सुरक्षा प्रभा मंडल ध्या न: (काया कल्प् करने के लिए)
ओरा प्रार्थना से दूर होते हैं रोग
क्या् आप जानते है कि सप्ताहांत में आप इतना थक जाते है कि खड़े भी नहीं हो पाते। एक विधि प्रस्तु त है—कायाकल्पा करने के लिए नहीं, अपितु आपकी क्लांसति को यथासंभव कम करने के लिए। हमारी थकावट के कई कारण हो सकते है—चारों और का शोर, हलचल, गंध दूसरों की भावनाएं, उनके विचार—सभी आपको प्रभावित कर सकते है। हम निरंतर एक दूसरे को भला बुरा कहते रहते है। एक दूसरे को डाँटते-फटकारते रहते है। निरंतर अपने नकारात्मेक भाव व विचार क्रोध-आक्रोश भय चिंता, विवशता आदि-आदि दूसरों को संप्रेषित करते रहते है। यदि हम स्व यं को इनके आक्रमणों से बचाना नहीं जानते तो यह बात समझ में आती है कि हम क्योंह थक जाते है।
कब:
प्रात: पहला और रात्रि में अंतिम काम।
प्रथम चरण:
बिस्तजर पर बैठ जाइए, कल्प।ना कीजिए कि आपके शरीर के चारों और केवल छह इंच की दूरी पर आपके शरीर के आकार का एक प्रभा मंडल है। आप इस सुरक्षा कवच को निर्मित कर सकते है। ताकि बह्म प्रभावों से ‘’स्वमयं को बचा सकें।‘’
दूसरा चरण:
इसी अनुभूति को बनाए रखते हुए आप सो जाएं ऐसा अनुभव करते हुए कि आप इस प्रभा मंडल में एक कंबल की भांति लपेटे सो रहे है जो आपको किसी भी प्रकार के बाहरी तनाव, हलचल विचारों या भावों से सुरक्षित रखेंगे।
तीसरा चरण:
प्रात: जैसे ही आप नींद से जागें इससे पहले कि आप आंखे खोले आपने शरीर के इर्द गिर्द इस सुरक्षा मंडल को 4-5 मिनट अनुभव करे, देखें।
चौथा चरण:
प्रात: स्ना4न करते समय प्रात: भोजन लेते समय अपने सुरक्षा-आभा मंडल चक्र को स्मसरण रखें। दिन में किसी भी समय जब भी आपको ख्याेल आए—कार में या ट्रेन में किसी भी समय जब आप खाली बैठे—इसमे विश्राम करें।
इस विधि को तीन सप्ताेह से लेकिन तीन महीनों तक करें और इस विधि का प्रयोग करने से लगभग तीन सप्तातह और तीन महीनों में आपको एक सशक्तक सुरक्षा की अनुभूति होने लगेगी
ओरा (प्रभामंडल) मरते हुए व्यक्ति के साथ में तथा उसके बाद में भी उस स्थान पर पाया जाता है। मृत्यु के बाद 3 दिन तक धरातल से (जहाँ व्यक्ति की मृत्यु हुई) 3 फुट ऊपर तक उसकी एक परत उपस्थित रहती है। पिछले दिनों हुए शोध के अंतर्गत पाया गया कि अस्पताल में मृत हुए मरीज के बिस्तर पर अन्य मरीज 3 दिनों तक इलाज का उपयुक्त लाभ नहीं उठा पाता है।
अंतिम ओरा की परत अगले जन्म में पुनरावृत्त होती है। प्राचीन ग्रंथों में एक उल्लेख मिला 'जल लेस्से मरई तल लेस्से उवज्झई' अर्थात् जिस लेस्या (ओरा) में मरेंगे, उसी लेस्या के साथ जन्म लेंगे। कुछ बीमारियों की वजह से प्रभामंडल में आए बदरंग धब्बों को बदलने के लिए विशिष्ट प्रार्थनाओं का भी प्रयोग किया जाता है। इन प्रार्थनाओं को दिन में 5 दफे 10-10 बार पढ़ें तो लाभ अवश्य प्राप्त होगा। कुछ आम व्याधियों के लिए :
प्रार्थनाएँ :
मुँहासे: मैं जीवन का दिव्य स्वरूप हूँ। मैं इस समय जिस स्थिति में हूँ, अपने को स्वीकार करता हूँ, प्यार करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं अतीत से मुक्त होकर आगे को विचरण करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
कमर एवं पीठ में दर्द : जब हममें असुरक्षा एवं अर्थ संकट की भावना होगी तो कमर के निचले हिस्से में दर्द होगा। ऐसे में निम्न पंक्तियाँ दोहरानी चाहिए : मैं जीवन की प्रक्रिया में विश्वास करता हूँ। मुझे हमेशा संभाल चाहिए। मैं सुरक्षित हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
अपराध भावना: अपराध भावना में जब हमारे मन में हमारे किसी कर्म के प्रति अपराध भावना होती है तो कमर के बीच में दर्द होता है, ऐसी स्थिति में हमें निम्न पंक्तियाँ दोहरानी चाहिए : मैं अतीत को छोड़ रहा हूँ। मैं मुक्त हूँ, अपने पूरे हृदय से, आगे बढ़ने हेतु। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
भावनात्मक असुरक्षा: भावनात्मक असुरक्षा के समय ऐसे में पीठ के ऊपरी भाग में दर्द रहता है।मैं स्वयं को चाहता हूँ और स्वीकृत करता हूँ। मैं सबको प्रेम, सबको सहयोग करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
मोटापा: असुरक्षा की भावना भी मोटापा बढ़ाती है। मुझे अपनी सुरक्षा की अनुभूति है और मैं अपने को चाहता और स्वीकृत करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
कहते हैं, दूसरे की कुर्सी पर बैठने, एक रजाई में सोने, दूसरों के कपड़े पहनने का भी असर होता है। चीन में दूसरे की कुर्सी पर बैठने के पूर्व रूमाल से कुर्सी को झाड़कर बैठते हैं। इसी प्रकार किसी भी हॉस्पिटल में रोगी के जाने के बाद कुर्सी को झाड़ लेना चाहिए।
ओरा प्रार्थना से दूर होते हैं रोग
क्या् आप जानते है कि सप्ताहांत में आप इतना थक जाते है कि खड़े भी नहीं हो पाते। एक विधि प्रस्तु त है—कायाकल्पा करने के लिए नहीं, अपितु आपकी क्लांसति को यथासंभव कम करने के लिए। हमारी थकावट के कई कारण हो सकते है—चारों और का शोर, हलचल, गंध दूसरों की भावनाएं, उनके विचार—सभी आपको प्रभावित कर सकते है। हम निरंतर एक दूसरे को भला बुरा कहते रहते है। एक दूसरे को डाँटते-फटकारते रहते है। निरंतर अपने नकारात्मेक भाव व विचार क्रोध-आक्रोश भय चिंता, विवशता आदि-आदि दूसरों को संप्रेषित करते रहते है। यदि हम स्व यं को इनके आक्रमणों से बचाना नहीं जानते तो यह बात समझ में आती है कि हम क्योंह थक जाते है।
कब:
प्रात: पहला और रात्रि में अंतिम काम।
प्रथम चरण:
बिस्तजर पर बैठ जाइए, कल्प।ना कीजिए कि आपके शरीर के चारों और केवल छह इंच की दूरी पर आपके शरीर के आकार का एक प्रभा मंडल है। आप इस सुरक्षा कवच को निर्मित कर सकते है। ताकि बह्म प्रभावों से ‘’स्वमयं को बचा सकें।‘’
दूसरा चरण:
इसी अनुभूति को बनाए रखते हुए आप सो जाएं ऐसा अनुभव करते हुए कि आप इस प्रभा मंडल में एक कंबल की भांति लपेटे सो रहे है जो आपको किसी भी प्रकार के बाहरी तनाव, हलचल विचारों या भावों से सुरक्षित रखेंगे।
तीसरा चरण:
प्रात: जैसे ही आप नींद से जागें इससे पहले कि आप आंखे खोले आपने शरीर के इर्द गिर्द इस सुरक्षा मंडल को 4-5 मिनट अनुभव करे, देखें।
चौथा चरण:
प्रात: स्ना4न करते समय प्रात: भोजन लेते समय अपने सुरक्षा-आभा मंडल चक्र को स्मसरण रखें। दिन में किसी भी समय जब भी आपको ख्याेल आए—कार में या ट्रेन में किसी भी समय जब आप खाली बैठे—इसमे विश्राम करें।
इस विधि को तीन सप्ताेह से लेकिन तीन महीनों तक करें और इस विधि का प्रयोग करने से लगभग तीन सप्तातह और तीन महीनों में आपको एक सशक्तक सुरक्षा की अनुभूति होने लगेगी
ओरा (प्रभामंडल) मरते हुए व्यक्ति के साथ में तथा उसके बाद में भी उस स्थान पर पाया जाता है। मृत्यु के बाद 3 दिन तक धरातल से (जहाँ व्यक्ति की मृत्यु हुई) 3 फुट ऊपर तक उसकी एक परत उपस्थित रहती है। पिछले दिनों हुए शोध के अंतर्गत पाया गया कि अस्पताल में मृत हुए मरीज के बिस्तर पर अन्य मरीज 3 दिनों तक इलाज का उपयुक्त लाभ नहीं उठा पाता है।
अंतिम ओरा की परत अगले जन्म में पुनरावृत्त होती है। प्राचीन ग्रंथों में एक उल्लेख मिला 'जल लेस्से मरई तल लेस्से उवज्झई' अर्थात् जिस लेस्या (ओरा) में मरेंगे, उसी लेस्या के साथ जन्म लेंगे। कुछ बीमारियों की वजह से प्रभामंडल में आए बदरंग धब्बों को बदलने के लिए विशिष्ट प्रार्थनाओं का भी प्रयोग किया जाता है। इन प्रार्थनाओं को दिन में 5 दफे 10-10 बार पढ़ें तो लाभ अवश्य प्राप्त होगा। कुछ आम व्याधियों के लिए :
प्रार्थनाएँ :
मुँहासे: मैं जीवन का दिव्य स्वरूप हूँ। मैं इस समय जिस स्थिति में हूँ, अपने को स्वीकार करता हूँ, प्यार करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं अतीत से मुक्त होकर आगे को विचरण करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
कमर एवं पीठ में दर्द : जब हममें असुरक्षा एवं अर्थ संकट की भावना होगी तो कमर के निचले हिस्से में दर्द होगा। ऐसे में निम्न पंक्तियाँ दोहरानी चाहिए : मैं जीवन की प्रक्रिया में विश्वास करता हूँ। मुझे हमेशा संभाल चाहिए। मैं सुरक्षित हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
अपराध भावना: अपराध भावना में जब हमारे मन में हमारे किसी कर्म के प्रति अपराध भावना होती है तो कमर के बीच में दर्द होता है, ऐसी स्थिति में हमें निम्न पंक्तियाँ दोहरानी चाहिए : मैं अतीत को छोड़ रहा हूँ। मैं मुक्त हूँ, अपने पूरे हृदय से, आगे बढ़ने हेतु। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
भावनात्मक असुरक्षा: भावनात्मक असुरक्षा के समय ऐसे में पीठ के ऊपरी भाग में दर्द रहता है।मैं स्वयं को चाहता हूँ और स्वीकृत करता हूँ। मैं सबको प्रेम, सबको सहयोग करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
मोटापा: असुरक्षा की भावना भी मोटापा बढ़ाती है। मुझे अपनी सुरक्षा की अनुभूति है और मैं अपने को चाहता और स्वीकृत करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ। मैं सबको क्षमा करता हूँ।
कहते हैं, दूसरे की कुर्सी पर बैठने, एक रजाई में सोने, दूसरों के कपड़े पहनने का भी असर होता है। चीन में दूसरे की कुर्सी पर बैठने के पूर्व रूमाल से कुर्सी को झाड़कर बैठते हैं। इसी प्रकार किसी भी हॉस्पिटल में रोगी के जाने के बाद कुर्सी को झाड़ लेना चाहिए।
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