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मंगलवार, 16 जुलाई 2024

हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

वो ठग या जनता मूर्ख... ?
सात लाख रूपये दीजिये तो "राधे मां ( जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।

"निर्मल बाबा" है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! रात दिन पूज रहा है।

"रामपाल" भक्त हैं जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं ! ओर अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।

 "ब्रह्मकुमारी मत" वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने भगवद गीता भी फेल कर दी।

 "राधास्वामी" वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं । वो साक्षात ईश्वर का अवतार है और वेद गलत है ।

"निरंकारी" है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 कई स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों के तो पता नही, अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।

कुछ "चाँद मियाँ ऊर्फ साई बाबा" को भगवान बनाने पर तुले हैं मजार-मरघट-पीर-फकीर मर्दे कलंदर न जाने क्या-क्या सभी हिन्दू
हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

लेकिन हिंदु सच में है कौन
खुद इन हिन्दुओ को नहीं पता

कब जागोगे आखिरकार हिंदुओं तुमने स्वयं ही वैदिक सनातन धर्म की सबसे ज्यादा हानि की है कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है यह हैं हिंदू जिन्हें जिसने जैसा बेबकूफ बनाया वैसे बन गये।जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया ।

सच में हिंदुत्व का ऐसा विकृत रूप देखकर दुःख होता है।
आओ लौट चले, सत्य सनातन वैदिक धर्म की और,
पुनः विश्व मे वैदिक धर्म का परचम लहरायें भारत को पुनः आर्यवर्त बनाकर विश्व गुरू बनायें।. 

🙋जागो हिंदुओ जागो🙋🚩

बाबा लोगों को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है" अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं....

👉 बाबा जी हवाई जह़ाज में उड़ते हैं । सोने से लदे होते हैं ।
दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो " लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे.. अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं.....

👉 भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं, लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं.. अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉भक्त बीमार होते हैं.. डॉक्टर से दवा लेते हैं.. 
जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया "
पर जब बाबा जी बीमार होते हैं, तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं. अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉 अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं...
उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.

👉 जब बाबा जी किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....
👉 इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती..

अतः जागृत बनें, तार्किक बनें।

इसलिए आओ लौट चलें वेदों की ओर...
वैदिक संस्कृति अपनाएं देश को फिर से आर्यावर्त बनाएं। 
🙏🏻🙏🏻🚩🕉️🚩🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 15 जुलाई 2024

अमेरिका की राजनीति से लेकर भारत की राजनीति तक, उस #तिलिस्मी विध्वंसक शक्ति के प्रयोग और संयोग की सच्चाई की कहानी।

अमेरिका की राजनीति से लेकर भारत की राजनीति तक, उस #तिलिस्मी विध्वंसक शक्ति के प्रयोग और संयोग की सच्चाई की कहानी।
अमेरिका के पुर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर परसों हुए हत्या के प्रयास में, डोनाल्ड ट्रंप के सिर और गोली के बीच का आधा इंच का गैप अमेरिका के अच्छे भविष्य को अमेरिकी लोगे से इतना दूर ले जाने वाला था की उस गैप को अमेरिका कभी भी नहीं भर पाता. जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है, ट्रंप को अब अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से कोई नही रोक सकता. इन सब के उपरांत हमें भारतीय संदर्भ में यह समझ जाना चाहिए कि 20 वर्ष का एक तथाकथित सिरफिरा जो उनके इकोसिस्टम का हिस्सा हो और उसे एक बंदूक चाहिए जो लक्ष्य साधने में सफल रहे. मोदी जी, शिंजो आबे से लेकर डोनाल्ड ट्रंप तक, दुनिया के हर राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। वाम पारिस्थितिकी तंत्र बिलकुल घबरा गया है। वे सत्ता के लिए बेचैन हैं। जो लोग अपने देश से प्यार करते हैं, वे सभी अपने देश में हो रहे उन छोटे मोटे घटनाओं को नजरअंदाज करके अपने सही नेता को वोट देने के लिए एकसाथ आना चाहिए।

अमेरिका की बिकाऊ वामपंथी मीडिया जो लोकतंत्र की तथाकथित कागजों पर नंबर वन की रैंकिंग पर आसीन है, वह इसपर नहीं चलता, मूल्यों पर चलता है। अमेरिकी मीडिया शायद अपना पत्रकारिता का मूल्य भूल चुकी है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर लाइव टेलीकास्ट में जानलेवा हमला होता है, लेकिन अमेरिकी प्रिंट और ईलोक्ट्रोनिक मीडिया ने इतनी बड़ी खबर तक को छुपाना चाहा और यह बताता रहा की डोनाल्ड ट्रंप स्टेज से गिर पड़े, अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के लोगों ने उन्हें बचा लिया। लेकिन ये कोई नहीं बता रहा था कि उन पर गोलीबारी हुई है। भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो इस तरह के आतंकी युवाओं की पूरी सेना वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र और उसके नेताओं ने मीडिया के सहयोग से तैयार कर रखा है जो हर दिन मोदी जी को मारने के स्वप्न दिखाते रहते हैं। भारत में युवाओं का, हर सूचकांक में उत्तम होने के बाबजूद भी, यह विश्वास दिलाया जाता है कि मोदी एक फासीवादी है, वह देश में अघोषित आपातकाल चला रहा है, नरसंहार करवा रहा है, महँगाई लाता है, किसान विरोधी नीति बनाता है, तुम्हारी बेरोजगारी का कारण वही है।

आप लोगों को याद होगा कि, राहुल गाँधी ने एक बार अपने भाषण में कहा था कि मोदी को डंडे से मारना चाहिए, एक बार कहा कि मोदी की कार पर चप्पल फेंकने वाला अब डर नहीं रहा है!? वस्तुतः ऐसे नेता भारत में सैकड़ों पोटेंशियल क्रूक ढूँढ रहे हैं, जो कहीं दूर से रायफल का ट्रिगर दबा सके। वह अपने पारिस्थितिकी तंत्र के जरिए पूरे देश में कैरोसीन छींट चुका है. वह इसमें माचिस नहीं जला रहा। वह दो सूखी लकड़ियों को लगातार रगड़ रहा है, ताकि यही घृणा और विष जो वो अपनी हर रैली में दलितों और अल्पसंख्यकों के हृदय में भर रहा है, वही उस घर्षण की ऊष्मा से एकदिवसीय बनने वाली भयंकर आग का रूप लेंगे। भारत की सरकार और उसके सारे पारिस्थितिकी तंत्र को चाहिए कि पप्पू की जिह्वा पर लगाम लगाया जाए वरना परिणाम भयावह होंगे। केवल एक पर लगाम लगाने से कुछ नहीं होगा, उनका पारिस्थितिकी तंत्र मोदीजी को तानाशाह का दर्जा दे चुके हैं, तो ऐसे लोगों को तानाशाही का सही मतलब समझाना ही एकमात्र विकल्प है, आज ममता, स्टालिन और केजरी के बारे में कोई उटपटांग नहीं लिख सकता!! यहां तक की कोई सच भी नहीं बोल सकता वरना पांच मिनट के अंदर वहां की पुलिस प्रेमपत्र भेज देती है बस ऐसे ही दर्द भरे प्रेमपत्र भेजने की तैयारी मोदीजी जी को भी करनी चाहिए। जो फिलहाल करना शुरू भी कर दिया है। उनको शक्ति के साथ दमन ही एकमात्र विकल्प है। भाजपा का इस छोटी सी मार्जिन से शक्तिहीन होना आप लोगों को RSS के मुखिया भागवत जी के उस बयान से भी समझ लेना चाहिए था कि, भाजपा की आलाकमान ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में RSS को विश्वास में नहीं लिया। भाजपा के जितने भी निचले स्तर के कार्यकर्ता और परिचालक हैं, वे सभी कहीं न कहीं RSS से ही जुड़े हुए हैं। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा वह अहम से भरा वयान भी आप लोगों ने जरुर सुना होगा कि हम RSS के बिना भी आगे चल सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष की यही गर्व और अहम से भरा कार्यशैली और सोच, उसके निचले स्तर यानी जमीनी स्तर पर अपने खुन पसीने देकर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भाजपा से छिटक दिया। भाजपा को उसके वोटरों से जमीनी स्तर पर काम कर रहे RSS भाजपा के कार्यकर्ता जोड़ने की काम करते हैं और विपक्ष के द्वारा फैलाए हर प्रोपेगैंडा से उन्हें बचाए रखते हैं। इन्हीं के द्वारा वोटरों को सरकार की द्वारा मुहैया कराये जा रहे हर सुविधा को पहुंचाने की काम करते हैं, लेकिन घमंड से चुर भाजपा धीरे धीरे उन्हीं ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं कों नैगलेट करने लगा, उनकी दुःख दर्द को समझना तो दूर, बार बार अभियोग करने पर, घंमड से चुर भाजपा के कुछ बड़े नेता और उनके आसपास चक्कर लगा रहे चाटुकार छुटभैये नेता, अपने ही कार्यकर्ताओं को प्रशासनिक डंडों से प्रताड़ित करने लगे। उपर से विपक्ष का प्रहार और अंदर से अपने ही सरकार के प्रशासनिक डंडों से क्षत विक्षत कार्यकर्ता ओर करता भी तो क्या करता! उसका भी परिवार और बाल बच्चे हैं। फिर भी वह राष्ट्रवाद की आग अपने दिल में जलाते हुए विपक्ष और अपनो के द्वारा क्षत विक्षत होते हुए भी भाजपा को 241 की एक बहुत बड़ी सांख्यिक आंकड़े तक पहुंचाया। लेकिन अपना खुन पसीना सींच कर पार्टी को मजबूत करने वाले अपने कार्यकर्ता को छोड़कर बाहर से आयातित सत्ता लोलुप नेताओं को आगे लाकर उनको पार्टी की टिकट देना, यह कहां तक जायज है!? उस आयातित नेता के साथ, भाजपा के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहा वह कार्यकर्ता अपने वोटरों को जा कर क्या कहेगा, जिसका वह कुछ दिनों पहले विरोध कर रहा था, उसकी प्रपंच के बारे में अपने वोटरों को समझा रहा था? और इन्हीं सभी छोटी छोटी लेकिन अहम बातों को भाजपा के आलाकमान बिलकुल भूल गए, मोदी है तो हम आसानी से जीत जाएंगे!! परंतू उसी नरेंद्र मोदी की अपने दिल में दिया जलाने वाले और मोदी को घर घर तक पहुंचाकर वोटरों में लोकप्रिय और देश व सनातन धर्म के लिए एक आशा के किरण के तौर पर विस्थापित करने वाले कार्यकर्ताओं को भुल गए। लेकिन हां, इस बात को भी में मानता हूँ कि राजनीति के कूटनीतिक दांव पेंच में कभी कभी जितने वाले प्रत्याशी को चाहे वह किसी भी पार्टी के नेता हो उसे आयातित करना पड़ता है!! परंतू इसके लिए भी पहले अपने लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेना चाहिए था, आयातित नेता और पार्टी के कार्यकर्ता के बीच एक विश्वास का तालमेल बैठाना चाहिए था कि, नहीं आप लोग काम करो हम आपके साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। परंतु नहीं, इस चुनाव में भाजपा के जिन राज्यों में चुनाव परिणाम ख़राब हुए हैं, यह सभी तालमेल देखने को बिलकुल नहीं मिला। जमीनी स्तर के कार्यकर्ता अपना खुन पसीना बहाए तो कितना बहाए!? जो भाजपा आज अपनी जड़, RSS के सहायता के बिना चुनाव लड़ सकती है दंभ भरने की बात कर रहा है, वह भुल गया है कि उसके लिए जमीन पर काम करने वाले, उसको जिताने वाले और अपनी प्राणों की आहुति देने वाले भाजपा के नाम पर RSS के कार्यकर्ता ही हैं!! इसका बहुत सारे उदाहरण आप लोगों को मिल जाएंगे जो, हत्याकांड मिडिया के नजरों में आए हैं। मैं जब भाजपा के सपक्ष में कोई भी पोस्ट करता हूं और विपक्ष के प्रपंच को उजागर करने हेतू जाति बाद में बिखरे हुए हिन्दूओं को समझाने के लिए कुछ हद तक लपेटे में लेता हूँ, तो मेरे बहुत सारे मित्र मुझे समझाने लग जाते हैं कि, भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का यह नहीं किया, वह नहीं किया, (मैने जो विवरण उपर में लिखा है) मैं उनकी हर बात को समझता हूँ, उनकी वेदनाओं को अनुभव कर सकता हूं। वह जो कुछ भी बोल रहे हैं, वे सभी इन विषयों से ओतप्रोत जुड़े हुए हैं। वह अपनी वेदना का बयान कर रहे हैं। उन सभी मित्रों से कहना चाहता हूँ कि, मैं आप लोगों की वेदनाओं समझ सकता हूं। मेरे मित्र सूची भाजपा के बहुत सारे कार्यकर्ताओं से लेकर भाजपा के समर्थक भी हैं, और इससे बहुत ज्यादा अपने देश को प्यार करने वाले राष्ट्रवादी भी जुड़े हुए हैं, जो निःस्वार्थ भाव से अपने देश को प्यार करते हैं और इसके लिए वह भाजपा को सपोर्ट करते हैं, विपक्ष के लोगों से लड़ जाते हैं!! इसलिए की वह समझ सकते हैं कि भारत और सनातन धर्म को लेकर भाजपा की दृष्टिकोण क्या है और इसके उत्थान के लिए वह कैसा कार्य कर रहा है। मित्रों, मैं हिन्दुओं को कोस नहीं रहा, अपनी छोटी सी स्वार्थ के लिए लालायित व जातिवाद में बंटकर, देश और धर्म की बृहद स्वार्थ को अनदेखा करने वाले हिन्दुओं को जगाने की एक छोटी सी पहल वस कर रहा हूं, ताकि हिन्दू ये समझ सके कि आसमानी मजहब और वामपंथियों की मिलन से पैदा हुआ उनका नाजायज ब्रदरहुड बच्चा अभी भी बाल्यकाल में है, फिर भी उनको घाव पर घाव देता चला जा रहा है, धीरे धीरे उनको चक्रव्यूह में फंसा रहा है, अभिमन्यु को जिस तरह से छल कपट और प्रपंच से मारा गया था, वह मार रहा है। हिन्दुओं को दिन में तारे दिखा कर अलग अलग हिस्सों में बांटा जा रहा है। मैं इन्हीं सभी कारणों के लिए हिन्दुओं को समझा रहा हूं, बहुत हद तक उनकी न समझीपन के लिए दोशी भी मानता हूँ। इसका एक बड़ा उदाहरण आप लोग बंगाल से आ रहे बहुत सारे विडियो में देख सकते हैं कि, वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता अपने ही मज़हब के कुछ लोगों पर अकथनिय अत्याचार कर रहे हैं, परंतू वही अत्याचारीत पीड़ित कभी भी अपने उस नेता के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट नहीं करता, क्योंकि उसे भी और अपने कौम की भलाई के लिए भी शरिया कानून चाहिए। मैं यहां पर यह उदाहरण देकर यह नहीं कहता कि, आप हिन्दू भी अपने नेता के अत्याचार सहो परंतू अपनी छोटी सी निजी स्वार्थ को छोड़कर अपने देश और धर्म की बृहद स्वार्थ की ओर नजर दो। वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए देश कोई मायने नहीं रखता है। यह गठजोड़ जहां पर भी बहुसंख्यक है, वह उस देश को उजाड़कर और तहस नहस कर फिर एक नया मुल्क ढूंढने में लग जाता है। इसका उदाहरण आप लोग जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और कुछ पश्चिमी देशों को देख सकते हैं. और हां, आप भारत को भी देख सकते हैं कि, वह कैसे धीरे धीरे अपनी डेमोग्रेफी बदल रहे हैं, यह हिन्दुओं के लिए भविष्य में आसन्न एक बहुत बड़ा खतरा है। 14 साल पहले भारत में हिन्दू इकोसिस्टम नाम की कोई चीज ही नहीं थी। जो भी था, वह नाममात्र टुकड़ों में बंटा हुआ था छोटी छोटी संगठन में आवद्ध होकर। वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड की इकोसिस्टम का आयु भारत में 300 साल हो गए हैं। इनके इकोसिस्टम पूरे विश्वभर में, एक साथ जुड़े हुए हैं। विश्वभर में कहीं पर भी उनके स्वार्थ में बाधा पहुंची तो, वह भारत में किसान आंदोलन को उछाल सकते हैं और कनाडा में ट्रक चालकों के द्वारा हुए बहुत बड़े आंदोलन को कुचल भी सकते हैं। लेकिन किंतु परंतु, भारत में जो हिन्दुओं की इकोसिस्टम है, वह अभी एक दिन का बच्चा है जो अभी तक उसकी नाभी का नाडा भी काटा नहीं गया है। लेकिन हां, हम अभी बहुत तेजी के साथ विश्वभर में अपना पांव जमा रहे हैं। कैसे और किसके जरिए हम अपना पांव देश से लेकर विदेशों में फैला रहे हैं, उसका खुलासा में कभी भी किसी भी किमत पर इस सोशियल मिडिया प्लेटफार्म पर हो या और कहीं पर हो, नहीं करुंगा। बस आप लोगों को उस वक्त तक धैर्य और हौसला रखना होगा और इंतजार करना होगा कि कोई हिन्दुओं की आवाज को देश और विदेशों में उठा रहा है। लेकिन इसके लिए सारे हिन्दुओं को जातिवाद का जहर फेंक कर एकजुट रहना होगा। नहीं तो हम कल भी रो रहे थे और भविष्य में अपने अस्तित्व के लिए रोते रहेंगे। आज इस पोस्ट पर मैंने, सर्व सन्मुख अपनी और आप लोगों की मनकी बातें रखने की भरसक प्रयास किया है। मुझे कोई शौक नहीं है अंबानी में शादी हो रही है। लेकिन मेरा शौक है कि अंबानी की डिफेंस कंपनी भारतीय सेना के जरिए भारत को कितन सशक्त कर रही है।

धन्यवाद आप सभी राष्ट्रवादी मित्रों का, जो अपना किमती समय निकालकर इतनी बड़ी पोस्ट को पढ़ा। 🙏

रविवार, 14 जुलाई 2024

विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है 1-Divorce (अंग्रेजी) 2-तलाक (उर्दू) कृपया हिन्दी का शब्द बताए...??

विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है 
1-Divorce (अंग्रेजी) 
2-तलाक (उर्दू) 
कृपया हिन्दी का शब्द बताए...??

कहानी आजतक के Editor... संजय सिन्हा की लिखी है...। 

तब मैं... 'जनसत्ता' में... नौकरी करता था...। एक दिन खबर आई कि... एक आदमी ने झगड़े के बाद... अपनी पत्नी की हत्या कर दी...। मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि... "पति ने अपनी बीवी को मार डाला"...! खबर छप गई..., किसी को आपत्ति नहीं थी...। पर शाम को... दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए... प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी... सीढ़ी के पास मिल गए...। मैंने उन्हें नमस्कार किया... तो कहने लगे कि... "संजय जी..., पति की... 'बीवी' नहीं होती...!"

“पति की... 'बीवी' नहीं होती?” मैं चौंका था

" “बीवी" तो... 'शौहर' की होती है..., 'मियाँ' की होती है..., पति की तो... 'पत्नी' होती है...! "

भाषा के मामले में... प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था..., हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि... "भाव तो साफ है न ?" बीवी कहें... या पत्नी... या फिर वाइफ..., सब एक ही तो हैं..., लेकिन मेरे कहने से पहले ही... उन्होंने मुझसे कहा कि... "भाव अपनी जगह है..., शब्द अपनी जगह...! कुछ शब्द... कुछ जगहों के लिए... बने ही नहीं होते...! ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है...।"

खैर..., आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया..., आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं...। लेकिन इसके लिए... आपको मेरे साथ... निधि के पास चलना होगा...।

निधि... मेरी दोस्त है..., कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था...। फोन पर उसकी आवाज़ से... मेरे मन में खटका हो चुका था कि... कुछ न कुछ गड़बड़ है...! मैं शाम को... उसके घर पहुंचा...। उसने चाय बनाई... और मुझसे बात करने लगी...। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं..., फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि... नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है...।

मैंने पूछा कि... "नितिन कहां है...?" तो उसने कहा कि... "अभी कहीं गए हैं..., बता कर नहीं गए...।" उसने कहा कि... "बात-बात पर झगड़ा होता है... और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है..., ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि... अलग हो जाएं..., तलाक ले लें...!"

निधि जब काफी देर बोल चुकी... तो मैंने उससे कहा कि... "तुम नितिन को फोन करो... और घर बुलाओ..., कहो कि संजय सिन्हा आए हैं...!"

निधि ने कहा कि... उनकी तो बातचीत नहीं होती..., फिर वो फोन कैसे करे...?!!!

अज़ीब सँकट था...! निधि को मैं... बहुत पहले से जानता हूं...। मैं जानता हूं कि... नितिन से शादी करने के लिए... उसने घर में कितना संघर्ष किया था...! बहुत मुश्किल से... दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे..., फिर धूमधाम से शादी हुई थी...। ढ़ेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं... ऐसा लगता था कि... ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है...! पर शादी के कुछ ही साल बाद... दोनों के बीच झगड़े होने लगे... दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे... और आज उसी का नतीज़ा था कि... संजय सिन्हा... निधि के सामने बैठे थे..., उनके बीच के टूटते रिश्तों को... बचाने के लिए...!

खैर..., निधि ने फोन नहीं किया...। मैंने ही फोन किया... और पूछा कि... "तुम कहां हो... मैं तुम्हारे घर पर हूँ..., आ जाओ...। नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा..., पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया...।

अब दोनों के चेहरों पर... तनातनी साफ नज़र आ रही थी...। ऐसा लग रहा था कि... कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी... आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे...! दोनों के बीच... कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी...!!

नितिन मेरे सामने बैठा था...। मैंने उससे कहा कि... "सुना है कि... तुम निधि से... तलाक लेना चाहते हो...?!!!

उसने कहा, “हाँ..., बिल्कुल सही सुना है...। अब हम साथ... नहीं रह सकते...।"

मैंने कहा कि... "तुम चाहो तो... अलग रह सकते हो..., पर तलाक नहीं ले सकते...!"

“क्यों...???

“क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है...!”

"अरे यार..., हमने शादी तो... की है...!"

“हाँ..., 'शादी' की है...! 'शादी' में... पति-पत्नी के बीच... इस तरह अलग होने का... कोई प्रावधान नहीं है...! अगर तुमने 'मैरिज़' की होती तो... तुम "डाइवोर्स" ले सकते थे...! अगर तुमने 'निकाह' किया होता तो... तुम "तलाक" ले सकते थे...! लेकिन क्योंकि... तुमने 'शादी' की है..., इसका मतलब ये हुआ कि... "हिंदू धर्म" और "हिंदी" में... कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद... अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं....!!!"

मैंने इतनी-सी बात... पूरी गँभीरता से कही थी..., पर दोनों हँस पड़े थे...! दोनों को... साथ-साथ हँसते देख कर... मुझे बहुत खुशी हुई थी...। मैंने समझ लिया था कि... रिश्तों पर पड़ी बर्फ... अब पिघलने लगी है...! वो हँसे..., लेकिन मैं गँभीर बना रहा...

मैंने फिर निधि से पूछा कि... "ये तुम्हारे कौन हैं...?!!!"

निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि... "पति हैं...! मैंने यही सवाल नितिन से किया कि... "ये तुम्हारी कौन हैं...?!!! उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि..."बीवी हैं...!"

मैंने तुरंत टोका... "ये... तुम्हारी बीवी नहीं हैं...! ये... तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं.... क्योंकि... तुम इनके 'शौहर' नहीं...! तुम इनके 'शौहर' नहीं..., क्योंकि तुमने इनसे साथ "निकाह" नहीं किया... तुमने "शादी" की है...! 'शादी' के बाद... ये तुम्हारी 'पत्नी' हुईं..., हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से... बन कर आती है...! तुम भले सोचो कि... शादी तुमने की है..., पर ये सत्य नहीं है...! तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ..., मैं सबकुछ... अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा...!"

बात अलग दिशा में चल पड़ी थी...। मेरे एक-दो बार कहने के बाद... निधि शादी का एलबम निकाल लाई..., अब तक माहौल थोड़ा ठँडा हो चुका था..., एलबम लाते हुए... उसने कहा कि... कॉफी बना कर लाती हूं...।"

मैंने कहा कि..., "अभी बैठो..., इन तस्वीरों को देखो...।" कई तस्वीरों को देखते हुए... मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई..., जहाँ निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे...। और पाँव~पूजन की रस्म चल रही थी...। मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली... और उनसे कहा कि... "इस तस्वीर को गौर से देखो...!"

उन्होंने तस्वीर देखी... और साथ-साथ पूछ बैठे कि... "इसमें खास क्या है...?!!!"

मैंने कहा कि... "ये पैर पूजन का रस्म है..., तुम दोनों... इन सभी लोगों से छोटे हो..., जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं...।"

“हां तो....?!!!"

“ये एक रस्म है... ऐसी रस्म सँसार के... किसी धर्म में नहीं होती... जहाँ छोटों के पांव... बड़े छूते हों...! लेकिन हमारे यहाँ शादी को... ईश्वरीय विधान माना गया है..., इसलिए ऐसा माना जाता है कि... शादी के दिन पति-पत्नी दोनों... 'विष्णु और लक्ष्मी' के रूप हो जाते हैं..., दोनों के भीतर... ईश्वर का निवास हो जाता है...! अब तुम दोनों खुद सोचो कि... क्या हज़ारों-लाखों साल से... विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं...?!!! दोनों के बीच... कभी झिकझिक हुई भी हो तो... क्या कभी तुम सोच सकते हो कि... दोनों अलग हो जाएंगे...?!!! नहीं होंगे..., हमारे यहां... इस रिश्ते में... ये प्रावधान है ही नहीं...! "तलाक" शब्द... हमारा नहीं है..., "डाइवोर्स" शब्द भी हमारा नहीं है...!"

यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि... "बताओ कि... हिंदी में... "तलाक" को... क्या कहते हैं...???"

दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि... "दरअसल हिंदी में... 'तलाक' का कोई विकल्प ही नहीं है...! हमारे यहां तो... ऐसा माना जाता है कि... एक बार एक हो गए तो... कई जन्मों के लिए... एक हो गए तो... प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता..., उसे करने की कोशिश भी मत करो...! या फिर... पहले एक दूसरे से 'निकाह' कर लो..., फिर "तलाक" ले लेना...!!"

अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ... काफी पिघल चुकी थी...!

निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी...। फिर उसने कहा कि... "भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं...।"

वो कॉफी लाने गई..., मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं...। बहुत जल्दी पता चल गया कि... बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं..., बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं..., जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं...।

खैर..., कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली...। नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि... निधि ने रोक लिया..., “भैया..., इन्हें शुगर है... चीनी नहीं लेंगे...।"

लो जी..., घंटा भर पहले ये... इनसे अलग होने की सोच रही थीं...। और अब... इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं...!

मैं हंस पड़ा मुझे हंसते देख निधि थोड़ा झेंपी कॉफी पी कर मैंने कहा कि... "अब तुम लोग... अगले हफ़्ते निकाह कर लो..., फिर तलाक में मैं... तुम दोनों की मदद करूंगा...!"

शायद अब दोनों समझ चुके थे.....

हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है...!

इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही - सभ्यता है...!!

👆उपरोक्त लेख मुझे बहुत ही अच्छा लगा..., जो सनातन धर्म और संस्कृति से जुड़ा है...।🙏 

#साभार 🙏🙏

गुरुवार, 11 जुलाई 2024

चोर देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है।"और उद्योग , व्यापार , रोज़गार बढ़ाकर समाज के लोगों की रोजी रोटी का साधन भी है।

टीचर ने बच्चों से कहा कि कल
__चोर__ पर निबंध लिखकर लाना.

▪️सातवीं कक्षा के छात्र बुध्दि प्रकाश ने निबंध ऐसा लिख डाला कि टीचर अभी तक सोच में डूबा है
आप भी विचार कीजिए
▪️ "चोर देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है।"
▪️ लोगों को यह मजाक या गलत लग सकता है लेकिन यह वाकई ध्यान देने लायक विषय है।
▪️ चोरों के लिए तिजोरियाँ, अलमारियाँ और ताले हैं।
▪️ चोरों की वजह से घरों की खिड़कियों पर ग्रिल लगी होती हैं, दरवाजे लगे होते हैं, दरवाजे बंद होते हैं, इतना ही नहीं बल्कि बाहर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त दरवाजे भी होते हैं।
▪️ चोरों के कारण मकानों, दुकानों और सोसायटी के चारों ओर एक परिसर बनाया जाता है, गेट होता है, गेट पर चौकीदार 24 घंटे रहता है और चौकीदार के लिए एक वर्दी भी होती है।
▪️ चोरों की वजह से न सिर्फ सीसी टीवी, मेटल डिटेक्टर बल्कि साइबर सेल भी होते हैं।
▪️ चोरों के कारण पुलिस है, पुलिस चौकी है, पुलिस थाने हैं, गश्ती गाड़ियाँ हैं, डंडे हैं, राइफलें हैं, रिवाल्वर हैं और गोलियाँ भी हैं।
▪️ चोरों के कारण ही अदालतें हैं, अदालतों में जज, वकील, क्लर्क और जमानतदार हैं।
▪️ चोरों के कारण जेलें हैं, जेलर हैं, जेलों के लिए पुलिस भी है।
▪️ मोबाइल, लैपटॉप, कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, साइकिल, वाहन जैसी कई उपयोग में आने वाली चीजें चोरी हो जाती हैं तो लोग नई खरीद लेते हैं, इस खरीद फरोख्त से देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है।
▪️ उच्च मान्यता प्राप्त और‌ नाम वाला यदि कोई चोर होता है तो देश विदेश की मीडिया की भी रोजी रोटी चलती है।
▪️ ये सब पढ़ने के बाद *अब आपको भी यकीन हो गया होगा कि चोर ही सारे सरकारी सिस्टम की रीढ़ हैं और उद्योग , व्यापार , रोज़गार बढ़ाकर समाज के लोगों की रोजी रोटी का साधन भी है। इस प्रकार चोर जमात भी शराबियों की तरह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता देते हैं ।* 
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बुधवार, 10 जुलाई 2024

प्रदेश के सभी ई-मित्र संचालक बंधुगण, मोबाइल वॉलेट रिचार्ज करने वाले दुकानदार भाई कृपया ध्यान दें..

*प्रदेश के सभी ई-मित्र संचालक बंधुगण, मोबाइल वॉलेट रिचार्ज करने वाले दुकानदार भाई कृपया ध्यान दें.....*
ऐसा देखा जा रहा है की ऑनलाइन मनी फ्रॉड करने वाले साइबर ठग बिना नाम पता पहचान दिए दुकान पर आकर ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के बदले कैश लेकर जा रहे हैं.....

यानी वह आपको दुकान पर आकर बोलेंगे की आपको हम UPI/GOOGLE PAY/ PAYTM/PHONEPE से ऑनलाइन पैसे दे रहे है आप हमें कैश दे दीजिए.....

सरल भाषा मे वह आपको आपके एकाउंट में ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करेगा और आपसे उतना ही पैसा नकदी में लगा.....

*आप सभी को सतर्क किया जाता हैं कि इस तरह के ग्राहकों से सावधान रहें और जहां तक संभव हो कैश पेमेंट करने से बचें.....*

*साईबर फ्रॉड करने वाले चोरी का पैसा कैश विड्रॉल करने के लिए ई-मित्र संचालक और अन्य पेमेंट बैंक रिचार्ज करने वाले लोगों को लूप में डालकर उनको फसा रहे हैं....*

*कैसे करते है ठगी ??*

वह आपकी दुकान पर ग्राहक बनकर आएंगे, आपको बोलेंगे की आपको ऑनलाइन मनी ट्रांसफर कर रहा हूं मुझे कैश रोकड़ा चाहिए.....

आपको पता नहीं की वह ग्राहक आपको जो पैसा दे रहा है वह चोरी का पैसा है (ऑनलाइन किसी से फ्राड करके कमाया हुआ) उस पैसे को कैश रोकड़ा करने के लिए आपके पास आ सकते हैं.....

वह आपको UPI/GOOGLE PAY/ PAYTM/PHONEPE के माध्यम से आपके एकाउंट में पैसे ट्रांसफर करेगा और आपसे कैश लेकर हवा हो जाएगा....

लेकिन बाद में उस चोरी के पैसे का असली मालिक जब साइबर सेल या केंद्रीय गृहमंत्रालय MHA के Cyber Crime Portal पर शिकायत करेगा तब MHA उसके पैसे को ट्रैक करेगा कि पैसा किस किस एकाउंट में गया हैं....

चूंकि ठग ने कस्टमर बनकर वह चोरी का पैसा आपको UPI/GOOGLE PAY/ PAYTM/PHONEPE किया था तो आपका बैंक एकाउंट भी साइबर क्राइम पोर्टल के ट्रैक पर आएगा और आपको चोरी के पैसे की जितनी रकम मिली है वह बैंक एकाउंट ले LIEN में चली जायेगी....

मतलब आपको ठग ने कस्टमर बनकर आपसे 20,000 का ट्रांजेक्शन किया है तो आपके एकाउंट में वह 20,000 रुपये लीन (LEIN) में चला जाएगा....

LEin में गया पैसा एक तरह से होल्ड है और उसको छुड़वाना बहुत मुश्किल होता हैं.....
ऑनलाइन पैसे लेकर कैश पेमेंट करने वाले दुकानदार भाई अब ग्राहकों से सतर्क रहें....

कोई भी व्यक्ति अगर कैश रोकड़ा मांगने आये तो सबसे पहले उस कस्टमर की आइडेंटिटी जैसे आधार कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, मोबाइल नम्बर और एड्रेस वेरिफिकेशन से जुड़े दस्तावेज की कॉपी मांगे....

अपनी सुरक्षा के लिए उन्ही लोगो को कैश पेमेंट करें जिन्हें आप जानते है या आपका कोई मित्र उन्हें जानता है....

जो लोग आपके शहर के मूल निवासी है उनको ही कैश पेमेंट की सुविधा दें....

कैश पेमेंट से पूर्व कस्टमर की फोटो/वीडियो लेकर रखे....

अगर कस्टमर का UPI एकाउंट उसके आधार कार्ड से मैच नहीं करता तो पेमेंट न करें....


*कल पाली में एक ई-मित्र संचालक के साथ एक ठग ने 20,000 रुपये की ठगी ऐसे ही की हैं....*

दुकानदार को चोर आकर यूपीआई से 20,000 ट्रांसफर करके कैश रोकड़ा ले गया....

थोड़ी देर में गुजरात गांधीनगर साइबर सेल के निर्देश पर बैंक ने 20,000 की राशि लीन में डाल दी....

गुजरात पुलिस को असली मालिक ने फ्रॉड की जानकारी दी होगी इसपर पुलिस द्वारा एक्शन लिया जज स्वाभाविक हैं.....


सोमवार, 1 जुलाई 2024

हाथों और पैरों में झनझनाहट होने के कारण और उपाय......

हाथों और पैरों में झनझनाहट होने के कारण और उपाय......

जो शरीर में विटामिन बी 12 की कमी, शरीर में रक्त कोशिकाओं के सुचारू रूप से कार्य न करने की वजह से, तंत्रिका पर किसी प्रकार की चोट लगने की वजह से या नशीली पदार्थ का सेवन करने के कारण आपको इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब भी आप झनझनाहट की समस्याओं से गुजरते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि बस जल्दी से इससे राहत मिल जाए। लेकिन समझ में नहीं आता कि हम क्या करें।

▪️▪️हाथों और पैरों में झनझनाहट होने के कारण.....

▪️ तंत्रिका तंत्र पर दबाव पड़ने के कारण या तंत्रिका तंत्र पर चोट लगने के कारण हाथो पैरो में झनझनाहट होने लगती है।

■ शरीर में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और बी-12, मैग्नीशियम, पोटेशियम आदि की कमी भी आपके हाथो और पैरों में झनझनाहट का कारण बनती है।

▪️जब कोशिकाओं के कार्य में कुछ असामनता हो जाती है तब भी आपको झनझनाहट महसूस हो सकती है।

▪️रक्त वाहिकाओं के दबाव के कारण या शरीर के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से न होने के कारण।

▪️ कुछ खाद्य पदार्थ या दवाइया भी ऐसी होती है जिनके सेवन से आपको ये परेशानी होने लगती है।

▪️ शुगर के रोगियों को ये समस्या ज्यादा होती है।

▪️ बहुत अधिक शराब का सेवन, धूम्रपान आदि करने पर भी आपको इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।

▪️ठन्डे पानी में काफी देर रहना, या ठंडी चीज को काफी देर तक छूने के कारण भी आपको झनझनाहट महसूस हो सकती है।

▪️▪️हाथों और पैरों की झनझनाहट से बचने के उपाय....

◼️हल्दी का इस्तेमाल करें....

हल्दी में एंटी एंफ्लेमेंटरी पर्याप्त मात्रा में होती है। इस गुण के साथ हल्दी में एक तत्व पाया जाता है। जिसे कुरकुर्मीन कहते हैं। इसके कारण आपके पुरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में माद्दा मिलती है,इसके इस्तेमाल के लिए आप एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर अच्छे से पकाएं, उसके बाद ठंडा करके इस दूध का सेवन करें साथ ही हल्दी और पानी का पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं, आपको झनझनाहट से राहत पाने में मदद मिलेगी।

◼️दालचीनी का इस्तेमाल करें.....

दालचीनी के इस्तेमाल से भी अपने हाथ पैरों में झनझनाहट को दूर कर सकते हैं। क्योंकि इसके सेवन से आपके शरीर में मैग्नीशियम, और पोटैशियम के तत्वों की कमी को पूरा करने में माद्दा मिलने के साथ आपके ब्लड सर्कुलेशन में भी मदद मिलती है, इससे बचने के लिए आपको एक गिलास में दालचीनी पाउडर को उबाल कर उसके गुनगुना रहने तक उसका सेवन करना चाहिए इसके अलावा आप दालचीनी पाउडर के साथ थोड़ा अदरक भी उबाल सकते है, और उसमे एक चम्मच शहद मिलाकर लेते हैं तो भी आपको फायदा होता है।

◼️व्यायाम करें....

यदि आपके पैरों में भी दर्द एवं झनझनाहट की समस्या बनी रहती है तो, आपको अपने दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करने की जरूरत है। क्योंकि व्यायाम करने से न केवल आपका ब्लड सर्कुलेशन सुचारु रूप से चलता है, बल्कि आपकी कोशिकाओं को भी बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है, जिससे आपको इस समस्या से राहत के साथ अपने आप को फिट रखने में भी मदद मिलती है।

◼️मसाज करें....

इन समस्याओं को दूर करने लिए मसाज सबसे कारगर और सरल तरीका है। ऐसा करने से आपके अंग सही से काम करते हैं और ब्लड फ्लो भी बेहतर तरीके से होने लगता है। इसके इस्तेमाल के लिए आप सरसों, नारियल, जैतून के तेल को हल्का गरम करके अच्छे से अपने हाथों और पैरों की मसाज करें, जिससे इससे आपको अपनी इस परेशानी को दूर करने में मदद मिलती है, और मसाज करते समय अपनी उँगलियों को सर्कुलर मोशन में घुमाएं।

◼️गर्म सिकाई करें.....

इन समस्याओं से बचने के लिए सिकाई भी सबसे अच्छा और बेहतर उपचार है, इसके लिए आप पानी में नमक और फिटकरी डालकर अच्छे से उबाल लीजिए। उसके बाद एक सूती कपडा लेकर इस पानी में डालकर अच्छे से निचोड़ लें, फिर इस कपडे को प्रभावित हिस्से पर अच्छे से बाँध लें, या फिर पानी के गुनगुना रहने पर अपने हाथों या पैरों को इस पानी में डालकर सिकाई करें आपको राहत जरूर मिलेगी।

◼️विटामिनस बी 12 युक्त खाद्य पदार्थ और हरी सब्जियों, फलों का सेवन भरपूर मात्रा में करना....

शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर जब शरीर में विटामिन बी12 की कमी होती है तो इससे बचने के लिए आपको दूध, दही, चीज, पनीर, मक्खन, सोयाबीन दाल, सोया दूध, आदि का सेवन भरपूर करने के साथ अपने आहार में हरी सब्जियों और फलों को भी नियमित रूप से शामिल करना चाहिए ऐसा करने से आपको इस समस्या से बचने में मदद मिलती है, साथ ही आपको ड्राई फ्रूट्स आदि का सेवन भी भरपूर मात्रा में करना चाहिए।

◼️मसाला मिश्रण चूर्ण का सेवन करें.....

इसके लिए आप मसाला मिश्रण चुर्ण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जीरा, लौंग, इलायची को पीस कर एक बारीक चूर्ण तैयार करें, उसके बाद सुबह शाम इस चूर्ण का सेवन पानी के साथ करें, आपको इस समस्या से निजात पाने में मदद मिलेगी।

◼️अश्वगंधा और आंवला चूर्ण का प्रयोग करें....

आप यदि नियमित रूप से चुटकी भर अश्वगंधा के साथ आधा चम्मच आवला चूर्ण मिलाकर इसका सेवन करते हैं तो आपको इन समस्याओं से बचने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ हाथ पैरों के दर्द से भी राहत मिलने लगेगी।
यदि आप चाहते है की आपको ये समस्या न हो तो अपने आहार में विटामिन्स की मात्रा को भरपूर लें, साथ ही व्यायाम आदि को भी अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बनाएं। इससे आपके शरीर के सभी अंगो को सुचारु रूप से काम करने में मदद मिलती है।


अपना आयकर रिटर्न भरने के लिए करे सही फार्म का चुनाव

 अपना आयकर रिटर्न भरने के लिए करे सही फार्म का चुनाव


वैयक्तिक करदाता को अपनी आय के प्रकार और आवासीय स्थिति के आधार पर ITR फॉर्म (इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म) चुनना जरूरी है। ITR फॉर्म एक ऐसा दस्तावेज है जो इनकम टैक्स विभाग को आय की रिपोर्ट करने और टैक्स दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ITR दाखिल करने के लिए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस साल अप्रैल में सात फॉर्म जारी किए हैं। ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 जिनके जरिये टैक्सपेयर्स आईटीआर फाइल कर सकते हैं। टैक्सपेयर्स को नियत तारीख पर या उससे पहले उनके लिए लागू ITR फॉर्म के जरिये टैक्स रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। विभिन्न ITR फॉर्म व्यक्तियों के आय स्रोतों, टैक्स योग्य आय और टैक्सपेयर्स की श्रेणी, जैसे व्यक्ति, HUF, कंपनियां, आदि द्वारा तय की जाती है।

आपको कौन सा ITR फॉर्म भरना चाहिए?

इनकम टैक्स विभाग ने 7 ITR फॉर्म अधिसूचित किए हैं और अक्सर टैक्सपेयर्स भ्रमित हो जाते हैं कि उनके लिए कौन सा ITR फॉर्म उपयुक्त है। यहां हम ITR फॉर्म 1 से फॉर्म 4 पर बात करेंगे। जो आम लोगों द्वारा फाइल किया जाता है। कौन इसके लिए पात्र हैं।
ITR-1 (सहज):
पात्रता : ITR-1 ऐसे निवासी और सामान्य निवासी द्वारा दाखिल किया जा सकता है, जिनकी निम्नलिखित स्रोतों से कुल आय 50 लाख रुपए तक है। इसमें वेतन या पेंशन से आय, एक घर की संपत्ति से आय और अन्य स्रोतों से आय।

ITR-1 (सहज): कौन नहीं है पात्र
आईटीआर-1 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसके पास भारत के बाहर स्थित कोई संपत्ति (किसी इकाई में वित्तीय हित सहित) है,भारत के बाहर किसी स्रोत से आय है, जिसके पास किसी भी आय शीर्षक के तहत कोई आगे लाया गया घाटा या आगे ले जाने योग्य घाटा है, व्यवसाय और पेशे से आय और पूंजीगत लाभ है।

ITR-2:

पात्रता ITR-2 ऐसे व्यक्तियों या HUF द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो व्यवसाय या पेशे के लाभ और प्राप्ति के अंतर्गत आय नहीं रखते हैं।

ITR-2: कौन पात्र नहीं है
आईटीआर-1 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसकी आय ब्याज, वेतन, बोनस कमीशन या पारिश्रमिक के रूप में हो, चाहे वह किसी भी नाम से पुकारा जाता हो, किसी साझेदारी फर्म से देय हो या उससे प्राप्त हुई हो।

ITR-3

पात्रता ITR-3 उन व्यक्तियों या HUF द्वारा दाखिल किया जा सकता है, जो व्यवसाय या पेशे के लाभ और प्राप्ति शीर्षक के अंतर्गत आय रखते हैं। साझेदारी फर्म से प्राप्त ब्याज, वेतन, बोनस कमीशन या पारिश्रमिक के रूप में आय प्राप्त करते हैं।

ITR-3: कौन पात्र नहीं है
आईटीआर-3 का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है जिसके पास बिजनेस या पेशे के लाभ के अंतर्गत आय नहीं है।

ITR-4
पात्रता ITR-4 उन निवासियों और सामान्य निवासियों के लिए लागू है जिनकी पेशे से कुल आय 50 लाख (निर्दिष्ट मामलों में 75 लाख रुपये) या व्यवसाय से आय 2 करोड़ (निर्दिष्ट मामलों में 3 करोड़ रुपये) तक है, जो इस प्रकार है:-
व्यवसाय से आय जहां ऐसी आय की गणना इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44AD/44AE के अंतर्गत अनुमानित आधार पर की जाती है। पेशे से आय जहां ऐसी आय की गणना इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44ADA के अंतर्गत अनुमानित आधार पर की जाती है। इसमें वेतन या पेंशन से आय, एक घर की संपत्ति से आय, अन्य स्रोतों से आय शामिल है।

ITR-4: कौन पात्र नहीं है
ITR-4 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसके पास भारत के बाहर स्थित कोई संपत्ति (किसी इकाई में वित्तीय हित सहित) है। भारत के बाहर किसी स्रोत से आय है। लॉटरी से जीत के रूप में अन्य स्रोतों से आय है। किसी अन्य व्यक्ति के हाथों में स्रोत पर कर कटौती के क्रेडिट का कोई दावा है।

आईटीआर-4 (सुगम) अनिवार्य नहीं है लेकिन टैक्सपेयर द्वारा अनुमानित टैक्स का विकल्प चुनने की स्थिति में इसे दाखिल करना जरूरी है।


खुद भरना चाहे अपना आयकर रिटर्न तो पूरा करे ऐसे प्रोसेस

खुद भरना चाहे अपना आयकर रिटर्न तो पूरा करे ऐसे प्रोसेस


रिटर्न की अनिवार्यता
यदि आप किसी वित्त वर्ष में एक निश्चित राशि से अधिक कमाते हैं, तो उस व्यक्ति को एक तय समय सीमा के भीतर अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है। अगर आपको जितना टैक्स चुकाना चाहिए था, उससे अधिक का भुगतान कर दिया है, तो आईटीआर फाइल करने से आपको टैक्स रिफंड प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।

वेरिफिकेशन जरूरी
आईटीआर इनकम वेरिफिकेशन का एक यूजफुल टूल भी है, जो वीजा, लोन्स और कई सरकारी काम के लिये आवेदन करते समय यूज आता है। रिटर्न फाइल करने के बाद ई वेरिफिकेशन जरूरी है बिना इसके किये आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं होगा

ई-फाइलिंग साइट पर करना होगा रजिस्टर
इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन भरने के लिये सबसे पहले फर्स्ट टाइम टैक्सपेयर्स को ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। आपको ई-फाइलिंग साइट पर रजिस्टर करना होगा। इससे आप पोर्टल की कई टैक्स से जुड़ी सर्विसेस का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिये आपके पास एक वैलिड और एक्टिव पैन, वैलिड मोबाइल नंबर और वैलिड ई-मेल आईडी होनी चाहिए।

इनकम टैक्स पोर्टल पर ई-फाइलिंग के लिये कैसे रजिस्टर करें
स्टेप 1: ई-फाइलिंग पोर्टल होमपेज (https://www.incometax.gov.in/) पर जाएं,

स्टेप 2: रजिस्टर पर "एक करदाता के रूप में पंजीकरण करें" विकल्प के अंतर्गत अपना पैन दर्ज करें और वैलिडेट पर यदि पैन पहले से पंजीकृत है या अमान्य है, तो एक त्रुटि संदेश दिखाई देगा।

स्टेप 3: बेसिक डिटेल पेज पर अपना नाम, जन्म तिथि, लिंग (यदि लागू हो) और आवासीय स्थिति जैसी सभी आवश्यक जानकारी दर्ज करें और फिर जारी रखें

स्टेप 4: एक बार आपके पैन को वैलिडेट कर लेने के बाद व्यक्तिगत करदाताओं को कॉन्टैक्ट डिटेल पेज दिखाई देगा। यहां अपना प्राइमरी मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और पता दर्ज करें।

स्टेप 5: बताए गए प्राइमरी मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर दो अलग-अलग ओटीपी भेजे जाते हैं। मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर प्राप्त अलग-अलग 6 अंकों के ओटीपी दर्ज करें।

स्टेप 6: यदि आवश्यक हो तो पेज में डिटेल एडिट करें और कंफर्म हो जाने पर आगे बढ़े।

स्टेप 7: पासवर्ड सेट करें पेज पर अपने पासवर्ड को सेट करें और कंफर्म करें।

स्टेप 8: जब आप सफलतापूर्वक रजिस्टर हो जाते हैं, तो लॉगिन प्रक्रिया शुरू करने के लिए लॉगिन के लिए आगे बढ़ें।

ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करें और सभी उपलब्ध सेवाओं का उपयोग करने के लिए अपनी प्रोफ़ाइल अपडेट करें। अब आप अपना कर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं या अन्य टैक्स संबंधी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।

इनकम टैक्स की वेबसाइट पर आपको रिटर्न फाइल करने के लिए मुख्यतः दो प्रकार की प्रक्रिया दे रखी है
Offline
online

दोनों प्रक्रिया में से एक प्रक्रिया चुने

ऑनलाइन फाइल करने पर आपको आपके सारे डेटा पहले से ही भरे हुए मिल जाएंगे और उसको कंफर्म करते हुए आप आगे बढ़कर रिटर्न फाइल कर सकते हैं

ऑफलाइन की स्थिति में इनकम टैक्स वेबसाइट से उस रिटर्न से संबंधित यूटिलिटी डाउनलोड कर उसमें अपना रिटर्न कंप्लीट करें और फिर अपलोड करें

शुक्रवार, 28 जून 2024

आयकर रिटर्न के लिए नई टैक्स प्रणाली श्रेष्ठ या पुरानी.. जानिए

आयकर रिटर्न के लिए नई टैक्स प्रणाली श्रेष्ठ या पुरानी.. जानिए
आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय करदाता के पास दो विकल्‍प होते हैं। इन दो विकल्‍पों को लेकर कई करदाता काफी परेशान होते हैं कि आखिर किस ऑप्शन के जरिये वह ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं।

हम आज आयकर कर व्यवस्था (Tax Regime) के बारे में बात कर रहे हैं। वर्तमान में करदाता के सामने पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के विकल्प मौजूद हैं। इन दोनों विकल्पों के टैक्स स्लैब में भी काफी अंतर होता है। 

ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री होती है। वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इन दोनों रिजीम में टैक्सपेयर आयकर अधिनियम 87A के तहत टैक्स बचा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि आपके लिए इन दोनों ऑप्शन में से कौन-सा बेस्ट रहेगा।

*पुरानी कर व्यवस्था में कब देना होता है टैक्स*

अगर किसी करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये है तो उसे 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। दरअसल, पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। यानी बचे हुए 2.5 लाख रुपये का पर 5 फीसदी की दर से टैक्‍स लगेगा जो कि 12,500 रुपये होता है। हालांकि, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत सरकार इसे माफ कर देती है। 

आयकर अधिनियम के 87A के तहत करदाता 5 लाख तक की इनकम पर टैक्स बचा सकते हैं। अब इसमें भी एक ट्विस्ट है। अगर सालाना इनकम 5 लाख रुपये से 1 रुपये भी ज्यादा होती है तब करदाता को पूरे 2.5 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा और 1 रुपये पर 20 फीसदी का टैक्स देना होगा।

*नई कर व्यवस्था में कब देना होता है टैक्स*

अब न्यू टैक्स रिजीम की बात करें तो इसमें 3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। ऐसे में अगर करदाता की सालाना इनकम 5 लाख रुपये है तब 3 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं लगता है और बाकी 2 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा।

इस रिजीम में भी आयकर अधिनियम के 87A धारा के तहत 7.0 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। 

अब अगर टैक्सपेयर की सैलरी 7.5 लाख रुपये से ज्यादा है तब उसे 3 लाख रुपये के बाद की इनकम पर टैक्स देना होगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर सालाना इनकम 4,50,001 रुपये है तो 3 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। बाकी बचे 1,50,001 रुपये पर 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा यानी 15,000 रुपये का कर देना होगा।

*सैलरीड टैक्सपेयर को दोनों ही टैक्स रिजीम में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी फायदा मिलता है।*

*कितनी अलग है दोनों टैक्स रिजीम*

इनकम के दायरे: 1 अप्रैल 2020 को न्यू टैक्स रिजीम का ऑप्शन सामने आया था। न्यू टैक्स रिजीम में भले ही टैक्स फ्री इनकम का दायरा बढ़ा दिया गया था   पर इसमें निवेश के जरिए टैक्स सेविंग के विकल्‍प नहीं हैं। वहीं पुरानी कर व्यवस्था में टैक्स फ्री इनकम का दायरा कम है, लेकिन कई अन्‍य टैक्स बेनिफिट मिलते हैं।

*टैक्स डिडक्शन:*
 ओल्ड टैक्स रिजीम में आयकर अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा भी कई तरह टैक्स बेनिफिट मिलते हैं। यह टैक्स बेनिफिट न्यू टैक्स रिजीम में नहीं मिलते।

*टैक्स रिबेट लिमिट:*
दोनों टैक्स रिजीम में सबसे बड़ा अंतर टैक्स रिबेट का है। पुरानी कर व्यवस्था में 5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री होता है, जबकि नई कर व्यवस्था में इसकी लिमिट 7.0 लाख रुपये है। 

*कौन-सी रिजीम है आपके लिए श्रेष्ठ*

हमने यह तो समझ लिया कि इन दोनों रिजीम में कैसे टैक्स का भुगतान होता है और इसमें अंतर क्या है। अब बात आती है कि कौन-सा ऑप्शन बेस्ट है। अगर आपकी सैलरी 7.5 लाख रुपये है तो आप न्यू रिजीम को चुन सकते हैं। वहीं, अगर 7.5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम है और आपने निवेश भी किया हुआ है तब आपको ओल्ड टैक्स रिजीम सेलेक्ट करनी चाहिए।

आपको कितना टैक्स देना है इसको लेकर कन्फ्यूज हैं तब आप आयकर विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद टैक्स कैलकुलेटर (Tax Calculator) का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आप जान पाएंगे कि आपको किस रिजीम में कितना टैक्स देना होगा। आप चाहें तो इसके लिए CA की मदद भी ले सकते हैं।

बुधवार, 26 जून 2024

आमदनी कर योग्य नही है या टैक्स नही कटा तो भी आयकर रिटर्न भरना है फायदेमंद

📌 *आमदनी कर योग्य नही है या टैक्स नही कटा तो भी आयकर रिटर्न भरना है फायदेमंद*


यदि आपकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से कम है और उम्र 60 साल से कम, तो आपको देश के आयकर कानून के तहत कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। ऐसे लोगों के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना भी जरूरी नहीं है।

ऐसा इसलिए क्योंकि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए बेसिक एग्जम्पशन लिमिट 2.5 लाख रुपये सालाना है। 

दरअसल, भारत में आपके या किसी भी व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स भरना जरूरी है या नहीं, यह बेसिक एग्जम्पशन लिमिट के आधार पर तय होता है, जो आपकी उम्र और सालाना आमदनी के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। 

आमतौर पर बेसिक एग्जम्पशन लिमिट से कम आमदनी होने पर आईटीआर भरना जरूरी नहीं होता है। 

नई और ओल्ड टैक्स रिजीम में यह लिमिट अलग-अलग है।

*ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट*

अगर आपने ओल्ड टैक्स रिजीम को चुना है, तो उम्र के हिसाब से बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट इस तरह होगी:

60 साल से कम उम्र के व्यक्ति : 2.5 लाख रुपये
वरिष्ठ नागरिक (60 से 80 साल की उम्र) : 3 लाख रुपये
सुपर सीनियर सिटीजन (80 साल से अधिक) : 5 लाख रुपये
पुरानी टैक्स रिजीम से अलग न्यू टैक्स रिजीम में कंपनियों और फर्मों को छोड़कर बाकी सभी लोगों के लिए 3 लाख रुपये की एक जैसी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट तय है।।

*इन मामलों में भी जरूरी है ITR भरना*

आमतौर पर आपके लिए आईटीआर दाखिल करना तभी अनिवार्य होता है, जब आपकी कुल सालाना आय बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से ज्यादा हो। लेकिन सालाना आय इस लिमिट से कम होने पर भी जिन लोगों की आमदनी का जरिया कैपिटल गेन यानी पूंजीगत लाभ है या उन्हें विदेशी संपत्तियों से आय होती है, उनके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी हो सकता है।

*नील टैक्स रिटर्न फाइल करने के फायदे*

जिन लोगों के लिए किसी भी टैक्स रिजीम के तहत आयकर रिटर्न भरना जरूरी नहीं है, वे भी अगर चाहें, तो अपनी मर्जी से आयकर रिटर्न भर सकते हैं। इस तरह के आयकर रिटर्न को “जीरो रिटर्न” (Zero ITR) या 'निल रिटर्न' (Nil ITR) कहा जाता है। दरअसर जीरो रिटर्न आयकर विभाग को यह बताने का एक तरीका है कि उस वित्तीय वर्ष के दौरान आपकी आमदनी टैक्सेबल नहीं रही है। लेकिन आपको जीरो रिटर्न क्यों दाखिल करना चाहिए? 
क्या इस तरह का जीरो रिटर्न दाखिल करने का कोई फायदा है?।
 दरअसल, आपके लिए ऐसा करना भले ही जरूरी नहीं हो, लेकिन जीरो रिटर्न दाखिल करने के कई फायदे हैं:

1. लोन एप्लीकेशन में एलिजिबिलिटी तय करने के लिए भी आईटीआर की जरूरत पड़ती है। हो सकता है आपको अभी लोन की जरूरत नहीं लग रही हो, लेकिन अगर आगे चलकर आपको कर्ज लेना पड़ा, तो पिछले आयकर रिटर्न के डॉक्युमेंट आपके काफी काम आएंगे।
2. वाहन दुर्घटना के क्लेम को सेटल करने में- यदि किसी आयकर दाता के साथ सड़क दुर्घटना हो जाती है तो उसके फाइनेंशियल लॉस को दावे के रूप में स्वीकार किया जाता है अर्थात वह भविष्य में कितना कमाएगा इसका फैसला उसके पूर्ववर्ती आयकर रिटर्न के आधार पर किया जाता है
3. वीज़ा के लिए आवेदन करते समय आयकर रिटर्न मांगा जा सकता है। ऐसे में अगर आपने जीरो रिटर्न फाइल किया है, तो आपके काम आ सकता है।
4. पासपोर्ट एप्लीकेशन में भी आईटीआर/असेसमेंट ऑर्डर को एड्रेस के वैध प्रमाण के रूप में भी स्वीकार किया जाता है।
5. बैंक आपके डिपॉजिट पर टीडीएस (TDS) काट सकते हैं। अगर आपकी आय टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो भी आपको काटे गए टीडीएस का रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर दाखिल करना होगा।
6. अगर आपने एडवाइजर या फ्रीलांसर के रूप में काम करते हैं, तो पेमेंट करने वाले भी टीसीएस काट सकते हैं। ऐसे मामलों में भी रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है
7. अगर किसी पिछले साल में आपकी आमदनी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से ज्यादा थी और मौजूदा साल में नहीं है, तो भी आपको इनकम टैक्स विभाग की नजर में अपना स्टेटस क्लियर रखने के लिए रिटर्न फाइल कर देने चाहिए। आयकर विभाग से बाद में रिटर्न फाइल नहीं करने का नोटिस मिलने और उसका जवाब भेजने से जीरो रिटर्न भरना बेहतर है।
8. अगर आपके पास विदेश में कोई संपत्ति, कारोबार या बैंक अकाउंट है, तो भी आपके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है, भले ही आपकी सालाना आमदनी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम हो।
9. अगर आप एक वित्त वर्ष के दौरान हुए कैपिटल लॉस को अगले वित्त वर्ष में कैरी-फॉरवर्ड करना चाहते हैं, ताकि आगे चलकर होने वाले कैपिटल गेन में उसे एडजस्ट कर सकें, तो इसके लिए नियमित रूप से आईटीआर फाइल करना जरूरी है।


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