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सोमवार, 16 अगस्त 2021

शिव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् - साक्षात् नारायण ने पार्वतीजी को भी दिया था

जिस समय नारद जी का मोह भंग हो गया था और नारद जी ने विष्णु जी को श्राप देने के बाद अपने पाप का प्रायश्चित करने का उपाय पूछा तो विष्णु जी ने नारद जी को काशी में जाकर कौन से शिव स्तोत्र का जप करने को कहा था ?

(1)शिव तांडव स्तोत्र

(2)शिव शतनाम स्तोत्र

(3)शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र

(4)शिव पंचाक्षर स्तोत्र

(5)नील रुद्र शुक्त

🌹 इसका सही उत्तर है शिव शतनाम स्तोत्र 🌹

यह सब देखकर नारद जी की बुद्धि भी शांत और शुद्ध हो गई ।

उन्हें सारी बीती बातें ध्यान में आ गयीं । तब मुनि अत्यंत भयभीत होकर भगवान विष्णु के चरणों में गिर पड़े और प्रार्थना करने लगे कि- भगवन ! मेरा शाप मिथ्या हो जाये और मेरे पापों कि अब सीमा नहीं रही , क्योंकि मैंने आपको अनेक दुर्वचन कहे ।

इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि -

जपहु जाइ संकर सत नामा। होइहि हृदयँ तुरत विश्रामाँ ।।

कोउ नहीं सिव समान प्रिय मोरें। असि परतीति तजहु जनि भोरें ।।

जेहि पर कृपा न करहि पुरारी। सो न पाव मुनि भगति हमारी ।।

विष्णु जी ने कहा नारद जी आप जाकर शिवजी के शिवशतनाम का जप कीजिये , इससे आपके हृदय में तुरंत शांति होगी । इससे आपके दोष-पाप मिट जायँगे और पूर्ण ज्ञान-वैराग्य तथा भक्ति-की राशि सदा के लिए आपके हृदय में स्थित हो जायगी । शिवजी मेरे सर्वाधिक प्रिय हैं , यह विश्वास भूलकर भी न छोड़ना । वे जिस पर कृपा नहीं करते उसे मेरी भक्ति प्राप्त नहीं होती।

यह प्रसंग मानस तथा शिवपुराण के रूद्रसंहिता के सृष्टि - खंड में प्रायः यथावत आया है । इस पर प्रायः लोग शंका करते हैं अथवा अधिकतर लोगों को पता नहीं होता है कि वह शिवशतनाम कौन सा है, जिसका नारद जी ने जप किया ,जिससे उन्हें परम कल्याणमयी शांति की प्राप्ति हुई ?

यहां सभी लोगों के लाभ हेतु वह शिवशतनाम मूल रूप में दिया जा रहा है । इस शिवशतनाम का उपदेश साक्षात् नारायण ने पार्वतीजी को भी दिया था , जिससे उन्हें भगवान शंकर पतिरूपमें प्राप्त हुए थे और वह उनकी साक्षात् अर्धांगनी बन गयीं।

।। शिव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् ।।

जय शम्भो विभो रुद्र स्वयम्भो जय शङ्कर ।

जयेश्वर जयेशान जय सर्वज्ञ कामद ॥ १॥

नीलकण्ठ जय श्रीद श्रीकण्ठ जय धूर्जटे ।

अष्टमूर्तेऽनन्तमूर्ते महामूर्ते जयानघ ॥ २॥

जय पापहरानङ्गनिःसङ्गाभङ्गनाशन ।

जय त्वं त्रिदशाधार त्रिलोकेश त्रिलोचन ॥ ३॥

जय त्वं त्रिपथाधार त्रिमार्ग त्रिभिरूर्जित ।

त्रिपुरारे त्रिधामूर्ते जयैकत्रिजटात्मक ॥ ४॥

शशिशेखर शूलेश पशुपाल शिवाप्रिय ।

शिवात्मक शिव श्रीद सुहृच्छ्रीशतनो जय ॥ ५॥

सर्व सर्वेश भूतेश गिरिश त्वं गिरीश्वर ।

जयोग्ररूप मीमेश भव भर्ग जय प्रभो ॥ ६॥

जय दक्षाध्वरध्वंसिन्नन्धकध्वंसकारक ।

रुण्डमालिन् कपालिंस्थं भुजङ्गाजिनभूषण ॥ ७॥

दिगम्बर दिशां नाथ व्योमकश चिताम्पते ।

जयाधार निराधार भस्माधार धराधर ॥ ८॥

देवदेव महादेव देवतेशादिदैवत ।

वह्निवीर्य जय स्थाणो जयायोनिजसम्भव ॥ ९॥

भव शर्व महाकाल भस्माङ्ग सर्पभूषण ।

त्र्यम्बक स्थपते वाचाम्पते भो जगताम्पते ॥ १०॥

शिपिविष्ट विरूपाक्ष जय लिङ्ग वृषध्वज ।

नीललोहित पिङ्गाक्ष जय खट्वाङ्गमण्डन ॥ ११॥

कृत्तिवास अहिर्बुध्न्य मृडानीश जटाम्बुभृत् ।

जगद्भ्रातर्जगन्मातर्जगत्तात जगद्गुरो ॥ १२॥

पञ्चवक्त्र महावक्त्र कालवक्त्र गजास्यभृत् ।

दशबाहो महाबाहो महावीर्य महाबल ॥ १३॥

अघोरघोरवक्त्र त्वं सद्योजात उमापते ।

सदानन्द महानन्द नन्दमूर्ते जयेश्वर ॥ १४॥

एवमष्टोत्तरशतं नाम्नां देवकृतं तु ये ।

शम्भोर्भक्त्या स्मरन्तीह शृण्वन्ति च पठन्ति च ॥ १५॥

न तापास्त्रिविधास्तेषां न शोको न रुजादयः ।

ग्रहगोचरपीडा च तेषां क्वापि न विद्यते ॥ १६॥

श्रीः प्रज्ञाऽऽरोग्यमायुष्यं सौभाग्यं भाग्यमुन्नतिम् ।

विद्या धर्मे मतिः शम्भोर्भक्तिस्तेषां न संशयः ॥ १७॥

इति श्रीस्कन्दपुराणे सह्याद्रिखण्डे

शिवाष्टोत्तरनामशतकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

🌹 भोले बाबा के 108 नाम 🌹

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम्!

ॐ शिवाय नमः ॥

ॐ महेश्वराय नमः ॥

ॐ शंभवे नमः ॥

ॐ पिनाकिने नमः ॥

ॐ शशिशेखराय नमः ॥

ॐ वामदेवाय नमः ॥

ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥

ॐ कपर्दिने नमः ॥

ॐ नीललोहिताय नमः ॥

ॐ शंकराय नमः ॥ १० ॥

ॐ शूलपाणये नमः ॥

ॐ खट्वांगिने नमः ॥

ॐ विष्णुवल्लभाय नमः ॥

ॐ शिपिविष्टाय नमः ॥

ॐ अंबिकानाथाय नमः ॥

ॐ श्रीकंठाय नमः ॥

ॐ भक्तवत्सलाय नमः ॥

ॐ भवाय नमः ॥

ॐ शर्वाय नमः ॥

ॐ त्रिलोकेशाय नमः ॥ २० ॥

ॐ शितिकंठाय नमः ॥

ॐ शिवाप्रियाय नमः ॥

ॐ उग्राय नमः ॥

ॐ कपालिने नमः ॥

ॐ कौमारये नमः ॥

ॐ अंधकासुर सूदनाय नमः ॥

ॐ गंगाधराय नमः ॥

ॐ ललाटाक्षाय नमः ॥

ॐ कालकालाय नमः ॥

ॐ कृपानिधये नमः ॥ ३० ॥

ॐ भीमाय नमः ॥

ॐ परशुहस्ताय नमः ॥

ॐ मृगपाणये नमः ॥

ॐ जटाधराय नमः ॥

ॐ क्तेलासवासिने नमः ॥

ॐ कवचिने नमः ॥

ॐ कठोराय नमः ॥

ॐ त्रिपुरांतकाय नमः ॥

ॐ वृषांकाय नमः ॥

ॐ वृषभारूढाय नमः ॥ ४० ॥

ॐ भस्मोद्धूलित विग्रहाय नमः ॥

ॐ सामप्रियाय नमः ॥

ॐ स्वरमयाय नमः ॥

ॐ त्रयीमूर्तये नमः ॥

ॐ अनीश्वराय नमः ॥

ॐ सर्वज्ञाय नमः ॥

ॐ परमात्मने नमः ॥

ॐ सोमसूर्याग्नि लोचनाय नमः ॥

ॐ हविषे नमः ॥

ॐ यज्ञमयाय नमः ॥ ५० ॥

ॐ सोमाय नमः ॥

ॐ पंचवक्त्राय नमः ॥

ॐ सदाशिवाय नमः ॥

ॐ विश्वेश्वराय नमः ॥

ॐ वीरभद्राय नमः ॥

ॐ गणनाथाय नमः ॥

ॐ प्रजापतये नमः ॥

ॐ हिरण्यरेतसे नमः ॥

ॐ दुर्धर्षाय नमः ॥

ॐ गिरीशाय नमः ॥ ६० ॥

ॐ गिरिशाय नमः ॥

ॐ अनघाय नमः ॥

ॐ भुजंग भूषणाय नमः ॥

ॐ भर्गाय नमः ॥

ॐ गिरिधन्वने नमः ॥

ॐ गिरिप्रियाय नमः ॥

ॐ कृत्तिवाससे नमः ॥

ॐ पुरारातये नमः ॥

ॐ भगवते नमः ॥

ॐ प्रमधाधिपाय नमः ॥ ७० ॥

ॐ मृत्युंजयाय नमः ॥

ॐ सूक्ष्मतनवे नमः ॥

ॐ जगद्व्यापिने नमः ॥

ॐ जगद्गुरवे नमः ॥

ॐ व्योमकेशाय नमः ॥

ॐ महासेन जनकाय नमः ॥

ॐ चारुविक्रमाय नमः ॥

ॐ रुद्राय नमः ॥

ॐ भूतपतये नमः ॥

ॐ स्थाणवे नमः ॥ ८० ॥

ॐ अहिर्भुथ्न्याय नमः ॥

ॐ दिगंबराय नमः ॥

ॐ अष्टमूर्तये नमः ॥

ॐ अनेकात्मने नमः ॥

ॐ स्वात्त्विकाय नमः ॥

ॐ शुद्धविग्रहाय नमः ॥

ॐ शाश्वताय नमः ॥

ॐ खंडपरशवे नमः ॥

ॐ अजाय नमः ॥

ॐ पाशविमोचकाय नमः ॥ ९० ॥

ॐ मृडाय नमः ॥

ॐ पशुपतये नमः ॥

ॐ देवाय नमः ॥

ॐ महादेवाय नमः ॥

ॐ अव्ययाय नमः ॥

ॐ हरये नमः ॥

ॐ पूषदंतभिदे नमः ॥

ॐ अव्यग्राय नमः ॥

ॐ दक्षाध्वरहराय नमः ॥

ॐ हराय नमः ॥ १०० ॥

ॐ भगनेत्रभिदे नमः ॥

ॐ अव्यक्ताय नमः ॥

ॐ सहस्राक्षाय नमः ॥

ॐ सहस्रपादे नमः ॥

ॐ अपपर्गप्रदाय नमः ॥

ॐ अनंताय नमः ॥

ॐ तारकाय नमः ॥

ॐ परमेश्वराय नमः ॥ १०८ ॥

🙏🏼 हर हर महादेव जी 🙏🏼

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