सुनील ने सिर्फ जूता दिखाया तो कांग्रेसियों sath दिग्विजय ने,फिर बाद में पुलिश ने मारा , क्या यह सरकार कि निति सही है ?
उसे बुरी तरह मिडिय ने जूता दिखाना बताया और कुछ मिडिया ने जूता दिखiने को मरना कहा ! क्या दिखने और मारने में अंतर मिडिया को नहीं पता ?
आन्दोलन करने वाली जनता को लापता कर दिया या जानसे भी मारा गया होगा अगर इसी तरह जनता भी अपना आक्रोश निकले तो क्या वह गलत होगा ? क्या यह सरकार ने जो निति सुनील के साथ कि वो यदि जनता करे तो क्या गलत है ?
मंत्रियो द्वारा पीड़ित व्यक्ति हे जो मंत्रियो को कैसे सबक सिखाएँगे ? हमने देखा कि राम लीला मैदान में सो रहे व्यक्तियो को सरकार ने मारा , उनके साथ धोखा , कपट , उत्पीडन , षड्यंत्र आदि किये तो वहा लोगो ने सरकार व् नेताओ को सबक सिखाने कि सोगंद /सपथ ली थी ! क्या वे आपना इंतकाम या बदला ले पाएंगे ?
देखेगे ! देखे नही , इनके लिए अन्ना के साथ शांति से सत्याग्रह करे !
सरकार को भगवान सद बुधि दे !!!
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