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शनिवार, 15 अगस्त 2015

मात्र तिरंगा झंडा फहरा देना भर आजादी नहीं है

कही तिजोरी पर ताले है कही रोटी के लाले है
बन सहारा बेसहारो के लिए बन किनारा बेकिनारो के लिए ।
जो जिए अपने लिए तो क्या जिए ।
जी सके तो जी हजारो के लिए ।
आजादी जश्न का त्यौहार नहीं है ये गंभीर चिंतन का दिन है मात्र तिरंगा झंडा फहरा देना भर आजादी नहीं है आजादी इससे बड़ी कोई चीज है जिस आजादी का सपना हमारे अमर शहीदों ने देखा था ,जिन उद्देश्यों के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया आज उन उद्देश्यों की पूर्ति हेतू गंभीर चिंतन का दिन है की हम कैसा भारत आने वाली पीढ़ियों को देकर जाएंगे ।

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