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रविवार, 27 अगस्त 2023

पवित्रा एकादशी का व्रत आज

पवित्रा एकादशी का व्रत आज
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी के रुप में मनाया जाता हैं। इस एकादशी का अपना विशेष महत्व है। पवित्रा एकादशी को पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। इस बार पवित्रा एकादशी 27 अगस्त दिन बुधवार को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से सारे कष्ट दूर हो जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पवित्रा एकादशी व्रत की कथा सुनने से वाजपेयी यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। पवित्रा एकादशी व्रत के कथा का श्रवण और पठन करने से मनुष्य को किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुत्र की इच्छा रखने वाले मनुष्य को विधानपूर्वक श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए, इस व्रत के प्रभाव से इस लोक में समस्त भौतिक सुख और परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पवित्रा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, उसे ग्रह दोषों से मुक्ति मिल जाती है और पूर्वजों के आशीर्वाद से उसके घर किलकारियां गूंजती हैं। सावन पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए निर्जला व्रत कर रात्रि जागरण करना चाहिए और फिर अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए।

कब होगा व्रत का प्रारंभ
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी के रुप में मनाया जाता हैं। इस साल पवित्रा एकादशी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 27 अगस्त 2023, प्रात: 12 बजकर 08 मिनट पर होगी और इसी दिन रात्रि 09 बजकर 32 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करके के बाद भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए, साथ ही इस व्रत को एकादशी से लेकर दशमी तक रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को फूल, फल, मिठाई, आवला इत्यादि सामर्थ्य अनुसार चढ़ाए।

पवित्रा एकादशी की पूजा विधि
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इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के पश्चात श्रीहरि का ध्यान करना चाहिए। सबसे पहले धूप-दीप आदि से भगवान नारायण की अर्चना की जाती है, उसके बाद  फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार भगवान नारायण को अर्पित करते हैं।

पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार किया जाता है इस दिन दीप दान करने का महत्व है। इस दिन भगवन विष्णु का ध्यान एवं व्रत करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम का जप एवं एकादशी कथा का श्रवण एवं पठन करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

पवित्रा एकादशी व्रत की कथा 
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प्राचीन काल में एक नगर में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। राज के कोई संतान नहीं थी इस बात को लेकर वह सदैव चिन्ताग्रस्त रहते थे। एक दिन राजा सुकेतुमान वन की ओर चल दिए। वन में चलते हुए वह अत्यन्त घने वन में चले गए। वन में चलते-चलते राजा को बहुत प्यास लगने लगी। वह जल की तलाश में वन में और अंदर की ओर चले गए जहाँ उन्हें एक सरोवर दिखाई दिया। राजा ने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी बने हुए है और बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे हैं।

राजा ने सभी मुनियों को बारी-बारी से सादर प्रणाम किया। ऋषियों ने राजा को आशीर्वाद दिया, राजा ने ऋषियों से उनके एकत्रित होने का कारण पूछा। मुनि ने कहा कि वह विश्वेदेव हैं और सरोवर के निकट स्नान के लिए आये हैं। आज से पाँचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है।

राजा ने यह सुनते ही कहा हे विश्वेदेवगण यदि आप सभी मुझ पर प्रसन्न हैं तब आप मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दें। मुनि बोले हे राजन आज पुत्रदा एकादशी का व्रत है। आप आज इस व्रत को रखें और भगवान नारायण की आराधना करें। राजा ने मुनि के कहे अनुसार विधिवत तरीके से पवित्र एकादशी का व्रत रखा और अनुष्ठान किया। व्रत के शुभ फलों द्वारा राजा को संतान की प्राप्ति हुई। इस प्रकार जो व्यक्ति इस व्रत को रखते हैं उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। संतान होने में यदि बाधाएं आती हैं तो इस व्रत के रखने से वह दूर हो जाती हैं। जो मनुष्य इस व्रत के महात्म्य को सुनता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पवित्रा एकादशी व्रत का महत्व 
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इस व्रत के नाम के अनुसार ही इसका फल है। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती है अथवा जो व्यक्ति पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं उनके लिए पवित्र एकादशी का व्रत बहुत ही शुभफलदायक होता है  इसलिए संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को व्यक्ति विशेष को अवश्य रखना चाहिए, जिससे उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सके।

मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी
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पवित्रा एकादशी को मोक्ष देने वाली एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर व्रत करने से जीवन से सभी नकारात्मक प्रभाव व सभी बाधा दूर होती हैं। पवित्रा एकादशी का स्वयं अर्थ है पवित्र करने वाली, जो कोई मनुष्य इस विशेष दिन पर सच्चे मन से भगवान विष्णु की उपासना करते हैं उन्हें पापों से मुक्ति मिलती हैं और इस विशेष दिन पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन अपनी इच्छा अनुसार दान करना चाहिए और साधु संतों को भोजन आदि करवाना चाहिए।

नेहरू जी दुनिया छोड़ गए 1962 और ISRO बना 1969 में, बस इतना बताना काफी है।

नेहरू की “दूरदर्शिता” का ढोल पीटना बंद करो खड़गे जी। मीठा मीठा गप कड़वा कड़वा थू। ये नहीं चलेगा। वैज्ञानिकों की मौतों की जांच के आदेश दे सरकार तो अच्छा है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दिमाग का फितूर देखिये कि चंद्रयान-3 की सफलता पर “नेहरू राग” अलापते हुए कहा। “ये उपलब्धियां पंडित जवाहर लाल नेहरू की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैज्ञानिक सोच ही एक स्वतंत्र राष्ट्र के विकास की भावना को आगे बढ़ा सकता है”।

नेहरू जी दुनिया छोड़ गए 1962 और ISRO बना 1969 में, बस इतना बताना काफी है।

मतलब सारा श्रेय दुनिया छोड़ चुके “नेहरू” को दे दिया और आज का प्रधानमंत्री मोदी तो जैसे  “घुईयाँ” छील रहा है और वैज्ञानिक सोच को दबा रहा है। खड़गे जी, पागलपन की भी एक सीमा होती है और आप उस सीमा को लाँघ रहे हो। चंद्रयान 2 के विफल होने पर फिर आपने “नेहरू” की दूरदर्शिता को दोष न देकर मोदी को जिम्मेदार कैसे ठहरा दिया था।
मीठा मीठा गप कड़वा कड़वा थू, ये नहीं चलेगा, खड़गे जी। आपको फिर हर असफलता और बुरे परिणामों के लिए भी नेहरू की “दूरदर्शिता” को दोष देना होगा। नेहरू की “दूरदर्शिता” पर इन बातों से प्रश्नचिन्ह लगते हैं।

- कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया गया जिसे POK कहते हैं और कश्मीर नेहरू की दूरदर्शिता की वजह से समस्या बना रहा है;

- नेहरू ने अपनी “दूरदर्शिता” से 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि चीन को दे दी, वीटो पावर UN में चीन को दिलवा दिया,  इसके अलावा और न जाने कितने इलाके कांग्रेस ने चीन के हवाले कर दिए;

- जाने माने न्यूक्लियर वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की 24 जनवरी, 1966 को हवाई दुर्घटना में रहस्यपूर्ण  मृत्यु हुई;

- ISRO के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई की भी 30 दिसंबर, 1971 को रहस्यमय मृत्यु हुई;

- ISRO के चीफ क्रायोजेनिक इंजन बनाने वाले  नंबी नारायणन को 30 नवंबर, 1994 को कांग्रेस सरकार ने जासूसी के फर्जी आरोप में गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अपनी बेगुनाही साबित करने में 25 साल लग गए, ये था नेहरू की दूरदर्शिता का प्रमाण;

- वर्ष 1995 से 2010 तक ISRO की ही सूचना के अनुसार 684 वैज्ञानिकों और स्टाफ सदस्यों की मौत हुई; 197 वैज्ञानिकों ने आत्महत्या की 15 साल में;

- सरकार ने RTI में जानकारी दी थी कि वर्ष 2009 से 2013 तक UPA के कार्यकाल में 11 न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की “अप्राकृतिक मौतें” हुई हैं।

खड़गे जी, हिम्मत कीजिए और कहिए कि इस सभी सभी अशुभ घटनाओं के लिए भी “नेहरू” की “दूरदर्शिता” जिम्मेदार है। लेकिन आप मोदी विरोध में इस कदर अंधे हो चुके हो कि हर वक्त बस “नेहरू” की याद में खोए रहते हो।

खड़गे आपने कहा था नरेंद्र मोदी अगले वर्ष 15 अगस्त को तिरंगा अपने घर से फहराएंगे। चंद्रयान की सफलता के बाद ऐसा न हो, 15 अगस्त, 2024 को मोदी जी कहीं तिरंगा “चंद्रमा” पर ही न फहरा दें।

अपने राहुल को लॉन्च करने में “नेहरू” की “दूरदर्शिता” काम क्यों नहीं आ रही। चलिए ISRO से कहिए वो ही राहुल को लॉन्च कर दे या फिर POK के लॉन्चिंग पैड्स से लॉन्च करा लीजिए।

हमारा विपक्ष भी एकदम दिशा हीन है... कुढ़ा हुआ है...नकारात्मक हो चुका है....इसलिए उन्हें समझ नहीं आता कि किस बात का विरोध करना है, किसका समर्थन करना है... किस मुद्दे को उठाना है, और कहाँ चुप रहना है.

हमारा विपक्ष भी एकदम दिशा हीन है... कुढ़ा हुआ है...नकारात्मक हो चुका है....इसलिए उन्हें समझ नहीं आता कि किस बात का विरोध करना है, किसका समर्थन करना है... किस मुद्दे को उठाना है, और कहाँ चुप रहना है.

अब चंद्रयान-3 को ही लीजिये.

यह किसी पार्टी या किसी ख़ास धर्म की उपलब्धि नहीं थी... पूरे देश या पूरे विश्व की उपलब्धि है.. जिसका साझेदार हर भारतीय तो है ही....साथ ने हर मानव इससे कहीं ना कहीं प्रेरणा ले सकता है.

चंद्रयान-3 के land होते ही दुनियाभर में ख़ुशी मनाई गई....सभी Space Agencies ने बधाई दी... कई देशों के राष्ट्रध्यक्षो ने हमारे देश और प्रधानमंत्री को शुभकामनायें दी.

वहीं हमारा विपक्ष इस पूरे मामले में जलता कुढ़ता ही दिखा.... विपक्ष से मेरा आशय है कांग्रेस, मीडिया का एक ख़ास वर्ग, और कुछ कथित Famous Personalities....जिनकी जीवन यापन गाली खा कर ही होता है.

इनकी बातें भी सुनिए.
1. मोदी को landing के समय ISRO के office में नहीं होना चाहिए.
2. अच्छा है मोदी G-20 के लिए South Africa में हैं... इनकी वजह से चंद्रयान-2 crash हुआ था.


जैसे ही चंद्रयान-3 land हुआ.... उसके बाद इनकी बाते बदल गई... अब ये कहने लगे
1. अरे ये तो Animation दिखा दिया... फर्जी landing है जी
2. अरे मोदी ने आधी screen घेर ली
3. अरे मोदी ने तो वैज्ञानिकों को बोलने ही नहीं दिया
4. मोदी को चंद्रयान-4 का क्रेडिट नहीं मिलना चाहिए.
5. क्रेडिट तो नेहरू को जाना चाहिए... वो ना होते तो भारतीयों को सांस लेने के लिए हवा भी नहीं मिलती (ऐसा सच में कहा गया है)

आज प्रधानमंत्री वापस आ गए, और सीधा बंगलौर गए ISRO के office.. वैज्ञानिकों से मिले, उन्हें सम्बोधित किया.. कुछ घोषणायें की 

यहाँ भी विपक्ष वालों को दर्द उभर गया... अब यह कह रहे हैं.
1. मोदी को कोई हक़ नहीं है, Chandrayan-3 के लैंडिंग Point का नाम 'शिव शक्ति' और चंद्रयान-2 के crash point का नाम 'तिरंगा' रखने का. जबकि इन्ही लोगों ने चंद्रयान-1 के crash point का नाम जवाहर point रखा था... तब किससे पूछा था भाई?
2. यह लोग इसमें भी secularism ले आये... कि secular देश है... नाम भी secular होना चाहिए था.. शिव शक्ति और तिरंगा तो हिन्दू शब्द हैं जी.

इसी बीच मुजफ्फरनगर में एक घटना घट गई.. एक मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मारने की.... और अब सारा मुद्दा ही हिन्दू मुस्लिम कर दिया इन्होंने..... पिछले 12 घंटो से इनके लिए चंद्रयान गायब हो गया है.. और अब बस मुज़फ्फरनगर ही limelight में रह गया है...

यहाँ तक कि राहुल गाँधी की लद्दाख यात्रा की coverage भी कम कर दी है... वो बेचारा वहाँ बीहड़ में धूल फांक रहा है.. कम से कम उसे ही cover कर लो 😀🤣

इन्हे लगता है कि ऐसी नकारात्मक बातें करके यह लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का देंगे... लेकिन ऐसा होता नहीं है... नकारात्मकता से सिर्फ नकारात्मक परिणाम ही आते हैं... और वह चुनाव में दिख भी जाएंगे.

सोचिये देश में कितना सकारात्मक माहौल होता.. अगर विपक्ष भी इस महान घटना पर सकारात्मक रहता... देश वासियो के साथ खुशियां मनाता..... ऐसा करते तो लोगों के मन में भी विपक्ष के प्रति दृष्टिकोण बदलता...... लेकिन इन्हे कौन समझाये... जब अपने पैर को ही कुल्हाड़ी पर मारने का मन बना लिया इन्होने.. तो भला कौन रोक पायेगा इन्हे.

शनिवार, 26 अगस्त 2023

जिन महिलाओं के होते हैं बाल पतले, वे पाती हैं अच्छा वेतन और पद


जिन महिलाओं के होते हैं बाल पतले, वे पाती हैं अच्छा वेतन और पद
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सिर के बाल जहां आपकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं वहीं ये आपकी किस्मत को भी प्रभावित करते हैं। क्योंकि सिर के बालों का संबंध ग्रहों से भी है। बालों की स्थिति से आपके भविष्य को जाना जा सकता है, इनसे ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभाव जुड़े हैं।

सिर के बालों से ग्रहों के संबंध जानने पर यकायक विश्वास न हों पर यह सच है। ज्योतिष, ग्रहों की प्रभावित स्थितियों के अध्ययन से इस सच को जाना गया तो लंदन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध से इनकी सत्यता पर अपनी पुष्टी की है। यदि सिर के बालों से गलत छेड़छाड़ की जा रही है, कांटा-छांटा जा रहा है तो इससे मानसिक अशांति, कभी उद्विग्नता, कभी असमंजस, कभी अप्रियता, उपेक्षिता आदि कुछ न कुछ ऐसे वैसे प्रभाव होते जाना होगा। बाहर से खुशमिजाज दिखना अलग बात है तो भीतर से कभी असहज होना दूसरी बात है।

बालों को लेकर रिसर्च क्या कहती है?
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लंदन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध से हाल ही में यह सिद्ध किया है कि बालों की सूक्ष्मता व्यक्ति की बुद्धि से सीधा संबंध रखती है। अपने शोध के प्रथम चरण में शोधकर्मियों ने कुछ सौ महिलाओं के बालों के नमूनों से उनके स्वभाव, चरित्र, तथा क्षमताओं का पता लगाया। उन्होंने निष्कर्ष निकालें कि जिन महिलाओं के बाल अपेक्षाकृत सूक्ष्म अर्थात पतले होते हैं, वे अधिक महत्वपूर्ण या अधिक वेतन के पदों पर कार्यरत होती हैं।

बालों को लेकर ज्योतिष क्या कहता है?
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जो स्त्रियां गृहणियां होती हैं वे सामाजिक तथा दूसरे सृजनात्मक कार्यों में सक्रिय होती हैं। इसके विपरीत मोटे बालों वाली स्त्रियां अवसरवादी तथा अस्थिर चित्त की होती हैं। भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्ष पहले ही उक्त तथ्य का पता लगा लिया था। सामुद्रिक शास्त्र में लिखा हैं कि पतले बालों की स्त्री रानी सदृश्य होती हैं। उसी प्रकार वराहमिहिर ने वृहत्संहिता में लिखा हैं कि मोटे तथा घने बालों वाले लोग निर्धन होते हैं।
 
बालों का ग्रहों से है सीधा संबंध
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ग्रहों की दो श्रेणियां हैं। एक श्रेणी में वे ग्रह हैं, जो मस्तिष्क को निरंतर ऊर्जावान रखते हैं। सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र तथा राहु इसी श्रेणी के ग्रह हैं जो मस्तिष्क की उर्वरता को बढ़ाते हैं। इसके विपरीत मंगल, बुध, शनि तथा केतु हमेशा यथास्थिति बनाए रखने में विश्वास रखते हैं। स्थूल तथा रूखे बाल हों तो जातक मंगल, बुध, शनि तथा केतु जैसे विघटनकारी एवं विलंबकारी ग्रहों से प्रभावित होता है। सूक्ष्म, स्निग्ध तथा कोमल बाल सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र तथा राहु का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य यश, चंद्र मानसिक शक्ति, बृहस्पति विवेकशीलता एवं बुद्धि, शुक्र सौंदर्य तथा राहु अच्छे अवसरों का प्रतीक है।
 
गंजेपन की शिकायत कब होती है?
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बृहस्पति श्रेष्ठ ग्रह है क्योंकि यह विवेकशीलता तथा मस्तिष्क की क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करता है। मस्तिष्क की क्षमताओं का सही दिशा में उपयोग करने की कला भी बृहस्पति ही सिखाता है। नेतृत्व क्षमता भी बृहस्पति के कारण ही आ पाती है। इन सब गुणों या विशेषताओं के बावजूद बृहस्पति का एक नकारात्मक पक्ष है कि वह सिर पर बालों की कमी करता है। एक दृष्टि से यह हमारे लिए सकारात्मक स्थिति भी है कि हम बृहस्पति प्रधान व्यक्ति की पहचान तुरंत कर सकते हैं  जिस परिवार में गंजापन वंशानुगत नहीं हो किंतु उसका कोई सदस्य बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के गंजा हो तो यह गुरु के प्रभाव का ही द्योतक है। ऐसा जातक नेतृत्व क्षमता से संपन्न तथा विवेकशील होता है। जन्मांग में यदि लग्नगत गुरु हो तो सिर में गंजेपन की शिकायत हो सकती है।

इन डेट को जन्म लेने वाले बच्चों के बाल कम होते हैं
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अंक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति का अंक 3 है. प्रायः देखा जाता है कि अंग्रेजी के तीसरे, छठे, नौवें तथा 12वें मास की 3, 12, 21 तथा 30 तारीख को जन्म लेने वाले शिशुओं के बाल आरंभ में बहुत कम होते हैं। इनके सिर के बालों की वृद्धि अपेक्षाकृत विलंब से होती है। इसका कारण गुरु के अंक तीन का जातक पर अत्यधिक प्रभाव होना है। विवेकशीलता के गुणों के कारण बृहस्पति प्रधान जातकों का कोई भी कार्य लापरवाहीपूर्ण नहीं होता है। इन विशेषताओं के कारण जातक की कार्य के प्रति सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि होती है। मस्तिष्क की शक्ति पुष्ट होती है, लेकिन सिर के बाल गिरने लगते हैं। हमेशा ऐसा नहीं होता है कि ऐसे सभी लोगों के सिर के बाल एक ही स्थान से झड़ें। भिन्न मामलों में सिर के बालों के झड़ने के स्थान अलग-अलग होते हैं।

गंजापन किस बात का संकेत है? 
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मस्तिष्क के अगले भाग में दोनों तरफ गंजापन होना उत्तम माना गया है। ऐसे लोग विचारशील तथा व्यावहारिक होते हैं। वे प्रायः प्रोढ़ावस्था के आते-आते अपने लक्ष्य के करीब तक पहुंच चुके होते हैं। इनमें बौद्धिक क्षमता पर्याप्त होती है, जो इन्हें लगातार सक्रिय रखती हैं। ये सृजनात्मक कार्यों में ज्यादा रूचि लेते देखे गए हैं।

ऐसे लोगों को करना पड़ता है संघर्ष
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मस्तिष्क के ठीक पीछे शिखा के पास बाल न होना संघर्ष करवाता है। प्रायः ऐसे लोगों को उनका भाग्य साथ नहीं देता है। वे लगातार संघर्ष करते हैं तथा अपने कल्पना लोक में विचरण करते रहते हैं। उनमें कार्य की शुरूआत करने की क्षमता का अभाव पाया जाता हैं यद्यपि वे श्रेष्ठ नेतृत्वकर्त्ता सिद्ध हो सकते हैं, लेकिन ऐसा तभी संभव है जब उन्हें व्यवसाय के आरंभ में आर्थिक के साथ-साथ मानसिक सहयोग भी प्राप्त हो।
 
बाल और रोग
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बहुत से लोगों के सिर पर बाल होते ही नहीं। ऐसा किसी रोग विशेष के कारण भी हो सकता है। यदि इस गंजेपन का संबंध व्यक्ति के क्रियाकलापों से हो तो वह हमेशा नकारात्मक फलों को देने वाला होना चाहिए। ऐसे जातक की सफलता संदिग्ध होती है। वह चाहे बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त कर भी ले, लेकिन कार्य दूसरों के अधीन रह कर ही करता है। उसमें आत्मविश्वास का अभाव होता है।


शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

अधाधुंध कांग्रेस की आलोचना करते जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस की उपलब्धियां भी जाननी चाहिए

इतिहास ज्ञात होना चाहिए -: 
अधाधुंध कांग्रेस की आलोचना करते जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस की उपलब्धियां भी जाननी चाहिए और देखिए। कौन कहता है की कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में कुछ काम नही किया ? बहुत किया, लेकिन मुसलमानों के लिए ? • पाकिस्तान बनाया, मुसलमानों के लिए, • बांग्लादेश बना,  मुसलमानों के लिए, • धारा ३७० लागू हुई, मुसलमानों के लिए। • अल्पसंख्यंक बिल आया, मुसलमानों के लिए। • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना, मुसलमानों के लिए। • अल्पसंख्यंक मंत्रालय बना, मुसलमानों के लिए। • वक़्फ़ बोर्ड बनाया, मुसलमानों के लिए। • अल्पसंख्यंक विश्वविद्यालय बना, मुसलमानों के लिए। • देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ, मुसलमानों के लिए। • Places of worship Act लाये,  मुसलमानों के लिए। • Anti communal violence bill दो बारी संसद में पेश किया परंतु BJP ने पास नहीं होने दिया,  वो बिल भी मुसलमानों के लिए और कहीं अगर यह बिल पास हो जाता तो हिंदुओं को ख़त्म होने में मात्र 10 साल लगते ?  यदि किसी को कोई शक हो तो google पर जाकर पढ़ सकता है। • देश को चुपचाप इस्लामिक देश बनाने की तैयारी कांग्रेस ने की थी, और हिंदूओं के लिए सिर्फ आरक्षण दिया, ताकि हिंदू समाज सदा आपस मे लड़ता रहे और कभी गजवा-ए-हिन्द को समझ ही न पाये । हिंदूओं को दुय्यम, दोयम ( second rate citizen) नागरिक बनाने के लिए - हिंदू कोड बिल लाये, तो वो भी मुसलमानों के लिए, कभी - कभी मन करता है कि पोस्ट ही ना करूं ?  फिर ख्याल आता है कि पढेगा भारत, तभी तो कांग्रेसियों की छाती पे चढ़ेगा भारत ? इस पोस्ट को पढ़कर कुछ समझ आया तो अधिक से अधिक लोगों तक क्या पोस्ट पहुंचने में सहयोग करें। जय श्री राम राधे राधे गोविन्दा ❣️🙏🚩

अनंत काबरा की कलम से....🎇🎇 इंडिया नही‌ भारत कहो


अनंत काबरा की कलम से....

🎇🎇 इंडिया नही‌ भारत कहो 🎇🎇

सभी को शुभकामनाएं... भारत का चंद्रयान 3, चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बन गया!*

साफ है... जहां एक और कुछ नकली पार्टियों के दलाल नेता, अभिनेता, तनखैय्या बुद्धिजीवी खिसिया कर *राजीव गांधी चांद योजना... का विज्ञापन देने की सोच रहे होंगे* या फिर *मुफ्त में कुछ और...* ताकि *हिंदुस्तान* टाइप अखबार *विज्ञापन से खरीदें जा सकें...* वहीं भारत को दुनिया भर के शीर्ष पर पहुंचाने का उत्साह दिखाने वाले अपने काम में लगे हुए हैं... 

*परिवारवाद से राष्ट्रवाद की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ा चुके अग्रिम पंक्ति के नेताओं को हालांकि अभी भी इंडिया वहम ने जकड़ रखा है...* जल्दी ही वो भी *#भारत_चैलेंज* अपनाएंगे... अन्य कोई विकल्प है ही नहीं... न उनके पास न हमारे पास... धरती की कक्षा से निकल कर चांद पर पहुंचे चंद्रयान 3 की सफलता के साथ ही *इंडिया* की मानसिकता से निकलेगा भारत...

क्योंकि आज भारतीय जनता ने दुनिया को बता दिया... *चांद पर झण्डा होना और झंडे पर चांद होने का मतलब, चांद तारों वाली दुनिया को बता दिया भारत ने...* 

पाकिस्तान जैसे झंड पतंग देशों को भी... जिन्हें बस केवल कब्जा, धर्मांतरण आता है, खालिस्तान के आतंकियों को भी जिन्हें भारतीय ध्वज का अपमान करने के अलावा *कनाडाई* होने का कुछ विकल्प नजर नहीं आता... 

*अब पूरी दुनिया को अंतरिक्ष तकनीक भी बेचेगा भारत!* 

और यहां कुछ नालायक, धूर्त लोग अभी भी अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत को जातियों में तोड़कर उसका धर्मांतरण करने वाले I-N-D-I-A वालों के चक्कर में पड़े हैं... 

*इसलिए आपका जानना अब बहुत जरूरी है कि...*

*प्रयागराज से हरिशंकर गुप्ता* ने चंद्रयान के सतह पर सुरक्षित उतरने के लिए हेजार्डस मैकेनिज्म बनाया!

*मिर्जापुर से आलोक पांडेय* ने लैंडिंग और कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी को संभाला!

*उन्नाव के युवा वैज्ञानिक आशीष मिश्रा* ने  लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग के नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और थ्रोटलिंग वाल्व के विकास पर कार्य किया, वो 14 साल से इसरो में हैं! 

*मुरादाबाद के वैज्ञानिकों मेघ भटनागर* ने चंद्रयान 3 का ब्रेन ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर की क्वालिटी कंट्रोलिंग, *अनीश रमन सक्सेना* चंद्रयान वन से इसमें जुड़े हैं, और *रजत प्रताप* सिंह चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट कंट्रोलिंग मिशन का हिस्सा हैं!

*फतेहपुर के सुमित कुमार और उनकी टीम* ने यान के लैंडर और रोवर में लगे अत्याधुनिक कैमरों का डिजाइन किया! 

*प्रतापगढ़ के रवि केसरवानी* ने *शेप* डिजाइन किया ताकि चंद्रयान अब सीधे धरती से जुड़कर प्रकाश ले ना की चंद्रमा से रिफ्लेक्ट होकर मिलने वाला प्रकाश! 

*रांची की हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन ने होरीजोंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग प्लेटफॉर्म, विल बोगी जैसे उपकरणों को बनाया!*

*फिरोजाबाद के टिकरी गांव के किसान के बेटे धर्मेंद्र प्रताप यादव* इसरो में 2011 से वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर हैं जिन्होंने मंगलयान से लेकर, चंद्रयान-1, चंद्रयान-2, मिशन में भी भाग लिया अब चंद्रयान-3 में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं!

लेकिन *इसमें एक भी कन्वर्ट, परवर्ट, रावण की पत्थरबाज सेना नहीं है,* क्योंकि वो सभी तो *इंडिया* को बेचने वाले पप्पुओं, भैयाजियों, बहनजियों, दीदियों, इटालियन मेमों के दलालों के जूते सफाई कार्यक्रम में शामिल हैं!

लगे हुए हैं, साम दाम दण्ड भेद से भारत को बर्बाद करने के *इंडिया* कार्यक्रम में, हत्या, लूट, बलात्कार, आगजनी, तोड़फोड़ के खूनी खेला में, जिसकी शुरुआत से अभी तक, इनका एजेंडा है *किसी भी तरह भारत को ईस्ट इंडिया कम्पनी* के लिए *महा-ठग-बंधन* का *इंडिया* बनाए रखा जाए, विदेशी धन से संचालित ये *बड़ा खेला है, धर्मांतरण का!?* 

इस बड़े खेला में *पाकिस्तानी, खालिस्तानी, मुफ्तखोर जेलिंस्की टाइप कितने ही जोकर हैं...* जो भारत के लगभग सभी राज्यों में हैं! 

दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक, पंजाब से राजस्थान तक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ ही नहीं पूर्वोत्तर भारत से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लगभग सभी राज्यों में, खास तरीके से, *मुफ्त पानी, बिजली, चावल, गेंहू, लैपटॉप, राशन, एक पर एक फ्री शराब की बोतल के अलावा सीधे अकाउंट में नोट डलवा* भारतीय जनता को *भारत को टुकड़ों टुकड़ों में बांटकर, भारत को विधर्मी बनाने की साजिश में लगे हुए हैं!?*

इसलिए चंद्रयान तो ठीक है, चांद के बाद मंगल, सूरज तक पहुंच जाओगे, पर असुरों से, रावणों से, इस धरती को कौन बचाएगा, कैसे पूछता है भारत!??? जो जल्लाद बन देश को कुतरने में लगे हुए हैं, दु:ख तो इस बात का है, एक भी कांग्रेसी, एक भी वामपंथी, एक भी मजहबी मौलाना/मौलवी, एक भी  फिल्मकार ने‌ बधाई संदेश तक प्रेषित नहीं किया उल्टा मनोबल गिराने‌ का सांस्कृतिक कार्यक्रम किया.. दूसरी ओर चंद्रयान को चांद पर भेजने से पहले सभी वैज्ञानिकों ने तिरुपति बालाजी के दर्शन किए और मन्नत मांगी और‌ लैंडिंग से पूर्व सभी सनातनियों ने यज्ञ, मंत्र जाप और‌ प्रार्थनाएं की..

आज से इंडिया बोलना और लिखना बंद, जब अमरीका, चीन, यहां तक पाकिस्तान समेत, दुनिया भर के सभी देशों का नाम उनकी भाषा में भी वही होता तो भारत को अंग्रेजी में इंडिया कहने वालों के लिए एक चुनौती *#Bharat_Challenge* आज से इंडिया न बोलेंगे, न लिखेंगे बस *भारत* बोलेंगे और भारत लिखेंगे, और अन्य से भी यही निवेदन करेंगे, अंग्रेज चले गए, अब अंग्रेजी गुलामी की मानसिकता से निकलो बाहर!

*गर्व से कहो, हम भारतीय हैं... इंडियन नही... भारत अब धीरे धीरे अपनी रक्षा के लिए स्वदेशी हथियार बना निर्यात करने‌ के लिए संकल्पबद्ध हो‌ चुका है..
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डॉ.अनंत काबरा
जय मां भारती और वंदे मातरम
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बुधवार, 23 अगस्त 2023

देश की सरकार और मीडिया को अपने इशारों पर इस तरह नचाता रहा है महेश भट्ट…

 

देश की सरकार और मीडिया को अपने इशारों पर इस तरह नचाता रहा है महेश भट्ट…

26 नवंबर 2008 को मुम्बई पर देश के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था। पकिस्तान से आए आतंकवादियों ने इस हमले में पुलिस और नौसेना के 17 जवानों समेत 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस आतंकी हमले का सबसे महत्त्वपूर्ण मास्टर माइंड पाकिस्तान मूल का अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली था। उस हमले के डेढ़ दो साल पहले से वो मुम्बई में लम्बे समय तक रहा था। डेविड हेडली ने ही उन स्थानों का चयन किया था जहां पर हमले हुए थे। उस हमले का पूरा ब्लूप्रिंट हेडली द्वारा की गयी रेकी के आधार पर ही तैयार किया गया था। विशेषकर ताज होटल में कुछ दिन ठहर कर उसने अंदर का पूरा नक्शा बनाकर लश्कर ए तैयबा को दिया था।

2009 में अमेरिकी एजेंसियों की हिरासत में पूछताछ में कुछ आतंकियों द्वारा दी गयी जानकारियों के कारण अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने डेविड हेडली की निगरानी शुरू कर दी थी और अंततः 9 अक्टूबर 2009 को शिकागो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पूछताछ में उसने कई अन्य आतंकी हमलों के साथ ही साथ मुम्बई हमले में अपनी भूमिका का खुलासा भी कर दिया था।

अमेरिकी एजेंसियों के समक्ष डेविड हेडली के उस खुलासे के बाद भारतीय एजेंसियां भी चौंक गयी थीं और उन्होंने मुम्बई में डेविड हेडली की उपस्थिति के सबूत खोजने शुरू किए थे। उनकी यह खोज बहुत जल्दी एक व्यक्ति पर जाकर रुक गयी थी। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि फिल्म निर्माता महेश भट्ट का बेटा राहुल भट्ट था।

प्रारम्भिक जांच में ही साफ हो गया था कि मुम्बई में रहने के लिए डेविड हेडली को घर राहुल भट्ट ने ही दिलवाया था। डेविड हेडली को मुम्बई के महत्त्वपूर्ण स्थानों तक लेकर राहुल भट्ट ही गया था। डेविड हेडली को फिल्मी पार्टियों में लेकर राहुल भट्ट ही जाता था। होटलों और क्लबों में डेविड हेडली के साथ राहुल भट्ट शामें गुजारता था।

पकिस्तान में बैठे लश्कर ए तैयबा के आतंकी आकाओं से ईमेल के जरिए बात करते रहे डेविड हेडली की ईमेल की जांच से पता चला था कि उन वार्ताओं में कई बार राहुल भट्ट का जिक्र भी हुआ था। उन वार्ताओं से यह भी स्पष्ट हुआ था कि पकिस्तान में बैठे लश्कर ए तैयबा के आतंकी आका भी राहुल भट्ट के नाम से भलीभांति परिचित थे। ऐसे सबूत मिलते ही एजेंसियों ने राहुल भट्ट पर शिकंजा कस दिया था। लेकिन यहीं महेश भट्ट का खेल शुरू हुआ था। उसने किसी छोटे मोटे कांग्रेसी नेता के बजाय सीधे देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर धमकाया था कि जांच एजेंसियां जिस तरह मेरे बेटे के साथ बर्ताव कर रहीं हैं, वह मेरे साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। एजेंसियां मेरे बेटे से सम्बन्धित खबरें जिस तरह लीक कर रहीं हैं उसे तत्काल रोका जाए।

मित्रों आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि महेश भट्ट की इस चिट्ठी के जवाब में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तत्काल जांच एजेंसियों द्वारा राहुल भट्ट से की जा रही पूछताछ की प्रक्रिया में हस्तक्षेप सीधा किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निजी सचिव जयदीप सरकार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से बाकायदा चिट्ठी लिखकर महेश भट्ट को सूचित किया था कि गृहमंत्री चिदंबरम को इस मामले का संज्ञान खुद लेने का आदेश दे दिया गया है। इसके बाद राहुल भट्ट एक दिन भी हिरासत में नहीं लिया गया। मीडिया में यह जमकर प्रचारित किया गया कि राहुल भट्ट को जांच एजेंसियों ने नहीं खोजा था बल्कि उसने स्वयं ही जांच एजेंसियों के पास जाकर उनको डेविड हेडली के बारे में जानकारी दी थी। NDTV पर उसका बहुत लम्बा इंटरव्यू कई दिन तक दिखाया गया था। बरखा दत्त ने राहुल भट्ट को भोलाभाला निर्दोष सिद्ध करने वाली रिपोर्टों की झड़ी लगा दी थी। किसी भी मीडिया हाऊस ने राहुल भट्ट पर बरसी इस सरकारी कृपा की खाल नहीं खींची थी। परिणामस्वरुप पूछताछ की लीपापोती के बाद राहुल भट्ट को उसी यूपीए सरकार की उसी NIA ने निर्दोष बताकर क्लीन चिट दे दी थी, जिस यूपीए सरकार की उसी NIA ने बिना एक भी सबूत के भारतीय सेना के कर्मठ अधिकारी कर्नल पुरोहित को आंतकवादी बता कर 6 वर्ष तक जेल में बंद कर के भयानक यातनाएं दीं थीं।

क्योंकि पोस्ट लम्बी हो रही है इसलिए एक उदाहरण देकर बात समाप्त कर रहा हूं कि राहुल भट्ट ने जांच एजेंसियों से बताया था कि मोक्ष नाम के जिस जिम में मैं ट्रेनर था उसी जिम का मेम्बर बनकर जब डेविड हेडली आया था तब उसे ट्रेनिंग देने के दौरान उससे मेरी जान पहचान हो गयी थी। लेकिन राहुल भट्ट की यह सफाई सामने आते ही उस मोक्ष जिम की मालिक कम्पनी प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशन लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बॉबी घोष ने 20 नवम्बर 2009 को बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के राहुल भट्ट की सफाई की धज्जियां उड़ा दी थीं। उन्होंने कहा था कि डेविड हेडली अक्टूबर 2006 से अक्टूबर 2007 तक हमारे जिम का मेम्बर था, कभी कभी जिम में आता था। जबकि राहुल भट्ट ने हमारे जिम में अगस्त 2001 से मई 2002 तक ट्रेनर के रूप में काम किया था। इसलिए राहुल भट्ट द्वारा डेविड हेडली को हमारे जिम में ट्रेनिंग देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

आपको अपनी कल्पना के घोड़े बहुत तेजी से बहुत ज्यादा दूर दौड़ाने की आवश्यकता नहीं है। केवल इतना सोचिए कि महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट की जगह कोई और होता तो उससे कैसे क्या और कितनी पूछताछ होती…?

आपको यह जानकर और ताज्जुब होगा कि यही महेश भट्ट अक्टूबर 2010 में दिग्विजय सिंह के साथ उस किताब का विमोचन कर रहा था… जिसका नाम था 26/11 RSS की साजिश। हत्या या आत्महत्या की खतरनाक पहेली में उलझी सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मृत्यु से सम्बन्धित गम्भीर सवालों के घेरे में घिरी रिया चक्रवर्ती का बंबइय्या गॉडफादर महेश भट्ट भी धीरे धीरे उन सवालों के घेरे में आता दिखायी दे रहा था।

ऐसा शायद इसलिए हो रहा है क्योंकि देश की सरकार और देश बहुत बदल चुका है। अब सूचनाओं के लिए वो डेढ़ दो दर्जन न्यूजचैनलों और 3-4 दर्जन अखबारों का गुलाम नहीं है। सोशल मीडिया का ब्रह्मास्त्र उसके हाथ में है। 2009 में देश के पास यदि ये ब्रह्मास्त्र होता तो राहुल भट्ट आज मुम्बई में ऐशो आराम की जिन्दगी गुजारने के बजाय शायद मुम्बई की जेल में अपने दिन गिन रहा होता।

मच्छ मणि क्या होता है?यह किस काम मे आता है और कहा मिलेगा

 

रामायण में हनुमान जी के एक पुत्र मकरध्वज की कथा का वर्णन है.

मकरध्वज का जन्म राहु काल में हुआ था। मकरध्वज एक मछली के गर्भ से पैदा हुआ था जो न केवल एक मछली थी बल्कि वह एक मां भी थी। इस मछली ने अपने बेटे मकरध्वज की राहु से रक्षा के लिए अपने सिर से मच्छ मणि पत्थर निकाल कर अपने पुत्र को सौंप दिया था।

मच्छ मणि कोई साधारण रत्न नहीं है बल्कि यह बहुत ही दुर्लभ मणि है. इसे पहनने वाले व्यक्ति को जीवन के हर प्रकार के तनाव से मुक्ति मिलती है और उसका जीवन खुशहाल बनता है. यह राहु बाधा निवारण के लिए अचूक उपाय है. मछलियों के अंदर कई रंग के पत्थर बनते हैं जो बेशुमार धन और देवताओं का आशीर्वाद देते हैं.मच्छ मणि मछली की आंख की तरह होती है. इस मणि के प्रभाव से काला जादू बेअसर होता है धन एवं स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

मच्छ मणि को धारण करने से आपके जीवन में प्यार और सम्मान आएगा. मच्छ मणि एक आंतरिक प्रकाश, आध्यात्मिक प्रभाव और स्मरण शक्ति के साथ आपके जीवन को प्रकाशमान करता है.

जादू-टोना, बुरी नजर और प्रेत बाधा से भी मच्छ मणि रक्षा करती है. व्यापार में घाटा हो रहा है तो मच्छ मणि आपको नुकसान से बचा सकती है. वास्तु दोष के निवारण के लिए मच्छ मणि पहन सकते हैं. किडनी या पेट से संबंधित कोई रोग है तो मच्छ मणि जरूर पहनें. सौभाग्य, व्यापार में वृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यक्तित्व में सुधार, आकर्षण, अंतर्ज्ञान, यौन शक्ति में वृद्धि और ईर्ष्या को दूर करने में भी लाभदायक पायी गयी है.

भगवान विष्णु ने भी मत्स्य यानि मछली का अवतार लिया था और इस कारण से भी मछली से संबंधित वस्तुओं को बहुत शुभ माना गया है. यह मच्छ मणि सौभाग्य, व्यापार में वृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यक्तित्व में सुधार, आकर्षण, अंतर्ज्ञान, यौन शक्ति में वृद्धि और ईर्ष्या को दूर करने में भी लाभदायक पायी गयी है.

जादू-टोना, बुरी नजर और प्रेत बाधा से भी मच्छ मणि रक्षा करती है.

यदि आपके व्यापार में लगातार घाटा हो रहा है तो मच्छ मणि आपको लाखों के नुकसान से बचा सकती है.

घर या ऑफिस में वास्तु दोष के निवारण के लिए मच्छ मणि पहन सकते हैं.

हमेशा बीमार रहते हैं या आपको किडनी या पेट से संबंधित कोई रोग है तो मच्छ मणि जरूर पहनें.

कुंडली में कालसर्प दोष, केमद्रुम दोष, ग्रहण दोष, गुरु चांडाल दोष की वजह से व्यक्ति को अपने जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। यह मच्छ मणि आपके कष्टों को दूर कर सकती है.

मच्छ मणि को पहनने से शत्रु से रक्षा होती है और दिमाग तेज होता है धन से जुड़ी हुई समस्या भी जल्द ही खतम हो जाती है मच्छ मणि को पहनने राहु की अंतरदशा और महादशा में राहत मिलती है मच्छ मणि को राहु का प्रिय रत्न भी माना जाता है इस तरह से मच्छ मणि को पहनने के बहुत से फायदे है.

मच्छ मणि एक राहु का रत्न है जिसे धारण करने से राहु से जुड़ी हुई सभी समस्या में राहत मिलती है तो मच्छ मणि को कैसे धारण करना चाहिए?

सर्वप्रथम एक कटोरी ले और फिर उसमे गंगाजल डाले अब आपको उस कटोरी में राहु के रत्न मच्छ मणि को रखे अब आपको राहु के इस मंत्र का 1100 बार जाप करना है मंत्र इस प्रकार से है “ॐ रां राहवे नम:”

इस मंत्र का जाप करने के बाद आपकों मच्छ मणि में फूक मारनी है इससे यह और अधिक प्रभावशाली हो जाती है अब यह पूरी तरह से सिद्ध है अब आप इसे धारण कर सकते हैं.

रही बात इसके मिलने की तो आजकल सब कुछ अमेजन पर आनलाइन मिल जाता है आप वंहा से इसे ले सकते हैं.

सोमवार, 21 अगस्त 2023

देवी-देवता की पूजा करने पर गरीब आदमी गरीब ही रहता है पर यक्ष-यक्षिणी की साधना करने पर गरीब शीघ्र ही अमीर कैसे हो जाता है?


इस ब्रह्मांड में कई तरह के लोक हैं, इन लोकों में अलग अलग तरह की प्रजातियों का निवास है। कुछ लोक पृथ्वी से नजदीक हैं कुछ दूर।

यक्ष, किन्नर, गंधर्व, पिशाच, प्रेत , अप्सरा इत्यादि शक्तियां देवताओं से निम्न शक्ति वाली हैं। ये पृथ्वी लोक से नजदीक रहती हैं। मान्यता है नजदीकी लोक में स्थित शक्तियों को प्रसन्न करना आसान है क्योंकि इनतक हमारी मानसिक तरंगें जल्दी पहुंचती हैं।

यक्ष और यक्षिणी की साधना- यक्ष एक ऐसी प्रजाति है जो कि रहस्यमयी और मायवी है। 64 प्रकार के यक्षों की प्रजाति पाई जाती है। इनमें से एक कुबेर नाम के यक्ष सुप्रसिद्ध हैं जो कि देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं और अकूत धन संपदाओं के स्वामी भी हैं।

इस तरह यक्षणियां भगवान शिव और माता पार्वती की सेवा में लगी रहती हैं। ये चुड़ैल और पिशाचों से अलग हैं और साधक द्वारा सिद्ध की जाती हैं। इन्हें सिद्ध करने वालों को मद्य, मांस, मत्स्य को नैवेद्य और प्रसाद के रूप में लेना पड़ सकता है। ऐसी ही आठ यक्षणियों को सिद्ध करने का विधान है ।

सुर सुन्दरी यक्षिणी

मनोहारिणी यक्षिणी

कनकावती यक्षिणी

कामेश्वरी यक्षिणी

रतिप्रिया यक्षिणी

पद्मिनी यक्षिणी

नटी यक्षिणी

अनुरागिणी यक्षिणी

उपरोक्त यक्षणियों को माह भर के भीतर प्रसन्न करके काम निकाला जा सकता है। इनको सिद्ध करने की विधि यहां नहीं बताएंगे।

देवी-देवताओं को प्रसन्न करना मुश्किल क्यों है-

देवी देवता उच्च कोटि की ताकतवर शक्तियां हैं। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से संसार को चलाने की जिम्मेदारी इन्ही पर है। ये मनुष्य की पूजा पाठ पर जल्दी ध्यान नहीं देतीं। क्योंकि इनतक हमारी प्रार्थना या तरंगें पहुंच ही नहीं पातीं। इनसे निम्न लोक में रहने वाली शक्तियां हमारे निवेदन को रोक लेती हैं।

उदाहरण- अगर आप मुख्यमंत्री के पास कोई शिकायत या निवेदन लेकर जाना चाहें तो उनके नीचे काम करने वाले तुरंत अड़ंगा लगा देंगे। ठीक उसी तरह वहां भी चलता है।

इसी तरह अगर आप नारायण को प्रसन्न करने हेतु भक्ति करना शुरू करेंगे तो ये शक्तियां आपको तमाम तरह के प्रलोभन देकर आपको मायाजाल में उलझा देंगे ।

नोट- कलयुग के शुरुआती दिनों में इन विद्याओं का जमकर दुरुपयोग किया जाने लगा था। क्योंकि आधुनिक काल का मनुष्य अपने मतलब के लिए जाना जाता है। इसलिए ये साधनाएं श्रापित हो चुकी हैं । यह समय कर्म पर आधारित है । इसलिए इन सब चक्कर में पड़ कर अमूल्य जीवन ना बर्बाद करें। वैसे भी जो जिसकी पूजा करता है वह मरने के बाद उन्हीं के पास जाता है।

अक्षय की नयी फ़िल्म ओ एम जी 2 कैसी है?

 

फाइनली गरद 2 के बाद आज ओ माई गॉड २ फिल्म भी देख ली।

समीक्षा -

फिल्म की शुरुआत होती है कांति शाह बने पंकज त्रिपाठी से जो भगवान शिव का महाभक्त है और बचपन से मंदिर जाता है।।।

उसके एक बेटा विवेक और एक बेटी और पत्नी है।।।

लड़का मार्डन स्कूल में पढ़ाई करता है एक दिन स्कूल के एक फंक्शन में एक लड़की यह कहकर विवेक के साथ डांस करने से मना कर देती है क्योंकि वो शर्मीला है जबकि उसके दोस्त विवेक को उसका गुप्त अंग छोटा होने का कारण बताकर अपमान करते हैं।।

इस अपमान से पीड़ित पंकज का बेटा विवेक कभी डाक्टर के पास गुप्त अंग बड़ा करने की दवा लेता है, कभी हस्तमैथुन करता है तभी कोई उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल देता है जहां उसकी समाज में बदनामी होती है और पिता पंकज उर्फ कांति शाह की।।। एक दिन कांति शाह भगवान शिव की पूजा करता है तभी शिव बने अक्षय कुमार आ जाते हैं भक्त की मदद करने

तब कांति शाह सेक्स एजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कोर्ट जाता है और सभी स्कूलों, और डाक्टर और शामिल लोगों को कोर्ट में पेश करते हैं तब वही सब होता है जैसे ओमाई गाड फिल्म में परेश रावल करता है वहीं यहां कांति शाह करते हैं कोर्ट केस और विजय।।।। इस विजय में भगवान शिव बने अक्षय कुमार साथ देते हैं और सेक्स एजुकेशन का पाठ्यक्रम स्कूल और कालेज में शामिल करते हैं।।।।

साधारण सी कहानी और ताना बाना बुना कर एक टाइमपास और सामाजिक संदेश के लिए फिल्म बनी है।।।।। हलाकि गरद 2 की तुलना में कम व्यवसाय कर रही है पर देखने लायक है।।।

फिल्म में अक्षय कुमार एक फकीर बनकर आते हैं और पंकज से मिलते हैं।।।

फिल्म में कुछ कामेडी, कुछ सस्पेंस और हां रामायण सीरियल में भगवान राम बने अरूण गोविल जी भी है जो विलेन के किरदार में हैं।।।।

फिल्म को 5 मे से 4 रेटिंग।।।।

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