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गुरुवार, 14 मार्च 2013

मूली के आयुर्वेदिक प्रयोग

मूली के आयुर्वेदिक प्रयोग
मूली स्वयं हजम नहीं होती, लेकिन अन्य भोज्य पदार्थों को पचा देती है। भोजन के बाद यदि गुड़ की 10 ग्राम मात्रा का सेवन किया जाए तो मूली हजम हो जाती है।

- मूली का रस रुचिकर एवं हृदय को प्रफुल्लित करने वाला होता है। यह हलका एवं कंठशोधक भी होता है।

- घृत में भुनी मूली वात-पित्त तथा कफनाशक है। सूखी मूली भी निर्दोष साबित है। गुड़, तेल या घृत में भुनी मूली के फूल कफ वायुनाशक हैं तथा फल पित्तनाशक।
- छोटी पतली और चरपरी मूली वात ,पित्त , कफ नाशक है जब की मोटी और पकी मूलियाँ त्रिदोष कारक है।
- मूली में प्रोटीन , केल्शियम , गंधक ,आयोडीन तथा लौह तत्व भरपूर मात्रा में होता है।इसमें सोडियम , फोस्फोरस ,क्लोरिन तथा मैग्नेशियम भी होता है।इसमें विटामिन ए ,बी और सी भी होता है।
- मूली के साथ उसके पत्तों का भी सेवन किया जाना चाहिए।ये दोनों ही कच्चे या पका कर बवासीर में लाभकारी है।
- मूली सुबह नाश्ते में खाना चाहिए। इसे सुबह सुबह खाने से किडनी ठीक हो जाती है।
- पीलिया में लाभ होता है।
- शरीर की खुश्की दूर होती है।
-खट्टी डकारों में एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पियें।
- मधुमेह में लाभ होता है।
- लड़कियों का मासिक धर्म नियमित होता है।
- मूली के रस में सामान मात्रा में निम्बू का रस मिलाकर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।
- त्वचा रोग में मूली के पत्तें और बीजों को एक साथ पीसकर लेप करें।
- मूली हमारे दांतों को मजबूत करती है तथा हडि्डयों को शक्ति प्रदान करती है।
-मूली के रस में थोड़ा नमक और नीबू का रस मिलाकर नियमित रू प में पीने से मोटापा कम होता है और शरीर सुडौल बन जाता है।
- पानी में मूली का रस मिलाकर सिर धोने से जुएं नष्ट हो जाती हैं।
- मूली पत्ते चबाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- मूली के पत्ते जिमिकंद के कुछ टुकड़े एक सप्ताह तक कांजी में डाले रखने तथा उसके बाद उसके सेवन से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक होती है और बवासीर का रोग नष्ट हो जाता है।
- मूली के पत्तों के चार तोला रस में तीन माशा अजमोद का चूर्ण और चार रत्ती जोखार मिलाकर दिन में दो बार एक सप्ताह तक लेने पर गुर्दे की पथरी गलने की संभावना होती है।
- एक कप मूली के रस में एक चम्मच अदरक का और एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर नियमित सेवन से भूख बढ़ती है
- मोटे लोगों के लिए मूली के पत्तों का सेवन काफी फायदेमंद है, क्योंकि इनमें पानी की मात्रा अधिक रहती है।
- सौ ग्राम मूली के कच्चे पत्तों में नीबू निचोड़कर चबाकर निगल लें। इससे पेट साफ होगा और शरीर में स्फूर्ति आएगी।
- अजीर्ण रोग होने पर मूली के पत्तों की कोंपलों को बारीक काटकर, नीबू का रस मिलाकर व चुटकी भर सेंधा नमक डालकर खाने से लाभ होता है।
- चूंकि मूली के पत्तों में फास्फोरस होता है। भोजन के बाद इनका सेवन करने से बालों का असमय गिरना बंद हो जाता है।
मूली के पत्तों को धोकर मिक्सी में पीस लें। फिर इन्हें छानकर इनका रस निकालें व मिश्री मिला दें। इस मिश्रण को रोजाना पीने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
- मूली के पत्तों में लौह तत्व भी काफी मात्रा में रहता है इसलिए इनका सेवन खून को साफ करता है और इससे शरीर की त्वचा भी मुलायम होती है।
- हडि्डयों के लिए मूली के पत्तों का रस पीना फायदेमंद है।
- आधी मूली को पीसकर उसका रस निकाल लें। इसे दो--दो घंटे बाद पिएं। यह कमजोर दांतों के लिए लाभदायक है।
- मूली के पत्तों का शाक पाचन क्रिया में वृद्धि करता है।
- मूली के नरम पत्तों पर सेंधा नमक लगाकर (प्रात:) खाएं, इससे मुंह की दुर्गंध दूर होगी।
- हाथ-पैरों के नाखूनों का रंग सफेद हो जाए तो मूली के पत्तों का रस पीना हितकारी है।
- मूली के पत्ते खाने से दांतों का असमय हिलना बंद होता है।
- पेट में गैस बनती हो तो मूली के पत्तों के रस में नीबू का रस मिलाकर पीने से तुरंत लाभ होता है।

- मूली के पत्तों को सुखा कर इसे जला लें ..अब बची राख को पानी में मिलाकर आग पर तबतक उबालें जबतक सूखकर क्षार का रूप न ले लें ..अब इस क्षार को ५०० मिलीग्राम क़ी मात्रा में नियमित सेवन श्वांस के रोगियों के लिए अच्छी औषधि है I

-मूली क़ी पत्तियों का रस को तिल के तेल में सिद्धित कर ...२-३ बूँद कान में टपकाने से पीड़ा में आराम मिलता है I

-तिल के साथ आधी मात्रा में मूली के बीजों का सेवन किसी भी सूजन में प्रभावी हैI

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