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शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन

दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन (मुनगा)। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फल्ली, तना, गोंद हर चीज उपयोगी होती है। 
           आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना :- विटामिन सी- संतरे से सात गुना अधिक। विटामिन ए- गाजर से चार गुना अधिक। कैलशियम- दूध से चार गुना अधिक। पोटेशियम- केले से तीन गुना अधिक। प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना अधिक। 
            स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाते हैं। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ' मोरिगा ओलिफेरा ' है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं। 

सहजन जिसे मोरिंगा नाम से जाना जाता है। यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं। इसीलिए सप्ताह में कम से कम 2 बार सहजन के पराठे का सेवन जरूर करते हैं। जानिए आखिर *सहजन खाने के क्या-क्या है लाभ-*

*सहजन में पोषक तत्वों जैसे- प्रोटीन, ऑयरन, बीटा कैरोटीन, अमीनो एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटीमिन ए, सी और बी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं। वहीं इसकी पत्तियां भी काफी फायदेमंद होती है। सहजन की पत्तियों में संतरे और नींबू की तुलना में 6 गुना अधिक विटामिन-सी होता है। इसके साथ ही दूध में 4 गुना अधिक कैल्शियम,  गाजर की तुलना में 4 गुना अधिक विटामिन ए,  केले की तुलना में 3 गुना अधिक पोटेशियम पाया जाता है। इतना ही नहीं सहजन की पत्तियां भी पानी में आर्सेनिक छोड़ती हैं।* 


*सहजन खाने के मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ*

*हाई ब्लड प्रेशर करे कम*
सहजन में भरपूर मात्रा में पोटैशियम, विटामिन्स पाए जाते हैं। जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। 

*वजन कम करने में करे मदद*
शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को कम करने में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है। इसमें अधिक मात्रा में फास्फोरस पाया जाता है। जो वसा कम करने में मदद करता है। इसलिए आप मोरिंगा की पत्तियों का रस का सेवन करे। इससे आपको लाभ मिलेगा।

*डायबिटीज को कंट्रोल*
अगर आप डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो सहजन का सेवन करें। इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा। दरअसल सहजन में राइबोफ्लेविन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके चलते यह ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करने से बचे। 

*इम्यूनिटी करें मजबूत*
सहजन में भरपूर मात्रा में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। जिससे किसी भी तरह की संक्रामक बीमारी आपसे कोसों दूर रहती हैं। इसके साथ ही आपकी हड्डियां भी मजबूत होती है। 

*सिर दर्द से दिलाए निजात*
सहजन के पत्तों के रस को काली मिर्च के साथ पीस लें। इसके बाद इस पेस्ट को सिर माथे पर लगा लें। इससे आपको लाभ मिलेगा। 

*स्किन को रखें जवां*
सहजन में भरपूर मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो आपको स्किन संबंधी हर समस्या से छुटकारा दिला देता है। इसके साथ ही इसमें विटामिन  पाया जाता है। जो आप आपकी स्किन को जवां रखने में मदद करता है। 

*एनीमिया से दिलाए निजात*
शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया की शिकायत हो जाती है। ऐसे में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है।  सहजन की पत्तियों के एथनोलिक एक्सट्रैक्ट में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। जिसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती हैं।

www.sanwariyaa.blogspot.com

          सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। 
          सहजन की पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
            सहजन के फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है। 
          सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है। ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर सहजन का रस सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है। इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में आराम मिलता है। 
            सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता है, इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं। 
          सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लोरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है, बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।
            कैंसर तथा शरीर के किसी हिस्से में बनी गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ों में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में भी लाभकारी है |
            सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द तथा दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग, जैसे चेचक आदि के होने का खतरा टल जाता है। 
           सहजन में अधिक मात्रा में ओलिक एसिड होता है, जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है। यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो, सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होती है। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है, इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है।
           सहजन के फली की हरी सब्जी को खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है। सहजन को सूप के रूप में भी पी सकते हैं,  इससे शरीर का खून साफ होता है। 
            सहजन का सूप पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन सी के अलावा यह बीटा कैरोटीन, प्रोटीन और कई प्रकार के लवणों से भरपूर होता है, यह मैगनीज, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर होते हैं। यह सभी तत्व शरीर के पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। 

कैसे बनाएं सहजन का सूप?
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 सहजन की फली को कई छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते हैं। दो कप पानी लेकर इसे धीमी आंच पर उबलने के लिए रख देते हैं, जब पानी उबलने लगे तो इसमें कटे हुए सहजन की फली के टुकड़े डाल देते हैं, इसमें सहजन की पत्त‍ियां भी मिलाई जा सकती हैं, जब पानी आधा बचे तो सहजन की फलियों के बीच का गूदा निकालकर ऊपरी हिस्सा अलग कर लेते हैं, इसमें थोड़ा सा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीना चाहिए। 

           १. सहजन के सूप के नियमित सेवन से सेक्सुअल हेल्थ बेहतर होती है. सहजन महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है। 

           २. सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है. इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है। 

          ३. सहजन का सूप पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाने का काम करता है, इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या नहीं होने देते हैं। 

          ४. अस्थमा की शिकायत होने पर भी सहजन का सूप पीना फायदेमंद होता है. सर्दी-खांसी और बलगम से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि के रूप में किया जाता है। 

          ५. सहजन का सूप खून की सफाई करने में भी मददगार है, खून साफ होने की वजह से चेहरे पर भी निखार आता है। 

          ६. डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए भी सहजन के सेवन की सलाह दी जाती है।


 

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

घबराकर शेर शाह सूरी ने कहा था "मुट्टी भर बाजरे (मारवाड़) की खातिर हिन्दुस्तान की सल्लनत खो बैठता


 सन् 1840 में काबुल में युद्ध में 8000 पठान मिलकर भी
1200 राजपूतो का मुकाबला 1 घंटे भी नही कर पाये।
वही इतिहासकारो का कहना था की चित्तोड
की तीसरी लड़ाई जो 8000 राजपूतो और 60000
मुगलो के मध्य हुयी थी वहा अगर राजपूत 15000
राजपूत होते तो अकबर भी जिंदा बचकर नहीं जाता।
इस युद्ध में 48000 सैनिक मारे गए थे जिसमे 8000
राजपूत और 40000 मुग़ल थे वही 10000 के करीब
घायल थे।
और दूसरी तरफ गिररी सुमेल की लड़ाई में 15000
राजपूत 80000 तुर्को से लडे थे, इस पर घबराकर शेर
शाह सूरी ने कहा था "मुट्टी भर बाजरे (मारवाड़)
की खातिर हिन्दुस्तान की सल्लनत खो बैठता"


उस युद्ध से पहले जोधपुर महाराजा मालदेव जी नहीं गए
होते तो शेर शाह ये बोलने के लिए जीवित भी नही
रहता।
इस देश के इतिहासकारो ने और स्कूल कॉलेजो की
किताबो मे आजतक सिर्फ वो ही लडाई पढाई
जाती है जिसमे हम कमजोर रहे,
वरना बप्पा रावल और राणा सांगा जैसे योद्धाओ का नाम तक सुनकर मुगल की औरतो के गर्भ गिर जाया करते थे, रावत रत्न सिंह चुंडावत की रानी हाडा का त्यागपढाया नही गया जिसने अपना सिर काटकर दे दिया था।
पाली के आउवा के ठाकुर खुशहाल सिंह
को नही पढाया जाता, जिन्होंने एक अंग्रेज के अफसर का सिर काटकर किले पर लटका दिया था।
जिसकी याद मे आज भी वहां पर मेला लगता है। दिलीप सिंह जूदेव का नही पढ़ाया जाता जिन्होंने एक लाख आदिवासियों को फिर से हिन्दू बनाया था।
महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर
महाराणा प्रतापसिंह
महाराजा रामशाह सिंह तोमर
वीर राजे शिवाजी
राजा विक्रमाद्तिया
वीर पृथ्वीराजसिंह चौहान
हमीर देव चौहान
भंजिदल जडेजा
राव चंद्रसेन
वीरमदेव मेड़ता
बाप्पा रावल
नागभट प्रतिहार(पढियार)
मिहिरभोज प्रतिहार(पढियार)
राणा सांगा
राणा कुम्भा
रानी दुर्गावती
रानी पद्मनी
रानी कर्मावती
भक्तिमति मीरा मेड़तनी
वीर जयमल मेड़तिया
कुँवर शालिवाहन सिंह तोमर
वीर छत्रशाल बुंदेला
दुर्गादास राठौड
कुँवर बलभद्र सिंह तोमर
मालदेव राठौड




महाराणा राजसिंह
विरमदेव सोनिगरा
राजा भोज
राजा हर्षवर्धन बैस
बन्दा सिंह बहादुर
इन जैसे महान योद्धाओं को नही पढ़ाया/बताया जाता है, जिनके नाम के स्मरण मात्र से ही शत्रुओं के शरीर में आज भी कंपकंपी शुरू हो जाती है।🚩💐🙏🏻

बच्चों का कोडिंग टैलेंट देख दुनिया हैरान है

कभी यह कहा जाता था कि कोडिंग यानी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज लिखना बच्चों का खेल नहीं, पर आज छोटी उम्र के अन्विता विजय, तन्मय बख्शी आदि जैसे बच्चों का कोडिंग टैलेंट देख दुनिया हैरान है। आप भी चाहें, तो घर बैठे ऑनलाइन कोडिंग सीखकर अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।


कोडिंग एक प्रकार की भाषा है. जिससे हम कंप्यूटर से बातचीत कर सकते हैं, इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं. याने कंप्यूटर जो भाषा समझता है. उसे हम कोडिंग कहते हैं. कोडिंग के मदद से हम मोबाइल एप्स, सॉफ्टवेयर तथा वेबसाइट बना सकते हैं.

मेलबर्न की रहने वाली भारतीय मूल की अन्विता विजय केवल 9 साल की हैं लेकिन ऐप्स डेवलपर्स के बीच एक जाना- पहचाना नाम हैं। अन्विता अब तक दो ऐप्स 'स्मार्टकिंस एनिमल" और 'स्मार्टकिंस रेनबो कलर्स" डेवलप कर चुकी हैं। इसी तरह कनाडा में रहने वाले 12 वर्षीय तन्मय बख्शी की भी इन दिनों खूब चर्चा है। उन्होंने 5 साल की उम्र से ही कम्प्यूटर प्रोग्राम्स बनाने शुरू कर दिए थे। आज वे जाने-पहचाने डेवलपर के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। तन्मय के नए एल्गोरिदम को दुनिया के पहले एनएलक्यूए (नैचुरल लैंग्वेज क्वेश्चंस आंसरिंग) सिस्टम के रूप में देखा जा रहा है। अगर कोडिंग सीखने का आपका भी मन कर रहा है, तो यहां दिए जा रहे कुछ खास प्लेटफॉर्म्स आपकी मदद कर सकते हैं

कोडकेडमी

कोडिंग सीखनी है, तो यह काफी लोकप्रिय वेबसाइट है। इसकी मदद से करीब 2.5 करोड़ लोग कोडिंग सीख चुके हैं। इस साइट के साथ अच्छी बात यह है कि इसका इंटरफेस काफी सिंपल है और कोर्स को अच्छे से डिजाइन किया गया है। यहां कोडिंग सीखने के लिए केवल साइनअप करना होगा। आप अपने गूगल या फिर फेसबुक अकाउंट से भी साइनअप कर सकते हैं। यहां पर आप एचटीएमएल, सीएसएस, जावा स्क्रिप्ट, पीएचपी जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में सीख सकते हैं। कोड के बारे में विस्तार से बताने के साथ-साथ यहां इंस्ट्रक्शन भी दिए गए हैं। अगर कोड लिखने के दौरान कुछ गलत हो जाता है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपको हिंट्स मिलते रहेंगे। यहां पर आप कोडिंग सीख चुके लोगों की सक्सेस स्टोरी भी पढ़ सकते हैं।

कोडएवेंजर्स

आपके लिए कोडएवेंजर्स भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। यहां पर भी प्रोग्रामिंग कोर्स को अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है। इसकी मदद से आप वेबसाइट, ऐप्स और गेम बनाना सीख सकते हैं। कोर्स को बिगिनर्स को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। शुरुआत में केवल उन्हीं चीजों के बारे में बताया जाता है, जिनकी जरूरत कोड सीखने के लिए होती है। इस दौरान इंस्ट्रक्शंस भी मिलेंगे, जिससे आपके लिए कोडिंग करना आसान हो जाता है। यहां आप कोड के साथ खेलकर देख सकते हैं कि उसका तुरंत प्रभाव किस तरह का होता है। इस साइट पर अभी एचटीएमएल, सीएसएस, जावा स्क्रिप्ट, पाइथन, जेक्वैरी, रूबी जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कोर्स उपलब्ध हैं।

कोडस्कूल

अगर आपको कोडिंग की इन-डेप्थ नॉलेज चाहिए, तो इस साइट पर साइनअप कर सकते हैं। यहां एचटीएमएल, सीएसएस, जावा स्क्रिप्ट, रूबी, पाइथन, आईओस, जीआईटी, डाटाबेस, इलेक्टिव्स आदि के बारे में सीख सकते हैं। कोर्स मटेरियल के साथ स्टेप-बाय-स्टेप इंस्ट्रक्शंस और वीडियो लेसंस भी मिल जाएंगे। यहां उपलब्‍ध अध‍िकांश कोर्स फ्री हैं

ट्रीहाउस

यहां पर लैंग्वेज ओरिएंटेड कोर्स के बजाय प्रोजेक्ट ओरिएंटेड कोर्स ज्यादा हैं। आप वेबसाइट बनाने या फिर एप्लिकेशन डेवलप करने के लिए कोडिंग सीख सकते हैं। वेबसाइट के लिए बेसिक चीजें, जैसे टेक्स्ट एडिटर्स, एचटीएमएल टैग्स आदि के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। यहां कोडिंग से संबद्ध 1,000 से अध‍िक एक्सपर्ट्स द्वारा तैयार वीडियोज हैं। हालांकि यहां पर उपस्थित अध‍िकतर कोर्स पेड हैं

ऐप्स से भी सीखें

स्विफ्टी-लर्न हाऊ टू कोड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से जुड़ी बेसिक चीजों को सीखने के लिए आईट्यून से 'स्विफ्टी-लर्न हाऊ टू कोड" ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें प्रोग्रामिंग से जुड़े इंट्रोडक्शन के अलावा, हैंड्स-ऑन ट्यूटोरियल्स भी दिए गए हैं। साथ ही, इसमें कोडिंग से संबद्ध अलग-अलग चैप्टर्स हैं।

स्क्रैच बाय एमआईटी मीडिया लैब

विजुअल बेसिक प्रोग्रामिंग सीखने के लिए यह एक उपयोगी वेब एप्लिकेशन है। इसका यूजर इंटरफेस भी काफी सरल है, जिससे कोई भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीख सकता है। इस एप्लिकेशन के जरिये छोटे बच्चे भी आसानी से कोडिंग सीख सकते हैं। इसमें प्रोग्रामिंग कॉन्सेप्ट के लिए वैरिएबल्स, कंडीशनल्स और लूप्स जैसे ऑप्शंस दिए गए हैं। इसके लिए लेटेस्ट ब्राउजर के साथ एडोब फ्लैश प्लेयर 10.2 या उससे ऊपर के वर्जन की जरूरत होगी।

हॉप्सकोच

यह ऐप्स आईओएस डिवाइस के लिए फ्री में उपलब्‍ध है। इसकी मदद से बेसिक प्रोग्रामिंग सीखना काफी आसान हो जाता है। इसमें प्री-बिल्ट ब्लॉक्स हैं, जिनके जरिये छोटे-छोटे प्रोग्राम्स बना सकते हैं। इसकी मदद से यूजर एंग्री बर्ड्स जैसे गेम भी क्रिएट कर सकते हैं

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Ankur kumar


मेने राजस्थान पत्रिका में चीन के बच्चो के बारे में एक खबर पड़ी थी।। वो लोग कितने आगे की सोच रहे है।और हम अभी भी नजर दोष, बच्चो को लांघने से छोटे होने जैसे बेबुनियादी मामलो में उलझे हुए है।। इनसे कुछ भी नही होता है ।लंबाई तो डीएनए ओर जीन ,तथा वातावरण और खानपान के ऊपर निर्भर करती है ।। बाकी ओर कोई चीज इसे प्रभावित नही कर सकती है।

इसमे लोग वहाँ के बच्चो को टयूशन में कोडिंग सिखाने भेजते है। अब वो लोग कितने आगे की सोच रहे है ।।और हम भारतीय है कि अभी तक भी अंधविश्वास में उलझे हुए है।।

आप निशिन्त रहिये ऐसा कुछ नही होने वाला।।

बस अच्छा खानपान और बीमारियों से बचाव रखिये ।।आपका बच्चा आप लोगो से भी लंबा ही होगा ।।


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बच्चों को कंप्यूटर कोडिंग सीखनी चाहिए क्योंकि

आखिर आप और हम जैसे आम लोग भी कोडिंग क्यों नहीं सीख सकते?

दरअसल हर व्यक्ति कोड करना जानता ही नहीं हैं, एवं आज भी ये ज्ञान केवल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों तक ही सीमित है। हमें इस सवाल पर विचार करना चाहिए की आखिर आप और हम जैसे आम लोग भी कोडिंग क्यों नहीं सीख सकते?

मुझे लगता है की अभी तो हर व्यक्ति को कोडिंग आना ही चाहिए एवं छोटे बच्चों को ये शिक्षा प्रारंभिक तौर पर विद्यालयों में ही दी जानी चाहिए।

आप शायद सोच रहे होंगे की ऐसा क्यों?

दरअसल, कोडिंग सही मायने में लाभदायक तब होती है जब उसकी मदद से आप आदमी अपने कामों को आसानी से कर सके| ऐसा कर पाने के लिए कंप्यूटर को सटीक तरीके से ये बताना होता है की हम उससे क्या चाहते हैं| जो भी व्यक्ति ये काम अच्छे से कर सके, हम लोग उसे एक अच्छा कोडर मानते हैं। परन्तु जो व्यक्ति कोडिंग में अच्छा हो, ज़रूरी नहीं की वो बाकी विषयों में भी जानकार हो।

उदहारण के तौर पर, यदि किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट को उसके ऑफिस में एक नया सॉफ्टवेयर लगवाना हो, तो उसे एक कोडिंग एक्सपर्ट को अपनी ज़रूरतें समझानी होंगी। लेकिन उस कोडिंग वाले व्यक्ति को ये ज़रूरतें समझने के लिए एकाउंटिंग का ज्ञान होना चाहिए। तब जाकर ये वार्तालाप अच्छे से हो सकेगा। अब समझिये की इस पूरी व्यवस्था में, न सिर्फ उसे कोडिंग आना चाहिए, बल्कि नए नए विषय भी समझ में आना चाहिए, तभी वह व्यक्ति सही तरीके से कंप्यूटर को ज़रूरतें समझा सकेगा। क्या आपको नहीं लगता की ये एक चुनौती भरा कार्य है?

उसकी बजाय, यदि हर व्यक्ति थोड़ी थोड़ी कोडिंग कर सके, तो वह अपनी ज़रूरतों को और भी सटीक तरीके से कंप्यूटर को बता सकेगा, एवं ऐसा करने से उसका कार्य सरल हो जायेगा |

इसको कुछ यूँ समझिये -

आज के ज़माने में मोबाइल फ़ोन कई तरह की सुविधाएं देतें हैं। परन्तु हर व्यक्ति मोबाइल चलाना नहीं जानता। अगर हर व्यक्ति अच्छे से मोबाइल चलना सीख जाये तो वो अपनी ज़िन्दगी के कई कार्य सरल कर सकता है। उसे बार बार किसी मोबाइल चलाने वाले व्यक्ति के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। साधारण कोडिंग करना भी मोबाइल चलाने जैसा ही है।

 
कंप्यूटर जिस भाषा को समझता है उसे कोडिंग कहते है।ऐसे में हम जो भी काम करते है कंप्यूटर पर वो कोडिंग के माध्यम से ही होता है जहां तक बच्चो की बात है तो आई सी एस ई बोर्ड में कक्षा 5 से ही कोडिंग की पढ़ाई शुरू हो जाती है इंजीनियरिंग में तीसरे सेमेस्टर में

बच्चों को कंप्यूटर कोडिंग सीखनी चाहिए क्योंकि...

  1. प्रोग्रामिंग बच्चों को समस्या-समाधान करने में मदद करता है.
  2. कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बच्चों को एक चुनौती देता है और उन्हें लचीलापन विकसित करने में मदद करता है.
  3. कोडिंग बच्चों को सोचना सिखाती है.
  4. एक बच्चा अपनी रचनात्मकता का विस्तार करता है जब वे सीखते हैं कि कैसे कोड करना है.
  5. कोडिंग से बच्चों को गणित के साथ मज़े लेने में मदद मिलती है.
  6. कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भविष्य है.
  7. सॉफ्टवेयर उद्योग में कौशल की कमी है.
  8. मस्ती करते हुए कोडिंग सीख रहे हैं.

आजकल तो बच्चे भी कोडिंग सिख रहे है और ऐप्प बना रहे है | बच्चो को कोडिंग सिखाना चाहते है चाहे वो क्लास 1 में हो या क्लास 10 में या +2 में आप सिखा सकते है whitehat.jr जूनियर वेबसाइट पर | यहाँ पर कोडिंग के लिए free ट्रायल मिल जायेगा | यहाँ कोडिंग सिखाया जाता है  ये एक इंडियन वेबसाइट है | यहाँ पर कोडिंग कोर्स कर सकते है |

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मुझे अपने 12 साल के बच्चे को किस coding language की सलाह देनी चाहिए जो प्रोग्रामिंग में रूचि रखता हैं?


प्रोग्रामिंग बहुत विस्तारित क्षेत्र है। 6-12 साल की उम्र में प्रोग्रामिंग के मूलभूत व सामान्य नियम / सिद्धांत सीखना उपयुक्त है। इसका मुख्य कारण यह है कि किसी भी छोटे से लेकर बड़े प्रोग्राम तक में भी मूलभूत नियम में गलती, सम्पूर्ण प्रोग्राम को त्रुटिमय बना देती है फलस्वरूप प्रोग्राम कम्पाइल नही हो पाता। साथ ही अन्य उच्च स्तरीय प्रोग्राम भी इन्ही सिद्धांतों से शुरू किए जाते है।

शुरुआत में सी ++ एवं एचटीएमएल (C++ and HTML) सीखने की सलाह दी जाती है क्योंकि C++ से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के प्रोग्राम बनाये जाते है जबकि HTML से वेब डवलपमेंट के प्रयोग बनाये जाते है। दोनो ही अपने क्षेत्र में मूलभूत आधार तैयार करने के लिए उत्तम है।

बाद में यदि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में विस्तारपूर्वक एवं गहराई से अध्ययन करना हो तो Python, Rubi, Java, C#, SQL इत्यादि का अध्ययन किया जा सकता है। तथा यदि वेब डवलपमेंट में विस्तारपूर्वक एवं गहराई से अध्ययन करना हो तो PHP, CSS, JavaScript, Advance Java इत्यादि का अध्ययन किया जा सकता है।

आप उसे एंड्रॉयड प्रोग्रामिंग सीखा सकते हैं।
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Ankur kumar

मेरी बात मानो, उसे Android Studio सिखाओ।

इसके दो फायदे हैं।

पहला, इसकी मदद से Android के apps बनते हैं। WhatsApp, Hotstar, Evernote, ShareIT आदि जैसे अनेक apps Android Studio पर ही बने हैं। इससे एक बात तो साफ है - C++ या HTML का जिस तरह scope खत्म हो रहा है, भविष्य में Android Studio का scope खत्म नहीं होगा।

और दूसरा, इसमे काम करने के दो तरीके हैं — कोड लिखना…

…और मेरा मनपसंद, सीधा बटन, textbox आदि उठा उठाकर स्क्रीन पर डाल देना!

तो ये आसान भी है। इसलिए ही तो सब इसका इस्तमाल करते हैं।

महिलाओं को घर से ही काम करके अच्छी कमाई करने का अवसर दे रही है #WhiteHatJr


इस कठिन समय में जब लोग अपनी नौकरी खो रहे हैं, वेतन में कटौती का सामना कर रहे हैं और अपने काम से जुड़ना मुश्किल हो रहा है, तो एक ख्याल दिमाग में आता है ...।

"काश मेरे पास आय का एक वैकल्पिक स्रोत होता।"

हम सभी जानते हैं कि बदलते समय के साथ , हम लोगों को असामान्य मांगों के साथ खुद को समायोजित करना मुश्किल लगता है। अभी के इन मुश्किल हालात में लोगों को काम के लिए घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है, विशेष रूप से महिलाओं को, क्योंकि बच्चे स्कूल बंद होने के कारण घर पर हैं और किसी को उनकी देखभाल के लिए घर पर रहना पड़ता है।

लेकिन एक ऐसी कम्पनी है , जो महिलाओं को अपनी सुविधानुसार पसंद के समय में घर से ही काम करके अच्छी कमाई करने का अवसर दे रही है।

बच्चों के खाली समय में घर से कोडिंग सीखने का एक नया चलन है। और व्हाइटहैट जूनियर अपनी विश्व स्तर की विशेषज्ञता के साथ एक ऐसी अग्रणी कंपनी है, जो बच्चों को घर से सीखने और महिलाओं को बिना किसी पूर्व अनुभव के कोडिंग सिखाने का अवसर प्रदान करती है।

वास्तव में वे शिक्षिकाओं को प्रशिक्षित करते हैं और उन्हें प्रमाण पत्र के साथ ही सुनिश्चित वेतन भी देते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि इसके लिए आपको घर से ही एक कठिन तीन स्तरीय स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और चयन होने के बाद भी कड़ी मेहनत से सीखना और सीखाना पड़ता है।

इसके लिए आपको इन सब की आवश्यकता है:

  1. एक ग्रेजुएट डीग्री,
  2. अंग्रेजी बोलना आना,
  3. एक लैपटॉप / कंप्यूटर,
  4. एक वाईफाई कनेक्शन और
  5. कड़ी मेहनत की इच्छा ।

स्क्रीनिंग प्रक्रिया के लिए निम्न लिंक में पंजीकरण कर सकते हैं:

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इस लेख को आगे बढ़ाकर अपने मित्रों और संबंधियों को इस कठिन समय में कमाई करने में मदद करें।

धन्यवाद्। 🙏


आजकल तो बच्चे भी कोडिंग सिख रहे है और ऐप्प बना रहे है | बच्चो को कोडिंग सिखाना चाहते है चाहे वो क्लास 1 में हो या क्लास 10 में या +2 में आप सिखा सकते है whitehat.jr जूनियर वेबसाइट पर | यहाँ पर कोडिंग के लिए free ट्रायल मिल जायेगा | यहाँ कोडिंग सिखाया जाता है  ये एक इंडियन वेबसाइट है | यहाँ पर कोडिंग कोर्स कर सकते है |

कोडिंग सिख कर app बना कर playstore पर डाल सकते है | और आप कमाई भी कर पाएंगे

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सोमवार, 5 अक्टूबर 2020

दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।


*अपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं*

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। एक बार उन्होंने कहना शुरू किया कि उन्हें कलकत्ता में रहने पर एक बूढ़े व्यक्ति ने ,जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था,सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।

 2।  एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। फिर उसने कहा कि एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो मेरी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ और स्वस्थ हो गई।

 3।  एक सज्जन जो एक व्यापारी हैं, ने लिखा है कि मैं अवकाश के लिए चित्राल गया था। मैं वहाँ एक होटल में सोया था। मैं सो नहीं सका। मैं बाहर घूमने लगा। रात में बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने मुझसे पूछना शुरू किया, "क्या बात है?"  मैंने कहा नींद नहीं आ रही है!  वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" मैंने कहा, नहीं, वह गया और तेल लाया और कहा, "कुछ मिनट के लिए अपने पैरों के तलवों की मालिश करें।" फिर वह खर्राटे लेना शुरू कर दिया। अब मैं सामान्य हो गया हूं।

 4।  मैंने रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर इस तेल की मालिश की कोशिश की। इससे मुझे बेहतर नींद आती है और थकान दूर होती है।

 5।  मुझे पेट की समस्या थी। अपने तलवों पर तेल से मालिश करने के बाद, 2 दिनों में मेरे पेट की समस्या ठीक हो गई।

 6।  वास्तव में!  इस प्रक्रिया का एक जादुई प्रभाव है। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश की। इस प्रक्रिया ने मुझे बहुत सुकून की नींद दी।

 7. मैं इस ट्रिक को पिछले 15 सालों से कर रहा हूं। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद आती है। मैं अपने छोटे बच्चों के पैरों के तलवों की भी तेल से मालिश करता हूं, जिससे वे बहुत खुश और स्वस्थ रहते हैं।

 8. मेरे पैरों में दर्द हुआ करता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों को 2 मिनट तक रोजाना जैतून के तेल से मालिश करना शुरू किया। इस प्रक्रिया से मेरे पैरों में दर्द से राहत मिली।

 9।  मेरे पैरों में हमेशा सूजन रहती थी और जब मैं चलता था, मैं थक जाता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल मालिश की इस प्रक्रिया को शुरू किया। सिर्फ 2 दिनों में, मेरे पैरों की सूजन गायब हो गई।

 10  रात में, बिस्तर पर जाने से पहले, मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का एक टिप देखा और उसे करना शुरू कर दिया। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद मिली।

 1 1।  बड़ी अदभुत बात है।  यह टिप आरामदायक नींद के लिए नींद की गोलियों से बेहतर है। मैं अब हर रात अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश करके सोता हूं।

 12  मेरे दादाजी के पैरों के तलवों में जलन होती थी और सिरदर्द होता था। जब से उन्होंने अपने तलवों पर कद्दू का तेल लगाना शुरू किया, दर्द दूर हो गया।

 13. मुझे थायरॉइड की बीमारी थी। मेरे पैर में हर समय दर्द हो रहा था। पिछले साल किसी ने मुझे रात में बिस्तर पर जाने से पहले पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का यह सुझाव दिया था। मैं इसे स्थायी रूप से कर रहा हूं। अब मैं आम तौर पर शांत हूं।

 14।  मेरे पैर सुन रहे थे। मैं रात को बिस्तर पर जाने से पहले चार दिनों तक अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश कर रहा हूं। एक बड़ा अंतर है।

 15. बारह या तेरह साल पहले मुझे बवासीर हुआ था। मेरा दोस्त मुझे एक ऋषि के पास ले गया जो 90 साल का था।  उन्होंने हाथ की हथेलियों पर, उँगलियों के बीच, नाखूनों के बीच और नाखूनों पर तेल रगड़ने का सुझाव दिया और कहा: नाभि में चार-पाँच बूँद तेल डालें और सो जाएँ। मैं हकीम साहब की सलाह मानने लगा।  मुझे बहुत राहत मिली। इस टिप ने मेरी कब्ज की समस्या को भी हल कर दिया। मेरे शरीर की थकान भी दूर हो जाती है और मुझे चैन की नींद आती है।  खर्राटों को रोकता है।

 16।  पैरों के तलवों पर तेल की मालिश एक आजमाई हुई और परखी हुई टिप है।

 17।  तेल से मेरे पैरों के तलवों की मालिश करने से मुझे चैन की नींद मिली।

 18. मेरे पैरों और घुटनों में दर्द था।  जब से मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की टिप पढ़ी है, अब मैं इसे रोजाना करता हूं, इससे मुझे चैन की नींद आती है।

 19. जब से मैंने रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश के इस नुस्खे का उपयोग करना शुरू किया है, तब से मुझे कमर दर्द ठीक हो गया है। मेरी पीठ का दर्द कम हो गया है और भगवान का शुक्र है कि मुझे बहुत अच्छी नींद आई है।

 *रहस्य इस प्रकार है:*

 रहस्य बहुत ही सरल, बहुत छोटा, हर जगह और हर किसी के लिए बहुत आसान है। *किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए।* रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं।  क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।

 *प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं।  उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।*

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भगवान् किसको मिलते है ?


भगवान् किसको मिलते है ?


निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥

जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है। मुझे कपट और छल-छिद्र नहीं सुहाते।


वृंदावन में एक भक्त रहते थे जो स्वाभाव से बहुत ही भोले थे । उनमे छल ,कपट ,चालाकी बिलकुल नहीं थी । बचपन से ही वे भक्त जी वृंदावन में रहते थे , श्री कृष्ण स्वरुप में उनकी अनन्य निष्ठा थी और वे भगवान् को अपना सखा मानते थे । बहुत शुद्ध आत्मा वाले थे , जो मन में आता है वही भगवान से बोल देते है ।वो भक्त कभी वृंदावन से बहार गए नहीं थी ।एक दीन भोले भक्त जी को कुछ लोग जगन्नाथ पुरी में भगवान् के दर्शन करने लग गए । पुराने दिनों में बहुत भीड़ नहीं होती थी अतः वे सब लोग जगन्नाथ भगवान् के बहुत पास दर्शन करने गए । भोले भक्त जी ने जगन्नाथ जी का स्वरुप कभी देखा नहीं था , उसे अटपटा लगा ।

उसने पूछा – ये कौनसे भगवान् है ? ऐसे डरावने क्यों लग रहे है ? सब पण्डा पूजारी लोग कहने लगे – ये भगवान् श्री कृष्ण ही है , प्रेम भाव में इनकी ऐसी दशा हो गयी है । जैसे ही उसने सुना – वो जोर जोर से रोने लग गया और ऊपर जहां भगवान् विराजमान है वहाँ जाकर चढ़ गया । सब पण्डा पुजारी देखकर भागे और उससे कहने लगे की निचे उतरो परंतु वह निचे नहीं उतरा । उसने भगवान् को आलिंगन देकर कहा – अरे कन्हैया ! ये क्या हालात बना र खी है तूने ? ये चेहरा कैसे फूल गया है तेरा , तेरे पेट की क्या हालात होंगयी है । यहां तेरे खाने पिने का ध्यान नहीं रखा जाता क्या ? मैं प्रर्थना करता हूं ,तू मेरे साथ अपने ब्रिज में वापस चल । मै दूध, दही ,मखान खिलाकर तुझे बढ़िया पहले जैसा बना दूंगा ,सब ठीक हो जायेगा तू चल ।

पण्डा पुजारी उन भक्त जी को निचे उतारने का प्रयास करने लगे , कुछ तो निचे से पीटने भी लगे परंतु वह रो रो कर बार बार यही कह रहा था की कन्हैया , तू मेरे साथ ब्रज में चल , मै तेरा अच्छी तरह ख्याल करूँगा । तेरी ऐसी हालात मुझसे देखी नहीं जा रही । अब वहाँ गड़बड़ मच गयी तो भगवान् ने अपने माधुर्य श्रीकृष्ण रूप के उसे दर्शन करवाये और कहा – भक्तो के प्रेम में बंध कर मैंने कई अलग अलग रूप धारण किये है , तुम चिंता मत करो । जो जिस रूप में मुझे प्रेम करता है मेरा दर्शन उसे उसी रूप में होता है , मै तो सर्वत्र विराजमान हूँ । उसे जगन्नाथ जी ने समझा बुझाकर आलिंगन वरदान किया और आशीर्वाद देकर वृंदावन वापस भेज दिया । इस लीला से स्पष्ट है की जिसमे छल कपट नहीं है ,जो शुद्ध हृदय वाला भोला भक्त है उसे भगवान् सहज मिल जाते है ।

मेवाड़ वीर राणा पुंजा भील की जन्म जयंती पर विशेष 05 Oct 2020


राणा पुंजा भील की जन्म जयंती पर विशेष
05 Oct 2020
*मेवाड़ वीर राणा पूंजा भील-एक समग्र परिचय*

विश्व की सबसे प्राचीन अरावली पर्वत श्रृंखला में वाकल, सोम व साबरमती नदियों के उद्गम स्थलों के संधीय भोमट के पठार  में जन्मा भारतीय संस्कृति का एक जनजाति रक्षक-राणा पूंजा भील ने महाराणा प्रताप के साथ मिलकर  क्षात्रधर्मी पथ का राष्ट्र व संस्कृति सेवा के रूप में अपने धर्म का वरण किया। पंडित नरेंद्र मिश्र के शब्दों में- *संकट में धरती पुत्रों का माता ने जब आह्वान किया।* *तब एकलव्य की निष्ठा से पूजा ने शर-संधान किया ।।*

आत्मविश्वास और स्वाभिमान के धनी भील जनजातियों के इस नायक ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का मित्र, संकटमोचक वह आत्मिक सहयोगी की भूमिकाओं का निर्वहन करते हुए ऐतिहासिक गौरव का सम्मान प्राप्त किया है।

आरंभिक जीवन- राणा पूंजा भील का जन्म 5 अक्टूबर को भीलों की होलकी (सोलंकी) गोत्र में पिता खेता दूल्हा और माता केहरी के पुत्र के रूप में हुआ। यह सपूत मात्र 13 वर्ष की आयु में मेवाड़ की मेरपुर रियासत की गद्दी पर आसीन हुआ जो आधुनिक गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित भील व गरासिया बाहुल्य क्षेत्र है। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में संगठनात्मक शक्ति, स्वामीभक्ति, राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता, प्रतिभा और कर्तव्य के प्रति समर्पण को देखते हुए महाराणा उदय सिंह ने उन्हें *राणा* की उपाधि से सम्मानित किया।

भोमट का राजा- मेवाड़ की पश्चिम भाग में स्थित दुर्गम पहाड़ी रियासत के कम वय में भूमिया सरदार के रूप में कवियों का निर्वहन करते हुए राणा पूंजा ने जनजातियों को एक सेना के रूप में संगठित, प्रशिक्षित और प्रतिबद्ध किया जो सर्वधर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए विरोचित गुणों से सुसज्जित किया । क्षेत्र की भौगोलिक एकाकीपन को एक प्राकृतिक किले के रूप में विकसित किया। किसी भी संकट के समय रक्षा के निमित्त क्षेत्र के सभी प्रवेश वाले मार्गों को नियंत्रण में लिया।

राजनीतिक परिवेश-11-12वीं सदी में इस्लामिक आक्रमणों के कारण भारतवर्ष की उत्तर पश्चिमी सीमा पर राजनीतिक स्थिरता आ गई थी। दिल्ली पर आरंभ में सल्तनत और बाद में मुगलों के कब्जे के कारण दक्षिणी भारत के अभियानों का मार्ग राजस्थान से गुजरता था। इस कारण राजस्थान के अधिकांश राजपूत शासकों को अपने आश्रय में लेकर मुगल बादशाह अकबर मेवाड़ पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा था। इस कठिन समय में राणा पूंजा अपनी भील सेना के साथ महाराणा प्रताप की साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक अथक-अंतहीन संघर्ष के लिए खड़े थे।

उपलब्धियां- मेवाड़ की कमान अपने हाथ में लेने के साथ ही कठिन राजनीतिक परिवेश में महाराणा प्रताप ने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए अनवर अनवरत संघर्ष का मार्ग चुना। इस दौरान उनके राज्याभिषेक में राणा पूंजा भील अपने वीर सैनिकों सहित कुंभलगढ़ में उपस्थित रहे। मुगलों के संभावित आक्रमण को देखते हुए आगे की रणनीति के लिए राणा पूंजा ने अपने उपयोगी सुझाव दिए एवं चेन्नई कार्यों की तैयारी से संबंधित उत्तरदायित्व अपने कंधों पर उठाने का संकल्प लिया। सन् 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में भील पदातियों के साथ राणा पूंजा ने तीर-कमान, छोटी तलवारों और गोफन जैसे परंपरागत हथियारों के साथ युद्ध स्थल के दाएं ओर का मोर्चा संभालते हुए दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए। इस युद्ध के बाद की क्रमिक घटनाओं में भील सेना द्वारा आविष्कृत छापामार प्रणाली से आक्रमण करते हुए मुगल सेना को भील सैनिकों ने खूब छकाया । रक्त तलाई की लड़ाई में यह छापामार प्रणाली के बहुत अनुकूल परिणाम रहे। युद्ध काल में हल्दीघाटी के पास मुहाने की पहाड़ी पर महाराणा प्रताप की रक्षा करने का जिम्मा भी इस सेना ने उठाया। एक निश्चित रणनीति के स्थान पर दुर्गम पहाड़ियों में गतिशीलता के साथ आक्रमण करना और पीछे हट जाने की रणनीति ने मेवाड़ी सरदार की शान बढ़ाई। महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली गोगुंदा कस्बे की सुरक्षा और यहां आई मुगल सेना को आक्रामक ढंग से घेरकर सबको चकित कर दिया था। भोमट के क्षेत्र में मुगल सेना के संभावित आक्रमण को देखते हुए सभी दिशाओं में नाकाबंदी का कार्य भील सेना ने संभाला था। संकट के समय में राजकोष की सुरक्षा के साथ ही राज परिवार की स्त्रियोंऔर बच्चों की जिम्मेदारी भील सेना को दिया जाना, इस बात का अमिट साक्ष्य है कि मेवाड़ का राजपरिवार जनजातियों के निष्ठावान गुणों का कितना विश्वास करता था। इस संदर्भ में दुर्गम स्थान पर आपात राजधानी के रूप में आवरगढ़ किले की योजना, निर्माण, सुरक्षा और आपात प्रबंध की पूरी व्यवस्था राणा पूंजा की भील सेना द्वारा की गई।

ऐतिहासिक महत्व- जो दृढ़ राखे धर्म को ताहि राखे करतार...की नीति पर चलने वाले महाराणा प्रताप ने जब धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा का जो प्रण लिया तब एक स्वाभाविक राष्ट्र आराधना के निमित्त भीलों ने राणा पूंजा के नेतृत्व में मुगलों की विस्तारवादी नीति के विरुद्ध स्वयं को एक अभेद्य जीवंत प्राचीर के रूप में खड़ा कर दिया। छापामार युद्ध प्रणाली द्वारा हल्दीघाटी के युद्ध के उपरांत संकट काल में संचार, कोष और राज परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करते हुए सबसे महत्व के कार्य किए। मेवाड़ की जनजातियों ने सैनिक व संस्कृति रक्षक के रूप में अपने स्वाभाविक कर्तव्यों द्वारा अपूर्व योगदान दिया जिसके परिणामस्वरूप जग प्रसिद्ध मेवाड़ी संस्कृति में 'राणी जायो, भीली जायो-भाई भाई' का भाव आज भी लोगों की जुबान पर है। राणा पूंजा भील ने अपनी  सेना के साथ वीरोचित कार्यों को मेवाड़ के राज्य चिन्ह को भी जीवंत कर दिया जिसमें एक ओर महाराणा और दूसरी ओर भील सैनिक, सरदार रूप में, प्रदर्शित किया गया है। यह गाथा इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखने योग्य एवं जनमानस के पटल पर अंकित है कि आन बान शान की रक्षा के लिए जनजातियां सदा ही अपने स्वाभाविक क्षात्र धर्म का निर्वहन करते हुए जन इतिहास को युगों युगों के लिए अविस्मरणीय करती है।

राणा पूंजा भील-गीत दोहा-- बेरी उबो थरथर कापे सुन राणा री हुणकार । तीर कामड़ी गोपण लेकिन उबा भील वीर सरदार ।।

गीत.. राणा थारी आण रे मां बांधी भीला पाल रे । राणा थारी आण रे मां बांधी भीला पाल रे। आयो रे बेरिया रो अब, आयो रे बेरिया रो अब काल रे मेवाड़ी राणा थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी भीला टोल रे। नील गगन सूं आओ रणधीरा-2 भीला ने आसिस दीजो रणधीरा।। जय एकलिंग गढ़ जय एकलिंग गढ़ बोर रे मेवाड़ी राणा थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी भीला टोल रे।।

तीर कबाण राणा थारी रे तलवारा-2 बल पे रिजो रे राणा बैरिया ने ललकारा बैरी कोई खोले पट ना बैरी कोई खोले पट ना पाट रे थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी पूंजा टोल रे।।

अंगरखी पगरखी नी चावे खणदण रे-2 हिवड़ा सू प्यारी माणे राणा थारी आण रे। लड़ाला-मरांला लड़ाला-मरांला पण खा चण बोर रे । थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी पूंजा टोल रे।।

मानवता से जो पूर्ण हो, वही मनुष्य कहलाता है। बिन मानवता के मानव भी,पशु तुल्य रह जाता है।


🙏मानवता से जो पूर्ण हो, वही मनुष्य कहलाता है।
 
     बिन मानवता के मानव भी,पशु तुल्य रह जाता है।      

एक ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजरा बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया किन्तु किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अऩ्न नहीं दिया आखिर दोपहर हो गयी ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोसता हुआ जा रहा थाः “कैसा मेरा दुर्भाग्य है  इतने बड़े नगर में मुझे खाने के लिए दो मुट्ठी अन्न तक न मिला ? रोटी बना कर खाने के लिए दो मुट्ठी आटा तक न मिला ?

इतने में एक सिद्ध संत की निगाह उस पर पड़ी उन्होंने ब्राह्मण की बड़बड़ाहट सुन ली वे बड़े पहुँचे हुए संत थे उन्होंने कहाः

“ब्राह्मण  तुम मनुष्य से भिक्षा माँगो, पशु क्या जानें भिक्षा देना ?”

ब्राह्मण दंग रह गया और कहने लगाः “हे महात्मन्  आप क्या कह रहे हैं ? बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं में रहने वाले मनुष्यों से ही मैंने भिक्षा माँगी है”

संतः “नहीं ब्राह्मण मनुष्य शरीर में दिखने वाले वे लोग भीतर से मनुष्य नहीं हैं अभी भी वे पिछले जन्म के हिसाब ही जी रहे हैं कोई शेर की योनी से आया है तो कोई कुत्ते   की योनी से आया है, कोई हिरण की से आया है तो कोई गाय या भैंस की योनी से आया है उन की आकृति मानव-शरीर की जरूर है किन्तु अभी तक उन में मनुष्यत्व निखरा नहीं है और जब तक मनुष्यत्व नहीं निखरता, तब तक दूसरे मनुष्य की पीड़ा का पता नहीं चलता. ‘दूसरे में भी मेरा ही दिलबर  है’ यह ज्ञान नहीं होता तुम ने मनुष्यों से नहीं, पशुओं से भिक्षा माँगी है”

सिद्धपुरुष तो दूरदृष्टि के धनी होते हैं उन्होंने कहाः “देख ब्राह्मण मैं तुझे यह चश्मा देता हूँ इस चश्मे को पहन कर जा और कोई भी मनुष्य दिखे, उस से भिक्षा माँग फिर देख, क्या होता है”

ब्राह्मण जहाँ पहले गया था, वहीं पुनः गया योगसिद्ध कला वाला चश्मा पहनकर गौर से देखाः ‘ओहोऽऽऽऽ…. वाकई कोई कुत्ता है कोई बिल्ली है.  तो कोई बघेरा है आकृति तो मनुष्य की है लेकिन संस्कार पशुओं के हैं मनुष्य होने पर भी मनुष्यत्व के संस्कार नहीं हैं’ घूमते-घूमते वह ब्राह्मण थोड़ा सा आगे गया तो देखा कि एक मोची जूते सिल रहा है ब्राह्मण ने उसे गौर से देखा तो उस में मनुष्यत्व का निखार पाया।

ब्राह्मण ने उस के पास जाकर कहाः “भाई तेरा धंधा तो बहुत हल्का है औऱ मैं हूँ ब्राह्मण रीति रिवाज एवं कर्मकाण्ड को बड़ी चुस्ती से पालता हूँ मुझे बड़ी भूख लगी है लेकिन तेरे हाथ का नहीं खाऊँगा फिर भी मैं तुझसे माँगता हूँ क्योंकि मुझे तुझमें मनुष्यत्व दिखा है”

उस मोची की आँखों से टप-टप आँसू बरसने लगे वह बोलाः “हे प्रभु  आप भूखे हैं ? हे मेरे रब  आप भूखे हैं ? इतनी देर आप कहाँ थे ?”

यह कहकर मोची उठा एवं जूते सिलकर टका, आना-दो आना  जो इकट्ठे किये थे, उस चिल्लर ( रेज़गारी ) को लेकर हलवाई की दुकान पर पहुँचा और बोलाः “हे हलवाई  मेरे इन भूखे भगवान की सेवा कर लो ये चिल्लर यहाँ रखता हूँ जो कुछ भी सब्जी-पराँठे-पूरी आदि दे सकते हो, वह इन्हें दे दो मैं अभी जाता हूँ”

यह कहकर मोची भागा घर जाकर अपने हाथ से बनाई हुई एक जोड़ी जूती ले आया एवं चौराहे पर उसे बेचने के लिए खड़ा हो गया।

उस राज्य का राजा जूतियों का बड़ा शौकीन था उस दिन भी उस ने कई तरह की जूतियाँ पहनीं किंतु किसी की बनावट उसे पसंद नहीं आयी तो किसी का नाप नहीं आया दो-पाँच बार प्रयत्न करने पर भी राजा को कोई पसंद नहीं आयी तो मंत्री से क्रुद्ध होकर बोलाः “अगर इस बार ढंग की जूती लाया तो जूती वाले को इनाम दूँगा और ठीक नहीं लाया तो मंत्री के बच्चे तेरी खबर ले लूँगा”

दैव योग से मंत्री की नज़र इस मोची के रूप में खड़े असली मानव पर पड़ गयी जिस में मानवता खिली थी, जिस की आँखों में कुछ प्रेम के भाव थे, चित्त में दया-करूणा थी,  ब्राह्मण के संग का थोड़ा रंग लगा था मंत्री ने मोची से जूती ले ली एवं राजा के पास ले गया राजा को वह जूती एकदम ‘फिट’ आ गयी, मानो वह जूती राजा के नाप की ही बनी थी राजा ने कहाः “ऐसी जूती तो मैंने पहली बार ही पहन रहा हूँ किस मोची ने बनाई है यह जूती ?”

मंत्री बोला  “हुजूर  यह मोची बाहर ही खड़ा है”

मोची को बुलाया गया उस को देखकर राजा की भी मानवता थोड़ी खिली राजा ने कहाः “जूती के तो पाँच रूपये होते हैं किन्तु यह पाँच रूपयों वाली नहीं, पाँच सौ रूपयों वाली जूती है जूती बनाने वाले को पाँच सौ और जूती के पाँच सौ, कुल एक हजार रूपये इसको दे दो”

मोची बोलाः “राजा साहिब तनिक ठहरिये यह जूती मेरी नहीं है, जिसकी है उसे मैं अभी ले आता हूँ”

मोची जाकर विनयपूर्वक ब्राह्मण को राजा के पास ले आया एवं राजा से बोलाः “राजा साहब  यह जूती इन्हीं की है”

राजा को आश्चर्य हुआ वह बोलाः “यह तो ब्राह्मण है इस की जूती कैसे ?”

राजा ने ब्राह्मण से पूछा तो ब्राह्मण ने कहा मैं तो ब्राह्मण हूँ यात्रा करने निकला हूँ”

राजाः “मोची जूती तो तुम बेच रहे थे इस ब्राह्मण ने जूती कब खरीदी और बेची ?”

मोची ने कहाः “राजन्  मैंने मन में ही संकल्प कर लिया था कि जूती की जो रकम आयेगी वह इन ब्राह्मणदेव की होगी जब रकम इन की है तो मैं इन रूपयों को कैसे ले सकता हूँ ? इसीलिए मैं इन्हें ले आया हूँ न जाने किसी जन्म में मैंने दान करने का संकल्प किया होगा और मुकर गया होऊँगा तभी तो यह मोची का चोला मिला है अब भी यदि मुकर जाऊँ तो तो न जाने मेरी कैसी दुर्गति हो ? इसीलिए राजन्  ये रूपये मेरे नहीं हुए मेरे मन में आ गया था कि इस जूती की रकम इनके लिए होगी फिर पाँच रूपये मिलते तो भी इनके होते और एक हजार मिल रहे हैं तो भी इनके ही हैं हो सकता है मेरा मन बेईमान हो जाता इसीलिए मैंने रूपयों को नहीं छुआ और असली अधिकारी को ले आया”

राजा ने आश्चर्य चकित होकर ब्राह्मण से पूछाः “ब्राह्मण मोची से तुम्हारा परिचय कैसे हुआ ?”

ब्राह्मण ने सारी आप बीती सुनाते हुए सिद्ध पुरुष के चश्मे वाली  आप के राज्य में पशुओं के दीदार तो बहुत हुए लेकिन मनुष्यत्व का विकास इस मोची में ही नज़र आया”

राजा ने कौतूहलवश कहाः “लाओ, वह चश्मा जरा हम भी देखें”

राजा ने चश्मा लगाकर देखा तो दरबारी वगैरह में उसे भी कोई सियार दिखा तो कोई हिरण, कोई बंदर दिखा तो कोई रीछ राजा दंग रह गया कि यह तो पशुओं का दरबार भरा पड़ा है  उसे हुआ कि ये सब पशु हैं तो मैं कौन हूँ ? उस ने आईना मँगवाया एवं उसमें अपना चेहरा देखा तो शेर  उस के आश्चर्य की सीमा न रही ‘ ये सारे जंगल के प्राणी और मैं जंगल का राजा शेर यहाँ भी इनका राजा बना बैठा हूँ ’ राजा ने कहाः “ब्राह्मणदेव योगी महाराज का यह चश्मा तो बड़ा गज़ब का है  वे योगी महाराज कहाँ होंगे ?”

ब्राह्मणः “वे तो कहीं चले गये ऐसे महापुरुष कभी-कभी ही और बड़ी कठिनाई से मिलते हैं”

श्रद्धावान ही ऐसे महापुरुषों से लाभ उठा पाते हैं, बाकी तो जो मनुष्य के चोले में पशु के समान हैं वे महापुरुष के निकट रहकर भी अपनी पशुता नहीं छोड़ पाते

ब्राह्मण ने आगे कहाः ‘राजन्  अब तो बिना चश्मे के भी मनुष्यत्व को परखा जा सकता है व्यक्ति के व्यवहार को देखकर ही पता चल सकता है कि वह किस योनि से आया है एक मेहनत करे और दूसरा उस पर हक जताये तो समझ लो कि वह सर्प योनि से आया है क्योंकि बिल खोदने की मेहनत तो चूहा करता है लेकिन सर्प उस को मारकर बिल पर अपना अधिकार जमा बैठता है”

अब इस चश्मे के बिना भी विवेक का चश्मा काम कर सकता है और दूसरे को देखें उसकी अपेक्षा स्वयं को ही देखें कि हम सर्पयोनि से आये हैं कि शेर की योनि से आये हैं या सचमुच में हम में मनुष्यता खिली है ? यदि पशुता बाकी है तो वह भी मनुष्यता में बदल सकती है कैसे ?

तुलसीदाज जी ने कहा हैः

बिगड़ी जनम अनेक की सुधरे अब और आजु

तुलसी होई राम को रामभजि तजि कुसमाजु

कुसंस्कारों को छोड़ दें… बस अपने कुसंस्कार आप निकालेंगे तो ही निकलेंगे अपने भीतर छिपे हुए पशुत्व को आप निकालेंगे तो ही निकलेगा यह भी तब संभव होगा जब आप अपने समय की कीमत समझेंगे मनुष्यत्व आये तो एक-एक पल को सार्थक किये बिना आप चुप नहीं बैठेंगे पशु अपना समय ऐसे ही गँवाता है पशुत्व के संस्कार पड़े रहेंगे तो आपका समय बिगड़ेगा अतः पशुत्व के संस्कारों को आप निकालिये एवं मनुष्यत्व के संस्कारों को उभारिये फिर सिद्धपुरुष का चश्मा नहीं, वरन् अपने विवेक का चश्मा ही कार्य करेगा।

मानवता से जो पूर्ण हो, वही मनुष्य कहलाता है।

बिन मानवता के मानव भी, पशुतुल्य रह  जाता है।
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