भारत की वो जगह जहाँ राम नहीं, रावण की पूजा होती है!
भारत में नवरात्रि के बाद दसवें दिन विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है, इस त्योहार में रावण के पुतले का दहन करने की परंपरा है। हमारी संस्कृति में रावण को बुराई का प्रतीक के रूप में देखा जाता है। लेकिन आपको पता है, रावण सभी वेद सभी वेदों ग्रंथों ज्ञानी भी था। रावण परम ज्ञानी, परम शिवभक्त, पंडित थे। भारत की उन जगहों के बारे में बतायेंगे, जहाँ राम नहीं, रावण की पूजा होती है और जहाँ रावण दहन नहीं की जाती है।
मंदसौर: मध्यप्रदेश के मंदसौर में भगवान राम की नहीं महाज्ञानी रावण की पूजा होती है। दरअसल मंदसौर का पुराना नाम दशपुर था, जो रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। इसलिए दशपुर का नाम मंदसौर पड़ गया। मंदसौर का दामाद होने के नाते यहाँ के लोग रावण का सम्मान करते हैं। भारत में दामाद का सम्मान करने परंपरा रही है। इसलिए दामाद का सम्मान में रावण की पूजा होती है और यहाँ रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है। मंदसौर के रूंडी में रावण की एक मूर्ति भी बनी हुई है।
उज्जैन: मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के एक गाँव चिखली है। इस गाँव के लोगों का मानना है कि रावण की पूजा नहीं करने तो जलकर राख हो जाएगा। इसी डर से गाँव के लोग रावण की पूजा करते हैं। इसलिए यहाँ के लोग रावण दहन नहीं करते हैं।
अमरावती: महाराष्ट्र के अमरावती में गढ़चिरौली नामक स्थान है, जहाँ आदिवासी रहते हैं। यहाँ के आदिवास समाज के लोग रावण को भगवान मानते हैं। दरअसल आदिवासियों का एक पर्व फाल्गुन है। इस पर्व में खास तौर से रावण की पूजा करने की परंपरा है। इस समाज में रावण और रावण के पुत्र को अपना देवता मानते हैं।
जसवंतनगर: उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में यहाँ के लोग दशहरे पर रावण के पुतले की आरती उतार कर पूजा करतें हैं। फिर उस पुतले को टुकड़े-टुकड़े किए जाते है। रावण के पुतले के टुकड़ों को घर ले जाते हैं और तेरहवीं के दिन तेरहवीं की जाती है। इसलिए यहाँ के लोग रावण दहन नहीं करते हैं।
बैजनाथ: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ नामक एक जगह है। यहाँ के लोग रावण की पूजा करते हैं। पुरानी मान्यता के अनुसार रावण ने तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण को मोक्ष का वरदान दिये थे। इसलिए भगवान शिव के परम भक्त रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।
आंध्रप्रदेश: आंध्रप्रदेश के काकिनाड नामक स्थान पर रावण का मंदिर बना हुआ है। यहाँ के लोग विशेष रूप से मछुआरा समुदाय रावण की पुजा करते हैं। काकिनाड में भगवान शिव के साथ रावण की भी पूजा की जाती है। मछुआरा समुदाय का मानना है कि रावण महाज्ञानी और शक्ति सम्राट हैं। इसलिए यहाँ के लोग रावण दहन नहीं करते हैं।
जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर में रावण का मंदिर है। इस मंदिर में रावण और मंदोदरी की विशाल प्रतिमाएं हैं। यहाँ एक खास समाज के लोग खुद को उसका वंशज मानते हैं। ये लोग इस जगह को रावण का ससुराल बताते हैं। इस समाज लोग दशहरे के दिन शोक मनाते हैं। इसलिए यहाँ के लोग रावण दहन नहीं करते हैं।
कनार्टक: कनार्टक के कोलार जिले में रावण की पूजा होती है। यहाँ के लोग रावण को भगवान शिव के भक्त के रूप में मानते हैं। धार्मिक मान्यताओं कि वजह से रावण की पूजा करतें हैं। कर्नाटक के ही मंडया जिले में मालवली नामक स्थान पर रावण का मंदिर भी है। इस मंदिर में रावण को महान शिव भक्त के रूप दिखाया गया है। इसलिए यहाँ के लोग रावण दहन नहीं करते हैं।
अमरावती – महाराष्ट्र के अमरावती में भी रावण पूजनीय है। अमरावती के में गढ़चिरौली नामक स्थान हैं जहाँ के स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग भी रावण को भगवान के समान ही पूजा-अर्चना की जाती है। दिवासी समुदाय द्वारा फाल्गुन पर्व में खास तौर रावण की पूजा करतें हैं। ये आदिवासी समुदाय रावण को ही अपना देवता मानते हैं।
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