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सोमवार, 25 दिसंबर 2023

25 दिसंबर/जन्म-दिवस अटल बिहारी वाजपेयी भारत के दसवें प्रधानमंत्री

*२५ दिसंबर/जन्म-दिवस*
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*अटल बिहारी वाजपेयी*
*भारत के दसवें प्रधानमंत्री*
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पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी के घर मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में शिन्दे की छावनी में २५ दिसंबर १९२४ को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। 
कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिता जी के साथ-साथ कानपुर में ही रहते थे कानपुर से ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। सन् १९५२ में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी। १९८० में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ०६ अप्रैल १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९६ में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल १९९८ को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।

सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा॰ज॰पा॰ के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन॰डी॰ए॰) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा॰ज॰पा॰ विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। 

अटल सरकार ने ११ और १३ मई १९९८ को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।

१९ फरवरी १९९९ को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की।

कुछ ही समय पश्चात पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतरराष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का बहुत नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार पुनः शून्य हो गए।

भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंग्रेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या संक्षेप में जी॰ क्यू॰ प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।
एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।

संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया। 

नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।

आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों के मूल्योंं को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया। उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।

आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।

ये सारे तथ्य सरकारी विज्ञप्तियों के माध्यम से समय समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।
वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राजकुमारी कौल की मृत्यु वर्ष २०१४ में हो चुकी है। अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे। वह हिंदी में लिखते हुए एक प्रसिद्ध कवि थे। उनके प्रकाशित कार्यों में कैदी कविराई कुंडलियां शामिल हैं, जो १९७५-७७ आपातकाल के दौरान कैद किए गए कविताओं का संग्रह था, और अमर आग है। अपनी कविता के संबंध में उन्होंने लिखा, "मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, हारने के लिए एक निर्वासन नहीं है। यह हारने वाले सैनिक की निराशा की ड्रमबीट नहीं है, लेकिन युद्ध योद्धा की जीत होगी। यह निराशा की इच्छा नहीं है लेकिन जीत का हलचल चिल्लाओ।"

राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।

वाजपेयी को २००९ में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असक्षम हो गए थे। उन्हें ११ जून २०१८ में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ १६ अगस्त २०१८ को शाम १७:०५ बजे उनकी मृत्यु हो गयी। 
अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया।
सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये २०१५ में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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