Ransomware किस तरह का कंप्यूटर वायरस है?
सबसे पहले तो यह स्पष्ट कर लें कि रैनसमवेयर कोई वायरस नहीं है, इसे मैलवेयर की श्रेणी में रखा गया है। वायरस भी एक प्रकार का मैलवेयर है
रैनसमवेयर इस प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम है जो किसी व्यक्ति के कंप्यूटर सिस्टम में मौजूद सभी फाइलों को एन्क्रिप्ट कर देता है यानि उन्हें लॉक कर देता है
जिसके कारण जिसका कंप्यूटर है वह उन्हें एक्सेस नहीं कर पाता है। इसे डिक्रिप्ट करने के लिए अटैकर रैनसम अर्थात फिरौती की मांग करता है, इसी कारण इस मैलवेयर को रैंसमवेयर कहते हैं।
यह रैनसमवेयर भी अन्य सभी मैलवेयर्स के समान निम्नलिखित माध्यमों से किसी कंप्यूटर में प्रवेश करता है -
ईमेल अटैचमेंट्स - ऐसे ईमेल जिनके स्रोत का आपको पता न हो और उसके साथ कोई फाइल अटैच की हुई हो अथवा किसी वेब पेज का लिंक दिया हो; तो ऐसे मेल में प्रायः किसी मैलवेयर का वास होता है, इस उत्तर के सन्दर्भ में वह मैलवेयर होगा रैनसमवेयर।
फेक या संक्रमित वेबसाइट - किसी वेबसाइट की सुरक्षा में कमियों का लाभ उठाकर हैकर उसमें मैलवेयर डाल देते हैं। जब कोई इस वेबसाइट पर विजिट करता है तो रैनसमवेयर उसके कंप्यूटर में भी प्रवेश कर जाते हैं। कई बार असली वेबसाइट्स की नक़ल बनाकर भी ऐसा किया जाता है।
ट्रोजन हॉर्स - ट्रोजन एक मैलवेयर है जो दूसरे मैलवेयर के लिए वाहन का कार्य करता है। इससे संक्रमित कंप्यूटर अन्य मैलवेयर के लिए आसान शिकार बन जाता है।
विज्ञापन - किसी वेबपेज पर यदि कोई ऐसा विज्ञापन दिखे जिस पर किसी प्रकार का ऑफर दिया जा रहा हो जिसमें ऐसी बातें लिखी हों जो उस पर क्लिक करने के लिए उकसाता हो तो समझ जाना चाहिए कि किसी अटैकर ने इसके पीछे मैलवेयर छिपा कर रखा है। इस पर क्लिक करेंगे तो रैनसमवेयर या किसी भी अन्य मैलवेयर का प्रवेश कंप्यूटर में हो जाएगा।
पायरेटेड सॉफ्टवेयर - मुझे लगता है अधिकांश लोगों के कंप्यूटर में इसी के माध्यम से मैलवेयर आते होंगे। शुल्क देकर ख़रीदे जाने वाले सॉफ्टवेयर यदि मुफ्त मिले तो कौन लेना नहीं चाहेगा, इसी का तो लाभ हैकर उठाते हैं। ऐसे सॉफ्टवेयर में वे रैनसमवेयर छिपाए रहते हैं, इधर सॉफ्टवेयर इनस्टॉल हुआ उधर बैकग्राउंड में रैनसमवेयर भी एक्सीक्यूट हो गया।
रैनसमवेयर से बचा कैसे जाए ?
यदि अपने कंप्यूटर में रखी फाइलों को रैनसमवेयर का ग्रास नहीं बनाना चाहते तो नीचे लिखी बातें व्यवहार में लाइए -
पायरेटेड सॉफ्टवेयर से दूर रहें। जहाँ ये मिलते हैं उन वेबसाइट्स पर विजिट न करें तो ही अच्छा।
केवल उन्हीं इमेल्स के साथ अटैच्ड फाइल्स या लिंक को ओपन करें जिनके स्रोत के बारे में आप जानते हों जैसे-कि बैंक के ईमेल।
ईमेल भेजने वाले के एड्रेस को जाँचें की वह सही है या नहीं, प्रायः एड्रेस को असली बनाने के लिए जाने-माने नामों का उपयोग किया जाता है पर उसमें अनावश्यक अक्षर होते हैं।
फर्जी विज्ञापनों से बचने के लिए ad-blocker का उपयोग करना चाहिए, इसके अतिरिक्त वेब ब्राउज़र को नियमित अपडेट करते रहें।
सावधानी बहुत आवश्यक है रैनसमवेयर या किसी भी अन्य मैलवेयर से बचे रहने के लिए।
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