रोकें लक्ष्मीजी को अपने घर में...
इन 6 वजहों से लक्ष्मी छोड़ देती है साथ! रहें सावधान
तमसो मा ज्योर्तिगमय' यानी ईश्वर अंधकार से प्रकाश की ओर ले चले। इस धर्म सूत्र में अज्ञानता से परे होकर ज्ञान की ओर बढ़ने के साथ-साथ दरिद्रता से दूरी व संपन्नता से नजदीकियों की कामना भी जुड़ी है। सांसारिक जीवन में समृद्धि व सफलता के लिए धन की चाहत अहम होती है, जिसे पूरा करने के लिए धर्म और कर्म दोनों ही तरीकों से वैभव की देवी माता लक्ष्मी को पूजने का महत्व बताया गया है।
धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में भी धन संपन्नता या लक्ष्मी का साया सिर पर बनाए रखने की ऐसी ही चाहत पूरी करने के लिए व्यावहारिक जीवन में कर्म व स्वभाव से जुड़ी कुछ गलत आदतों से पूरी तरह से किनारा कर लेने की ओर साफ इशारा किया गया है। इन बुरी आदतों के कारण लक्ष्मी की प्रसन्नता मुश्किल बताई गई है।
जानिए, वैभवशाली, प्रतिष्ठित व सफल जीवन के लिए बेताब इंसान को किन बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए -
महाभारत में लिखा है कि -
षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
इस श्लोक मे कर्म, स्वभाव व व्यवहार से जुड़ी इन छ: आदतों से यथासंभव मुक्त रहने की सीख है -
नींद - अधिक सोना समय को खोना माना जाता है, साथ ही यह दरिद्रता का कारण बनता है। इसलिए नींद भी संयमित, नियमित और वक्त के मुताबिक हो यानी वक्त और कर्म को अहमियत देने वाला धन पाने का पात्र बनता है।
तन्द्रा - तन्द्रा यानी ऊंघना निष्क्रियता की पहचान है। यह कर्म और कामयाबी में सबसे बड़ी बाधा है। कर्महीनता से लक्ष्मी तक पहुंच संभव नहीं।
डर - भय व्यक्ति के आत्मविश्वास को कम करता है, जिसके बिना सफलता संभव नहीं। निर्भय व पावन चरित्र लक्ष्मी की प्रसन्नता का एक कारण है।
क्रोध - क्रोध व्यक्ति के स्वभाव, गुणों और चरित्र पर बुरा असर डालता है। यह दोष सभी पापों का मूल है, जिससे लक्ष्मी दूर रहती है।
आलस्य - आलस्य मकसद को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा है। संकल्पों को पूरा करने के लिए जरूरी है आलस्य को दूर ही रखें। यह अलक्ष्मी का रूप है।
दीर्घसूत्रता - जल्दी हो जाने वाले काम में अधिक देर करना, टालमटोल या विलंब करना।
जिस घर में अनाज का सम्मान होता है, अतिथि सत्कार होता है और यथासंभव दान, गरीबों की मदद होती रहती है उस घर में लक्ष्मी निवास करती है।
जो स्त्रियाँ पति के प्रतिकूल बोलती हैं, दूसरों के घरों में घूमने-फिरने में रुचि रखती हैं और घर के बर्तन इधर-उधर फैला या बिखेर कर रखती हैं, लक्ष्मी उनके घर नहीं आती।
जो व्यक्ति सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोता है, भोजन करता है, दिन में सोता है, दाँत साफ नहीं करता है, अधिक भोजन करता है, वह यदि साक्षात विष्णु भी हो तो लक्ष्मी उसे छोड़कर चली जाती है।
जो शरीर में तेल लगाकर मल-मूत्र त्यागता है या नमस्कार करता है, या पुष्प तोड़ता है, या जिसके पैर में मैल जमी होती है, उसके घर लक्ष्मी नहीं आती है।
अपने अंगों पर बाजा बजाने से भी धनी व्यक्ति का साथ लक्ष्मी धीरे-धीरे छोड़ देती है।
सौभाग्यशाली स्त्रियों को घुँघरू वाली पायल सदैव धारण करना चाहिए जिससे लक्ष्मी छम-छम बरसती है।
आँवले के वृक्ष के फल में गाय, के गोबर में, शंख में, कमल में, श्वेत वस्त्र में लक्ष्मी सदैव निवास करती है।
जिसके घर में भगवान शिव की पूजा होती है और देवता, साधु, ब्राह्मण, गुरु का सम्मान होता है। ऐसे घर में लक्ष्मी सदैव निवास करती है।
जो स्त्री नियमित रूप से गोग्रास निकालती है और गाय का पूजन करती है उस पर लक्ष्मी की दया बनी रहती है।
जिस घर में अनाज का सम्मान होता है, अतिथि सत्कार होता है और यथासंभव दान, गरीबों की मदद होती रहती है उस घर में लक्ष्मी निवास करती है।
जिस घर में कमल गट्टे की माला, एकांक्षी नारियल, पारद शिवलिंग, कुबेर यंत्र स्थापित रहता है उस घर में लक्ष्मी पीढ़ियों तक निवास करती है।
जिस घर में शुद्धता, पवित्रता रहती है और बिना सूँघे पुष्प देवताओं को चढ़ाए जाते हैं। उस घर में लक्ष्मी नित्य विचरण करती है।
जिस घर में स्त्रियों का सम्मान होता है स्त्री पति का सम्मान और पति के अनुकूल व्यवहार करती है एवं पतिव्रता और धीरे चलने वाली स्त्री के घर में लक्ष्मी का निवास रहता है।
इन 6 वजहों से लक्ष्मी छोड़ देती है साथ! रहें सावधान
तमसो मा ज्योर्तिगमय' यानी ईश्वर अंधकार से प्रकाश की ओर ले चले। इस धर्म सूत्र में अज्ञानता से परे होकर ज्ञान की ओर बढ़ने के साथ-साथ दरिद्रता से दूरी व संपन्नता से नजदीकियों की कामना भी जुड़ी है। सांसारिक जीवन में समृद्धि व सफलता के लिए धन की चाहत अहम होती है, जिसे पूरा करने के लिए धर्म और कर्म दोनों ही तरीकों से वैभव की देवी माता लक्ष्मी को पूजने का महत्व बताया गया है।
धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में भी धन संपन्नता या लक्ष्मी का साया सिर पर बनाए रखने की ऐसी ही चाहत पूरी करने के लिए व्यावहारिक जीवन में कर्म व स्वभाव से जुड़ी कुछ गलत आदतों से पूरी तरह से किनारा कर लेने की ओर साफ इशारा किया गया है। इन बुरी आदतों के कारण लक्ष्मी की प्रसन्नता मुश्किल बताई गई है।
जानिए, वैभवशाली, प्रतिष्ठित व सफल जीवन के लिए बेताब इंसान को किन बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए -
महाभारत में लिखा है कि -
षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
इस श्लोक मे कर्म, स्वभाव व व्यवहार से जुड़ी इन छ: आदतों से यथासंभव मुक्त रहने की सीख है -
नींद - अधिक सोना समय को खोना माना जाता है, साथ ही यह दरिद्रता का कारण बनता है। इसलिए नींद भी संयमित, नियमित और वक्त के मुताबिक हो यानी वक्त और कर्म को अहमियत देने वाला धन पाने का पात्र बनता है।
तन्द्रा - तन्द्रा यानी ऊंघना निष्क्रियता की पहचान है। यह कर्म और कामयाबी में सबसे बड़ी बाधा है। कर्महीनता से लक्ष्मी तक पहुंच संभव नहीं।
डर - भय व्यक्ति के आत्मविश्वास को कम करता है, जिसके बिना सफलता संभव नहीं। निर्भय व पावन चरित्र लक्ष्मी की प्रसन्नता का एक कारण है।
क्रोध - क्रोध व्यक्ति के स्वभाव, गुणों और चरित्र पर बुरा असर डालता है। यह दोष सभी पापों का मूल है, जिससे लक्ष्मी दूर रहती है।
आलस्य - आलस्य मकसद को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा है। संकल्पों को पूरा करने के लिए जरूरी है आलस्य को दूर ही रखें। यह अलक्ष्मी का रूप है।
दीर्घसूत्रता - जल्दी हो जाने वाले काम में अधिक देर करना, टालमटोल या विलंब करना।
जिस घर में अनाज का सम्मान होता है, अतिथि सत्कार होता है और यथासंभव दान, गरीबों की मदद होती रहती है उस घर में लक्ष्मी निवास करती है।
जो स्त्रियाँ पति के प्रतिकूल बोलती हैं, दूसरों के घरों में घूमने-फिरने में रुचि रखती हैं और घर के बर्तन इधर-उधर फैला या बिखेर कर रखती हैं, लक्ष्मी उनके घर नहीं आती।
जो व्यक्ति सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोता है, भोजन करता है, दिन में सोता है, दाँत साफ नहीं करता है, अधिक भोजन करता है, वह यदि साक्षात विष्णु भी हो तो लक्ष्मी उसे छोड़कर चली जाती है।
जो शरीर में तेल लगाकर मल-मूत्र त्यागता है या नमस्कार करता है, या पुष्प तोड़ता है, या जिसके पैर में मैल जमी होती है, उसके घर लक्ष्मी नहीं आती है।
अपने अंगों पर बाजा बजाने से भी धनी व्यक्ति का साथ लक्ष्मी धीरे-धीरे छोड़ देती है।
सौभाग्यशाली स्त्रियों को घुँघरू वाली पायल सदैव धारण करना चाहिए जिससे लक्ष्मी छम-छम बरसती है।
आँवले के वृक्ष के फल में गाय, के गोबर में, शंख में, कमल में, श्वेत वस्त्र में लक्ष्मी सदैव निवास करती है।
जिसके घर में भगवान शिव की पूजा होती है और देवता, साधु, ब्राह्मण, गुरु का सम्मान होता है। ऐसे घर में लक्ष्मी सदैव निवास करती है।
जो स्त्री नियमित रूप से गोग्रास निकालती है और गाय का पूजन करती है उस पर लक्ष्मी की दया बनी रहती है।
जिस घर में अनाज का सम्मान होता है, अतिथि सत्कार होता है और यथासंभव दान, गरीबों की मदद होती रहती है उस घर में लक्ष्मी निवास करती है।
जिस घर में कमल गट्टे की माला, एकांक्षी नारियल, पारद शिवलिंग, कुबेर यंत्र स्थापित रहता है उस घर में लक्ष्मी पीढ़ियों तक निवास करती है।
जिस घर में शुद्धता, पवित्रता रहती है और बिना सूँघे पुष्प देवताओं को चढ़ाए जाते हैं। उस घर में लक्ष्मी नित्य विचरण करती है।
जिस घर में स्त्रियों का सम्मान होता है स्त्री पति का सम्मान और पति के अनुकूल व्यवहार करती है एवं पतिव्रता और धीरे चलने वाली स्त्री के घर में लक्ष्मी का निवास रहता है।
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