💐 होली दहन 💐
( होली जलाने का दिन ) की तारीख़ : ” 12 मार्च , 2017 ” रविवार
( होली जलाने का दिन ) की तारीख़ : ” 12 मार्च , 2017 ” रविवार
होली जलाने का शुभ समय : ” शाम 6 : 23 से 8 : 23 “
*होली का पूजन – Holika Poojan*
होली पूजने की सामग्री – Holi pooja ki samagri
गोबर से बने बड़कूले , रोली , मौली , अक्षत , अगरबत्ती , फूलमाला , कच्चा सूत , गुड़ , साबुत हल्दी , मूंग-चावल , फूले , बताशे , गुलाल ,
नारियल , जल का लोटा , गेहूं की नई हरी बालियां , हरे चने का पौधा आदि।
बड़कूले ( भरभोलिए ) कितने होने चाहिए
होली से दस बारह दिन पहले शुभ दिन देखकर गोबर से सात बड़कूले ( Badkule ) बनाये जाते है। गोबर से बने बड़कूले को भरभोलिए
( bharbholiye ) भी कहा जाता है। पाँच बड़कूले छेद वाले बनाये जाते है ताकि उनको माला बनाने के लिए पिरोया जा सके।
दो बड़कूले बिना छेद वाले बनाये जाते है । इसके बाद गोबर से ही सूरज , चाँद , तारे , और अन्य खिलौने बनाये जाते है। पान , पाटा , चकला ,
एक जीभ , होला – होली बनाये जाते है। इन पर आटे , हल्दी , मेहंदी , गुलाल आदि से बिंदियां लगाकर सजाया जाता है। होलिका की आँखें
चिरमी या कोड़ी से बनाई जाती है। अंत में ढाल और तलवार बनाये जाते है।
बड़कूले से माला बनाई जाती है। माला में होलिका , खिलोंने , तलवार , ढाल आदि भी पिरोये जाते है। एक माला पितरों की , एक हनुमान जी
की , एक शीतला माता की और एक घर के लिए बनाई जाती है। बाजार से तैयार माला भी खरीद सकते है। यह पूजा में काम आती है।
💐पूजन करने का तरीका💐
पूजन करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए।
जल की बूंदों का छिड़काव आसपास तथा पूजा की थाली और खुद पर करें।
इसके पश्चात नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें रोली , मौली , अक्षत , पुष्प अर्पित करें।
इसी प्रकार भक्त प्रह्लाद को स्मरण करते हुए उन्हें रोली , मौली , अक्षत , पुष्प अर्पित करें।
इसके पश्चात् होलिका को रोली , मौली , चावल अर्पित करें , पुष्प अर्पित करें , चावल मूंग का भोग लगाएं। बताशा , फूले आदि चढ़ाएं।
हल्दी , मेहंदी , गुलाल , नारियल और बड़कूले चढ़ाएं। हाथ जोड़कर होलिका से सुख समृद्धि की कामना करें। सूत के धागे से होलिका
के चारों ओर घूमते हुए तीन , पाँच या सात बार लपेट दें । जल का लोटा वहीं पूरा खाली कर दें।
इसके बाद होलीका दहन किया जाता है। पुरुषों के माथे पर तिलक लगाया जाता है। होली जलने पर रोली चावल चढ़ाकर सात बार अर्घ्य
देकर सात परिक्रमा करनी चाहिए । इसके बाद साथ लाये गए हरे गेहूं और चने होली की अग्नि में भून लें। होली की अग्नि थोड़ी सी अपने
साथ घर ले आएं। ये दोनों काम बड़ी सावधानी पूर्वक करने चाहिए। होली की अग्नि से अपने घर में धूप दिखाएँ। भूने हुए गेहूं और चने प्रसाद
के रूप में ग्रहण करें।
आपको और आपके परिवारजन, मित्र एंव शुभचिंतकों को होली के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई, होलिका दहन पर आपके समस्त संताप, व्याधि, और अभावों का दहन हो और आप के जीवन मे रंग बिरंगी खुशियों की भरमार हो! इन्ही आशाओं के साथ
आपका शुभेछु !!
Kailash chandra ladha
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