क्या हमें आज़ादी " बिना खड्ग बिना ढाल " मिली ? ये तथ्य पढने के बाद शायद हम ऐसा ना सोचे .....
जब भारत को आज़ादी मिली तब ब्रिटेन के प्रधान मंत्री थे श्रीमान एटली जो सन 1945 से 1951 तक ब्रिटेन के प्रधान मंत्री रहे . 1956 में वे एक बार भारत घुमने आये .तब पश्चिम बंगाल के हाय कोर्ट के चीफ जस्टिस पी .वी. चक्रवर्ती कार्यवाहक राज्यपाल थे . उन्होंने एटली से पूछा की आपने 1947 में भारत को आज़ाद क्यों किया ?
1942 में आपने गांधी जी के अंग्रेजों भारत छोडो आन्दोलन को मजबूती से कुचल दिया था .
1945 में विश्व युद्ध में इंग्लॅण्ड विजेता बनकर उभरा ,फिर उनके पास परमाणु बम जैसे हथियार आये .
उनकी बनाई इमारतें जैसे डाक बंगले , रेस्ट हाउस , गेस्ट हाउस , रेल की पटरियाँ , राष्ट्रपति भवन , संसद भवन आदि इतने मज़बूत थे ; की मानो उनका इरादा आगे ५०० -१००० साल तक भारत को लूटने का था .
तब एटली का जवाब ध्यान देने योग्य है .
उन्होंने कहा की नेताजी की आज़ाद हिंद फ़ौज ने हमारी नाक में दम कर रखा था . ब्रिटिश राज्य की रीढ़ की हड्डी थे भारतीय सैनिक जो उनकी सेना को मजबूती देते थे और जिनकी मदद से वे भारतीयों पर राज करते थे .
पर आज़ाद हिंद फ़ौज के निर्माण के बाद भारतीय सैनिकों ने बगावत कर दी .भारतीय सैनिकों की श्रद्धा ब्रिटेन के राज मुकुटऔर राज परिवार में नहीं रही .जब आज़ाद हिंद फ़ौज ने बर्मा के रास्ते ब्रिटिश भारत पर आक्रमण किया और चलो दिल्ली का नारा दिया तो नौसेना ने विद्रोह कर दिया . अपने हथियार डाल दिए और बंदूकों का मुंह अंग्रजों की और कर दिया . आज़ाद हिंद फ़ौज के बैनर लगा दिए .पूरा देश ज्वालामुखी की तरह लगने लगा और अंग्रेजों को लगा की वे उसके मुंह पर बैठे है . अगर भारत को आज़ादी नहीं दी तो ये कभी भी फट कर हमें राख कर देगा .
21 अक्तूबर 1943 को नेताजी और रास बिहारी बोस ने आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना की .अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों को नीचा दिखाने के लिए भारत की सरकार भारत के बाहर बनाना एक बहुत बड़ी कूट नीतिक चाल थी . इस सरकार को नौ देशों से मान्यता दिला दी .उन्होंने अंग्रेजों को आक्रमणकारी घोषित कर दिया .उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट बनाकर महिलाओं को आज़ाद हिंद फ़ौज में स्थान दिया .भारत के विभाजन के बाद गांधी जी को ये कहना पडा की आज अगर नेताजी होते तो ये दिन ना देखना पड़ता .नेताजी ने आज़ादी मिलने के पहले स्वदेशी व्यवस्था देश में स्थापित हो इसकी तैयारी कर ली थी .
स्वतंत्रता के बाद जब आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिक जो अंग्रजों ने विद्रोही घोषित किये थे उनमे से जो पाकिस्तान गए उन्हें तो वहां की सेना में तुरंत ले लिया गया . पर दुर्भाग्यपूर्ण आश्चर्य की बात ये है की जो भारत में रहे उन्हें भारतीय सेना में नहीं लिया गया क्यों की वे बागी सैनिक घोषित हुए थे . इससे ज़्यादा शहीदों का अपमान क्या हो सकता है .....इंडिया गेट पर उन सैनिकों के नाम है जिन्होंने अंग्रेजों के लिए युद्ध में भाग लिया . पर उनके नाम नहीं है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए युद्ध में भाग लिया .....
भारत को आजादी सेफ्टी वाल गाँधी की वजह से नहीं , अमर वीर सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज और सैनिक विद्रोह की वजह से मिली है , हिंसा से मिली है , भूखे मरने या भजन गाने से नहीं .........
नकली के साथ साथ असली गाँधी का भी बहिष्कार करो ,
जय माँ भारती
जब भारत को आज़ादी मिली तब ब्रिटेन के प्रधान मंत्री थे श्रीमान एटली जो सन 1945 से 1951 तक ब्रिटेन के प्रधान मंत्री रहे . 1956 में वे एक बार भारत घुमने आये .तब पश्चिम बंगाल के हाय कोर्ट के चीफ जस्टिस पी .वी. चक्रवर्ती कार्यवाहक राज्यपाल थे . उन्होंने एटली से पूछा की आपने 1947 में भारत को आज़ाद क्यों किया ?
1942 में आपने गांधी जी के अंग्रेजों भारत छोडो आन्दोलन को मजबूती से कुचल दिया था .
1945 में विश्व युद्ध में इंग्लॅण्ड विजेता बनकर उभरा ,फिर उनके पास परमाणु बम जैसे हथियार आये .
उनकी बनाई इमारतें जैसे डाक बंगले , रेस्ट हाउस , गेस्ट हाउस , रेल की पटरियाँ , राष्ट्रपति भवन , संसद भवन आदि इतने मज़बूत थे ; की मानो उनका इरादा आगे ५०० -१००० साल तक भारत को लूटने का था .
तब एटली का जवाब ध्यान देने योग्य है .
उन्होंने कहा की नेताजी की आज़ाद हिंद फ़ौज ने हमारी नाक में दम कर रखा था . ब्रिटिश राज्य की रीढ़ की हड्डी थे भारतीय सैनिक जो उनकी सेना को मजबूती देते थे और जिनकी मदद से वे भारतीयों पर राज करते थे .
पर आज़ाद हिंद फ़ौज के निर्माण के बाद भारतीय सैनिकों ने बगावत कर दी .भारतीय सैनिकों की श्रद्धा ब्रिटेन के राज मुकुटऔर राज परिवार में नहीं रही .जब आज़ाद हिंद फ़ौज ने बर्मा के रास्ते ब्रिटिश भारत पर आक्रमण किया और चलो दिल्ली का नारा दिया तो नौसेना ने विद्रोह कर दिया . अपने हथियार डाल दिए और बंदूकों का मुंह अंग्रजों की और कर दिया . आज़ाद हिंद फ़ौज के बैनर लगा दिए .पूरा देश ज्वालामुखी की तरह लगने लगा और अंग्रेजों को लगा की वे उसके मुंह पर बैठे है . अगर भारत को आज़ादी नहीं दी तो ये कभी भी फट कर हमें राख कर देगा .
21 अक्तूबर 1943 को नेताजी और रास बिहारी बोस ने आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना की .अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों को नीचा दिखाने के लिए भारत की सरकार भारत के बाहर बनाना एक बहुत बड़ी कूट नीतिक चाल थी . इस सरकार को नौ देशों से मान्यता दिला दी .उन्होंने अंग्रेजों को आक्रमणकारी घोषित कर दिया .उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट बनाकर महिलाओं को आज़ाद हिंद फ़ौज में स्थान दिया .भारत के विभाजन के बाद गांधी जी को ये कहना पडा की आज अगर नेताजी होते तो ये दिन ना देखना पड़ता .नेताजी ने आज़ादी मिलने के पहले स्वदेशी व्यवस्था देश में स्थापित हो इसकी तैयारी कर ली थी .
स्वतंत्रता के बाद जब आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिक जो अंग्रजों ने विद्रोही घोषित किये थे उनमे से जो पाकिस्तान गए उन्हें तो वहां की सेना में तुरंत ले लिया गया . पर दुर्भाग्यपूर्ण आश्चर्य की बात ये है की जो भारत में रहे उन्हें भारतीय सेना में नहीं लिया गया क्यों की वे बागी सैनिक घोषित हुए थे . इससे ज़्यादा शहीदों का अपमान क्या हो सकता है .....इंडिया गेट पर उन सैनिकों के नाम है जिन्होंने अंग्रेजों के लिए युद्ध में भाग लिया . पर उनके नाम नहीं है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए युद्ध में भाग लिया .....
भारत को आजादी सेफ्टी वाल गाँधी की वजह से नहीं , अमर वीर सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज और सैनिक विद्रोह की वजह से मिली है , हिंसा से मिली है , भूखे मरने या भजन गाने से नहीं .........
नकली के साथ साथ असली गाँधी का भी बहिष्कार करो ,
जय माँ भारती
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