लोग एक दूसरे को आजादी की शुभकामनायेँ दे रहे हैँ लेकिन किस बात की आजादी ?
हमारे देश पर 850 साल मुस्लिमोँ ने शासन किया मन्दिर तुड़वाये जनेऊ तुड़वाकर
खतना कराया मन्दिरोँ की अपार सम्पदा को लूटा फिर 200 साल हमारे देश पर
अंग्रेजोँ का शासन रहा उन्होँने भी देश को लूटा और बहुत सी विकृतियाँ छोड़
गये
उसके बाद पचास साल अंग्रेजोँ द्वारा जन्मी काँग्रेस का शासन रहा इन तीनोँ कालोँ मेँ एक समानता रही लूट मुस्लिम लूटकर अफगानिस्तान अरब ले गये
तब भी जलियाँवाला बाग मेँ देशभक्तोँ पर गोलियाँ बरसाइँ गई अब भी रामलीला मैदान मेँ लाठियाँ बरसाईँ गई
तब भी देशभक्तोँ को जेल मेँ डाल दिया जाता था और अब भी हमारा मीडिया भी उन्हीँ का गुलाम है हमारी युवा पीढ़ी भी मैँकॉलेवादियोँ की गुलाम बनती जा रही है
एक बात बार बार दिमाग मेँ प्रश्नचिन्ह लगा देती है
क्या हम आजाद हैँ ?
कैसा स्वतंत्रता दिवस ??
किससे आजादी ??
किस बात की बधाई ??
इस बात पार खुश हों कि आज ही के दिन माँ भारती के शरीर को काटकर हमने मुल्लों को भेंट कर दिया ?
इस बात पर खुश हों कि हमारे खेत, नदियाँ, पहाड, जंगलों पर नाजायज रूप से कब्ज़ा करने के बाद भी मुल्ले इस देश के और टुकड़े करवाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं ?
इस बात पर खुश हों कि हिंदुओं के प्रथम पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तमभगवान श्री राम आज चीथड़े हो चुके टेंट के नीचे विराजमान हैं ?
इस बात पर खुश हों कि कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए हमें चीन से वीजा लेना पड़ता है ?
इस बात पर खुश हों कि आजादी ने हमें SC/ST/OBC/ MINORITY जैसे कलंक दिए हैं ?
लोगों से विकास के समान अवसर छीन लिए हैं.
अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहाहै.
जंगलों के स्वामी आदिवासी खाने के आभाव में भूखे मर रहे हैं, बंदरों को मार कर और आम की गुठलियों को उबाल कर खा रहे हैं.
क्या इस बात के लिए खुश हुआ जाए.देश के दुश्मनों को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुनाता है, लेकिन ये तथाकथित लोकतंत्र और उसके नुमाइंदे उन अपराधियों को अमरत्व का वरदान दे देते हैं.
--------------- --------------- ------------
हम आजादी नहीँ मनायेँगे सिर्फ शहीदोँ को नमन करेँगे जो आजादी की चाह मेँ वतन के लिये कुर्बान हो गये
अंग्रेज लूटकर ब्रिटेन ले गयेकाँग्रेस भी लूटकर स्विस बैँक ले गये
हमारे देश पर 850 साल मुस्लिमोँ ने शासन किया मन्दिर तुड़वाये जनेऊ तुड़वाकर खतना कराया मन्दिरोँ की अपार सम्पदा को लूटा फिर 200 साल हमारे देश पर अंग्रेजोँ का शासन रहा उन्होँने भी देश को लूटा और बहुत सी विकृतियाँ छोड़ गये
उसके बाद पचास साल अंग्रेजोँ द्वारा जन्मी काँग्रेस का शासन रहा इन तीनोँ कालोँ मेँ एक समानता रही लूट मुस्लिम लूटकर अफगानिस्तान अरब ले गये
तब भी जलियाँवाला बाग मेँ देशभक्तोँ पर गोलियाँ बरसाइँ गई अब भी रामलीला मैदान मेँ लाठियाँ बरसाईँ गई
तब भी देशभक्तोँ को जेल मेँ डाल दिया जाता था और अब भी हमारा मीडिया भी उन्हीँ का गुलाम है हमारी युवा पीढ़ी भी मैँकॉलेवादियोँ की गुलाम बनती जा रही है
एक बात बार बार दिमाग मेँ प्रश्नचिन्ह लगा देती है
क्या हम आजाद हैँ ?
कैसा स्वतंत्रता दिवस ??
किससे आजादी ??
किस बात की बधाई ??
इस बात पार खुश हों कि आज ही के दिन माँ भारती के शरीर को काटकर हमने मुल्लों को भेंट कर दिया ?
इस बात पर खुश हों कि हमारे खेत, नदियाँ, पहाड, जंगलों पर नाजायज रूप से कब्ज़ा करने के बाद भी मुल्ले इस देश के और टुकड़े करवाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं ?
इस बात पर खुश हों कि हिंदुओं के प्रथम पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तमभगवान श्री राम आज चीथड़े हो चुके टेंट के नीचे विराजमान हैं ?
इस बात पर खुश हों कि कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए हमें चीन से वीजा लेना पड़ता है ?
इस बात पर खुश हों कि आजादी ने हमें SC/ST/OBC/ MINORITY जैसे कलंक दिए हैं ?
लोगों से विकास के समान अवसर छीन लिए हैं.
अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहाहै.
जंगलों के स्वामी आदिवासी खाने के आभाव में भूखे मर रहे हैं, बंदरों को मार कर और आम की गुठलियों को उबाल कर खा रहे हैं.
क्या इस बात के लिए खुश हुआ जाए.देश के दुश्मनों को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुनाता है, लेकिन ये तथाकथित लोकतंत्र और उसके नुमाइंदे उन अपराधियों को अमरत्व का वरदान दे देते हैं.
--------------- --------------- ------------
हम आजादी नहीँ मनायेँगे सिर्फ शहीदोँ को नमन करेँगे जो आजादी की चाह मेँ वतन के लिये कुर्बान हो गये
अंग्रेज लूटकर ब्रिटेन ले गयेकाँग्रेस भी लूटकर स्विस बैँक ले गयेतब भी देशभक्तोँ को जेल मेँ डाल दिया जाता था और अब भी हमारा मीडिया भी उन्हीँ का गुलाम है हमारी युवा पीढ़ी भी मैँकॉलेवादियोँ की गुलाम बनती जा रही है
एक बात बार बार दिमाग मेँ प्रश्नचिन्ह लगा देती है
क्या हम आजाद हैँ ?
कैसा स्वतंत्रता दिवस ??
किससे आजादी ??
किस बात की बधाई ??
इस बात पार खुश हों कि आज ही के दिन माँ भारती के शरीर को काटकर हमने मुल्लों को भेंट कर दिया ?
इस बात पर खुश हों कि हमारे खेत, नदियाँ, पहाड, जंगलों पर नाजायज रूप से कब्ज़ा करने के बाद भी मुल्ले इस देश के और टुकड़े करवाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं ?
इस बात पर खुश हों कि हिंदुओं के प्रथम पुरुष, मर्यादा पुरुषोत्तमभगवान श्री राम आज चीथड़े हो चुके टेंट के नीचे विराजमान हैं ?
इस बात पर खुश हों कि कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए हमें चीन से वीजा लेना पड़ता है ?
इस बात पर खुश हों कि आजादी ने हमें SC/ST/OBC/ MINORITY जैसे कलंक दिए हैं ?
लोगों से विकास के समान अवसर छीन लिए हैं.
अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहाहै.
जंगलों के स्वामी आदिवासी खाने के आभाव में भूखे मर रहे हैं, बंदरों को मार कर और आम की गुठलियों को उबाल कर खा रहे हैं.
क्या इस बात के लिए खुश हुआ जाए.देश के दुश्मनों को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुनाता है, लेकिन ये तथाकथित लोकतंत्र और उसके नुमाइंदे उन अपराधियों को अमरत्व का वरदान दे देते हैं.
--------------- --------------- ------------
हम आजादी नहीँ मनायेँगे सिर्फ शहीदोँ को नमन करेँगे जो आजादी की चाह मेँ वतन के लिये कुर्बान हो गये
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.