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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

..तांत्रिकोंके देवता शिव..

...................तांत्रिकोंके देवता शिव........................

देवाधिदेव भगवान शिव तंत्र और तांत्रिकों के देवता हैं। तभी तो सभी तंत्र-शास्त्रोंया ग्रथों का प्रारंभ भगनान शिव के उपदेशों से ही होता है। भगवान शंकर तांत्रिकों के देवता हीे नहीं आदि गुरु भी हैं। शिव और शिवा के द्वित्व का एकत्व ही तंत्र का वर्णनीय विषय है। इतना ही नहीं तंत्र शास्त्र की विश्वसनीयता अथवा प्रामाणिकता को सिद्ध करने के लि
ये तंत्र के प्रत्येक ग्रंथ के प्रारंभ में भगवान शंकर के उपदेश, शिक्षाएं एवं निर्देश दिये गए होते हैं। आइये जाने तंत्र के बारे में कुछ खास बातें- १. लगभग १००० वर्षों तक तंत्र का प्रभाव एवं वर्चस्व रहा है। २. तंत्र का वर्चस्व एवं विस्तार भारत ही नहीं सुदूर एशिया भर में रहा है। ३. ईसा पूर्व से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक भारत के साथ-साथ चीन, तिब्ब्त, थाइलेंड, मंगोलिया, कंबोज, आदि देशों में भी तंत्र का प्रभाव रहा है। ४. हाथों में लगाई जाने वाली मेंहदी, घर के आंगन और द्वारों पर चित्रित अल्पना, संझ्या, बालक होने या कोई शुभ कार्य होने पर बनाए जाने वाले स्वास्तिक और डलिया की आकृतियां ये सब तंत्र के ही प्रतीक चिन्ह हैं।

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