जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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मंगलवार, 4 जुलाई 2023
शिव का सावन
इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग
शनिवार, 1 जुलाई 2023
20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।
गुरुवार, 29 जून 2023
100 करोड़ लोगों के रोजगार की योजना
*पूरे देश और हिंदू समाज को संगठित करने का आसान और सटीक सूत्र
सोच रहा हू कौन सी ईंट भेजे में मारू लोहा चांदी पीतल हीरा क्योकि सोने की ईंट से भरोसा उठ गया है
सोच रहा हू कौन सी ईंट भेजे में मारू
लोहा चांदी पीतल हीरा क्योकि सोने की ईंट से भरोसा उठ गया है
घटना त्रिवेन्द्रम स्थित Kalyan Jewellers की है!
एक पिता नें 29/11/2013 को अपनी बेटी की शादी के लिए एक नेकलेस खरीदा जिसका कुल वजन 49.580 ग्राम था
तथा डिजाइनर स्टोन का वजन घटाने के बाद लगभग 43.500 ग्राम ,,,
कुछ दिनों पहले 17/03/2018 को वो इस नेकलेस को बैंक के पास गिरवी रखने के लिए गये तो उन्हें झटका लगा
जब बैंक के मुल्यांकनकर्ता (bank appraiser) नें जाँच के बाद बताया कि नेकलेस में सिर्फ 12 ग्राम के लगभग
सोना है क्योंकि मोतियों के अंदर बाकी #वैक्स भरा गया है।
जब वो इस बात को लेकर
वापस कल्याण ज्वेलर्स के पास गये तो वहां के ब्रांच मेनेजर नें कहा कि
ये सही है कि ये वैक्स भरा जाता है
और ये बात सभी को पता होती है।
जरा सोचिये...
अगर पता हो तो कौन मूर्ख
मोम को सोने के भाव खरीदेगा.....???
पिता द्वारा विरोध जताने पर मेनेजर बोला कि चलिए हम ये नेकलेस वापस ले लेंगे तथा आपको आज के सोने के भाव पर आपको पैसे वापिस कर देंगे
(जितना सोना है).
लेकिन परिवार नहीं माना और बोला कि उन्हें वो वास्तविक रकम चाहिये जो उनसे खरीदते समय ली गई थी और उन्होंने नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कर दी.
21/03/2018 को कल्याण ज्वेलर्स के स्टाफ का एक सदस्य समझौता करने के लिए पुलिस स्टेशन आया और बोला कि हम ग्राहक की मांग अनुसार इन्हें इस नेकलेस की वही कीमत लौटा देंगे
जो इनसे ली गई थी!
90 % लोग सोना खरीदने के बाद बेचते नही है वो सोच रहे है हमारे पास इतना सोना पड़ा है पर हकीकत में वो गलत फहमी के शिकार है सोने का पैसा देकर वैक्स खरीद कर रखा हुआ है ।
गहने जितने भी है सब मे 50% खोट है!
एक बार अपने आभूषणों व सोने की जांच अवष्य दूसरे जगह करवाएं!
Wall- pushpendra ji
🙏
वे भक्त धन्य हैं जो भगवान का नाम तो जपते हैं, पर बदले में भगवान से कभी कुछ नहीं माँगते।
एक भक्त थे। उन्होंने भगवान का नाम जपते हुए जीवन बिता दिया, पर भगवान से कभी कुछ नहीं माँगा।
एक दिन वे भक्त बाँके बिहारी मंदिर गए। पर यह क्या, वहाँ उन्हें भगवान नहीं दिखे। वे आसपास के अन्य भक्तों से पूछने लगे कि आज भगवान कहाँ चले गए?
सब उनकी ओर हैरानी से देखते हुए कहने लगे- भगवान तो ये रहे। सामने ही तो हैं। तुझे नहीं दिखते? तूं अंधा है क्या?
उन भक्त ने सोचा कि सब को दिख रहे हैं, मुझे क्यों नहीं दिख रहे? मुझे ये सब दिख रहे हैं, भगवान ही क्यों नहीं दिख रहे?
ऐसा विचार कर उनका अंतःकरण ग्लानि से भर गया। वे सोचने लगे- लगता है कि मेरे सिर पर पाप बहुत चढ़ गया है, इसीलिए मुझे भगवान नहीं दिखते। मैं इस शरीर का अन्त कर दूंगा। आखिर ऐसे शरीर का क्या लाभ? जिससे भगवान ही न दिखते हों।
ऐसा सोच कर वे यमुना में डूबने चले।
इधर अंतर्यामी भगवान एक ब्राह्मण का वेष बना कर, एक कोढ़ी के पास पहुँचे और कहा कि ऐसे ऐसे एक भक्त यमुना को जा रहे हैं, उनके आशीर्वाद में बहुत बल है। यदि वे तुझे आशीर्वाद दे दें, तो तेरा कोढ़ तुरंत ठीक हो जाए।
यह सुन कर कोढ़ी यमुना की ओर दौड़ा। उन भक्त को पहचान कर, उनका रास्ता रोक लिया। और उनके पैर पकड़कर, उनसे आशीर्वाद माँगने लगा।
भक्त कहने लगे- भाई! मैं तो पापी हूँ, मेरे आशीर्वाद से क्या होगा?
पर जब बार बार समझाने पर भी कोढ़ी ने पैर न छोड़े, तो उन भक्त ने अनमने भाव से कह ही दिया- भगवान तेरी इच्छा पूरी करें।
ऐसा कहते ही कोढ़ी बिल्कुल ठीक हो गया। पर वे भक्त हैरान हो गए कि यह चमत्कार कैसे हो गया? वे अभी वहीं स्तब्ध खड़े ही थे कि साक्षात भगवान सामने आ खड़े हुए।
उन भक्त ने भगवान को देखा तो अपने को संभाल न सके और रोते हुए, भगवान के चरणों में गिर गए। भगवान ने उठाया।
वे भगवान से पूछने लगे- भगवान! यह आपकी कैसी लीला है? पहले तो आप मंदिर में भी दिखाई न दिए, और अब अनायास आपका दर्शन ही प्राप्त हो रहा है।
भगवान ने कहा- भक्तराज! आपने जीवन भर जप किया, पर कभी कुछ माँगा नहीं। आपका मुझ पर बहुत ॠण चढ़ गया था, मैं आपका ॠणी हो गया था, इसीलिए पहले मुझे आपके सामने आने में संकोच हो रहा था। आज आपने उस कोढ़ी को आशीर्वाद देकर, अपने पुण्यपुञ्ज में से कुछ माँग लिया। जिससे अब मैं कुछ ॠण मुक्त हो सका हूँ। इसीलिए मैं आपके सामने प्रकट होने की हिम्मत कर पाया हूँ।
मेरे भाई बहन, वे भक्त धन्य हैं जो भगवान का नाम तो जपते हैं, पर बदले में भगवान से कभी कुछ नहीं माँगते।
जिनके भगवान भी ॠणी हैं, ऐसे भक्तों के चरणों में लोकेशानन्द अपना माथा टिकाता है।
डरपोक अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची बहलोल खान को भेजा था महाराणा प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल..
डरपोक अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची बहलोल खान को भेजा था महाराणा प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल....
मुगली अकबर का सबसे खतरनाक वाला एक सेना नायक हुआ . . . नाम - बहलोल खां . . . . कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका . . . और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं . . . ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार देता था . . . . बशर्ते वो हिन्दू का हो . . . . . एक भी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल खां ॥
काफी लम्बा था, 7 फुट 8 इंच की हाइट थी, कहा जाता है की घोडा उसने सामने छोटा लगता था ॥ बहुत चौड़ा और ताकतवर था बहलोल खां, अकबर को बहलोल खां पर खूब नाज था, लूटी हुई औरतों में से बहुत सी बहलोल खां को दे दी जाती थी ॥
फिर हल्दीघाटी का युद्ध हुआ, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाएं आमने सामने थी, अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था इसलिए वो खुद इस युद्ध से दूर रहा ॥
अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से . . . . . लड़ाई पूरे जोर पर और मुगलई गंद खा-खा के ताक़त का पहाड़ बने बहलोल खां का आमना-सामना हो गया अपने प्रताप से ॥
अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं और जबरदस्त भिडंत शुरू. . . कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ . . . .
और फिर गुस्से में आ के अपनी तलवार से एक ही वार में घोड़े सहित . . हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया . . . ऐसा फाड़ा कि बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा ॥
ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से भगवा चुनरी ओढ़े रण में तांडव रचने वाली मां भारती ने..
जय जय महाराणा
मारे बिना चूहा भगाने के सरल उपाय
- चूहा अधिकतर इंसान की उंगलियों को सोते वक्त ज्यादा काटता है।
- एक पुरानी बात है, जिसे बचपन में सुना था कि- यदि चूहा ज्यादा हो रहे हैं तो घर या दुकान के कर्मचारी चोरी कर रहे हैं और ओर यदि चूहा नुकसान करे या कोई चीज कुतरे, तो समझो परिवार के सदस्य चोरी कर रहे हैं। हमारे इन उपेप्न से सतर्क होकर चोरी पकड़ लेते थे।
- हमने इसे कभी नहीं आजमाया। हो सकता है कि बुजुर्गों ली बात में दम हो।
- आयुर्वेद की एक बहुत दुर्लभ ग्रन्थ चिकित्सा चंद्रोदय में मूषक या चूहों को भगाने एवं मारने का प्रयोगों के वर्णन है। इससे बहुत लाभ होगा।
- चूहों को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह जहरीले भी होते हैं। कटने पर त्वचा रोग उत्पन्न करते हैं। चूहे के शरीर में 5 जगह विष पाया जाता है-
- चूहे के वीर्य में
- मूषक की पेशाब में
- चूहे के पखाने में
- चूहे के नाखूनों में
- चूहे की दाढ़ में।
- चूहों को मखाने सर्वाधिक पसंद होते हैं। इसे बंद कंटेनर में रखें।
- प्रधान विष पेशाब तथा वीर्य में होता है।
- चूहे के जहर से वातरक्त, त्वचारोग, उपदंश आदि रोग पैदा होते हैं। चमड़ी पर चकत्ते होने लगते हैं। यह तुरन्त कोप नहीं करता।
- नीतिकारों ने संस्कृत का एक श्लोक में लिखा है कि-
मारे बिना चूहा भगाने के सरल उपाय
- घर में अगर चूहे ज्यादा हों, तो सभी सदस्य जल में कपूर मिलाकर स्नान करें।
- फिटकरी का पॉवडर बनाकर बिल में डाल दो।
- एक चूहा पकड़कर उसे कपड़े धोने वाली नील में गीला करके छोड़ दो। नीला चूहा देखकर सारे चूहे तुरन्त भाग जाते हैं।
- घर - दुकान, फेक्ट्री में अगर चूहे अधिक हों, तो कपड़े हमेशा रोज बदले यानी धुले हुए ही पहिने।
- उपरोक्तानुसार उपाय करने से मूषक भाग जाएंगे।
- चूहे के जहर से वातरक्त, त्वचारोग, उपदंश आदि रोग पैदा होते हैं। चमड़ी पर चकत्ते होने लगते हैं। यह तुरन्त कोप नहीं करता।
मकड़ी का मकड़जाल
- मकड़ी अपने ही बनाये मकड़जाल में फंस जाती है और जो जल बुनेगा, उसके पास जहर ही एकत्रित होगा।
- विशेष बात यह कि मकड़ी के जाले में जहर नही होता परन्तु मकड़ी की लार जिसे लग जाये उसके शरीर में बहुत बारीक फुंसिया पनपने लगती है तथा भयंकर जलन होती है। इसे मकड़ी का फरना कहते हैं।
- आयुर्वेद के देशी उपचारों के अंतर्गत मकड़ी, कुत्ता, कनखजूरा, ततैया, मधुमक्खी, चूहा, बिच्छू, जहरीला नाग आदि के द्वारा काटने के बाद इसके इलाज का वर्णन उपलब्ध है।
- अगर कभी मकड़ी की वजह से त्वचा में जलन या फुंसी हों, तो नींबू में चुना मिलाकर लगाएं अथवा अमचूर पाउडर में तनिक सी हल्दी मिलाकर लेप करें।
- जब कभी मधु मक्खी काटे, तो लोहा घिसकर लगाने से राहत मिलती है।
- एक गंदा उपाय यह भी है कि जब कभी कोई जीव काटे, तब उसकी विष्ठा लगा देंवें।
- बाकी के उपाय इस पुरानी किताब के चित्र से जाने…
प्राचीन किताबों में 118 तरह के कीट काटने के उल्लेख ओर उपचार बताया है। हम संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं।
अच्छा लगता है जब भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीरों
अच्छा लगता है...
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अच्छा लगता है जब देश के प्रधानमंत्री अमेरिका जाते हैं और न्यूयार्क के आसमान के हेलिकॉप्टर से उनकी तस्वीर वाला ध्वज घण्टों लहराया और घुमाया जाता है।
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अच्छा लगता है जब भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीरों और उनके लिए लिखे गए संदेशों से न्यूयार्क का टाइम्स स्क्वायर पट जाता है।
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अच्छा लगता है जब अमेरिकी संसद के सारे सदस्य भारतीय प्रधानमंत्री को ऑटोग्राफ लेने और सेल्फी खिंचाने के लिए देर तक घेरे रहते हैं, और हाथ मिलाने के लिए लाइन में लगते हैं। अमेरिकी संसद में मोदी-मोदी के नारे मोदी से अधिक भारत और भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। अमेरिकी सांसदों के बीच से "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारों का उठना कितना आनन्ददायक है, यह किसी राजनैतिक व्यक्ति से अधिक भारत का आम नागरिक समझता है।
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अच्छा लगता है, जब हमेशा भारत के विरुद्ध जहर उगलने वाली अमेरिकी मीडिया मोदी के आगे नतमस्तक दिखती है, और हर अखबार के मुख्य पृष्ठ पर केवल मोदी ही मोदी छा जाते हैं। तालिबानी मानसिकता के कुछ सदस्यों द्वारा साम्प्रदायिक भावना तहत बहिस्कार की नौटंकी का उत्तर अमरीकी सांसद ही देते हैं, और पूरे भाषण के बीच चौदह बार खड़े होकर तालियां बजाते हैं। स्टैंडिंग ओवेशन... अच्छा लगता है।
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और सबसे ज्यादा अच्छा तब लगता है जब भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका के सांसदों से कहते हैं कि हमारे यहाँ लगभग दो हजार पार्टियां हैं, देश के अलग अलग राज्यों में लगभग 20 दल शासन चला रहे हैं, फिर भी हम एक हैं। भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के प्रधान का विश्व के समक्ष यही भाषा, यही भाव होना चाहिये।
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अमेरिका में कितने समझौते हुए, कितनी कम्पनियों ने यहां निवेश करने की योजना बनाई, कितना धन आया, यह अर्थशास्त्रियों का विषय है। और भारत-अमेरिका के सुदृढ होते सम्बन्धों के क्या दूरगामी परिणाम होंगे यह कूटनीतिज्ञ जानें। पर अमेरिका से वापस लौट रहे मोदी को उपहार की तरह भारत से चोरी हुई सौ कलाकृतियों को लौटाते अमेरिका का मित्रभाव अच्छा लगा। एक सामान्य नागरिक के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।
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प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी संसद को दो बार सम्बोधित करने वाले मोदी जी पहले भारतीय हैं। उनकी इस व्यक्तिगत उपलब्धि को भी मैं भारत की उपलब्धि मानता हूँ कि अमेरिका ने आठ वर्षों में दो बार भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है। यह राजकीय यात्रा भी थी, अर्थात अमेरिका की विशेष यात्रा, जिसका समूचा खर्च अमेरिकी राष्ट्रपति उठाते हैं। मोदीजी भारत के केवल दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें अमेरिका ने राजकीय यात्रा पर बुलाया है। यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल में केवल तीन देशों के प्रमुख को राजकीय अतिथि बना कर बुलाया है, उनमें से एक भारतीय प्रधानमंत्री हैं। अमेरिका समझ रहा है भारत की शक्ति को...
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अच्छा लगता है देश के प्रधान को चमकते हुए देखना! क्योंकि यह किसी व्यक्ति की चमक नहीं, इस राष्ट्र की चमक है।
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