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शनिवार, 18 सितंबर 2021

कैसे पता करें कि हमारी आई. डी. पर कुल कितने मोबाइल नंबर चालू हैं?

हाल ही में भारत सरकार के संचार विभाग (DOT) की तरफ से एक ऐसा वैब पोर्टल (Web Portal) तैयार किया गया , जिसके माध्यम से आप पता कर सकते है कि आपके सरकारी आई. डी. (पहचान पत्र) पर कितने मोबाइल नंबर हाल में चालू है | पहचान पत्र जैसे कि आधार कार्ड, चुनाव आयोग से मिला वोटर पहचान पत्र , ड्राईविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि कुछ कुछ भी हो सकता है |

यह पोर्टल है -

TAF COP Consumer Portal

इस पर जाकर आपको आपना कोई भी चालू मोबईल नंबर डालना होगा जिससे आपके उस मोबाईल नंबर पर आपको ओ. टी. पी. प्राप्त होगा | आपको वह ओ. टी. पी. डालना होगा |

ऐसा करते ही आपको, आपके पहचान पत्र पर जितने भी मोबाईल नंबर निकले हुए है, वो सब दिखने लगेगें | यहीं पर आपको यह विकल्प भी उपलब्ध होगा जो हर मोबाईल नंबर के सामने दिया गया होगा, जिस पर आप क्लिक करके उस नंबर को बंद करने की रिक्वेस्ट ( प्राथना ) दे सकते है | यह नंबर वह भी हो सकता होगा जो आपके पहचान पत्र पर अवैध तरीके से आपको बिना बताए निकलवाया गया हो |

Updated on(अद्यतन किया गया) :- 01–06–2021 —

  • पहले संपूर्ण डेटा अपलोड नहीं हुआ था, इसलिए मोबाईल नंबरों की संपूर्ण जानकारी नहीं मिल रही थी | अगर आपको भी आपके सभी मोबाईल नंबर नहीं दिखते तो आप कुछ दिनों के बाद दोबारा देख सकते है | तब आप निश्चित ही पूरी जानकारी मिलेगी |

धन्यवाद |

असली और नकली वेबसाइट में अंतर कैसे करें ?

आजकल साइबर अपराधी वेबसाइट्स की नकल बनाकर लोगों को ठग रहे हैं, बिलासपुर के तीन मामले ऐसे हैं जिनमें लोगों को फर्जी कस्टमर केयर की वेबसाइट के माध्यम से लूटा गया। पीड़ितों ने गूगल सर्च करके कस्टमर केयर का जो फ़ोन नंबर निकाला जो कंपनी का नहीं ठगों का था।

इससे बचने के लिए असली और फर्जी वेबसाइट में अंतर करना आना चाहिए इसके लिए सबको तकनीकी विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है, बस हमें कुछ बातें पता होनी चाहिए , जैसे-कि ये

वेबसाइट का यूआरएल जाँचें

मैंने कई बार देखा है कि व्हाट्सप्प समूहों पर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स के नाम से कई प्रकार के आकर्षक ऑफर्स आते रहते हैं, यहाँ पर मैं फ्लिपकार्ट का उदाहरण ले रहा हूँ। फ्लिपकार्ट के नाम पर बहुत से यूआरएल लोगों को ठग रहे हैं कुछ उदाहरण देखिए

चित्र स्रोत[1]

नकली वेबसाइट में प्रायः अनावश्यक अक्षर होते हैं जो असली वेबसाइट में नहीं होते तथा कई बार डोमेन नेम अलग होता है .com की जगह .biz .info .org .me जैसे डोमेन देखने को मिलते हैं।

लोग बस शुरू के अक्षर देखते हैं और मान लेते हैं कि यह वेबसाइट असली ही होगी इनसे बचने के लिए हमें ज्ञात होना चाहिए कि फ्लिपकार्ट का असली डोमेन "flipkart.com" है इसी प्रकार अमेज़न का डोमेन यूएस में "amazon.com" और भारत में "amazon.in" है, खरीदी करनी हो तो इसी से कीजिए इससे मिलती जुलती किसी दूसरी साईट से नहीं और हाँ यदि सामान घर तक पहुँचने में कोई समस्या आए तो इसी वेबसाइट के हेल्प सेण्टर पर अपनी शिकायत दर्ज करें गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च न करें नहीं तो बिलासपुर वालों के समान आप भी ठगे जाएँगे।

डोमेन नेम देखकर असली या नकली वेबसाइट का पता लगाया जा सकता है इसके लिए हमें मालूम होना चाहिए कि अलग-अलग काम के लिए डोमेन नेम भी अलग दिए जाते हैं।

  • भारत में पंजीकृत वेबसाइट्स का डोमेन नेम ".in" होता है, यह भारत का कंट्री कोड है। सभी देशों का अपना कोड होता है।
  • भारतीय सरकारी साइट्स के अंत में "gov.in" डोमेन होता है।
  • शैक्षणिक संस्थाएँ ".edu" का उपयोग करती हैं।
  • व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए ".com" डोमेन है।
  • ".org" डोमेन किसी संगठन के वेबसाइट के लिए होता है।

असली और नकली वेबसाइट में भेद करने का दूसरा सरल तरीका

एड्रेस बार को ध्यान से देखें

प्रतिष्ठित वेबसाइट्स "https" का उपयोग करती हैं। "http" एक प्रोटोकॉल है जो वेब पर डाटा संचार सुगम बनाता है, इसके आगे लिखे अक्षर "s" से पता चलता है कि वेबसाइट पर विजिट करना सुरक्षित है। वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में बाईं ओर कोने में हम https लिखा हुआ देख सकते हैं या इसके स्थान पर ताले का चिह्न बना होता है। नकली वेबसाइट में यह चिह्न नहीं होता और कई बार ब्राउज़र भी not secure लिख कर चेतावनी देता है। ताले के चिह्न पर क्लिक करके वेबसाइट को सर्टिफिकेट किसने दिया और यह कब तक वैध है इन सबकी विस्तृत जानकारी मिल जाती है।

चित्र स्रोत[2]

तीसरा तरीका

वेबसाइट चेकर पर जाएँ

इंटरनेट पर कुछ ऐसी वेबसाइट्स हैं जो नकली वेबसाइट की पहचान करने में सहायता करती हैं। इन चेकर वेबसाइट से हम किसी भी वेबसाइट की संभावित सुरक्षा खामियों, उसकी वैधता इत्यादि के बारे में जान सकते हैं। नीचे दिए गए चित्र में जिस वेबसाइट चेकर पर मैं गया उसने फ्लिपकार्ट धमाका के बारे बताया कि इसे गूगल सेफ ब्राउज़िंग द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है, अर्थात धमाका करने वाली यह वेबसाइट नकली है।

चित्र स्रोत [3]

नकली वेबसाइट की पहचान के लिए इन तीनों के अतिरिक्त वेबसाइट की साइट सील, ट्रस्ट सील, प्राइवेसी पॉलिसी इत्यादि से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि वेबसाइट असली है अथवा नकली।


फुटनोट

[2] How to Identify Fake Websites[3] Sucuri Security

फिशिंग के खतरे को कैसे पहचाना जा सकता है?

लगभग रोज ही कोई न कोई फिशिंग का शिकार बन रहा है। लोगों में जागरूकता की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह लेख लिखा गया है। इसका उद्देश्य आपकी जानकारी को बढ़ाना है जिससे आप फिशिंग से अपने और अपने चाहने वालों को बचा सकें।

फिशिंग ( Phishing )अर्थात - व्यक्तिगत जानकारी, जैसे पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर, ऑनलाइन प्रकट करने के लिए व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए प्रतिष्ठित कंपनियों से ईमेल भेजने की धोखाधड़ी की प्रथा।

जिस प्रकार मछली को चारा डाल कर फँसाया जाता है ठीक वैसे ही ठगबुद्धि वाले लोग अपने शिकार को स्पैम सन्देश, नकली विज्ञापन, नकली वेबसाइट्स या कभी-कभी फ़ोन कॉल्स के माध्यम से भी फँसाते हैं। अधिकतर मामलों में लोगों का डर उनके फँसने की वजह बनता है।

फिशिंग के कई तरीके प्रचलन में हैं और ये बिलकुल विश्वसनीय स्रोतों से आए हुए लगते हैं यदि इन्हें समय रहते पहचान लिया जाए तो आप नुकसान से बच सकते हैं। आईए अब देखें फिशिंग के कुछ सामान्य तरीके और कैसे उनकी पहचान की जाए :-

ईमेल के माध्यम से फिशिंग - ईमेल के माध्यम से धोखाधड़ी करने का तरीका काफी समय से चल रहा है। किसी जानी-मानी कंपनी या किसी बैंक के नाम का इस्तेमाल करके लोगों को फँसाया जाता है, प्रायः इनमें निजी या वित्तीय जानकारी मांगी जाती है। इन मेल्स के साथ किसी वेबसाइट का लिंक होता है जो कि लोगों को असली लगती है , ऐसे किसी लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक करने पर लोग चोरों के जाल में फँस जाते हैं। अनुमान है कि ९७ % लोग असली और नकली ईमेल एड्रेस की पहचान नहीं कर पाते।

बचाव के उपाय

  • अज्ञात स्रोत से आने वाले ईमेल के साथ के लिंक पर क्लिक न करें और अटैचमेंट्स को डाउनलोड न करें।
  • जिस ईमेल अड्रेस से मेल आया है उसकी स्पेलिंग जाँच करें, अधिकाँश मामलों में देखा गया है फर्जी एड्रेस की स्पेलिंग गलत होती है और हाँ ईमेल में व्याकरण की गलतियों की भी जाँच करें, एक-एक अक्षर ध्यान से पढ़ें।
  • अपनी निजी और वित्तीय जानकारी जैसे कि आपका एटीएम कार्ड नंबर; cvv, पिन इत्यादि किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विशेषकर सोशल मीडिया में शेयर नहीं करें।
  • बैंक के कर्मचारी आपसे कभी भी आपके एटीएम या क्रेडिट कार्ड की जानकारी नहीं मांगते , यदि ईमेल में आपकी जानकारी मांगी गई है तो अपने बैंक की शाखा से सम्पर्क कीजिए।
  • आपका बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है, आपके नेट बैंकिंग अकाउंट में किसी ने अनाधिकृत लॉग इन किया। यदि ईमेल के सब्जेक्ट में इस प्रकार की भाषा का प्रयोग हुआ है तो ऐसे मेल्स को तुरंत स्पैम रिपोर्ट कर दीजिए।
  • याद रखें , वैध व्यवसाय हमेशा संपर्क विवरण प्रदान करते हैं, जबकि फर्जी ईमेल में सम्पर्क विवरण नहीं दिया जाता।

फ़ोन कॉल के माध्यम से - भारत में अक्सर लोग फर्जी कॉल्स के शिकार होते रहते हैं। ईमेल फिशिंग और इसमें केवल माध्यम का अंतर है बाकि इसमें भी जालसाज अपने शिकार को फोन के द्वारा सम्पर्क करके निजी या वित्तीय जानकारी की मांग करते हैं। ऐसा करने के लिए या तो लोगों को डर दिखाया जाता है जैसे कि यदि आपने अपने बैंक खाते की जानकारी नहीं दी तो आपका खाता बंद हो सकता है; आपको जुर्माना देना पड़ सकता है आदि-आदि। आपकी लॉटरी लगी है अपने बैंक खाते की जानकारी दीजिए ताकि हम राशि आपके खाते में जमा कर सकें , कभी-कभी इस प्रकार का लालच देकर धोखेबाज अपना काम कर जाते हैं। मुझे हैरानी तब होती है जब बैंक में काम करने वाले लोग भी इनका शिकार हो जाते हैं।

इनसे कैसे बचें

  • कभी भी फोन पर अपनी वित्तीय जानकारी न दें, उसे बातों में उलझा कर इंटरनेट पर उसकी कंपनी के बारे में पता करें। यदि किसी असली कंपनी के नाम पर कॉल आया है तो उनसे सम्पर्क कर इस कॉल के बारे में बताएं। कोई अपने को बैंक का कर्मचारी बताता है तो अपने बैंक से तत्काल सम्पर्क करें।
  • ऐसे कॉल्स में जालसाजों द्वारा दिए गए नंबर पर कॉल न करें और न ही कोई रिचार्ज करें।

पॉप-अप मैसेज के माध्यम से - इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय कभी-कभी अनचाहे संदेश प्रकट हो जाते हैं ज्यादातर में किसी प्रकार की चेतावनी होती है

सावधान आपका ऑपरेटिंग सिस्टम पुराना हो गया है हैकर्स के निशाने पर है तुरंत अपग्रेड करें।

सावधान आपके कंप्यूटर में वायरस घुस आए हैं, इन्हें हटाने के लिए हमसे सम्पर्क करें।


सावधान ………..

सावधान ………..

इन पॉप-अप्स पर क्लिक करने पर ये आपको किसी अन्य वेबसाइट पर ले जाएंगे जो कि आपको फँसाने के लिए बनाई होती है।

पॉप-अप मैसेज की धोखधड़ी से खुद को बचाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं -

  • संदेशों को ध्यान से पढ़ें। खराब वर्तनी, अव्यवसायिक चित्र और खराब व्याकरण जैसे धोखाधड़ी के स्पष्ट संकेत देखें।
  • कभी भी इन पॉप-अप्स पर क्लिक न करें।
  • संदेह होने पर एंटीवायरस द्वारा पुरे सिस्टम को स्कैन करें।

फिशिंग के द्वारा धोखाधड़ी से स्वयं को बचाने के लिए सतर्कता और जागरूकता कारगर उपाय हैं।

मिलावटी खून या खून में मिलावट


*नकली खून बनाने का गिरोह एसटीएफ ने पकड़ा, डाक्टर, हास्पिटल और लैब शामिल, मेडिकल कालेज के असिस्टेंट प्रफेसर सहित दो गिरफ्तार कई राज्यों में करते थे सप्लाई।*

*September 17, 2021

लाल खून के काले कारोबार में लगे ये सफेदपोश......*

*मिलावटी खून या खून में मिलावट, विश्वासघात करने वाले, धोखेबाज और छल प्रपंच करने वाले षड्यंत्रकारियो सहित कपटियो के बारे कहा जाता है कि इनके खून में मिलावट है या इनका खून मिलावटी है, परन्तु इन सफेदपोश लालचियो ने पैसे की भूख में जीवनदायी खून में भी मिलावट करनी शुरू कर दी है और ये वो लोग है जिन्हे आम अवाम ने धरती का भगवान या दूसरे जीवनदाता का दर्जा दे रखा है अब इनके खून को क्या कहा जाए।*

*एसटीएफ ने गुरूवार को देश के कई राज्यों में नकली खून की सप्लाई करने वाले एक गिरोह का खुलासा किया, यह गिरोह पंजाब, राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों में मिलावटी खून सप्लाई करने का काम करता था। एसटीएफ ने मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर अभय प्रताप सिंह व उसके साथी अभिषेक पाठक को 100 यूनिट खून के पैकेट सहित गिरफ्तार किया है, एसटीएफ की टीम इनसे पूछताछ कर रही है, कई ब्लडबैंक, पैथोलॉजी तथा हास्पिटल सहित डाक्टरों और इनके साथियों के नाम सामने आए हैं।*

*ज्ञात हो कि दो वर्ष पूर्व यूपी एसटीएफ ने 26 अक्टूबर 2018 को मानव रक्त में मिलावट के बाद दोगुना कर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लखनऊ में मानव रक्त तस्करी के गिरोह के फिर सक्रिय होने की सूचना पर यूपी एसटीएफ ने एक टीम गठित कर तप्तीश बढ़ाई और मुखबिर की सूचना पर लखनऊ आगरा टोल प्लाजा के पास  एक कार काे रोका, कार की तलाशी में गत्ते में रखे 45 यूनिट खून के पैकेट बरामद किए, कार में डाक्टर अभय सिंह सवार था जिसने वर्ष 2000 में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया था। डाक्टर अभय ने एसटीएफ को बताया कि वह राजस्थान, हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रांतों से ब्ल्ड डोनर द्वारा डोनेट खून को लखनऊ ला रहा है, हालांकि इसके सत्यापन में वह कोई भी दस्तावेज नहीं दिखा सका और कुछ समय देने पर सभी दस्तावेज दिखाने की बात कही तो पुलिस टीम उसके साथ अवध विहार योजना स्थित गंगोत्री अपार्टमेंट गई जहां डाक्टर अभय ने बताया कि वह बी-3 मकान नंबर 105 में रहता है वहां डा. अभय ने एसटीएफ को कई तरह के दस्तावेज दिखाए जो औषधि निरीक्षकों की छानबीन में फर्जी पाए गए।* एसटीएफ को डाक्टर अभय के घर की तलाशी में फ्रिज में रखे 55 यूनिट ब्लड के साथ पीछे के कमरे में अभिषेक पाठक नाम का युवक मिला।*

*एसटीएफ जांच मे खुलासा हुआ कि डॉ. अभय प्रताप सिंह सरदार पटेल डेंटल कॉलेज रायबरेली रोड का रहने वाला है। वह वर्तमान में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल कॉलेज सैफई इटावा में तैनात है। वहीं अभिषेक पाठक सिद्घार्थनगर के जमुनी का रहने वाला है।एसटीएफ को उन्होंने बताया कि मिलावट कर बनाये व तस्करी कर लाए गये खून को लखनऊ के कई नामी अस्पतालों में सप्लाई करते थे, इमसें अवध हॉस्पिटल आलमबाग, वर्मा हॉस्पिटल काकोरी, काकोरी हॉस्पिटल, लखनऊ निदान ब्लड बैंक, बंथरा व मोहनलालगंज स्थित अस्पताल, सुषमा हॉस्पिटल के अलावा कई अन्य अस्पताल शामिल हैं। इस गिरोह के अन्य सदस्यों में कमल सत्तू, दाताराम, हरियाणा का लितुदा, केडी कमाल, डॉ. अजहर राव, दिल्ली के नीलेश सिंह, हरियाणा व दिल्ली में मदद करते हैं। लखनऊ में इनके एजेंट के रूप में बृजेश निगम, सौरभ वर्मा, दीपू चौधरी, जावेद खान, धीरज तवंर शामिल हैं।*
*एसटीएफ के अनुसार आरोपियों ने कुबूल किया है कि एक यूनिट मिलावटी खून 1200 रुपये में खरीदकर 4 से 6 हजार रुपये में सप्लाई करते हैं जरूरत के मुताबिक स्लाइन वाटर मिलाकर खून को एक से दो यूनिट तक आवश्यकता अनुसार बनाते, वहीं तस्करी के खून की वैधता बताने के लिए फर्जी तरीके से लगाए गये रक्तदान शिविर के आयोजन व उसकी फोटोग्राफी का प्रयोग करते हैं। आरोपियों के खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाने में जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, लोगों के जिंदगी से खिलवाड़ करने की धारा में मुकदमा दर्ज कराया गया है।*

*अक्टूबर 2018 में मिलावटी खून बनाने के आरोप में गिरफ्तार आरोपी*
*एसटीएफ की जांच जारी है कई और हैरतअंगेज खुलासे होने की उम्मीद है।*

भक्त ओर कमबख्त


भक्त.. ओर . कमबख्त
चौकीदार चोर होता तो गुजराती जनता भी इतनी बेवकुफ़ नहीं थी कि 4बार CM बनाये रखती....

चौकीदार को चोर कहने वालो ने
*अभी तक बताया नहीं कि इस चौकीदार ने चुराया क्या है?*

ये लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस की नहीं रही,
ये लड़ाई अब भक्तो और कम्बख्तों के बीच है..!!

ये पहला चुनाव है जिसमें अब तक कांग्रेसी जामा मस्जिद के शाही इमाम का सजदा करने नहीं गए और न ही इमाम ने कोई फतवा जारी किया..!!!!   मोदी है तो मुमकिन है।

मोदी जी के 4 भाई 5 चाचा ओर 18 पारिवारिक बच्चे.... सभी मेहनत करके खाते है कोई नेता नहीं किसी को टिकिट नहीं !!!
बताओ मोदी भक्ति क्यों न करें ????

मोदी जी अगर 2024 तक प्रधान मंत्री बने रहे तो ये तय है कि भारतीय सेना विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना होगी :- जनरल बिपित रावत

हर घर से अफजल निकल रहा था तब तो कोई आपत्ति नहीं की थी.. अब हर घर से चौकीदार निकल रहा है तो मिर्ची लग रही है कम्बख्तों को!

प्रजातंत्र का गला इंदिरा ने घोंटा था लेकिन हिटलर मोदी है! और विश्व की चौथी सबसे अमीर महिला सोनिया गांधी है लेकिन चोर मोदी है!
यह बातें गले नहीं उतरती कम्बख्तों की ।

मुसलमानों के जीतने पर बेल्जियम को इस्लामिक देश घोषित करने के लिए आंदोलन शुरू ; कोंग्रेस जीती तो आगे भारत की बारी हैं....

*धर्मयुद्ध मे निमंत्रण नही भेजे जाते , जो वीर होते है वो खुद रणभूमि मे धर्म ध्वजा की रक्षा के लिए चले आते है.....*

एक योगी और सन्यासी होने के नाते मैं धर्म का चौकीदार हूँ। और प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में संविधान व जनता का चौकीदार हूँ ..... 
योगी बाबा ज़िंदाबाद

*कोई भी कोंग्रेसी मनमोहन सिंह के 10 वर्षों के शासन पर वोट क्यों नहीं मांगते?*  जब देखो दादी के नाक को लेकर क्यों दौड़ रहे हो कम्बख्तों

मुझे मेरे हिन्दू धर्म से परिचय कराया में उन मोदीजी का बहुत बडा कर्ज दार हूं.... अब में भी चोकीदार हूं....

60 साल में देश का पहला इलेक्शन है , जिसमे बिजली, पानी, गैस, यूरिया खाद, मुद्दा नहीं ; सिर्फ मोदी हटाओ....  
क्या यह अच्छे दिन नहीं है!!!!

हिंदुत्व की शक्ति का प्रभाव देखो, कल तक दरगाह-मजारों से     चुनाव प्रचार शुरू करते थे ; 
आज मंदिर-मंदिर, नदी-नदी भटकने शुरू हो गए....

*है शौक जिन्हें तलवे चाटने का वो चाटुकार हो गए,*
*है मुहब्बत जिन्हें मुल्क से वो सभी चौकीदार हो गए।।*

🇮🇳 भारत माता की जय
वन्दे मातरम
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

मनुष्य को गुरु के आदेश के अनुसार ही चलकर के अपना कल्याण करना है। अपनी बुद्धि नहीं लगाना है


*"सोचो! कितनी बड़ी नासमझी है"*

*अब तक हमारा मन हरि गुरु की ओर और अधिक खिंचा कि नहीं। नहीं खिंचा? हमने बहुत गलतियाँ की, लापरवाही की, साधना नहीं की, हमारे पाप बढ़ गये, फील करो और फिर सावधान हो जाओ, नहीं तो ऐसे ही पाप बढ़ते जायँगे और मानवदेह छिन जायगा एक दिन। फिर कुत्ते, बिल्ली, गधे की योनियों में जाना होगा। तब याद आयेगी हाँ। हमको ये उपदेश मिला था, हमने नहीं माना, बुद्धि के अहंकार से। बुद्धि ने ही तो अनन्त जन्मों से हमें चौरासी लाख में घुमाया है।*

*जैसे कोई अपढ़ गँवार व्यक्ति मुकदमे में एक वकील करता है, उसको सौ, दो सौ, पाँच सौ देकर के लॉ की नॉलेज प्राप्त करता है। वकील कहता है ऐसे-ऐसे कोर्ट में बोलना, इसके अलावा कुछ नहीं बोलना। तो उसी को याद कर लेता है उतना सा हिस्सा लॉ का, और कोर्ट में डट करके जो वकील साहब ने कहा है वही बोलता है तो मुकदमा जीत जाता है और अपनी बुद्धि जरा भी लगा दी बीच में, एक सेंटेन्स भी गलत बोल गया बीच में अपनी अकल से, तो सारा मुकदमा डाउट का हो गया और डाउट का फायदा मुल्ज़िम को हो गया। तो सारी बात बिगड़ जाती है।*

*तो जैसे वो वकील के शरणागत रहता है, उसकी ही बात अनुसार चलता है, ऐसे मनुष्य को गुरु के आदेश के अनुसार ही चलकर के अपना कल्याण करना है। अपनी बुद्धि नहीं लगाना है।*

*डॉक्टर ने कहा- ये दवा खाओ इतनी, दो बूँद, एक चम्मच पानी में बस ! बुद्धि मत लगाओ कि दो बूँद दवा से क्या होगा? एक शीशी पी लो।*

*देखो ! पढ़ने जाते हो, ए. बी. सी. डी., क. ख. ग. घ., तो मास्टर कहता है ये 'क' है, तुम उसको मान लेते हो, वहाँ तो तुम्हें, डाउट नहीं होता कि ये 'क' क्यों है जी? इसको 'क' क्यों कहते हैं? इंग्लिश भाषा में कितने सारे साइलेन्ट होते हैं। अब आप कहें कि ये साइलेन्ट क्यों होता है? मैं नहीं इसको लिखूँगा, तो आप नहीं पढ़ सकते इंग्लिश। आपको मानना होगा।*

ऐसे ही-

*श्रद्धत्स्व तात! श्रद्धत्स्व।*

*वेद कहता है- श्रद्धा करो, विश्वास करो, वेद और गुरु की वाणी पर, और उसी प्रकार चलाओ बुद्धि को। सरैण्डर करो बुद्धि का, तब लक्ष्य प्राप्त होगा। अपनी बुद्धि तो मायिक है, तीन गुण की है तो अपनी बुद्धि के अनुसार चलकर मनुष्य भगवद् विषय का लाभ कैसे लेगा, जब संसार ही का लाभ नहीं ले सकता?*

*अरे! तुमने अपनी माँ को माँ बाप को बाप कैसे कह दिया, तुम्हारे पास कोई सबूत है ? माँ ने कहा था, बाप ने कहा था हम तुम्हारे मम्मी-डैडी हैं। बस ! यही सबूत ? तो क्योंजी ! तुम्हारे माँ-बाप दिन में सौ झूठ बोलते हैं, उनकी बात तो तुमने मान लिया और वेद की बात, भगवान् की बात, महापुरुष की बात मानने में बुद्धि लगाते हो?*

*सोचो ! कितनी बड़ी नासमझी है। तो इस नासमझी को हटाना है और हृदय को शुद्ध करना है।*

श्री शिवाय नमस्तुभ्यम

बुधवार, 15 सितंबर 2021

तीसरी रोटी किस की होती है..


*रोटी*   

      *रामेश्वर ने पत्नी के स्वर्ग वास हो जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ सुबह शाम पार्क में टहलना और गप्पें मारना, पास के मंदिर में दर्शन करने को अपनी दिनचर्या बना लिया था।*

       *हालांकि घर में उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी। सभी उनका बहुत ध्यान रखते थे, लेकिन आज सभी दोस्त चुपचाप बैठे थे।* 

*एक दोस्त को वृद्धाश्रम भेजने की बात से सभी दु:खी थे" आप सब हमेशा मुझसे पूछते थे कि मैं भगवान से तीसरी रोटी क्यों माँगता हूँ? आज बतला देता हूँ। "*

      *कमल ने पूछा  "क्या बहू तुम्हें सिर्फ तीन रोटी ही देती है ?"*

       *बड़ी उत्सुकता से एक दोस्त ने पूछा? "नहीं यार! ऐसी कोई बात नहीं है, बहू बहुत अच्छी है।* 

       *असल में  "रोटी, चार प्रकार की होती है।"*
 
      *पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।*

       *एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।" उन्होंने आगे कहा  "हाँ, वही तो बात है।*

        *दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण" भाव होता है जिससे "पेट" और "मन" दोनों भर जाते हैं।", क्या बात कही है यार ?" ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।* 

      *फिर तीसरी रोटी किस की होती है....?" एक दोस्त ने सवाल किया।*

      *"तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है", थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।*

     *"लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?" मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-* 

        *"चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का "पेट" भरता है न ही "मन" तृप्त होता है और "स्वाद" की तो कोई गारँटी ही नहीं है", तो फिर हमें क्या करना चाहिये यार?*

      *माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।*

        *यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, बड़ी खामोशी से सब दोस्त सोच रहे थे कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत हैं।*
*।।जय जय श्री राम।।*

    *।।हर हर महादेव।।*

सोमवार, 13 सितंबर 2021

ऋषि पंचमी और श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन में एक खास फर्क है

*माहेश्वरीयों की विशिष्ट पहचान*
*"ऋषी पंचमी"* के दिन रक्षाबंधन

*जय महेश*

*सभी स्वजनों को माहेश्वरी रक्षाबंधन पर्व ऋषि पंचम की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं...*

आम तौर पर भारत में रक्षाबंधन का त्योंहार श्रावण पूर्णिमा (नारळी पूर्णिमा) को मनाया जाता है, लेकिन माहेश्वरी समाज (माहेश्वरी गुरुओं के वंशज जिन्हे वर्तमान में छः न्याति समाज के नाम से जाना जाता है अर्थात पारीक, दाधीच, सारस्वत, गौड़, गुर्जर गौड़, शिखवाल आदि एवं डीडू माहेश्वरी, थारी माहेश्वरी, धाटी माहेश्वरी, खंडेलवाल माहेश्वरी आदि माहेश्वरी समाज) में रक्षा-बंधन का त्यौहार ऋषिपंचमी के दिन मनाने की परंपरा है. इस परंपरा का सम्बन्ध माहेश्वरी वंशोत्पत्ति से जुड़ा हुवा है.

विदित रहे की माहेश्वरी समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार मनाने की परंपरा चली आई है. एक मान्यता यह है की जब माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई तब जो माहेश्वरी समाज के गुरु थे जिन्हें ऋषि कहा जाता था उनके द्वारा विशेष रूप से इसी दिन रक्षासूत्र बांधा जाता था इसलिए इसे 'ऋषि पंचमी' कहा जाता है. रक्षासूत्र मौली के पचरंगी धागे से बना होता था और उसमें सात गांठे होती थी. वर्तमान समय में इसी रक्षासूत्र ने राखी का रूप ले लिया है और इसे बहनों द्वारा बांधा जाता है.

प्राचीनकाल में शुभ प्रसंगों में, प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन तथा 'ऋषि पंचमी' के दिन गुरु अपने शिष्यों के हाथ पर, पुजारी और पुरोहित अपने यजमानों के हाथ पर एक सूत्र बांधते थे जिसे रक्षासूत्र कहा जाता था, इसे ही आगे चलकर राखी कहा जाने लगा. वर्तमान समय में भी रक्षासूत्र बांधने की इस परंपरा का पालन हो रहा है.

आम तौर पर यह रक्षा सूत्र बांधते हुए ब्राम्हण "येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।" यह मंत्र कहते है जिसका अर्थ है- "दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं. हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो" लेकिन तत्थ्य बताते है की माहेश्वरी समाज में रक्षासूत्र बांधते समय जो मंत्र कहा जाता था वह है-

*स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु,*
*विद्याविवेककृतिकौशलसिद्धिरस्तु।*

*ऐश्वर्यमस्तु विजयोऽस्तु गुरुभक्ति रस्तु,*
*वंशे सदैव भवतां हि सुदिव्यमस्तु।।*

(अर्थ- आप सदैव आनंद से, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें. विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें. ऐश्वर्य व सफलता को प्राप्त करें तथा गुरु भक्ति बनी रहे. आपका वंश सदैव दिव्य गुणों को धारण करनेवाला बना रहे. इसका सन्दर्भ भी माहेश्वरी उत्पत्ति कथा से है. माहेश्वरी उत्पत्ति कथा में वर्णित कथानुसार, निष्प्राण पड़े हुए उमरावों में प्राण प्रवाहित करने और उन्हें उपदेश देने के बाद महेश-पार्वती अंतर्ध्यान हो गये. उसके पश्चात ऋषियों ने सभी को "स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु...." मंत्र कहते हुए सर्वप्रथम (पहली बार) रक्षासूत्र बांधा था. माना जाता है की यही से माहेश्वरी समाज में रक्षासूत्र (रक्षाबंधन या राखी) बांधने की शुरुवात हुई. उपरोक्त रक्षामंत्र भी मात्र माहेश्वरी समाज में ही प्रचलित था/है. गुरु परंपरा के ना रहने से तथा माहेश्वरी संस्कृति के प्रति समाज की अनास्था के कारन यह रक्षामंत्र लगभग विस्मृत हो चला है लेकिन माहेश्वरी संस्कृति और पुरातन परंपरा के अनुसार राखी को बांधते समय इसी मंत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए.

कुछ माहेश्वरी समाजबंधु रक्षाबंधन का पर्व माहेश्वरी परंपरा के अनुसार "ऋषि पंचमी" को मनाने के बजाय श्रावण पूर्णिमा को ही मना रहे है तो कुछ समाजबंधु यह पर्व मनाते तो ऋषि पंचमी के हिसाब से ही है लेकिन अपनी सुविधा के अनुसार 2-4 दिन आगे-पीछे रक्षाबंधन कर लेते है जो की उचित नहीं है. शास्त्रों और परम्पराओं के अनुसार कुछ विशेष दिनों का, कुछ विशेष स्थानों का अपना एक महत्व होता है. दीवाली 'दीवाली' के दिन ही मनाई जाती है, किसी दूसरे दिन नहीं. क्या अपनी सुविधा के अनुसार 'गुढी' गुढीपाडवा के बजाय 2-4 दिन आगे-पीछे लगाई (उभारी) जाती है? तो रक्षाबंधन ऋषिपंचमी के दिन के बजाय किसी और दिन कैसे मनाया जा सकता है? यदि माहेश्वरी हैं तो रक्षा बंधन का त्योंहार "ऋषी पंचमी" के दिन ही मनाकर गर्व महसूस करें. यदि माहेश्वरी हैं तो... रक्षाबंधन का त्योंहार "ऋषी पंचमी" के दिन ही मनाये.

*दूसरी एक बात...*

आम तौर पर रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार श्रावणी पूर्णिमा (राखी पूर्णिमा) के दिन मनाया जाता है लेकिन माहेश्वरी समाज में परंपरागत रूपसे रक्षाबंधन का त्योंहार ऋषि पंचमी के दिन मनाया जाता है. "ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन" यह बात दुनियाभर में माहेश्वरी संस्कृति (माहेश्वरीत्व) की, माहेश्वरी समाज की विशिष्ठ पहचान बनी है; यह हम माहेश्वरीयों की सांस्कृतिक धरोहर है, विरासत है. माहेश्वरी रक्षाबंधन के इस त्योंहार को भाई-बहन के गोल्डन रिलेशनशिप के पवित्र धार्मिक त्योंहार के रूपमें परंपरागत विधि-विधान और रीती-रिवाज के साथ मनाया जाता है, मनाया जाना चाहिए लेकिन विगत कुछ वर्षों से, कई बहने राखी बांधने के बाद भाई को श्रीफल (नारियल) के बजाय रुमाल या कोई दूसरी चीज दे रही है. क्या भगवान के मंदिर में नारियल फोड़कर चढाने के बजाय रुमाल फाड़ कर चढ़ाया जा सकता है...? हर चीज का अपनी जगह एक महत्व होता है इस बात के महत्व को समझते हुए श्रीफल की जगह 'श्रीफल' ही दिया जाना चाहिए (हाँ, इसे कुछ विशेष सजावट के साथ या ले जाने में सुविधा हो इस तरह से पैकिंग करके दिया जा सकता है). भाईयों को भी चाहिए की बहन की मंगलकामनाओं और दुवाओं के प्रतिक के रूपमें दिए जानेवाले श्रीफल को अपने साथ अपने घर पर ले जाएं और इसे घर के सभी परिवारजनों के साथ प्रसाद के रूपमें ग्रहण करें.

जिन्हे सगी बहन ना हो वे अपने चचेरी बहन से राखी बांधे लेकिन माहेश्वरी संस्कृति के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन केवल माँ-जाई (सगी) बहन से राखी बांधना पर्याप्त है. जीन भाईयोको माँ-जाई बहन और चचेरी बहन ना हो वह, मित्र की बहन से या अपने कुल के पुरोहित से अथवा मंदिर के पुजारी से राखी बंधाए, और यदि कोई बहन को भाई ना हो तो वह भगवान गणेशजी को राखी बांधे.

*ऋषि पंचमी और श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन में एक खास फर्क है :*

श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधकर बहन अपने भाई से स्वयं की रक्षा करते रहने की प्रार्थना करती है ।
जबकि ऋषि पंचमी के दिन बहन उपवास कर भाई को राखी बांधकर भगवान से हमेशा अपने भाई की कुशल-मंगल की कामना करती है ।

आजकल राखी का त्यौहार हाईटेक हुआ जा रहा है जबकि यह विशुद्ध परंपरागत पर्व है और रक्षा के सम्बन्धित है।

*संकलन✍️*


*🙏राम राम सा🙏*

घर की छत का करे सदुपयोग, सब्जी उगाकर बढ़ाये धनयोग, सेहत,धन,संतुष्टि के मिलेगा सरकारी सहयोग


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खेती में आजकल नयी तकनीक के साथ ही अब यह आसान हो गया है. अब इसमें पहले की पारंपरिक खेती की तरह मिट्टी, ढेर सारा पानी और जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है. कृषि क्षेत्र में नयी तकनीकों के समावेश ने खेती को इतना आसान बना दिया है कि अब आप इसे घर की छत से लेकर अपने छोटे से आंगन में लगा सकते है, इसी तरह की एक तकनीक है हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग. इस खेती में मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है. इस तकनीक से खेती करके किसान मोटी कमाई कर सकते हैं.

हाइड्रोपोनिक या मिट्टी के बगैर खेती की ये तकनीक आज से नहीं, बल्कि सैकड़ों सालों से अपनाई जाती रही. ग्रीन एंड वाइब्रेट वेबसाइट के मुताबिक 600 ईसा पूर्व भी बेबीलोन में हैंगिंग गार्डन (Hanging Gardens of Babylon) मिलते थे, जिसमें मिट्टी के बिना ही पौधे लगाए जाते थे. 1200 सदी के अंत में मार्को पोलो ने चीन की यात्रा के दौरान वहां पानी में होने वाली खेती देखी, जो इसका बेस्ट उदाहरण हैं. बिना मिट्टी के थोड़ी सी जगह में तेजी से खेती करने का ये एक बढ़िया तरीका है, जिसमें पानी की जरूरत भी तकनीक की मदद लेने पर कम हो जाती है. हालांकि शुरुआत में इसपर खर्च करना पड़ता है ताकि सारे उपकरण लिए जा सकें और साथ ही इसकी ट्रेनिंग भी जरूरी है. एक मुश्किल ये भी है कि जहां पौधे उगाए जा रहे हों, वहां बिजली की कटौती नहीं होनी चाहिए, वरना पानी न मिलने और तापमान ऊपर-नीचे होने के कारण पौधे कुछ ही घंटों में खराब हो सकते हैं.

कैसे काम करती है तकनीक
इस तकनीक में सिर्फ पानी के जरिये ही सब्जियां उगायी जाती है. इसमें पाइप में पोषणयुक्त पानी बहती है, जिसके उपर पौधे लगाये जाते हैं. पौधों की जड़े उससे अपना न्यूट्रिशन लेती है. बाजार में हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक के कई मॉडल उपलब्ध हैं. इस तकनीक से पानी बेहद कम खर्च होता है. इसमें पारालाइट और कोकपिट की जरूरत होती है.

कैसे करते हैं खेती
इस तकनीक में पारालाइट और कोकोपिट को मिलाकर एक छोटे से डिब्बे में रखा जाता है. एक बार डिब्बा में कोकोपिट और पारालाइट का मिश्रण भरने के बाद इसे चार से पांच सालं तक इस्तेमाल किया जा सकता है. इस डिब्बे में पहले बीज की बुवाई की जाती है. फिर जब इसमें पौधे निकल जाते हैं तब इन डिब्बों को पाइप के उपर बने छेद में रख दिया जाता है, जिन पाइप में पोषणयुक्त पानी बहता है. मजेदार बात यह है कि इसमें काम करने में आपके हाथ गंदे नहीं होते हैं. इसमें डिब्बे के नीचे छेद किया जाता है. इस तकनीक में आप अपनी जगह की उपलब्धता है हिसाब से मॉडल तैयार कर सकते हैं.

अब बात करते हैं इस तकनीक के बारे में. इसके लिए एक आसान-सा उदाहरण हैं. आपने कभी अपने घर या कमरे में पानी से भरे ग्लास में या किसी बोतल में किसी पौधे की टहनी रख दी हो तो देखा होगा कि कुछ दिनों के बाद उसमें जड़ें निकल आती हैं और धीरे-धीरे वह पौधा बढ़ने लगता है.

अक्सर हम सोचते हैं कि पेड़-पौधे उगाने और उनके बड़े होने के लिये खाद, मिट्टी, पानी और सूर्य का प्रकाश जरूरी है. लेकिन असलियत यह है कि फसल उत्पादन के लिये सिर्फ तीन चीजों – पानी, पोषक तत्व और की जरूरत है.
देखा गया है कि इस तकनीक से पौधे मिट्टी में लगे पौधों की अपेक्षा 20-30% बेहतर तरीके से बढ़ते हैं. इसकी वजह ये है कि पानी से पौधों को सीधे-सीधे पोषण मिट्टी जाता है और उसे मिट्टी में इसके लिए संघर्ष नहीं करना होता. साथ ही मिट्टी में पैदा होने वाले खतपतवार से भी इसे नुकसान नहीं हो पाता है.

सब्जी की क्वालिटी बेहतर होती है
हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक से खेती कर रहे किसान विशाल माने बताते हैं कि इस तकनीक से सब्जी उगाने से सब्जी की गुणवत्ता काफी अच्छी रहती है. साथ ही इनमें पोषण की कमी नहीं होती है क्योंकि इन्हें पोषणयुक्त आहार देकर उगाया जाता है. उनके फार्म में 11 प्रकार की सब्जियां उगायी जाती है. इनमें बैगन की चार वेराइटी है, साथ ही टमाटर भी लगे हुए हैं. इस तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है कि इसलिए इसमें कीट और बीमारी का प्रकोप ना के बराबर होता है. इसके साथ ही इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू भी काफी अच्छी होती है. धनिया का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जमीन में खेती करने पर किसान साल भर में छह बार धनिया उगा सकते हैं. पर इस तकनीक से साल में 15 से 16 बार धनिया की फसल ले सकते हैं.

कितनी होगी कमाई
अगर कोई अपने घर से इस तकनीक को इस्तेमाल करते हैं औ्र सब्जी उत्पादन करते हैं तो महीने में 30-40 हजार रुपए कमाई होगी. अगर कोई एक एकड़ में इस तकनीक का इस्तेमाल करके खेती करते हैं तो चार से पांच लाख रुपए कमा सकते हैं. बंजर जमीन पर भी इसकी खेती की जा सकती है. इसके लिए न्यूनतम 25 हजार से लाख रुपए की लागत से इसकी शुरूआत की जा सकती है.

शुरू करें व्यापार , कमाए बेशुमार ,नही लगेगी पूंजी खास, जेम जैली का करें आगाज


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जानिए इस खास प्रॉडक्ट के बारे में जिसकी Demand बहुत ही बढ़ती जा रही है। जैम और जेली एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसको बच्चे बहुत ही बड़े चाव से खाते हैं। साथ ही साथ जवान लोग अपने सुबह के नाश्ते के लिए इसका सेवन करते हैं। सभी मां बच्चों के स्कूल के लंच के लिए Jam and Jelly के साथ रोटी सब्जी पैक करती हैं और बच्चा भी बहुत ही खुशी के साथ अपने लंच को पूरा खत्म कर देता है। हर वर्ग के लोग इसको पसंद करते हैं इसलिए जैम और जेली की Demand Market में बढ़ती ही जा रही है।

इसीलिए भी जाने कि आप कैसे जैम और जेली का व्यापार शुरू कर सकते हैं और महीने के लाखों रुपए कमा सकते हैं।

इस व्यापार को महिलाएं और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। अथवा घर में इस व्यापार को चलाने के लिए दो से 3 सदस्य ही काफ़ी हैं और एक छोटे स्तर के लिए 5 से 8 लोग ही काफी है। अगर आप इसको बड़े लेवल पर करना चाहते हैं तो कम से कम आपको 25 से 30 लोगों की जरूरत पड़ेगी।

इन्वेस्टमेंट
अगर आप जैम और जेली व्यापार को घर पर ही शुरू करना चाहते हैं एक छोटे लेवल के लिए तो इसके लिए आपको कम से कम ₹40000 से लेकर ₹70000 तक का इन्वेस्टमेंट करना ही है और अगर आप इसे छोटे एरिया की डिमांड को पूरा करने के लिए छोटे स्तर पर इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कम से कम ₹200000 से लेकर ₹400000 तक का निवेश करना होगा।

और अगर आप जैम और जेली व्यापार को एक बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कम से कम ₹1000000 रुपए तक का इन्वेस्टमेंट करना होगा।

स्थान का चयन
व्यापार के रूप को देखते हुए इसे घर से किसी कमरे से या 200फीट के साफ बंद स्थान से शुरू किया जा सकता है

निर्माण कच्ची सामग्री
जैम और जेली को बनाने के लिए आपको कई प्रकार की सामग्रियों की जरूरत पड़ती है। जिससे आप कई प्रकार के fruits से जैम और जेली बना सकते हैं। साथ ही साथ आपको पेक्टिन पाउडर, साइट्रिक एसिड, शुगर इत्यादि।इन सभी सामग्रियों को आप अपने इलाके या फिर बाजार में जाकर परचून की दुकानों से खरीद सकते हैं और अगर आपको यह चीजें आपके इलाके में नहीं मिलती है, तो आप इन सब चीजों को ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं।

मशीनरी
जेम जैली व्यवसाय के लिए  मिक्सर, जूस एक्सट्रैक्टर, स्लाइसर, पल्पर, कैप सीलिंग मशीन और बर्तन धोने वाली मशीन की आवश्यकता पड़ती है। जो नजदीकी बाजार से आसानी से खरीदी जा सकती है

कानूनी प्रकिया और लाइसेंस
दोस्तों आपको इस व्यापार को शुरू करने के लिए अपनी कंपनी का कोई नाम रखना है, ताकि आप उस नाम के द्वारा अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन करा सकें। इसके साथ ही साथ आपको अपने कंपनी का FSSAI लाइसेंस भी बनवाना है। जो की बहुत ही आसान है।

साथ में आपको gst पंजीकरण भी बनवाना है और यह पंजीकरण आप ऑनलाइन  बनवा सकते हैं। जो की बहुत ही आसान प्रक्रिया है।

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