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सोमवार, 2 अक्टूबर 2023
व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें...!
रविवार, 1 अक्टूबर 2023
धीमा जहर कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, - मिशन मंगल, फ़िल्म
आपको पता है अभी कुछ साल पहले 2019 में अक्षय कुमार अभिनीत एक फ़िल्म रिलीज हुई थी, नाम था मिशन मंगल, फ़िल्म ने चारों और वाहवाही बटोरी थी चूंकि फ़िल्म रियल टाइम स्टोरी पर आधारित थी तो सभी को पसंद आई थी। सारे दृश्य पर्दे पर हूबहू उतारे गए थे और फ़िल्म देखते हुए लगता था कि आप भी मंगल मिशन की टीम का हिस्सा बन गए हो।
मुझे भी फ़िल्म बहुत पसंद आई, पर आपको याद होगा फ़िल्म में एक दृश्य दिखाया गया था जिसमें एक महिला साइंटिस्ट जिसका नाम नेहा सिद्दीकी है एक दीनी महिला है और उसे रहने के लिए घर ढूंढने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी थी।
जहाँ भी वह किराये पर घर देखने जाती वही उसका धर्म पता चलते ही मना कर दिया जाता। बड़ा ही इमोशनल हो गया था मैं, की इतनी खूबसूरत और टेलेंटेड वैज्ञानिक को लोगों ने घर देने से मना कर दिया, मैं शॉक्ड था। अगर आपने मूवी देखी है तो आप भी शॉक्ड हो गए होंगे और गुस्सा भी आया होगा, आना भी चाहिए । बताइये एक वैज्ञानिक जो दिन रात देश के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं उनके लिए हमारे देश में इतना भेदभाव होता है, कितनी ओछी मानसकिता है यह, है ना?
बस यही सब दिमाग में चल रहा था...खैर घर आ कर इंटरनेट खोला और ISRO के बारे में खोज करना शुरू किया तो पता चला कि इसरो अपने सभी वैज्ञानिकों और इंजीनीयरों को अपार्टमेंट्स देता है, अब ये पता चला तो दिमाग घूमा कि अगर इसरो अपार्टमेंट दे रहा है तो किराये पर घर कोई क्यों लेगा?
तब मैंने नेहा सिद्दीकी को गूगल पर ढूंढा तो कहीं दिखी ही नहीं, इसके बाद मंगल मिशन की पूरी टीम चेक करने लगा कि देखें तो सही कि अपने रियल हीरो वास्तव में दिखते कैसे हैं।
मैंने पूरी टीम के एक एक मेंबर के नाम खंगाल लिए पर मुझे नेहा सिद्दीकी नाम की कोई वैज्ञानिक, या इंजीनियर तो छोड़िए कोई टेक्नीशियन भी नहीं मिली।
शॉक्ड लगा न? मुझे भी यह देखने के बाद 440 वोल्ट का झटका लगा था कि पूरी टीम में एक भी मुस्लिम महिला या पुरुष नहीं था पर बावजूद इसके फ़िल्म के मेकर्स ने अभिव्यक्ति की आजादी या मौलिक स्वतंत्रता के नाम पर यह कहानी प्लॉट की, जिसमें दिखाया गया कि भारत में कैसे एक मुस्लिम महिला को कोई अपना घर किराये पर नहीं देता, चाहे वह महिला इसरो की कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो।
और फ़िल्म के पोस्टर पर वही महिला को दिखा कर लिखा गया कि "Science Has No Religion"
जी हाँ धीमा जहर कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, मैंने तो यह crosscheck कर लिया पर कितने लोग ऐसा करते होंगे?
सुपर डुपर हिट होने वाले, हकले की इस मूवी के टिकट अब ऑफिसियली फ्री में बांटने की नौबत आ गयी है।
अखिल ब्रम्हांड में सुपर डुपर हिट होने वाले, हकले की इस मूवी के टिकट अब ऑफिसियली फ्री में बांटने की नौबत आ गयी है।
आओ हकले के नाजायज पूतों…गालियां बकना शुरू करो…
डिस्क्लेमर; जो भी इस पोस्ट पे गालियां देगा, वो हकले के हु लाला के द्वारा उत्पन्न माना जायेगा
अपना काम जब इस मूर्तिकार की तरह हम करने लगेंगे तब हमें अपने काम का पूरा समाधान मिलेगा।
एक मूर्तिकार एक मूर्ति बना रहा था।
इस पत्थरनवीस को सारा शहर लहरी कहता। दिल मे आए तो एक मूर्ति बनाने मे महीनों लगा दे। और दिल करे तो किसी रईस को दो टूक जवाब दे कर चलता कर दे। पर उसकी कलाकारी की तूती बोलती थी पूरे पंचकोसी में।
भगवान की मूर्तियां बनाने मे उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता था। कृष्ण भगवन तो ऐसे गढ़ता की देख के लगे अभी बोल फूटेंगे बासुरी से। भाव विभोर कृष्णा और उनके गीत सुनती गैया की मूर्ति तो राजा के मन में बस गई थी।
तो एक निहायत ही रईसजादा अपनी अमीरी का रौब झाडने के लिए एक सुन्दर अप्सरा की मूर्ति अपने घर कर बरामदे मे रखना चाहता था। ऐसी सुन्दर हो कि उसकी झुकी पलके उठे और बेसुध अपने ओर रुख कर दे। हल्की हल्की मुस्कान बिखरते उसके होंठ थरथराते हुए अपना नाम ही पुकार ले।
अब इस बला की पेचीदगी भरी मांग को कोई पूरा कर सकता तो वो ये ही मूर्तिकार। तो इस खरीददार ने इसके काम करने की जगह की ओर रुख कर लिया।
खरीददार वहां आया तो उसने देखा जो मूर्ति मूर्तिकार बना रहा था वैसी ही मूर्ति उसको चाहिए थी। एक दीवान पर औंधे मुह सो रही एक अप्सरा। बोझल सी आंखे। ना जाने क्या सपना देख रही है। कपड़ों की बारीकी और एक झिरझिरा सा वस्त्र जिससे उसका आधा मुँह ढका। कपड़ों की सिलवटें ऐसी जीवंत के लगे शरीर का नज़ारा अभी आखों के सामने आ जाये। चूडी की खनखनाहट शायद सुनाई दे जाए और उस बेसुध पडी अप्सरा के मुँह से कहीं अपना ही नाम ना निकल जाए।
उस खरीददार का दिल उस मूर्ति पर आ गया। चाहे जो कीमत हो। "कितने के है ये मूर्ति?" गुरूर भरी आवाज मे उस खरीददार ने मूर्तिकार से पूछा।
उस मूर्तिकार ने उसके ओर हिकारत भरी नजरो से देखा। शायद ऐसा अहमकाना अंदाज उसे पसंद नहीं आया। उसने कुछ भी नहीं कहा और अपने काम मे लग गया। इस फटीचर मूर्तिकार के सामने कुछ पैसे फेंक दु तो इसकी सारी अकड़ निकल जाएगी। परसों बड़े सर सेठ आने वाले है हवेली पर। उनके सामने ये मूर्ति आ जाए तो अपनी शान कई गुना बढ़ जाए।
उस खरीददार ने फिर से पूछा। मूर्तिकार ने कुछ समय जाने के बाद बेमन से कहा, ये बिकाऊ नहीं। इस मूर्ति को सीढियों पर लगवाना है।
पर ये तो मेरे आलिशान हवेली की शोभा बढ़ाएगी, खरीददार ने मन ही मन सोचा। उससे कुछ कहता उससे पहले उस मूर्तिकार ने उसे अंदर जाने को कहा, आपको जल्दी है तो कुछ अंदर से पसंद कर लीजिए।
मन मसोस कर वो खरीददार अंदर गया। चारो तरफ कुछ अपनी पसंद का मिल जाए जो इस मूर्ति से भी सुन्दर हो। अचानक उसकी नजर एक कोने मे गई।
जो मूर्ति उसने बाहर देखी वैसी ही एक मूर्ति अन्दर रखी हुई थी। वैसे ही नाक नक्श, वो ही मादक नजरे और वैसा ही अंदाज।
खरीददार बाहर आया। उसने दोनों मूर्तियों की तुलना फिर से की। रत्ती भर भी फर्क़ नहीं था। उसने अंदाजा लगाया, फिर उससे पूछा, "तुम एक जैसी ही मूर्ति क्यों बना रहे हो?"
मूर्तिकार ने कहा, "उस मूर्ति मे एक दोष रह गया है इसलिए वैसी ही और एक मूर्ति बना रहा हू।"
खरीददार ने उस पहली मूर्ति को ध्यान से देख कर कहा, "मुझे तो कुछ नहीं दिख रहा।"
मूर्तिकार ने कहा, "उस मूर्ति के कान के पीछे एक कपची उड़ गई है।"
वो खरीददार अंदर गया। उसने उस मूर्ति को ध्यान से देखा, कान के पीछे हाथ लगा कर परीक्षण करने के बाद जरा सा उबड खाबड हिस्सा था तो सही। मूर्ति को सामने से देखने पर वो नजर नहीं आ रहा था।
खरीददार हंसा और उसने कहा, "किसी को भी पता नहीं लगेगा।"
मूर्तिकार ने उसकी ओर देखा और कहा, "मुझे तो पता है ना।"
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अपना काम जब इस मूर्तिकार की तरह हम करने लगेंगे तब हमें अपने काम का पूरा समाधान मिलेगा।
अपने काम को पूरा 100% दे। किसी दूसरे को नहीं, अपने आप को लगना चाहिए हां, अब पूरा हुआ है ये काम। तभी आएगा वो असली हास्य।
जीवन ऐसे जिए बंधू।
यदि किसी दिन आपको उनकी सुबह की शुभकामनाएँ या साझा लेख नहीं मिलते हैं, तो हो सकता है कि वे अस्वस्थ हों या उन्हें कुछ हो गया हो।
🌹🌹 *एक अखबार वितरक का दिल छू लेने वाला किस्सा।*
शनिवार, 30 सितंबर 2023
दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली एक कॉलेज में आई!*
बुधवार, 27 सितंबर 2023
Real Estate Fraud - कैसे बनते हैं आप ठगी के शिकार?
कैसे बनते हैं आप ठगी के शिकार? जानिए इससे कैसे बचें:
Real Estate Fraud
Real Estate Fraud: आजकल धोखाधड़ी बढ़ गयी है । अक्सर वही लोग इनके जाल में फंसते हैं जो लालची होते हैं और कम समय में अधिक मुनाफे की आस लगाए बैठते हैं। वहीं दूसरे वो लोग होते हैं जिन्हें या तो संबंधित विषय की जानकारी नहीं होती है या फिर अधूरी जानकारी होती है। आज कल धोखाधड़ी करने वाले कई तरीके से कई क्षेत्रों में अपने जाल बिछाए बैठे हैं। उन्हीं में से एक है रियल एस्टेट फ्रॉड (Real Rstate Fraud)। जहां एक आम व्यक्ति अपना आशियाना खरीदने के चक्कर में फ्रॉड का शिकार हो जाता है। क्योंकि कुछ गलत नीयत के लोग सस्ता और अच्छा घर देने के लालच में ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं।
Real Estate Fraud: कैसे होता है रियल एस्टेट फ्रॉड?
ग्राहक के तौर पर एक व्यक्ति मकान खरीदने के लिए किसी प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डर या फिर रियल एस्टेट एजेंट के पास जाता है। इस दौरान उससे कई तरह के वादे किए जाते हैं। और कई बार धोकेबाज लोग खुद को प्रॉपर्टी डीलर बताकर लोगों को ठगते हैं। ये लोग अच्छी और सस्ती प्रॉपर्टी दिलाने के बहाने लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। कई बार नकली पेपर्स के जरिये भी लोगों के साथ ठगी को अंजाम दिया जाता है।
धोखेबाजी से बचने के लिए क्या करें?
- किसी भी अनजान प्रॉपर्टी डीलर या ब्रोकर से दुकान या मकान खरीदने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच करें। अगर वो पूरा पैसा एक बार में ही नकद मांग रहा हो तो उससे प्रॉपर्टी न खरीदें।
- प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेजों को ध्यान से पढ़े और जांच करें कि उसमें लिखी सभी फैसिलिटी आपके द्वारा खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी में है या नहीं।
- अगर आप किसी ब्रोकर या डीलर के द्वारा प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो डील के वक्त उसके मालिक का वहां मौजूद होना जरुरी है। प्रॉपर्टी के पेपर्स सादे कागज पर हो और प्रॉपर्टी पर विवाद चल रहा हो तो ऐसी प्रॉपर्टी को बिल्कुल भी न खरीदें।
- प्रॉपर्टी खरीदते समय उसके पेपर्स पूरी तरह से ओरिजनल हों। अगर प्रॉपर्टी की रकम देने का बावजूद आपको उसपर मालिकाना हक न दिया गया हो।
रियल एस्टेट फ्रॉड के शिकार होने पर क्या करें?
अगर आप रियल एस्टेट फ्रॉड के शिकार हो गए हैं तो भारतीय कानून रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (रेरा / RERA) के तहत अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ये कानून रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित (रेग्युलेट) करना और घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान करता है। RERA कानून के सेक्शन 31 के हिसाब से रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA Office) में जाकर रियल एस्टेट एजेंटो, ब्रोकर्स और प्रमोटरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
मंगलवार, 26 सितंबर 2023
वामन जयंती आज भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि को वामन द्वादशी मनाई जाती है।
प्रदोष व्रत व प्रदोषम व्रत एक प्रसिद्ध हिन्दू व्रत है जो कि भगवान शिव का आर्शीवाद पाने के लिए किया जाता है।
डाक्टर साहब मेरा हिसाब कर दीजिये।
एक महिला भागी भागी डाक्टर के क्लिनिक पर गईं, वी थोड़ी घबराई और सहमी हुई थी।
डाक्टर साहब की नज़र उस खूबसूरत महिला पर पड़ी तो उसे नंबर से पहले बुलवा लिया।
"जी, क्या प्राब्लम है आपकी?" डाक्टर ने पूछा। (डॉक्टर थोड़े दिलफेंक किस्म के थे)
महिला: "जी मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.. प्राब्लम मेरे हसबैंड की है मुझे लगता है कि वो मानसिक रोगी होते जा रहे हैं।"
डाक्टर: "अच्छा, क्या करते हैं? आप पर हाथ उठाते हैं या आपके साथ मिसबिहेव करते हैं?"
महिला: "नहीं नहीं, धमकियां देते हैं और ये भी कहते हैं कि "मेरा हिसाब कर दो".. *"मेरा हिसाब कर दो।"*
डाक्टर: "आप परेशान न हों, कहां हैं आपके हसबैंड साथ नहीं लाए आप उनको?"
महिला: "डाक्टर साहब, मैं उनको साथ नहीं ला सकती थी, वो घर पर हैं"।
डाक्टर: "जी, मैं समझ सकता हूँ।"
डाक्टर साहब हर खूबसूरत औरत के साथ गहरा रिश्ता बना लेते थे।
महिला: अगर आप अपनी गाड़ी और ड्राइवर मेरे साथ भिजवा दें तो मैं अपने हसबैंड को आसानी से ले आऊंगी।"
डाक्टर ने अपने ड्राइवर को आदेश दिया कि मैडम के साथ जाओ.. अब महिला क्लिनिक से निकलकर गाड़ी में बैठ गईं और ड्राइवर से कहा कि फलां ज्वैलरी शाॅप ले चलो।
ज्वैलरी शाॅप आते ही महिला काफी नाज़ो अंदाज से उतरीं और शाॅप में चली गईं.. एक बहुत ही महंगा सा सेट पसंद किया पैक करवाया और जब पेमेंट की बारी आई तो...
महिला बोलींः "मैं फलां डाक्टर की वाइफ हूँ अभी मुझे ये सेट लेना बहुत जरूरी था इसलिये जल्दी में आ गई मेरे पास पूरे पैसे भी नहीं हैं और न ही कार्ड है.. आप मेरे साथ अपने शाॅप के किसी आदमी को भेज दीजिये और डाक्टर साहब पेमेंट दे देंगे।"
ज्वैलरी शाॅप के मालिक ने सोचा कि बड़ा अमाउंट है मुझे ही जाना चाहिए इस बहाने घूम भी लूंगा और वो जाकर गाड़ी में बैठ गये..पर महिला गाड़ी में नहीं बैठीं और ड्राइवर से कहा कि इनको डाक्टर साहब के पास ले जाओ..
ड्राइवर ज्वेलरी शाॅप के मालिक को लेकर क्लिनिक पहुंचा और डाक्टर से बोला कि "मैडम नहीं आईं मगर उन्होंने इन साहब को भेजा है।"
डाक्टर साहब ने धीरज रखते हुए ड्राइवर के साथ आए सज्जन को देखा और इंतज़ार करने को कहा .. जब उनकी बारी आई तो डाक्टर साहब बड़े नरम लहजे में बोलेः "हां तो बताइये जनाब, कैसे हैं आप?
ज्वेलरी शाॅप के मालिक ने जवाब दियाः "जी डाक्टर साहब, मैं ठीक हूँ।"
डाक्टर साहबः "तो क्या परेशानी और तकलीफ है आपको?"
ज्वेलरी शाॅप का मालिक: *"डाक्टर साहब"*
*"मेरा हिसाब कर दीजिये।"*...😎😜..
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