हवन का महत्व जानिए, 12 चमत्कारी हवन सामग्रियां, जिनसे ये रोग हो जाते हैं दूर
म्साले के छौंक का धुंआ खांसी तथा आंखो से पानी ले आता है। यदि आग मे कुछ लाल मिर्च डाल दी जाये तो उसका धुंआ पड़ोसियों को खांसी और आंख में आंसू ले आयेगा। उसी तरह हवन का सुप्रभाव वातावरण मे पड़ता है।
हमारे पूर्वजो तथा ऋषि मुनियो ने भी बहुत अध्ययन तथा रिसर्च की थी उसी के अनुसार हवन में डाली जाने वाली समाग्रियों के जलने पर जो धुंआ उठता है वह व्यक्तियों की आंख, नाक, फेफड़ो के अलावा वातावरण को भी शुद्ध करता है। हवन को अलग-अलग प्रायोजन के लिए भी किया जाता था जिनमें हवन कुंड में डाली जाने वाली सामाग्रियां भिन्न-भिन्न होती थीं।
मंत्रोचार के साथ किसी विशेष प्रायोजन के लिये किया जाने वाला हवन, यज्ञ कहलाता है। मंत्र से उत्पन्न होने वाले तरंगे वातावरण में जाकर वहां की समस्त जड़ चेतन पर अदृश्य प्रभाव डालती हैं। तांत्रिक मंत्रो एवं तामसी सामाग्रियो के साथ कुछ लोग बुरे उददेश्य से भी हवन करते है। उन्हें भी सिद्ध शक्तियां प्राप्त होती है। आज के परिपेक्ष मे हवन करने से वातावरण एवं मन में शुद्धता के अलावा अदृश्य आंतरिक शक्ति बढ़ाता है जो कि मंत्रो के साथ सही नियम व सामाग्रियों के साथ करने पर सैकड़ो गुणा अधिक प्रभावशाली होता है। यह आप स्वंय ही अनुभव कर सकते है।
हवन एक ऐसी विधा है जिसके नियमित करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है तथा अपने विरोधी का नुकसान व अपनी शक्ति ज्यादा बढ़ा देता है इसलिए तामसी प्रवृत्ति वाले तांत्रिक भी इसका भरपुर उपयोग करते है। गायत्री परिवार वाले भी विधि-विधान से हवन करते है जिससे वाणी में सत्यता तथा विश्व बन्धुत्व की भावना बढ़ती है। नियमित हवन करने वालो पर किसी भी प्रकार के बुरी तरंगो का कुप्रभाव नही पड़ता हैं। जानकार की निगरानी में हवन करने से मनवांछित फल प्राप्त होता हैं।
हर रोज छोटा-सा हवन भी देता है ऐसे बड़े फायदे!
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धार्मिक परंपराओं में देव पूजा, उपासना, जप, ध्यान, स्नान से हर सुख को पाने के उपाय बताए गए हैं। यह धार्मिक कर्म परेशानियों, चिंताओं और कष्टों में अशांत मन को बल और सुख देते हैं। ऐसे सुखों और खुशियों का आनंद दोगुना तब हो जाता है, जब सुख और आनंद व्यक्ति और परिवार तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें समाज या प्रकृति भी शामिल हो जाए।
शास्त्रों में ऐसा ही एक धार्मिक कर्म बताया गया है - हवन। जिसका शुभ प्रभाव न केवल व्यक्ति बल्कि प्रकृति को भी लाभ ही पहुंचाता है। ग्रंथों में अनेक तरह के यज्ञ और हवन बताए गए हैं। विज्ञान भी हवन और यज्ञ के दौरान बोले जाने वाले मंत्र, प्रज्जवलित होने वाली अग्रि और धुंए से होने वाले प्राकृतिक लाभ की पुष्टि करता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से हवन से निकलने वाले अग्रि के ताप और उसमें आहुति के लिए उपयोग की जाने वाली हवन की प्राकृतिक सामग्री यानी समिधा वातावरण में फैले रोगाणु और विषाणुओं को नष्ट करती है, बल्कि प्रदूषण को भी मिटाने में सहायक होती है। साथ ही उनकी सुगंध व ऊष्मा मन व तन की अशांत व थकान को भी दूर करने वाली होती है।
इस तरह हवन स्वस्थ और निरोगी जीवन का श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय है। खासतौर पर कुछ विशेष काल में किए गए हवन तो धार्मिक लाभ के साथ प्राकृतिक व भौतिक सुख भी देने वाले माने गए हैं।
जानिए, 12 चमत्कारी हवन सामग्रियां, जिनसे ये रोग हो जाते हैं दूर
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सफल जीवन के लिए बेहतर सेहत भी धन-संपदा मानी गई है। इसलिए उत्सव, पर्व, तिथियों पर व्रत-उपवास व धार्मिक परंपराओं में निरोगी जीवन व धन की कामना से अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए यज्ञ-हवन का विधान प्राचीन काल से प्रचलित हैं।
दरअसल, व्यावहारिक व वैज्ञानिक नजरिए से भी हवन त्योहार-पर्व विशेष ही नहीं, बल्कि हर रोज करना घर-परिवार और आस-पास का वातावरण शुद्ध बनाने वाला होता है। इसी उद्देश्य से शास्त्रों में हवन से धन, ऐश्वर्य के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य और रोगों से छुटकारा पाने के लिए कुछ विशेष प्राकृतिक सामग्रियों से हवन का महत्व बताया गया है। पूजन-कर्म के साथ इन विशेष हवन सामग्रियों से हवन स्वयं या किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं और निरोगी जीवन का लुत्फ उठाएं।
जानिए, अलग-अलग रोग और पीड़ाओं से मुक्ति के लिए कौन-सी हवन सामग्रियां बहुत प्रभावी होती हैं-
1. दूध में डूबे आम के पत्ते - बुखार
2. शहद और घी - मधुमेह
3. ढाक के पत्ते - आंखों की बीमारी
4. खड़ी मसूर, घी, शहद, शक्कर - मुख रोग
5. कन्दमूल या कोई भी फल - गर्भाशय या गर्भ शिशु दोष
6. भाँग,धतुरा - मनोरोग
7. गूलर, आँवला - शरीर में दर्द
8. घी लगी दूब या दूर्वा - कोई भयंकर रोग या असाध्य बीमारी
9. बेल या कोई फल - उदर यानी पेट की बीमारियां
10. बेलगिरि, आँवला, सरसों, तिल - किसी भी तरह का रोग शांति
11. घी - लंबी आयु के लिए
12. घी लगी आक की लकडी और पत्ते - शरीर की रक्षा और स्वास्थ्य के लिए।
म्साले के छौंक का धुंआ खांसी तथा आंखो से पानी ले आता है। यदि आग मे कुछ लाल मिर्च डाल दी जाये तो उसका धुंआ पड़ोसियों को खांसी और आंख में आंसू ले आयेगा। उसी तरह हवन का सुप्रभाव वातावरण मे पड़ता है।
हमारे पूर्वजो तथा ऋषि मुनियो ने भी बहुत अध्ययन तथा रिसर्च की थी उसी के अनुसार हवन में डाली जाने वाली समाग्रियों के जलने पर जो धुंआ उठता है वह व्यक्तियों की आंख, नाक, फेफड़ो के अलावा वातावरण को भी शुद्ध करता है। हवन को अलग-अलग प्रायोजन के लिए भी किया जाता था जिनमें हवन कुंड में डाली जाने वाली सामाग्रियां भिन्न-भिन्न होती थीं।
मंत्रोचार के साथ किसी विशेष प्रायोजन के लिये किया जाने वाला हवन, यज्ञ कहलाता है। मंत्र से उत्पन्न होने वाले तरंगे वातावरण में जाकर वहां की समस्त जड़ चेतन पर अदृश्य प्रभाव डालती हैं। तांत्रिक मंत्रो एवं तामसी सामाग्रियो के साथ कुछ लोग बुरे उददेश्य से भी हवन करते है। उन्हें भी सिद्ध शक्तियां प्राप्त होती है। आज के परिपेक्ष मे हवन करने से वातावरण एवं मन में शुद्धता के अलावा अदृश्य आंतरिक शक्ति बढ़ाता है जो कि मंत्रो के साथ सही नियम व सामाग्रियों के साथ करने पर सैकड़ो गुणा अधिक प्रभावशाली होता है। यह आप स्वंय ही अनुभव कर सकते है।
हवन एक ऐसी विधा है जिसके नियमित करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है तथा अपने विरोधी का नुकसान व अपनी शक्ति ज्यादा बढ़ा देता है इसलिए तामसी प्रवृत्ति वाले तांत्रिक भी इसका भरपुर उपयोग करते है। गायत्री परिवार वाले भी विधि-विधान से हवन करते है जिससे वाणी में सत्यता तथा विश्व बन्धुत्व की भावना बढ़ती है। नियमित हवन करने वालो पर किसी भी प्रकार के बुरी तरंगो का कुप्रभाव नही पड़ता हैं। जानकार की निगरानी में हवन करने से मनवांछित फल प्राप्त होता हैं।
हर रोज छोटा-सा हवन भी देता है ऐसे बड़े फायदे!
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धार्मिक परंपराओं में देव पूजा, उपासना, जप, ध्यान, स्नान से हर सुख को पाने के उपाय बताए गए हैं। यह धार्मिक कर्म परेशानियों, चिंताओं और कष्टों में अशांत मन को बल और सुख देते हैं। ऐसे सुखों और खुशियों का आनंद दोगुना तब हो जाता है, जब सुख और आनंद व्यक्ति और परिवार तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें समाज या प्रकृति भी शामिल हो जाए।
शास्त्रों में ऐसा ही एक धार्मिक कर्म बताया गया है - हवन। जिसका शुभ प्रभाव न केवल व्यक्ति बल्कि प्रकृति को भी लाभ ही पहुंचाता है। ग्रंथों में अनेक तरह के यज्ञ और हवन बताए गए हैं। विज्ञान भी हवन और यज्ञ के दौरान बोले जाने वाले मंत्र, प्रज्जवलित होने वाली अग्रि और धुंए से होने वाले प्राकृतिक लाभ की पुष्टि करता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से हवन से निकलने वाले अग्रि के ताप और उसमें आहुति के लिए उपयोग की जाने वाली हवन की प्राकृतिक सामग्री यानी समिधा वातावरण में फैले रोगाणु और विषाणुओं को नष्ट करती है, बल्कि प्रदूषण को भी मिटाने में सहायक होती है। साथ ही उनकी सुगंध व ऊष्मा मन व तन की अशांत व थकान को भी दूर करने वाली होती है।
इस तरह हवन स्वस्थ और निरोगी जीवन का श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय है। खासतौर पर कुछ विशेष काल में किए गए हवन तो धार्मिक लाभ के साथ प्राकृतिक व भौतिक सुख भी देने वाले माने गए हैं।
जानिए, 12 चमत्कारी हवन सामग्रियां, जिनसे ये रोग हो जाते हैं दूर
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सफल जीवन के लिए बेहतर सेहत भी धन-संपदा मानी गई है। इसलिए उत्सव, पर्व, तिथियों पर व्रत-उपवास व धार्मिक परंपराओं में निरोगी जीवन व धन की कामना से अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए यज्ञ-हवन का विधान प्राचीन काल से प्रचलित हैं।
दरअसल, व्यावहारिक व वैज्ञानिक नजरिए से भी हवन त्योहार-पर्व विशेष ही नहीं, बल्कि हर रोज करना घर-परिवार और आस-पास का वातावरण शुद्ध बनाने वाला होता है। इसी उद्देश्य से शास्त्रों में हवन से धन, ऐश्वर्य के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य और रोगों से छुटकारा पाने के लिए कुछ विशेष प्राकृतिक सामग्रियों से हवन का महत्व बताया गया है। पूजन-कर्म के साथ इन विशेष हवन सामग्रियों से हवन स्वयं या किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं और निरोगी जीवन का लुत्फ उठाएं।
जानिए, अलग-अलग रोग और पीड़ाओं से मुक्ति के लिए कौन-सी हवन सामग्रियां बहुत प्रभावी होती हैं-
1. दूध में डूबे आम के पत्ते - बुखार
2. शहद और घी - मधुमेह
3. ढाक के पत्ते - आंखों की बीमारी
4. खड़ी मसूर, घी, शहद, शक्कर - मुख रोग
5. कन्दमूल या कोई भी फल - गर्भाशय या गर्भ शिशु दोष
6. भाँग,धतुरा - मनोरोग
7. गूलर, आँवला - शरीर में दर्द
8. घी लगी दूब या दूर्वा - कोई भयंकर रोग या असाध्य बीमारी
9. बेल या कोई फल - उदर यानी पेट की बीमारियां
10. बेलगिरि, आँवला, सरसों, तिल - किसी भी तरह का रोग शांति
11. घी - लंबी आयु के लिए
12. घी लगी आक की लकडी और पत्ते - शरीर की रक्षा और स्वास्थ्य के लिए।
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