देश की सरकार और मीडिया को अपने इशारों पर इस तरह नचाता रहा है महेश भट्ट…
26 नवंबर 2008 को मुम्बई पर देश के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था। पकिस्तान से आए आतंकवादियों ने इस हमले में पुलिस और नौसेना के 17 जवानों समेत 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस आतंकी हमले का सबसे महत्त्वपूर्ण मास्टर माइंड पाकिस्तान मूल का अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली था। उस हमले के डेढ़ दो साल पहले से वो मुम्बई में लम्बे समय तक रहा था। डेविड हेडली ने ही उन स्थानों का चयन किया था जहां पर हमले हुए थे। उस हमले का पूरा ब्लूप्रिंट हेडली द्वारा की गयी रेकी के आधार पर ही तैयार किया गया था। विशेषकर ताज होटल में कुछ दिन ठहर कर उसने अंदर का पूरा नक्शा बनाकर लश्कर ए तैयबा को दिया था।
2009 में अमेरिकी एजेंसियों की हिरासत में पूछताछ में कुछ आतंकियों द्वारा दी गयी जानकारियों के कारण अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने डेविड हेडली की निगरानी शुरू कर दी थी और अंततः 9 अक्टूबर 2009 को शिकागो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पूछताछ में उसने कई अन्य आतंकी हमलों के साथ ही साथ मुम्बई हमले में अपनी भूमिका का खुलासा भी कर दिया था।
अमेरिकी एजेंसियों के समक्ष डेविड हेडली के उस खुलासे के बाद भारतीय एजेंसियां भी चौंक गयी थीं और उन्होंने मुम्बई में डेविड हेडली की उपस्थिति के सबूत खोजने शुरू किए थे। उनकी यह खोज बहुत जल्दी एक व्यक्ति पर जाकर रुक गयी थी। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि फिल्म निर्माता महेश भट्ट का बेटा राहुल भट्ट था।
प्रारम्भिक जांच में ही साफ हो गया था कि मुम्बई में रहने के लिए डेविड हेडली को घर राहुल भट्ट ने ही दिलवाया था। डेविड हेडली को मुम्बई के महत्त्वपूर्ण स्थानों तक लेकर राहुल भट्ट ही गया था। डेविड हेडली को फिल्मी पार्टियों में लेकर राहुल भट्ट ही जाता था। होटलों और क्लबों में डेविड हेडली के साथ राहुल भट्ट शामें गुजारता था।
पकिस्तान में बैठे लश्कर ए तैयबा के आतंकी आकाओं से ईमेल के जरिए बात करते रहे डेविड हेडली की ईमेल की जांच से पता चला था कि उन वार्ताओं में कई बार राहुल भट्ट का जिक्र भी हुआ था। उन वार्ताओं से यह भी स्पष्ट हुआ था कि पकिस्तान में बैठे लश्कर ए तैयबा के आतंकी आका भी राहुल भट्ट के नाम से भलीभांति परिचित थे। ऐसे सबूत मिलते ही एजेंसियों ने राहुल भट्ट पर शिकंजा कस दिया था। लेकिन यहीं महेश भट्ट का खेल शुरू हुआ था। उसने किसी छोटे मोटे कांग्रेसी नेता के बजाय सीधे देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर धमकाया था कि जांच एजेंसियां जिस तरह मेरे बेटे के साथ बर्ताव कर रहीं हैं, वह मेरे साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। एजेंसियां मेरे बेटे से सम्बन्धित खबरें जिस तरह लीक कर रहीं हैं उसे तत्काल रोका जाए।
मित्रों आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि महेश भट्ट की इस चिट्ठी के जवाब में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तत्काल जांच एजेंसियों द्वारा राहुल भट्ट से की जा रही पूछताछ की प्रक्रिया में हस्तक्षेप सीधा किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निजी सचिव जयदीप सरकार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से बाकायदा चिट्ठी लिखकर महेश भट्ट को सूचित किया था कि गृहमंत्री चिदंबरम को इस मामले का संज्ञान खुद लेने का आदेश दे दिया गया है। इसके बाद राहुल भट्ट एक दिन भी हिरासत में नहीं लिया गया। मीडिया में यह जमकर प्रचारित किया गया कि राहुल भट्ट को जांच एजेंसियों ने नहीं खोजा था बल्कि उसने स्वयं ही जांच एजेंसियों के पास जाकर उनको डेविड हेडली के बारे में जानकारी दी थी। NDTV पर उसका बहुत लम्बा इंटरव्यू कई दिन तक दिखाया गया था। बरखा दत्त ने राहुल भट्ट को भोलाभाला निर्दोष सिद्ध करने वाली रिपोर्टों की झड़ी लगा दी थी। किसी भी मीडिया हाऊस ने राहुल भट्ट पर बरसी इस सरकारी कृपा की खाल नहीं खींची थी। परिणामस्वरुप पूछताछ की लीपापोती के बाद राहुल भट्ट को उसी यूपीए सरकार की उसी NIA ने निर्दोष बताकर क्लीन चिट दे दी थी, जिस यूपीए सरकार की उसी NIA ने बिना एक भी सबूत के भारतीय सेना के कर्मठ अधिकारी कर्नल पुरोहित को आंतकवादी बता कर 6 वर्ष तक जेल में बंद कर के भयानक यातनाएं दीं थीं।
क्योंकि पोस्ट लम्बी हो रही है इसलिए एक उदाहरण देकर बात समाप्त कर रहा हूं कि राहुल भट्ट ने जांच एजेंसियों से बताया था कि मोक्ष नाम के जिस जिम में मैं ट्रेनर था उसी जिम का मेम्बर बनकर जब डेविड हेडली आया था तब उसे ट्रेनिंग देने के दौरान उससे मेरी जान पहचान हो गयी थी। लेकिन राहुल भट्ट की यह सफाई सामने आते ही उस मोक्ष जिम की मालिक कम्पनी प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशन लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बॉबी घोष ने 20 नवम्बर 2009 को बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के राहुल भट्ट की सफाई की धज्जियां उड़ा दी थीं। उन्होंने कहा था कि डेविड हेडली अक्टूबर 2006 से अक्टूबर 2007 तक हमारे जिम का मेम्बर था, कभी कभी जिम में आता था। जबकि राहुल भट्ट ने हमारे जिम में अगस्त 2001 से मई 2002 तक ट्रेनर के रूप में काम किया था। इसलिए राहुल भट्ट द्वारा डेविड हेडली को हमारे जिम में ट्रेनिंग देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
आपको अपनी कल्पना के घोड़े बहुत तेजी से बहुत ज्यादा दूर दौड़ाने की आवश्यकता नहीं है। केवल इतना सोचिए कि महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट की जगह कोई और होता तो उससे कैसे क्या और कितनी पूछताछ होती…?
आपको यह जानकर और ताज्जुब होगा कि यही महेश भट्ट अक्टूबर 2010 में दिग्विजय सिंह के साथ उस किताब का विमोचन कर रहा था… जिसका नाम था 26/11 RSS की साजिश। हत्या या आत्महत्या की खतरनाक पहेली में उलझी सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मृत्यु से सम्बन्धित गम्भीर सवालों के घेरे में घिरी रिया चक्रवर्ती का बंबइय्या गॉडफादर महेश भट्ट भी धीरे धीरे उन सवालों के घेरे में आता दिखायी दे रहा था।
ऐसा शायद इसलिए हो रहा है क्योंकि देश की सरकार और देश बहुत बदल चुका है। अब सूचनाओं के लिए वो डेढ़ दो दर्जन न्यूजचैनलों और 3-4 दर्जन अखबारों का गुलाम नहीं है। सोशल मीडिया का ब्रह्मास्त्र उसके हाथ में है। 2009 में देश के पास यदि ये ब्रह्मास्त्र होता तो राहुल भट्ट आज मुम्बई में ऐशो आराम की जिन्दगी गुजारने के बजाय शायद मुम्बई की जेल में अपने दिन गिन रहा होता।