Story:
*हैदराबाद का चूहा है ओवैसी... शेर थे पेशवा बाजीराव जिन्होंने 5 बार हैदराबाद के निज़ाम को हराया था*
पेशवा बाजीराव की जन्म जयंती पर विशेष लेख
- दूसरा विश्व युद्ध लड़ने वाले बड़े-बड़े जनरल पेशवा बाजीराव से प्रेरणा लेते थे और हमारे देश के बच्चों को स्कूली किताबों में बाजीराव का बा भी नहीं पढ़ाया जाता है
- ब्रिटिश फ़ील्ड मार्शल बर्नार्ड मॉन्टगॉमेरी ने जर्मनी के All Time War Hero... पूरा उत्तर अफ्रीकी महाद्वीप फतेह करने वाले... एडॉल्फ हिटलर के सबसे बड़े सेनापति... Field Marshal इरविन रोमल को हराया था...
- ब्रिटेन को सबसे बडी जीत दिलाने वाले जनरल मॉन्टगॉमेरी पेशवा बाजीराव से प्रेरणा लेते थे । मॉन्टगॉमेरी ने अपनी किताब A Concise History of Warfare में लिखा है कि हैदराबाद के निज़ाम के खिलाफ पेशवा बाजीराव का पालखेड़ अभियान स्ट्रेटेजिक मोबिलिटी का मास्टर पीस उदाहरण है आइए इस युद्ध के बारे में आपको बताते हैं
- साल 1727 में मराठों के राजा छत्रपति शाहू जी महाराज ने अपने प्रधानमंत्री पेशवा बाजीराव को हैदराबाद के निज़ाम... निज़ाम उल मुल्क पर हमले का आदेश दिया
- 27 अगस्त 1727 को पेशवा बाजीराव ने अपने 15 हजार घुड़सवारों के साथ निज़ाम के खिलाफ अभियान शुरू किया
- निज़ाम के पास बहुत बड़ी सेना थी... उसके पास 40 हज़ार सेना के अलावा एक बहुत बड़ा तोपख़ाना भी था
- पेशवा बाजीराव के विश्वस्त सेनापति थे... मल्हार राव होल्कर और राणों जी शिंदे । दोनों पाँच-पाँच हजार के घुड़सवार दस्ते का नेतृत्व कर रहे थे
- दूसरी तरफ निज़ाम के दो सबसे बड़े जनरल थे... तुर्क ताज खान और ऐबज खान
- जैसे ही हैदराबाद के निज़ाम को ये जानकारी मिली कि पेशवा बाजीराव हमला करने वाले हैं । निज़ाम ने बड़ी चतुराई दिखाई और ये सोचा कि क्यों ना सीधे पेशवा बाजीराव के गृहनगर पुणे पर ही कब्जा कर लिया जाए ।
- हमले की खबर मिलते वक्त निज़ाम अपने स्ट्रॉन्ग होल्ड औरंगाबाद जा रहा था लेकिन अब उसने फ़ौरन पुणे की ओर कूच किया... रास्ते में 45 जगहों पर कब्जा जमाते हुए निज़ाम ने पुणे पर कब्जा कर लिया .
- ये खबर बाजीराव को मिली लेकिन वो ज़रा भी विचलित नहीं हुए । युद्ध तो अभी शुरू हुआ था । सितंबर 1727 में पेशवा बाजीराव और उनकी सेना ने निज़ाम के स्ट्रॉन्ग होल्ड जालना और सिंधखेड़ पर कब्जा कर लिया ।
- 5 नवंबर को पेशवा बाजीराव ने निज़ाम के बड़े सेनापति एबज खान को हरा दिया । इसके बाद पेशवा बाजीराव ने निज़ाम के stronghold बीदर, माहुर, मंगरूर और खानदेश को भी अपने क़ब्ज़े में ले लिया
- निज़ाम को हैरान करते हुए जनवरी 1728 में पेशवा बाजीराव ने गुजरात पर भी हमला कर दिया
- पेशवा ने अपनी बिजली के जैसी गति से दुश्मन को हैरान कर दिया । पेशवा की सेना में दो घुड़सवारों के पास तीन घोड़े होते थे । इसी वजह से उनकी सेना की स्पीड काफी ज्यादा होती थी
- निज़ाम को लगा कि पेशवा गुजरात गया लेकिन पेशवा बाजीराव ने दोबारा पलटवार करते हुए निज़ाम के सबसे बड़े स्ट्रॉन्गहोल्ड बुरहानपुर पर भी हमला कर दिया । बुरहानपुर में निज़ाम की सेना हैरान रह गई कि जो पेशवा अभी गुजरात में था अचानक बुरहानपुर कहां से आ धमका ।
- अब बुरहानपुर गँवा देने के बाद हैदराबाद के निज़ाम की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई । निज़ाम अपना किला बचाने के लिए फ़ौरन औरंगाबाद की तरफ भागा कि कहीं औरंगाबाद भी ना हाथ से निकल जाए ।
- पेशवा बाजीराव की स्ट्रेटेजी एकदम सही साबित हुई । उनको पता था कि बुरहानपुर गँवाने के बाद निज़ाम सीधा औरंगाबाद की तरफ भागेगा ।
- अब पेशवा ने अपनी सबसे बड़ी रणनीति तैयार की । पेशवा बाजीराव ने निज़ाम को पालखेड़ की पहाड़ियों में फँसाने की योजना बनाई ।
- इसकी वजह ये थी कि निज़ाम के पास बहुत शक्तिशाली तोपख़ाना था । ये तोपख़ाना पहाड़ियों पर बेकार हो जाता । जबकि निज़ाम ये चाहता था कि पेशवा बाजीराव से औरंगाबाद के मैदान में जंग लड़ी जाए ताकी तोपों से मराठों को भून दिया जाए । समझने वाली बात ये है कि पेशवा बाजीराव के पास तोपख़ाना नहीं था वो सिर्फ घुड़सवारों से ही युद्ध कर रहे थे ।
- निज़ाम को पालखेड़ की पहाड़ियों में फँसाने के लिए पेशवा बाजीराव के भाई चिमना जी अप्पा ने पहले ही पुरंदर के किले पर पहरा सख्त कर दिया था । आखिरकार निज़ाम को औरंगाबाद जाने के लिए गोदावरी नदी को पार करना पड़ा
- और वहीं औरंगाबाद से करीब 20 मील दूर पालखेड़ के पहाड़ी इलाक़े में निज़ाम की पूरी सेना बुरी तरह फँस गई । ना खाना... ना पानी... निज़ाम की पूरी फौज तड़प तड़प कर मरने लगी । बाहर निकलने के सारे रास्ते पेशवा बाजीराव ने बंद कर दिए थे । ऐसी जबरदस्त घेराबंदी थी ।
*(मेरे कई मित्रों ने मेरा लेख व्हाट्सएप पर पाने के लिए मुझे इस नंबर 8527524513 पर मिस्ड कॉल तो किया है लेकिन मेरा ये नंबर दिलीप पांडे के नाम से सेव नहीं किया है इसीलिए उनको मेरे लेख नहीं मिल रहे हैं अगर वो मिस्ड कॉल के बाद नंबर भी सेव कर लेंगे तो उनको मेरे लेख जरूर मिलेंगे !)*
- पेशवा बाजीराव ने छत्रपति शाहू जी महाराज को पत्र लिखा... निज़ाम की सेना और मेरे बीच सिर्फ 4 मील का फ़ासला है... निज़ाम दाने दाने का मोहताज है और जान बख्शने की फ़रियाद कर रहा है । बताएं... निज़ाम के साथ क्या सलूक किया जाए ? मार दिया जाए या संधि करके छोड़ दिया जाए ।
- निज़ाम ने पेशवा के चरणों में झुक झुक कर अपनी जान की भीख माँगी । आखिर...शाहू जी ने निज़ाम की जान बख्श देने का आदेश दिया । पेशवा बाजीराव ने पहले निज़ाम की फौज का पूरा सरेंडर करवाया और इसके बाद उनकी जान बख्श दी ।
- लेकिन अब आप इस बात पर विचार कीजिए कि अगर पेशवा बाजीराव ने निज़ाम का कत्ल कर दिया होता तो क्या हैदराबाद में आज योगी जी को ये कहना पड़ता कि हम हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर देंगे ? क्या हैदराबाद से कोई देश के खिलाफ इतना विषवमन कर पाता ? सोचिएगा इस पर...
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