जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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शनिवार, 30 दिसंबर 2023
रिफाइन तेल शरीर के लिए जहर..पोस्ट लम्बा है और जीवन से जुड़ा है पूरा अवश्य पढ़े...
पांडवारा बत्ती (पांडवों की मशाल) है, एक ऐसा पौधा जिसे महाभारत के पांडवों ने अपने वनवास के दौरान चिमनी की मशाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए रखा था।
रामलला और गुलाब चच्चा*🌹🤔*1949 में अयोध्या के ज़िला मजिस्ट्रेट नायर द्वारा नेहरू की हिन्दू विरोधी नीतियों के निडर विरोध की गाथा सुन कर आपकी आँखें भर 😢 आएगी ।*
अपनी ही मौत का सामान तैयार करने के लिए अब हिन्दू 2,04,683 X 26,000 = Rs 5,32,17,58,000.00 (लगभग 533 करोड़ रुपये) प्रतिमास का जजिया कर देने के लिये आगे बढ़ रहा है
अमेरिका में रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम
सोमवार, 25 दिसंबर 2023
25 दिसंबर/जन्म-दिवस अटल बिहारी वाजपेयी भारत के दसवें प्रधानमंत्री
गुरुवार, 21 दिसंबर 2023
गोमती चक्र की उपयोगिता
गोमती चक्र की उपयोगिता
बहुत उपयोगी प्रश्न पूछा है , गोमती चक्र की उपयोगिता क्या है ?
सोया भाग्य जगा देते हैं , गोमती चक्र
शनिवार को लोहा ( कार , ट्रेक्टर या और कोई वाहन ) खरीद लेते हैं , एक दो अपवाद छोड़कर ,इस दिन खरीदा हुआ लोहा कभी वफ़ा नहीं देता । शनिवार को यदि घर की नीवं रखते हैं , वो घर शुभ फलदायी होता है। शुक्रवार को यदि झाड़ू ख़रीदकर लाते हैं ,तो समझो लक्ष्मी माता घर ले आये। ये कुछ उदहारण जो हमारे जीवन पर बहुत असर डालते हैं। शुभ समय ,शुभ दिन , शुभ मुहूर्त पर चीजें खरीदना ,हमारे जीवन पर बहुत असर डालती हैं।
कुछ चीजें हैं , जिनको घर लाने में किसी शुभ समय ,शुभ दिन , शुभ मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं , और उनको कभी भी खरीदो हमेशा वफ़ा ही देती हैं। जैसे गोमती चक्र , नाम आपने सुना होगा , लेकिन इसका प्रभाव और चमत्कार नहीं देखा होगा।
जिस घर में गोमती चक्र हो , वैवाहिक जीवन सफल और सुखी रहता है,कोई हारी बीमारी नहीं होती ,दुकान व्यापार सही चलता है, घर के सभी सदस्य व्यापार ,नौकरी ,पढाई में उन्नति करते हैं ,ग्रह कलेश नहीं होता । फालतू के खर्चे और कर्जा नहीं होता।
गोमती चक्र अभिमंत्रित कैसे करें? ये भी कई लोगों का सवाल है
तो बता दें , माता गोमती नदी के गोमती चक्र और माता नर्मदा नदी से निकलने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग अभिमंत्रित नहीं करने होते। इनको घर पर पूजा के स्थान पर रख कर साधारण पूजा कीजिए ,अपार शुभ फल देंगे।
तांत्रिक क्रियाओं में इसका बहुत उपयोग किया जाता है। जो दिखने में बहुत ही साधारण होता है लेकिन इसका प्रभाव असाधारण होता है।गोमती चक्र कम कीमत वाला ऐसा पत्थर है। जो गोमती नदी में मिलता है।
गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं। पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट से सम्बंधित कई रोग दूर हो जाते हैं।
धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने नियमित " श्री नम:" का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं। उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।
गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं। माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है , हमेशा पैसा हाथ में रहता है। कर्जा नहीं होता ,आय के स्त्रोत बने रहते हैं ,आय के नए साधन बनते हैं।
इनकी बहुत ही खास बात ये है की ,ये सर्वसुलभ हैं , आसानी से खरीदे जा सकते हैं। आप ऑनलाइन ले सकते हो ,किसी भी पूजा पाठ की दूकान से ले सकते हो। और ये कम खर्च में बहुत सस्ते मिल जाते हैं।
16000 रानियों की चिता की राख से अल्लाउद्दीन ने "सवा चौहत्तर मन सोना" (एक मन = 37.3242 किग्रा ) लूटा था।
कभी प्रसिद्ध इतिहासविद् अतुल रावत की किताब पढ़ियेगा ।
जिसमें बताया है कि
16000 रानियों की चिता की राख से अल्लाउद्दीन ने
"सवा चौहत्तर मन सोना"
(एक मन = 37.3242 किग्रा ) लूटा था।
यह जूता है उनके मुँह पर जो इस विषय पर भंसाली जैसे बॉलीवुड भाँडो के लिये सहानुभूति रखते हैं अल्लाउद्दीन की मरघटी मोहब्बत का आखिर यही अर्थशास्त्र है!!
अतुल रावत का कथन पढ़िए –
"भारतीय सन्दर्भ में लोक परंपरा किस प्रकार इतिहास को संरक्षित किये रहती है यह पद्मिनी की महान गाथा से स्पष्ट है"।
जौहर की ज्वाला शांत होने के बाद अलाउद्दीन ने उस विशाल चिता को भी नहीं छोड़ा।
सभी राजपूतानियाँ पूरा श्रृंगार करके चिता पर आरूढ़ हुई थीं। अलाउद्दीन ने चिता की राख से "सवा चौहत्तर मन सोना" लूटा था।
हिन्दू समाज ने राजपूतानियों के उस महान बलिदान की स्मृति बनाये रखने के लिए एक लोक परंपरा आरम्भ की जो अब से पचास -साठ वर्ष पूर्व तक चलती रही – हिन्दू अपने पत्रों पर "सवा चौहत्तर का अंक" अंकित किया करते थे।
इसका आशय यह था कि जिसको पत्र लिखा गया है उसके अलावा यदि कोई अन्य व्यक्ति इस पत्र को खोले तो उसे वही पाप लगे जो पाप पद्मिनी की चिता से सवा चौहत्तर मन सोना लूटने पर अल्लाउद्दीन को लगा था।
लोक इतिहास संरक्षण का यह अनूठा तरीका था। इसीलिए यह इतिहास दो पीढ़ी पहले तक तो बचा रहा।
ये हमारा दुर्भाग्य है कि वर्तमान पीढ़ी विकृत इतिहास और अल्प इतिहास ही पढ़ पायी है, इन्हें अपनी ठसक से नीचे उतरकर खुद को पहचानने की फुर्सत ही नहीं!
वास्तविक से दूर सपनों में जीने की आदि युवा पीढ़ी इस संरक्षण के योग्य बची ही नहीं हैं जो महारानी पद्मिनी को रज मात्र भी समझ पाये
🙏
जौहर कुंड चित्तौड़गढ़
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घर पर बनायें कफ सिरप.
सोमवार, 18 दिसंबर 2023
इच्छापूर्ति
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