाया गया है कि अश्वगंधा शरीर में अंतःस्रावी हार्मोन तंत्र, हृदय, फेफड़ों और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

  • उपरोक्त लेख वनौषधि चंद्रोदय खंड-1 और अश्वगंधा पर केंद्रित कई आधुनिक विज्ञान के शोध पत्रों के अध्यन से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिखा है
  • सभी तस्वीरों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं।

बुधवार, 19 जनवरी 2022

वार्षिक माघ मेले का आकर्षण कल्पवासी होते हैं

वार्षिक माघ मेले का आकर्षण कल्पवासी होते हैं
कल्पवास की शुरूआत पौष पूर्णिमा के स्नान से आरंभ होती है
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती पर हर साल लगने वाला सबसे बड़ा धार्मिक माघ मेला चल रहा है. संगम की रेती पर लगने वाले कुम्भ की पहचान अखाड़े होते हैं, जबकि वार्षिक माघ मेले का आकर्षण कल्पवासी होते हैं. श्रद्धालु नियम और संयम के साथ कठोर तप कर एक महीने यहां ठहरकर अपना कल्पवास सम्पन्न करते हैं. इस कल्पवास की शुरूआत पौष पूर्णिमा के स्नान से आरंभ हो जाती है.

कितना कठिन होता है कल्पवास?
कल्पवास करने आए श्रद्धालु पौष पूर्णिमा के दिन तुलसी-शालिग्राम की स्थापना करते हैं और दिन में तीन बार स्नान और एक बार भोजन करते हैं. श्रद्धालु भजन-कीर्तन कर अपना समय व्यतीत करते हैं. दान पुण्य करते हैं और जमीन पर सोते हैं. ऐसा बारह वर्षों तक किया जाता है. कुछ श्रद्धालु इससे ज्यादा भी कल्पवास करते हैं और ईश्वर का आशीर्वाद लेकर अपना परिवारिक जीवन सार्थक करते हैं.

कौन करता है कल्पवास?
वैसे तो एक माह तक संगम की रेती पर कल्पवास करने वाले साधक अपने जीवन के सभी कार्यों से विरत होते हैं. इसके बाद श्रद्धालु यहां आकर कल्पवास करते हैं. यानी बच्चों की शादी और तमाम कार्य जब व्यक्ति पूरे कर लेता है और जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है तो 12 वर्षों तक लगातार कल्पवास करता है और एक माह कल्पवास करने वाले साधक को ब्रम्हा के एक दिन का पुण्य मिलता है. कल्पवासी को इस साधना के बाद मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. उसे जन्म-जन्मांतर के बंधनों से भी मुक्ति मिल जाती है.

कल्पवास करने से क्या मिलता है फल?
ऐसी मान्यताएं हैं कि 100 साल तक बिना अन्न के तपस्या करने वाले को जो फल मिलता है वो एक माह संगम की रेती पर कल्पवास करने से मिल जाता है. इससे कल्पवासी की हर मनोकामना पूरी होती है. अपने घर के बाहर कल्पवास करने वाले तुलसी का पौधा लगाते हैं भोर में जागकर साधक स्नान कर पूजा पाठ में लग जाते हैं.

सिर्फ प्रयाग में ही होता है कल्पवास
ऐसा बताया जाता है कि प्रयाग में महर्षि भारद्वाज का आश्रम रहा करता था और ब्रम्हा जी ने यहां यज्ञ और पूजन किया था. तभी से ऋषियों और मुनियों की इस तपोभूमि पर साधू-संत और गृहस्त जीवन बिताने वाले श्रद्धालु कल्पवास करते हैं और ये सिर्फ प्रयाग में ही होता है. साधू-संत और कल्पवास करने वाले श्रद्धालु अपने हांथो से कुटिया बनाकर यहां रहते हैं. हालांकि आज के दौर में कुटिया का रूप आधुनिक टेंटों ने ले लिया है.
          ।।    माघ मेला प्रयागराज में।।

🔻🔻🔴नक्षत्र एवं संबंधित दान 🔻🔻 🔴


अश्विनी नक्षत्र में कांस्य पात्र में घी भरकर दान करने से रोग मुक्ति होती है। 
- भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को तिल एवं धेनु का दान करने से सद्गतिप्राप्त होती है व कष्ट कम होता है। 
- कृतिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतांे को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है ..

- रोहिणी नक्षत्र में घी मिश्रित अन्न को ब्राह्मण व साधुजन को दान करना चाहिए।
 – मृगशिरा नक्षत्र में ब्राह्मणों को दूध दान करने से किसी प्रकार का ऋण नहीं रहता व व्याधि से दूर रहते हैं। 
- आद्र्रा नक्षत्र में तिल मिश्रित खिचड़ी का दान करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाते हंै। 
- पुनर्वसु नक्षत्र में घी के बने मालपुए ब्राह्मण को दान करने से रोग का निदान होता है। 
-पुष्य नक्षत्र में इच्छा अनुसार स्वर्ण दान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हंै। 
- अश्लेषा नक्षत्र में इच्छा अनुसार चांदी दान करने से रोग से शांति व निर्भय हो जाता है।
- मघा नक्षत्र में तिल से भरे घड़ों का दान करने से रोग से निदान व धन की प्राप्ति भी होती है। 
-पूर्वाफाल्गुनी में ब्राह्मण को घोड़ी का दान करने से सद्गति मिलती है।
 – उत्तराफाल्गुनी में स्वर्ण कमल ब्राह्मण को दान देने से बाधाएं दूर हो जाती हैं व रोग से शांति मिलती है। 
- हस्त नक्षत्र में रोग से निदान पाने के लिए ब्राह्मण को चांदी दान करना व जल सेवा लाभदायक होती है। 
- चित्रा नक्षत्र में ताम्रपत्र, घी का दान शुभ होता है। 
- स्वाति नक्षत्र में जो पदार्थ स्वयं का प्रिय हो, उनका दान करने से शांति मिलती हैऔर अंत में सद्गति मिलती है।
 – विशाखा नक्षत्र में वस्त्रादि के साथ अपना कुछ धन ब्राह्मण को देने से सारे कष्ट दूर होते हैं साथही आपके पितृगण भी प्रसन्न होते हंै। 
- अनुराधा नक्षत्र में यथाशक्ति कम्बल ओढ़ने तथा पहनने वाले वस्त्र ब्राह्मण को दान किये जायें तो आयु में वृद्धि होती है। 
- ज्येष्ठा नक्षत्र में मूली दान देने से अभीष्ट गति प्राप्त होती है।
 – मूल नक्षत्र में कंद, मूल, फल, आदि देने से पितृ संतुष्ट हो जाते हैं, स्वास्थ्य मेंलाभ व उत्तम गति मिलती है।
 -पूर्वाषाढ़ा में कुलीन और वेदवेत्ता ब्राह्मण को दधिपात्र देने से कष्ट दूर हो जाते हंै।
 – उत्तराषाढ़ा में घी और मधु का दान ब्राह्मण को देने से रोग में शांति होती है।
 – श्रवण नक्षत्र में पुस्तक दान करना लाभदायक। 
- धनिष्ठा में दो गायों का दान करने से रोग में शांति व जन्मांेतक सुख की प्राप्ति भी होतीहै।

 – शतभिषा नक्षत्र में अगरु व चन्दन दान करने से शरीर के कष्ट दूर हो जाते हैं। 
- पूर्वाभाद्रपद में साबुत उड़द के दान से सभी कष्ट से आराम व सुख प्राप्तहोता है। 
- उत्तराभाद्रपद में सुन्दर वस्त्रों के दान से पितृ संतुष्ट होते हैं और उसे सद्गति प्राप्त होती है। 
- रेवती में कांस्य के पात्र दान करना लाभदायक होता है।🕉️🌹🌷💐🕉️

मंगलवार, 18 जनवरी 2022

लव जिहाद की शिकार हिन्दू लड़कियों का कैसा हाल होता है?

*🚩लव जिहाद की शिकार हिन्दू लड़कियों का कैसा हाल होता है?*

*18 जनवरी 2022*
azaadbharat.org

*🚩केरल की मशहूर लेखिका कमला दास उर्फ़ कमला सुरैया एक बार फिर से चर्चा में हैं और*
*एक बार फिर लव जिहाद पर चर्चा गर्म है। गूगल ने doddle कमला दास को समर्पित किया है। वैसे उनपर बनाई गई लव जिहाद को लेकर एक वृत्तचित्र भी आजकल अच्छा खासा चर्चा में है।* 

*इस लेख को पढ़कर आप स्वयं उत्तर दीजिये।* 

*🚩कमला दास केरल की जानी मानी लेखिका थीं जो माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थीं और केरल की रॉयल परिवार से थीं। पति के निधन के बाद वो अकेलेपन में थीं; पति के निधन के समय इनकी उम्र 65 साल थी लेकिन फिर भी इनके अंदर शारीरिक इच्छाए भरी थीं। तीन काफी बड़े बच्चे थे जो बड़ी बड़ी पोस्ट पर थे। एक बेटा माधव दास नलपत टाइम्स ऑफ़ इंडिया का चीफ एडिटर था जो बाद में यूनेस्को का बड़ा अधिकारी भी बना, उसकी पत्नी त्रावनकोर स्टेट की राजकुमारी है।*
*एक बेटा चिम्मन दास विदेश सेवा का अधिकारी है और एक बेटा केरल में कांग्रेस से विधायक है।*

*🚩इनके घर पर इनके बेटे का एक मित्र अब्दुसमद समदानी उर्फ़ सादिक अली जो मुस्लिम लीग पार्टी का सांसद था और उनसे उम्र में 32 साल छोटा था वो आता जाता था। उस मुस्लिम लीग के सांसद ने अपनी माँ की उम्र की कमला पर डोरे डाले और उन्हें अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। खुद कमला ने अपने और समदानी के बीच के मुलाकातों का वर्णन ऐसे किया है जैसे अश्लील सड़क छाप किताबों में होता है। कमला ने लिखा है कि उम्र बढने के साथ साथ उनकी शारीरिक चाहत भी पता नहीं क्यों बढने लगी है और मेरी इस चाहत को अब्दुसमद समदानी मिटाने को तैयार हुआ इसलिए मैं उसकी मुरीद बन गयी।*
*फिर बाद में कमला ने इस्लाम स्वीकार करके अपना नाम कमला सुरैया रख लिखा। तीनों बेटे अपनी माँ के इस कुकर्म से इतने आहत हुए कि उन्होंने अपनी माँ से सभी सम्बन्ध तोड़ लिए।*
*सबसे चौंकाने वाली खबर ये थी कि उनके इस्लाम कुबूल करने पर सऊदी अरब के प्रिंस ने अपना दूत उनके घर भेजकर उन्हें गुलदस्ता भेजा था और भारत सरकार ने इसका विरोध नहीं किया।*

*🚩फिर 2009 में उन्हें कैंसर हुआ और केरल सरकार ने उन्हें पहले मुंबई फिर बाद में पुणे की एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया। तीनों बेटों और सभी रिश्तेदारों ने पहले ही उनसे सम्बन्ध तोड़ लिए थे और उनका मुस्लिम पति जिसकी वो तीसरी बीबी थीं वो एक बार भी उनका हालचाल लेने नहीं गया था। मरने के पहले उन्होंने लिखा, "काश मुझे किसी ने तभी गोली मार दी होती जब मै समदानी के प्रेमजाल में फंस गयी थी। मुझे पता ही नहीं चला कि मुझे सिर्फ राजनीतिक साजिश के तहत केरल की हिन्दू महिलाओं को इस्लाम के प्रति आकर्षित करने के लिए ही फंसाया गया था और इसमें सऊदी अरब के कई लोग काफी हद तक शामिल हैं।"*

*🚩पूरे आठ महीने तक अस्पताल में तड़प तड़प कर अपने बेटों और पोतों को याद करते करते उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए, फिर केरल सरकार ने उन्हें मालाबार के जामा मस्जिद के बगल की कब्रिस्तान में दफना दिया।*
https://bit.ly/33m5hwM

*🚩लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं। बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती हैं क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नारकीय हो जाती है; धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, मर्द की अनेक बीबियां होती हैं। उनको गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं।*

*🚩लव जिहाद देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। साल में लाखों हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवाश करके लव जिहाद में फंसाया जाता है, कुछ हिन्दू लड़कियों से मुसलमान जबरन शादी कर लेते हैं। बताया जाता है कि इसके पीछे मुस्लिम देशों की भारी फंडिग आती है जिसके जरिये मुस्लिम लड़के अपना असली नाम छुपाकर हिन्दू नाम रख लेते हैं और स्कूल, कॉलेजों के बाहर, हिन्दू इलाकों के आसपास बाइक लेकर घूमते हैं और किसी हिन्दू लड़की से मीठी-मीठी बातें करके उसको फंसाकर उससे शादी कर लेते हैं। उसके बाद उसको भयंकर प्रताड़ित किया जाता है, यहाँ तक कि कई हिन्दू लड़कियों ने लव जिहाद में फंसकर शादी के बाद आत्महत्या तक कर ली है।*

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सोमवार, 17 जनवरी 2022

सभी उत्तराखंड के नौजवान मित्रों से निवेदन है कि वह गूगल पर रामपुर तिराहा कांड✍️✍️✍️ सर्च करें*

*🕉️🚩सभी उत्तराखंड के नौजवान मित्रों से निवेदन है कि वह गूगल पर रामपुर तिराहा कांड✍️✍️✍️ सर्च करें* 

दरअसल हम भारतीयों की याददाश्त बहुत छोटी होती है हम भारतीय राजनीतिक पार्टियों के कुकर्मों को बहुत जल्दी भूल जाते हैं

1 अक्टूबर 1994, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे 

केंद्र की कांग्रेस की सरकार में मुलायम सिंह यादव यानी समाजवादी पार्टी भी गठबंधन में शामिल थी और केंद्र में हरीश रावत कम्युनिकेशन मंत्री थे 

उस वक्त उत्तराखंड नहीं बना था उत्तर प्रदेश था और पहाड़ के लोगों यानी आज के उत्तराखंड के लोगों की यह मांग थी कि उन्हें किसी भी काम से राजधानी लखनऊ या फिर हाईकोर्ट इलाहाबाद जाना बहुत दूर होता है और उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों का अपना एक अलग राज्य होना चाहिए

 लेकिन मुलायम सिंह यादव उत्तराखंड बनने के सख्त खिलाफ थे और केंद्र की कांग्रेस सरकार भी उत्तराखंड बनाने के सख्त खिलाफ थी

 कई डेलिगेशन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मिला उन्होंने उत्तराखंड की मांग को अस्वीकार कर दिया यहां तक कि पहाड़ के लोगों ने उस वक्त केंद्र में मंत्री हरीश रावत से भी मुलाकात किया और मीडिया में आकर हरीश रावत ने बयान दिया कि उत्तराखंड की मांग नाजायज है 

आंदोलनकारी अपना दबाव बढ़ा रहे थे फिर उत्तराखंड के लोगों ने लखनऊ मार्च का एलान किया लेकिन मुलायम सिंह यादव किसी भी तरीके से इन आंदोलनकारियों को लखनऊ नहीं पहुंचना देना चाहते थे और फिर मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहे पर देहरादून धारचूला यानी पहाड़ी क्षेत्र से निकले लोगों पर 1 अक्टूबर की रात से लेकर 2 अक्टूबर के दोपहर तक लगभग 15000 राउंड फायरिंग पुलिस वालों ने किया

 इस फायरिंग में सरकारी रिकॉर्ड में 12 लोगों की मौत हुई जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है 100 से ज्यादा लोग मारे गए सरकारी रिकॉर्ड में पुलिस वालों ने 4 महिलाओं का बलात्कार किया जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है मुलायम सिंह यादव और केंद्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर 40 से ज्यादा महिलाओं के बलात्कार किए गए 

इतनी जघन्य हत्याकांड के बाद भी हरीश रावत ने कांग्रेस के लोकसभा सदस्य पद या केंद्र में मंत्री पद या कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था और आज यह दोगला पहाड़ियत और  उत्तराखंडीयत की बात कर रहा है

और कुछ वर्षों बाद जैसे ही केंद्र में अटल जी की सरकार बनी तुरंत उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राज्य बने

ये सभी सामान्य घटनाएं नहीं थी- ये वो कुछ साजिशें हैं जो हाल में ही हुई

*पंजाब से यूपी को संदेश*
..
 *नरक में आत्महत्या की भी इजाजत नहीं होती*
..
.....
मुंबई में बैठे शरद पवार बता रहे कि यूपी में भाजपा के कई विधायक भाजपा छोड रहे हैं और तुरंत बाद मौर्य भाजपा छोड देते हैं-उसके बाद कई ओर !
.

मुंबई के सजय राऊत यूपी आते हैं और टिकैत को मिलते हैं !!
..
राहुल गांधी एक जनवरी को इटली पहुंचते ही टवीट करते हैं कि चीन ने भारत के जमीन के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया और तुरंत बाद चीन एक वीडियो सरकारी चैनल से रिलीज करता हैं : जिसमें चीनी सैनिक झंडा फहराते नजर आते हैं और चीन इसे वही हिस्सा बताता हैं जिसका जिक्र राहुल गांधी ने किया था !!
..
फिरोजपुर में मोदी के काफिले को रोकने की सफल कोशिश चवन्नी (चन्नी) सरकार करती है
और दूसरे दिन मोगा से तीन आदमी पकड़े जाते हैं जिनके पास हैंड गिरनेड बम थे !! 
..
यकायक पाकिस्तान से संचालित लाखो सोशल मीडिया अकाऊंट ऐक्टिव हो जाते हैं और मोदी के खिलाफ जोरदार जहर उगली जाती हैं !!
..
यूपी के बारह गैंगस्टार चुपके से एक संदेश देते हैं अपने साथियों को कि अखिलेश की रैलियों में भीड एकत्र की जाये !! 
...
*कुछ लैफ्ट सोच के टुटपुंजिया रिपोर्टर विदेशी अखबारों में लेख छपवाते हैं : जिसमें पुरानी घटनाओं का उलेख करके बताने की कोशिश की जाती हैं कि भारत में ईशाई लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं* !! 
..
कुछ विदेशी पैसे से पलने वाले students मोदी को खत लिखते हैं जिसमें हेट स्पीच पर उन्हे बोलने के लिए कहा जाता हैं !! 
..
ये सभी सामान्य घटनाएं नहीं थी- 
ये वो कुछ साजिशें हैं जो हाल में ही हुई
पर ये साजिशे एक बहुत ही संयोजित तरीके से बुनी गई और  बहुत साजिशें अभी सामने आने वाली हैं !!
..
*ये साजिशें यूपी से भाजपा राज को हिलाने के लिए रची गईं और  इसके जरिए ही 2024 को भी साधने की तैयारी हैं* !! 
..
*मोदी-योगी सत्ता में अपने परिवार के लिए नहीं है और ना ही परिवार के जरिए*,
वो सत्ता से अपने लिये कुछ भी नहीं बना रहे और ना किसी दूसरे को बनाने दे रहे हैं !!
..
पूरा जोर से देश की *सुरक्षा-Defence* की जड़ें मजबूत करने के लिये कोशिशें सात साल से हो रही हैं,
.
*भारत आगामी कुछ सालों में हथियारों का एक बहुत बड़ा निर्यात करने वाला देश बनने के लिये तेजी से बढ़ रहा है, वो देश जो 2014 में नौ दिन के युद्ध के लिए भी हथियारों से लैस नहीं था का export hub बन जाने से विदेशी ताकते परेशान हैं !!*
और ये विदेशी ताकतें पूरा जोर लगा रही हैं कि मोदी को भारत की जनता के सामने एक हिटलर की तरह पेश किया जाये ,
बात सिर्फ एक चुनाव की नहीं-बात सिर्फ भाजपा की हार की भी नहीं !
बात भारत के आत्मनिरभर ओर आत्मसम्मान से जीने की हैं !!
.
विदेशी साजिशें करें समझ में  आता है पर भारत में बैठे कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी, मीडिया हाउस, राजनीतिक नेता, अभिनेता, Five star activist भी इस साजिश में उनका पूरा साथ दे रहे हैं !! 
.
मोदी को 2002 से खत्म करने की साजिशें हो रही हैं पर अब वो समझ गये कि इसको इतनी आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता और वो ये भी जान गये कि मोदी को खत्म करना बहुत जरूरी हैं वरना उनके परिवारो- उनकी पार्टियों का खत्म होना तय हैं !! 
तो ये साजिशें इतनी गहरी हैं कि देश का पूरा सरकारी तंत्र, सरकारी ढांचा ही इतना आराजिक-कमजोर कर दिया जाये कि मोदी जनता का नंबर एक दुशमन बनाके दिखाया जाये !! 
इसके लिए पूरा विदेशी मीडिया तैयार हैं,
विदेशी ताकतें मोदी के *आत्मनिर्भर भारत अभियान* से  इस कदर डरी-सहमी हुई हैं कि वो अपनी-अपनी सरकारों पर दबाव बना रही हैं कि भारत के  राजनितिक और वणज तंत्र को तहस-नहस किया जाये और उन्हें राहुल गांधी-पवार-अखिलेश-लालू-मायावती-मीडिया हाउस-Five star activists-कुछ टुटपुंजिया रिपोर्टर-कुछ ईसाई मिशनरियों और विदेश में बैठे कुछ खालिस्तानी संगठन खुल के पर छुपते-छुपाते हुए समर्थन भी दे रहे हैं और रास्ते भी बना के दे रहे हैं, 
..
मोदी के रहते उनको अपना कोई भविष्य नजर नहीं आता,
और मोदी के बाद योगी की सफलता उनके डर को और भी डरावाना बना रही हैं !!
..
और यूपी में अगर भाजपा हारती हैं तो बहुत सी ओर साजिशें इतनी तेजी से होने वाली हैं कि आप उनके नतीजों की कल्पना भी नहीं कर सकते,
.
ये ताकते वो मुद्दे नहीं ढूंढ पाई जिनसे जनता का कोई सरोकार हो और उनके दम पर मोदी को खत्म किया जा सके राजनीतिक रूप में,
*बताईयें* चढींगढ जैसे शहर में तीस लाख लीटर मिट्टी का तेल राशन कार्ड के जरिए खपत होता था  हर महीने सिर्फ फरजी राशन कार्ड के जरिए, मोदी ने वो बंद कर दिया, अब तीस लाख लीटर मिट्टी के तेल से कमाई करने वाले कब मोदी से खुश होंगे ? 
राफेल जहाज आज देश में हैं पर कुछ गांधी खानदान के दलालो ने 2008 में ही इसकी दलाली ले ली थी-अब वो दलाली वापस करनी पड़ रही हैं, वो दलाल मोदी से खुश होंगे क्या ? 
मनमोहन जब विदेशी यात्रा पर जाते थे तो आठ सौ Reporter मीडिया हाउस के उनके साथ-उनके जहाज में सरकारी खर्च पर जाते थे,
कुछ रिपोर्टर को तो उनकी निजी खरीददारी का भी भुगतान होता था पर मोदी ने ये बिल्कुल बंद कर दिया, तो वो मीडिया हाउस मोदी को कैसे देखे और कब तक देखे ?? 
Five star activist मैं कहता हूं कुछ NGO को, जो बेहिसाब पैसा अपने संस्थानों में विदेश से मंगवाते और हवाला में लगाया जाता, अब वो NGO मालिक कैसे और कब तक मोदी को बरदाश्त करे ? 
उनका धैर्य टूट रहा है क्योंकि वो  सब मोदी के काम करने के ढंग को 2002 से देख रहे हैं और समझ चुके हैं कि मोदी को वोट से खत्म करना मुश्किल है,
ऐसे ही ओर भी बहुत से group हैं जिनकी सभी गतिविधियों को मोदी ने बंद कर दिया, 
अब इन सभी ने एक होकर-एक ऐसी साजिश रची हैं कि जो देश से प्यार करने वाले हर शख्स को समझनी होंगी !! 
 मसला मोदी के हारने तक का नहीं, बल्कि ये हैं के हराया कैसे जाये और हराने वाले कौन हैं ? 
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एक तरफ मोदी-योगी को खड़ा कीजिये अपनी कल्पना में और दूसरी तरफ राहुल-अखिलेश-मुलायम-पवार-लालू-सोनिया-टिकैत-राजदीप सरदेसाई-बरखा दत-रिवीश कुमार-राणा अयूब जैसे असख्य  मायूस  चेहरों को,
तो आपको भी समझ आ जायेगा कि कौन आपके लिये काम कर रहा हैं, और कौन कर सकता है ?
तभी एक बात ओर भी आपको समझ में आयेगी : 
कि इनकी बेचैनी का कारण क्या हैं और इसी बेचैनी से खतरनाक साजिशें निकल रही हैं !!
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अब आप पर है कि आप अनजाने में ही साजिश का हिस्सा बनते हैं या फिर इन लोगों को उसी ढंग से चुपके-चुपके करारा जवाब देता है !! 
*आपके देश को एक नर्क बनाने की कोशिशें हो रही हैं और ध्यान रखना कि अगर ये लोग कामयाब हुए तो नर्क में आत्महत्या की भी इजाजत नहीं होती*। 
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इनके मुद्दे हैं रोजगार-मंहगाई नहीं हैं,अपनी बुद्धि पर बिना जोर पाये ये सोचे कि ये समस्याएं मोदी के बाद की हैं या पहले की ? 
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किसान ने आत्महत्या किसके राज में करनी शुरू की थी ? 
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ये कहते हैं कि गंगा साफ नहीं हुई तो इनसे पूछना कि गंदी किसने की थी ? 
कल्पना कीजिए कि करोना अगर इन्हें हैंडल करना पडता तो क्या हाल होता ? 
जवाब आपकी आत्मा दे देगी !! 
लाशें ही लाशें बिछी होती और राहुल गांधी इटली में नया साल मना रहे होते !! 
किसान आंदोलन इतना लंबा चल गया पर एक लाठी भी नहीं चली (लखीमपुर में हुई पर मंत्री का पुत्र जेल में हैं) पर इनके राज में क्या होता-रामदेव भक्तो पर बरसे कहर को याद कीजिए ? 
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जरूर कुछ बातें होगी जिनसे आप नाराज हो सकते हैं पर उनका हल आपको साजिश करने वाले नहीं दे पायेंगे,
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मोदी-योगी का परिवार आप हैं पर बाकी का परिवार आपके आसपास भी नहीं !! 

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नीयत और नीयति को देखियें !!
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इतनी गुजारिश पंजाब से मैं आपको करना चाहता हूं कि आपकी थोड़ी सी चूक आपके आत्मसम्मान को तहस-नहस कर देगी !! 
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खोने को बहुत कुछ है पर पाने को ? 
आपसे बेहतर कौन जानता हैं ?? 
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*सहमत हो तो सुनिशचत करें कि यूपी के हर Whatsapo Nuber तक ये संदेश पंहुचे* ।
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*-भारत रहना चाहिए*

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