जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
यह ब्लॉग खोजें
बुधवार, 24 मार्च 2021
बुढापे में पाए नियमित आय मोदी सरकार दे रही सहायता
सोमवार, 15 मार्च 2021
मनुष्य अपने समय की घटनाओं का माध्यम भर होता है भइया, वह कर्ता नहीं होता
सोमवार, 22 फ़रवरी 2021
समाज का हर व्यक्ति जब कुछ ना कुछ *हुनर* जानने वाला होगा, *बेरोजगारी* की समस्या तभी हल होगी
बुधवार, 17 फ़रवरी 2021
अगर किसी अन्य के बैंक अकाउंट में गलती से हमारे पैसे ट्रांसफर हो जाएं तो हमें क्या करना चाहिए?
नमस्कार ।
जब से इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग का चलन शुरू हुआ है इस तरह की घटनाएँ आम हो गई हैं। मेरे सामने भी अक्सर इस तरह की समस्या आती है जहाँ किसी ग्राहक ने पैसे भेजते समय गलती से किसी और के खाते में पैसे भेज दिए हों। और जब पाने वाले का बैंक कोई दूसरा हो तो पैसे वापस मिलना बड़ा कठिन हो जाता है।
चित्र स्रोत: गूगल
इसी समस्या का समाधान आपने अपने इस इस प्रश्न से जानने की कोशिश की है।
अगर किसी अन्य के बैंक अकाउंट में गलती से हमारे पैसे ट्रांसफर हो जाएं तो हमें क्या करना चाहिए?
एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसे भेजने के आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं ।
- आरटीजीएस (RTGS)
- एनईएफटी (NEFT)
- आईएमपीएस (IMPS)
- यूपीआई (UPI)
इनमें से पहला विकल्प बैंक का फाॅर्म भरके ( Offline Mode) , दूसरा विकल्प बैंक का फाॅर्म भरके या इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग (Online Mode), तीसरा और चौथा विकल्प मोबाइल बैंकिंग (Online Mode) से किया जाता है।
कब आती है समस्या?
- जब कोई ग्राहक( Remitter) अपने इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के द्वारा अपने खाते से पैसे किसी दूसरे बैंक के खाते में भेजता है।
- या फिर बैंक का आरटीजीएस/ एनईएफटी फार्म भरते समय ।
वह पाने वाले(Beneficiary) की खाता संख्या गलत भर देता है।
क्यों आती है समस्या?
- जब हम किसी दूसरे बैंक की खाता संख्या भरते हैं तो हमारा बैंक उस खाताधारक के नाम की पुष्टि नहीं कर पाता।
- इसका कारण यह है कि एक बैंक दूसरे बैंको से अपने खाताधारकों का विवरण साझा नहीं करते।
- अब जो गलत खाता संख्या भरी गई हैं उसके दो परिणाम हो सकते हैं ।
- उस गलत खाता संख्या का कोई भी खाता, पाने वाली बैंक में नहीं है।ऐसा होने पर पैसा अपने आप ही भेजने वाले (Remitter) के खाते में लौटा दिया जाता है।इसकी और अधिक जानकारी के लिए मेरे निम्न उत्तर को पढें ।
यदि कोई हमारे एक्सिस बैंक के बंद खाते में आरटीजीएस कर दे, तो वह पैसा कहाँ जायेगा और हमें कैसे मिलेगा?
2. उस गलत खाता संख्या का खाता, पाने वाली बैंक(Beneficiary's Bank) में मौजूद है।और आपके पैसे उसमें जमा हो जाते हैं।
मेरी समझ से आप भी इसी दूसरे परिणाम के बारे में जानना चाहते हैं । तो आगे पढें ।
समस्या होने पर क्या करें?
अब दूसरी बैंक में फंड ट्रांसफर हो जाने के बाद ना तो भेजने वाला खाताधारक (Remitter) और ना ही उसका बैंक(Remitting Bank) ही कुछ कर पाते हैं ।
तब भेजने वाले खाताधारक को तुरंत अपनी बैंक को एक लिखित निवेदन देकर सूचित कर देना चाहिए ।
आपकी बैंक निवेदन पाते ही ,पैसे पाने वाली बैंक (Beneficiary'sBank) को सूचित कर देगी।
पाने वाली बैंक निम्नलिखित जाँच करके पाने वाले (Beneficiary) के खाते में उतने पैसों का 'ग्रहणी का अंकन' (Lien marking) कर देगी । इससे पाने वाला इस रकम को नहीं निकाल पाएगा।
जाँच इस प्रकार होगी।
- क्या भेजे गए पैसे के विवरण में खाताधारक का नाम और जमा पैसे के खाताधारक का नाम मिल रहा है?
- यदि हाँ , तो निवेदन अस्वीकृत कर दिया जाएगा। क्योंकि यह गलती से भेजा हुआ पैसा नहीं है।
- यदि नहीं , तो फिर यह जाँच की जाएगी कि आपके निवेदन पत्र में जो सही खाता संख्या है( जिसे आपने पैसे भेजते समय नहीं भरा), उसके खाताधारक का नाम और भेजे गए पैसे के विवरण में खाताधारक का नाम मिल रहा है या नहीं ।
- यदि नहीं तो और पूछताछ की जाएगी और संतोषजनक उत्तर पाने पर ही आगे की कार्यवाही होगी ।
- यदि हाँ , तो यह गलती से भेजा हुआ पैसा है।
फिर आगे की कार्यवाही इस प्रकार होगी ।
- यदि पैसे पाने वाले के खाते में आवेदन पाने तक पैसे नहीं निकले तो पाने वाले के खाते में उतने पैसों का 'ग्रहणी का अंकन' (Lien marking) लगा दिया जाता है।
- अब पाने वाली बैंक, भेजने वाली बैंक से अपने पक्ष में एक ' क्षतिपूर्ति पत्र' ( Idemnity Letter) मांगेगी।
- भेजने वाली बैंक इस ' क्षतिपूर्ति पत्र' को पाने वाली बैंक के पक्ष में देने से पहले , भेजने वाले ग्राहक से एक 'क्षतिपूर्ति पत्र' अपने पक्ष में लेगी।
- जैसे ही पाने वाली बैंक को भेजने वाली बैंक से उसके पक्ष में यह 'क्षतिपूर्ति पत्र' मिल जाता है वह पाने वाले के खाते में लगाया हुआ 'ग्रहणी का अंकन' हटाकर पैसे भेजने वाले के खाते में भेजता देगी।
लेकिन दिक्कत तब आती है जब पाने वाली बैंक के पास सूचना पहुँचने के पहले ही पाने वाला खाता धारक पैसे निकाल लेता है। तब उस बैंक के पास सिर्फ एक ही उपाय बचता है, पाने वाले ग्राहक से पैसे की वसूली (Recovery) के प्रयास । जबतक यह प्रयास सफल नहीं होता आप इंतजार ही कर सकते हैं!
इसलिए भलाई इसी में है की पैसे भेजने के पहले हम ये सावधानीयाँ रखें:
- पाने वाले का नाम(Beneficiary'sName), खाता संख्या (Beneficiary's Account No.) और आईएफएस कोड (IFSC) की अच्छी तरह पाने वाले से जाँच कर लें। इसके लिए आप पाने वाले से उसके बैंक खाते की चेक या पासबुक के पहले पन्ने की छवि मंगवाकर उसके साथ मिला लें।
- अपने खाते के इंटरनेट या मोबाईल बैंकिग लाॅगिन से पाने वाले को रजिस्टर करें ।
- फिर एक छोटी राशि जैसे 1 रू, 5 रू, 10रू या 100 रू भेजकर पाने वाले से उस पैसे के मिलने की पुष्टि कर लें।
- अब आप निश्चिंत होकर पैसे भेज सकते हैं ।
ध्यान दें कि आपको इस अभ्यास को केवल एक बार करने की आवश्यकता है। जब आप पहली बार पाने वाले को रजिस्टर कर रहे हैं । अगली बार उसे पैसे भेजते समय आपको अपने रजिस्टर किए हुए पाने वालों कि सूची से उन्हें चुनना है और सिर्फ पैसे की संख्या भर के भेज देनी है।
आशा है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी और आप इससे लाभान्वित होंगे ।
कृपया इसे अपने परिचित लोगों से भी बाँटे तथा स्वयं के साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखें ।
धन्यवाद् ।
क्या फेसबुक, व्हाट्स ऍप पर हमारी आपसी बातचीत पर भी कोई नज़र रखता है?
काफी सर्च करने के बाद मुझे ये पता चला के सिर्फ फेसबुक या वाट्सअप ही नहीं बल्कि अगर आप इंटरनेट पर किसी भी जानकारी को शेयर कर रहे है तो ऐसा हो ही नहीं सकता के कोई इस पर नज़र न रखे
या तो आपके फ्रेंड्स आपको देखते है, या तो दुश्मन, या तो हैकर, या कोई अजनबी, या कोई रिश्तेदार, और मानलो अगर इन सब से अगर आप बच भी जाते हो तो कंपनीज़ से आपको कौन बचाएगा जिन्हे आपकी हर चीज़ पर नज़र रखने की इजाज़त आप इनके दरवाज़े में दाखिल होने से पहले खुद ही देकर आये है इनकी टर्म्स एंड कंडीशन को एक्सेप्ट करके ..
तो इन सभी बातो से मैंने इतना ही जाना है के ऑनलाइन प्राइवेसी की बात करना ऐसा है जैसे रेगिस्तान में पानी की नाव चलाना..
खैर वैसे तो कम्पनीज हर किसी बातो पर नज़र नहीं रखती वो सिर्फ ऐड दिखाने के लिए ही ज़्यादातर आपकी जानकारी यूज़ करती है मगर आखिर इन कम्पनीज के पास तो आपकी सारी जानकारी होती ही है ना जिन्हे हैक करना कोई ज़्यादा बड़ी बात नहीं है किसी प्रोफेशनल हैकर के लिए !
यूट्यूब पर जो डेस्पेसिटो जैसे गाने के नाम बदले गए,
अभिताभ बच्चन के ट्विटर अकाउंट को हैक करके जो पोस्ट की गयी थी वो सब शायद आप में से कई लोग जानते होंगे
तो जब इतनी बड़ी बड़ी कंपनीज़ भी हैक हो सकती है तो हमारा अकाउंट क्या है
अंत में बस इतना कहना चाहूंगा के इंटरनेट पर उतना ही शेयर करे जितनी ज़रुरत हो और जिससे अगर किसी को वो जानकारी मिल भी जाती है तो उससे आप पर कोई फर्क ना पड़े क्युकी यहाँ सब पर नज़र रखी जाती है यहाँ तक जो में लिख रहा हूँ उस पर भी!
शुक्रिया ....
क्या आप जानते हैं वर्तमान में बैंक फ्रोड का कौनसा तरीका चल रहा है?
डिजीटल पेमेंट के चलते स्वाइप मशीन रखना अनिवार्य हो गया है। पिछले साल आइसीआइसीआइ बैंक से एक एक्सक्यूटिव शॉप पर आया और अपनी स्वाइप मशीन की बडी तारिफ करने लगा। जरूरत थी, सो बैंक की शाखा में जाकर जरुरी विधि करके मशीन ले लिया। हमें कहा गया कि शुरुआत में चार हजार रुपये लगेंगे, फिर साल में एक बार कुछ रकम रेंट चार्जस के रुप में कटेगी। और यह चार हजार भी जब कोई कार्ड स्वाइप होगा तो अपने आप कटेंगे, हमें कैश देने की जरुरत नहीं है।
यहां बेंकवाले ने यह नहीं बताया कि पहली बार चार हजार कटने के बाद कितनी रकम हर साल कटेंगी। और यहीं गलती हो गई।
पिछले अप्रैल में एक साल मशीन लिए हुए पूरा हुआ। तब लॉकडाउन के कारण सारा बिजनेस ठप था। जून के दूसरे सप्ताह में जब ओड इवन के तहत दुकाने खोलने की छूट दी, तो पहले दिन कुछ पंद्रह सौ रुपये का स्वाइप मशीन से पेमेंट हुआ। अब पेमेंट का मैसेज तो आता हैं, पर बैंक के खाते में पैसा जमा नहीं दिखा रहा था। सोचा खाते में आने को कुछ समय लगता होगा। दो दिन बाद जब दूकान खुली तो फिर से पाच सौ का एक कार्ड हुआ। मैसेज आया पर पैसा खाते में जमा नहीं हुआ। सो ग्राहकों को पेमेंट के लिए गूगल पे वगैरह से पेमेंट करने के लिए कहना पडा।
बैंक की शाखा में जाकर इस विषय में पूछा तो जो जवाब मिला, उसे सुनकर तो दिमाग घूम गया।
कर्मचारी ने बताया कि अप्रैल महीने में मशीन का सालाना चार्ज ड्यु करना था। पर आपने नहीं भरा है। तो अब वो सालाना चार्ज प्लस इंटरेस्ट कट रहा है, इसलिए पैसा आपके खाते में जमा नहीं हो रहा है।
आगे जब पूछा कि ठीक है चार्ज कट रहा है पर इतना कितना चार्ज काट रहे हो?
'चार हजार और इंटरेस्ट ' उसने जवाब दिया। मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आया। ' अरे भाई, चार हजार तो शुरूआती चार्ज था न' मैने कहा। वह बोला, ' नो सर, सालाना चार्ज चार हजार ही है। और जब तक यह पूरा नहीं होगा पैसा आपके अकाउंट में नहीं आएगा। '
मैने कहा 'यार ये तो फ्रोड है। आपने एसा नहीं कहा था कि हर साल चार हजार चार्ज लगेगा। '
वो बोला, ' सर ये आपको मशीन लेते समय बताया गया होगा।'
क्या करता? मेरी गलती कि बैंकवालों के एक सामान्य फ्रोड में फंस गया। वहीं खडे खडे मशीन सरंडर करने का फार्म भर के दे दिया। मशीन सरंडर करने के बाद भी मशीन से संलग्न अकाउंट से दो सौ - दो सौ रुपये करके सोलह सौ रुपये काट लिए है। जब पुनः बैंक वालों को पूछा तो कहते है कि इनक्वायरी करके बताएंगे।
आखिर संलग्न खाते से सारा पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफ़र कर दिया है। अब बैंक वाला प्रतिदिन फोन करके ब्रांच में बुलाता हैं। पर मै नहीं जाता।
बस, किसी दिन दूकान पर आए, इतनी देर।
पढने के लिए धन्यवाद।
व्हाट्सअप (Whatsapp) स्टेटस को कैसे अपने मोबाइल में सेव कर सकते है?
इसके दो तरीके है ,
1 ) अगर वो स्टेटस कोई फोटो है तो आप स्क्रीनशॉट बटन को दबाकर अप्प उसे अपने फ़ोन मै सेव कर सकते है .स्क्रीनशॉट लेते ही वो आपके फ़ोन मै सेव हो जायेगा |
2 ) अगर स्टेटस कोई वीडियो है तो आप जैसे ही उसे देखने के लिए क्लिक करते है तो जब उसका प्रीव्यू हो जाता है ( जब आप उसे देख रहे होते है ) उसी समय वो आपके फ़ोन के स्टोरेज डायरेक्टरी मै सेव हो जाती है |
वो डायरेक्टरी ऐसा है , सबसे पहले आप अपने स्टरगे ओपन करे , Whatsapp- Media-Statuses.
स्टैटूसेस - इस फोल्डर मै सारी स्टेटस सेव होंगे |
आपके सन्दर्भ के लिए मै स्क्रीनशॉट जोड़ कर रहत हु |
स्क्रीनशॉट स्रोत : मेरा मोबाइल .
कंप्यूटर हैक दैनिक उपयोग के लिए
यहाँ कुछ हैक्स का उपयोग मैं अपने कंप्यूटर ज्ञान में कर रहा हूँ।
एक नया टैब खोलने के लिए Ctrl + T
जब भी आप कंप्यूटर पर बहुत काम करते हैं और आपका संदेश आपका मुख्य टोर है, तो बार-बार एक नया टैब खोलने की आवश्यकता है। माउस के साथ एक नया टैब खोलने के बजाय, आप Ctrl + T का उपयोग कर सकते हैं।
किसी भी सॉफ्टवेयर और ऐप समस्या विशेषज्ञ से पूछने से पहले Google से जांच लें।
अधिकांश आईटी समस्याएं आसान मुद्दा होता है , जिन्हें कुछ स्टेप का पालन करके आसानी से हल किया जा सकता है। हालांकि, ज्यादातर लोग घबरा जाते हैं जब कुछ भी गलत हो जाता है तो एक मिलेजुले पीसी विशेषज्ञ के पास चले जाते हैं । आप Google बार में अपना मुद्दा टाइप कर सकते हैं और पढ़ सकते हैं कि आपको Microsoft या विभिन्न प्रौद्योगिकी मंचों पर क्या दिखाना है। आपको शायद वहां एक समाधान मिल जाएगा और एक विशेषज्ञ पर पैसा खर्च करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
एयरप्लेन मोड (हवाई जहाज मोड) में, लैपटॉप की बैटरी तेजी से चार्ज होती है।
जब आपका लैपटॉप हवाई जहाज मोड पर होता है, तो इसका मतलब है कि आपके वाई-फाई और ब्लूटूथ जैसी कई सुविधाएँ अक्षम हैं। यह सब आपकी बैटरी पर कुछ दबाव को कम करता है और अधिक तेजी से चार्ज करने की अनुमति देता है।
किसी भी Google चित्र को Alt दबाकर और माउस पर बायाँ-क्लिक करके डाउनलोड करिये ।
अधिकांश लोग तस्वीरों को क्लिक करते हैं और "सेव" विकल्प का चयन करते हैं, लेकिन आपके कंप्यूटर पर फ़ोटो डाउनलोड करने का एक बहुत आसान और सरल तरीका है। आप बस "ऑल्ट" को पुश कर सकते हैं और फिर एक छवि पर बाएं-क्लिक कर सकते हैं और यह आपके कंप्यूटर पर आपके डाउनलोड फोल्डर में सेव हो जाएगा।
अपना आईपी एड्रेस छिपाएं यदि कोई नहीं जानता कि आप क्या कर रहे हैं
ऐसे कई तरीके हैं जो आपके आईपी पते को छिपाने के लिए आपके दो अदृश्य बना सकते हैं। सबसे पहले, आपको अपने इंटरनेट उपयोगकर्ता पर एक अच्छा वीपीएन स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि यह आपके वास्तविक स्थान को बदल दे।
यदि आपने रीसायकल बिन को खाली कर दिया है तो आप अभी भी हटाई गई फ़ाइलों को पुनर्प्राप्त कर सकते हैं।
फ़ाइलों को हटाना और बिन को फिर से खाली करना बहुत निराशाजनक साबित हो सकता है, जैसा कि आपको बाद में पता चल सकता है कि स्टैक में एक फ़ाइल थी जिसकी आपको वास्तव में ज़रूरत थी। अब आप क्या कर सकते हैं? हटाए गए फ़ाइलें पुनर्प्राप्त, फ्री! डाउनलोड करें, जो स्थायी रूप से हटाई गई फ़ाइलों को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा प्रोग्राम है। आप बस यह चुनिए कि आप किस प्रकार की फ़ाइल खोज रहे हैं और प्रोग्राम आपके लिए सब कुछ खोजता है। यदि आपको किसी फ़ाइल को खोजने में काफी समय लग गया है, तो यह संभावना है कि प्रोग्राम इसे खोजने में सक्षम नहीं होगा।
ट्रोजन हॉर्स क्या है?
अगर आपने ट्रॉय मूवी देखी होगी या होमर की ओडिसी पढ़ी होगी; तो आपको याद होगा ग्रीक सैनिक १० वर्ष तक लड़ने के बाद भी जब सीधी लड़ाई के द्वारा ट्रॉय को हरा नहीं पाते तो वे एक चाल चलते हैं, कुछ सैनिक एक लकड़ी के घोड़े के अंदर छिप जाते हैं और शेष सेना गायब हो जाती है, ट्रॉय के लोग इस घोड़े को अपनी जीत पर देवताओं द्वारा दिया गया उपहार समझते हैं और उसे शहर के अंदर ले आते हैं | रात को जब सब लोग सो रहे होते हैं ग्रीक सैनिक घोड़े के अंदर से निकलते हैं और किले का दरवाजा खोल देते हैं, शहर के बाहर छिपे सैनिक अंदर घुस आते हैं और ट्रॉय को जीत लेते हैं |ट्रोजन हॉर्स शब्द का प्रयोग तभी से शुरू हुआ |
डोमिनीको तिपोलो द्वारा १७७३ में बनाया गया
कम्प्यूटर सुरक्षा के सन्दर्भ में ट्रोजन हॉर्स उन हानिकारक प्रोग्राम्स को कहा जाता है जो दिखने में एक सामान्य प्रोग्राम के जैसे होते हैं पर एक बार किसी सिस्टम के अंदर प्रवेश करने पर उसके डाटा को मिटा सकते हैं या दूसरे हानिकारक प्रोग्राम्स के लिए रास्ता खोल देते हैं | अक्सर यह ई-मेल अटैचमेंट के माध्यम से या वेबसाइट पर दिखने वाले नकली विज्ञापनों से किसी सिस्टम में प्रवेश करते हैं | एंड्राइड ऑपरेटेड उपकरणों में ट्रोजन प्रोग्राम यूटिलिटी एप्लीकेशन के माध्यम से प्रवेश करते हैं , हाल ही में गूगल के प्ले स्टोर में २४ एप्प्स की पहचान की गई है जिनमें ट्रोजन अटैक हुआ है।
एंटी वायरस सॉफ्टवेयर के द्वारा ट्रोजन को कंप्यूटर से हटाया जा सकता है | इसके लिए नियमित रूप से एंटी वायरस सॉफ्टवेयर को अपडेट करते रहें |
साइबर क्राइम से बचने का तरीका
दुनिया में साइबर अपराध के मामलों में भारत का स्थान तीसरा है। पिछले पांच महीने में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। सिक्योरिटी फर्म बाराकुडा नेटवर्क के अनुसार एक मार्च से 23 मार्च के बीच 4,67,825 पिशिंग ई-मेल भेजे गए जिनमें 9,116 कोरोना से संबंधित हैं। कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल भेजकर लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है और उनके सिस्टम में मैलवेयर इंस्टॉल करवाया जा रहा है।
स्कैम ई-मेल के जरिए लोगों को फ्री मास्क, फ्री सैनिटाइजर देने के दावे वाले ई-मेल भेजे जाते हैं। वास्तव में ये कंपनियां फर्जी होती हैं। इसके अलावा लोगों से फर्जी डोनेशन भी मांगे जाते हैं। वहीं चैरिटी वाले ई-मेल भी आते हैं। सायबर क्राइम में सबसे बड़ी कठिनाई है कि इसमें पीड़ित, शरारतकर्ता, लाभार्थी और इण्टरमीडियरीज अलग-अलग स्थानों पर होते हैं। किसी विवेचक को उन तक पहुंचना बहुत कठिन होता है। इसके लिए एक कॉमन सिस्टम बनाने की जरूरत है|
साइबर क्राइम से बचने का तरीका क्या है?
-अपने जीमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स में टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन रखें|
-किसी भी ऐसे ई-मेल में दिए गए अटैचमेंट पर क्लिक ना करें जो अंजान ई-मेल आईडी से आया हो|
-किसी भी ई-मेल के साथ आए लिंक को ओपन ना करें और मीडिया फाइल को भी डाउनलोड ना करें।
-ऐसे ई-मेल को ब्लॉक करें, फ्लैग करें या फिर स्पैम मार्क कर दें।
-मज़बूत वाई-फाई नेटवर्क जैसे WPA2, WPA3 इस्तेमाल करें|
-जब जरूरत न हो तो ब्लूटूथ और वाईफाई बंद कर दें|
-एप्लिकेशन और सॉफ्टवेयर का अपडेटेड वर्ज़न का इस्तेमाल करें|
-एंटी वायरस का इस्तेमाल करें|
-किसी भी चीज़ पर क्लिक, फॉर्वरड और डाउनलोड करने से पहले पूरा ध्यान दें|
-किसी एप या प्लेटफॉर्म के टर्म्स ऑफ़ यूज़ को ध्यान से पढ़ें|
-बिज़नेस ओनर वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी तैयार करें|
-डाटा का बैकअप लगातार बनाते रहें|
-वीपीएन का इस्तेमाल करें|
-डेटा लॉस प्रिवेंशन का इस्तेमाल करें|
-दूर से किसी समस्या की स्थिति को हल करने की तैयारी रखें|
-सिक्योरिटी का समय-समय पर ऑडिट करते रहें|
-डिजिटल सिग्नेचर के जरिए ऑनलाइन कॉन्ट्रैक्ट के डेटा को सेफ़ रखा जा सकता है. कानून से इसे मान्यता प्राप्त है. इसका इस्तेमाल करें|
function disabled
Old Post from Sanwariya
- ▼ 2024 (358)
- ► 2023 (420)
- ► 2022 (477)
- ► 2021 (536)
- ► 2020 (341)
- ► 2019 (179)
- ► 2018 (220)
- ► 2012 (671)