धनिया
धनिया सर्वत्र प्रसिद्ध है। भोजन बनाने में इसका नित्य प्रयोग होता है। हरे धनिये के विकसित हो जाने पर उस पर हरे रंग के बीज की फलियाँ लगती हैं। वे सूख जाती हैं तो उन्हें सूखा धनिया कहते हैं। सब्जी, दाल जैसे खाद्य पदार्थों में काटकर डाला हुआ हरा धनिया उसे सुगंधित एवं गुणवान बनाता है। हरा धनिया गुण में ठंडा, रूचिकारक व पाचक है। इससे भोज्य पदार्थ अधिक स्वादिष्ट व रोचक बनते हैं। हरा धनिया केवल सब्जी में ही उपयोग में आने वाली वस्तु नहीं है वरन् उत्तम प्रकार की एक औषधि भी है। इसी कारण अनेक वैद्य इसका उपयोग करने की सलाह देते हैं।
गुणधर्मः हरा धनिया स्वाद में कटु, कषाय, स्निग्ध, पचने में हलका, मूत्रल, दस्त बंद करने वाला, जठराग्निवर्द्धक, पित्तप्रकोप का नाश करने वाला एवं गर्मी से उत्पन्न तमाम रोगों में भी अत्यंत लाभप्रद है।
औषधि-प्रयोगः
बुखारः अधिक गर्मी से उत्पन्न बुखार या टायफाइड के कारण यदि दस्त में खून आता हो तो हरे धनिये के 25 मि.ली. रस में मिश्री डालकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
ज्वर से शरीर में होती जलन पर इसका रस लगाने से लाभ होता है।
आंतरदाहः चावल में पानी के बदले हरे धनिये का रस डालकर एक बर्तन (प्रेशर कूकर) में पकायें। फिर उसमें घी तथा मिश्री डालकर खाने से किसी भी रोग के कारण शरीर में होने वाली जलन शांत होती है।
अरुचिः सूखा, धनिया, इलायची व काली मिर्च का चूर्ण घी और मिश्री के साथ लें।
हरा धनिया, पुदीना, काली मिर्च, सेंधा नमक, अदरक व मिश्री पीसकर उसमें जरा सा गुड़ व नींबू का रस मिलाकर चटनी तैयार करें। भोजन के समय उसे खाने से अरुचि व मंदाग्नि मिटती है।
तृषा रोगः हरे धनिये के 50 मि.ली. रस में मिश्री या हरे अंगूर का रस मिलाकर पिलायें।
सगर्भा की उलटीः हरे धनिये के रस में हलका-सा नींबू निचोड़ लें। यह रस एक-एक चम्मच थोड़े-थोड़े समय पर पिलाने से लाभ होता है।
रक्तपित्तः सूखा धनिया, अंगूर व बेदाना का काढ़ा बनाकर पिलायें।
हरे धनिये के रस में मिश्री या अंगूर का रस मिलाकर पिलायें। साथ में नमकीन, तीखे व खट्टे पदार्थ खाना बंद करें और सादा, सात्त्विक आहार लें।
बच्चों के पेटदर्द व अजीर्णः सूखा धनिया और सोंठ का काढ़ा बनाकर पिलायें।
बच्चों की आँखें आने परः सूखे पिसे हुए धनिये की पोटली बाँधकर उसे पानी में भिगोकर बार-बार आँखों पर घुमायें।
हरा धनिया धोकर, पीसकर उसकी एक-दो बूँदें आँखों में डालें। आँखें आना, आँखों की लालिमा, आँखों की कील, गुहेरी एवं चश्मे के नंबर दूर करने में यह लाभदायक है।
धनिया सर्वत्र प्रसिद्ध है। भोजन बनाने में इसका नित्य प्रयोग होता है। हरे धनिये के विकसित हो जाने पर उस पर हरे रंग के बीज की फलियाँ लगती हैं। वे सूख जाती हैं तो उन्हें सूखा धनिया कहते हैं। सब्जी, दाल जैसे खाद्य पदार्थों में काटकर डाला हुआ हरा धनिया उसे सुगंधित एवं गुणवान बनाता है। हरा धनिया गुण में ठंडा, रूचिकारक व पाचक है। इससे भोज्य पदार्थ अधिक स्वादिष्ट व रोचक बनते हैं। हरा धनिया केवल सब्जी में ही उपयोग में आने वाली वस्तु नहीं है वरन् उत्तम प्रकार की एक औषधि भी है। इसी कारण अनेक वैद्य इसका उपयोग करने की सलाह देते हैं।
गुणधर्मः हरा धनिया स्वाद में कटु, कषाय, स्निग्ध, पचने में हलका, मूत्रल, दस्त बंद करने वाला, जठराग्निवर्द्धक, पित्तप्रकोप का नाश करने वाला एवं गर्मी से उत्पन्न तमाम रोगों में भी अत्यंत लाभप्रद है।
औषधि-प्रयोगः
बुखारः अधिक गर्मी से उत्पन्न बुखार या टायफाइड के कारण यदि दस्त में खून आता हो तो हरे धनिये के 25 मि.ली. रस में मिश्री डालकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
ज्वर से शरीर में होती जलन पर इसका रस लगाने से लाभ होता है।
आंतरदाहः चावल में पानी के बदले हरे धनिये का रस डालकर एक बर्तन (प्रेशर कूकर) में पकायें। फिर उसमें घी तथा मिश्री डालकर खाने से किसी भी रोग के कारण शरीर में होने वाली जलन शांत होती है।
अरुचिः सूखा, धनिया, इलायची व काली मिर्च का चूर्ण घी और मिश्री के साथ लें।
हरा धनिया, पुदीना, काली मिर्च, सेंधा नमक, अदरक व मिश्री पीसकर उसमें जरा सा गुड़ व नींबू का रस मिलाकर चटनी तैयार करें। भोजन के समय उसे खाने से अरुचि व मंदाग्नि मिटती है।
तृषा रोगः हरे धनिये के 50 मि.ली. रस में मिश्री या हरे अंगूर का रस मिलाकर पिलायें।
सगर्भा की उलटीः हरे धनिये के रस में हलका-सा नींबू निचोड़ लें। यह रस एक-एक चम्मच थोड़े-थोड़े समय पर पिलाने से लाभ होता है।
रक्तपित्तः सूखा धनिया, अंगूर व बेदाना का काढ़ा बनाकर पिलायें।
हरे धनिये के रस में मिश्री या अंगूर का रस मिलाकर पिलायें। साथ में नमकीन, तीखे व खट्टे पदार्थ खाना बंद करें और सादा, सात्त्विक आहार लें।
बच्चों के पेटदर्द व अजीर्णः सूखा धनिया और सोंठ का काढ़ा बनाकर पिलायें।
बच्चों की आँखें आने परः सूखे पिसे हुए धनिये की पोटली बाँधकर उसे पानी में भिगोकर बार-बार आँखों पर घुमायें।
हरा धनिया धोकर, पीसकर उसकी एक-दो बूँदें आँखों में डालें। आँखें आना, आँखों की लालिमा, आँखों की कील, गुहेरी एवं चश्मे के नंबर दूर करने में यह लाभदायक है।
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