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रविवार, 1 जनवरी 2023

आजकल जिसे देखो सुबह शाम लगातार पानी पीने की सलाह दे रहा है, होड़ से मची है इसे लेकर आपकी राय में ऐसा करना किस हद तक सही है और क्यों?

पानी हमेशा सादा पियें, गर्म बिल्कुल भी नहीं अन्यथा शरीर से लुब्रिकेशन खत्म हो जाएगा। जोड़ों की चिकनाहट नहीं बचेगी। आजकल जोड़ों के दर्द , सूजन, थायराइड आदि की समस्याओं की वजह गर्म पानी का इस्तेमाल है।

यह एलोपैथिक चिकित्सा द्वारा फैलाया गया एक षड्यंत्र है। अभी 10 सालों में बीमारियों का जो अम्बार लगा है, उसका कारण गर्म पानी है।

भारत के खिलाफ हर प्रकार से साजिशें चल रही हैं। हमारे बड़े बुजुर्गों ने जीवन भर कभी गर्म पानी नहीं पिया। सावधान रहें। अगर गर्म पानी इतना आवश्यक होता, तो हमारी धरती माँ गर्म जल के स्त्रोत भी देती। जसए बद्रीनाथ, मणिमहेश आदि में उपलब्ध है।

लेह-लदाख में भी गर्म पानी के चश्मे हैं जहां गर्म पानी प्रकृति ने इसलिए दिया है क्योंकि वहां तापमान माइनस में जाता है। लेह से करीब 120 km दूर यह गर्म पानी का स्त्रोत अदभुत है। देखें वीडियो….

पानी माटी के पात्र का सबसे सुरक्षित और स्वाथ्य वर्द्धक रहता है।

मिट्टी के घड़े का जल..

मिट्टी के घड़े का पानी शरीर की जलन,

मानसिक वेदना, पेट की बीमारियों को

दूर करने में सहायक है इसे मार्च से जून (गर्मियों में) पीना हितकर रहता है।

जल का पर्याप्त मात्रा में उपयोग उम्ररोधी बताया गया है। पानी ऐसे पियें-जैसे खा रहे हों।

आयुर्वेद की एक सलाह है कि-

भोजन ऐसे करें, जैसे पी रहे हों अर्थात खाने को बहुत चबा-चबाकर जब तक कि वह पानी की तरह

तरल न हो जाये। धीरे-धीरे खाने से कभी मोटापा नहीं बढ़ता। औऱ पानी को ऐसे पियें जैसे खा रहे हों। पानी को हमेशा धीरे-धीरे बैठकर ही पीना बहुत लाभकारी होता है। खड़े होकर जल ग्रहण करने से

घुटनों व जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है। यह पीड़ा बुढ़ापे में बहुत दुःख देती है। इसलिए पानी हमेशा बैठकर ही पीना चाहिए।

सावधान रहें….गर्म जल पीने से आप की मर्दाना ताकत क्षीण हो सकती है…

अधिक नीबू का उपयोग वीर्य को पतला करता है। इस वजह से नपुंसकता आ सकती है। प्रकृति ने जो जैसा दिया है, वैसा ही हमें उपभोग करना चाहिए।

क्या इतना शुद्ध शहद प्रकृति दे रही है-जरा सोंचे…

अब शुद्ध शहद देश में बहुत कम उपलब्ध है। मैसूर, 36 गढ़, अमरावती, हिमाचल आदि जंगलों के शुद्ध शहद की कीमत 500 से 700/- रुपये किलो खरीदी मूल है।

ज्यादा मधु-शहद के सेवन से बचें…

आजकल 99 फीसदी मधु ग्लूकोज, इन्वर्ट शुगर से बनाकर नकली बेचा जा रहा है।

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