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मंगलवार, 14 जून 2011


सुनील ने सिर्फ  जूता दिखाया तो कांग्रेसियों sath  दिग्विजय ने,फिर बाद में पुलिश ने  मारा , क्या यह सरकार कि निति सही है ? 


उसे बुरी तरह मिडिय ने जूता दिखाना बताया और  कुछ मिडिया ने जूता  दिखiने को मरना कहा ! क्या दिखने और मारने में अंतर मिडिया को नहीं पता  ?

आन्दोलन करने वाली  जनता को  लापता कर दिया या जानसे भी मारा गया होगा  अगर इसी तरह जनता भी अपना आक्रोश निकले तो क्या वह गलत होगा ? क्या यह सरकार ने जो निति  सुनील के साथ कि वो यदि जनता करे तो क्या गलत है ?

मंत्रियो द्वारा पीड़ित व्यक्ति हे जो मंत्रियो को कैसे सबक सिखाएँगे ? हमने देखा कि राम लीला मैदान में सो रहे व्यक्तियो को सरकार ने मारा , उनके साथ धोखा , कपट , उत्पीडन , षड्यंत्र आदि किये तो वहा लोगो ने सरकार व् नेताओ को सबक सिखाने कि सोगंद /सपथ ली थी ! क्या वे आपना इंतकाम या बदला ले पाएंगे ? 
 
देखेगे ! देखे नही , इनके लिए अन्ना के साथ शांति से सत्याग्रह करे ! 
सरकार को भगवान सद बुधि दे !!!




An Indian
अगर प्रश्न अच्हे लगे तो अग्रेषित जरूर करे वरना   देश के लिए तो जरू करे !  
Please, forward it for own country & DeshDharma ................Jai Hind ....



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