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शनिवार, 24 मई 2014

इन्सान सिर्फ इन्सान को ही नही जानवरों को भी खा रहा है।

Plz save your life लोग अपनी बर्बादी का जशन मना रहे है । नदियों पहाड़ो जंगलो को खतम करके हम विकास करेगे। जहरीली हवा जहरीला पानी जहरीला भोजन करके पहलवान बनेगे। आज देश के 90% लोग किसी न किसी रोग से परेशान । किसी को बचपन में चश्मा लग जा रहा है। तो किसी का मोटापा बढ़ जा रहा है । तो कोई अधिक दुबला हो जा रहा है। लोगो के बाल टूट टूट कर गिर रहे है । तो कोई गंजा हो जा रहा है। किसी को भोजन भी सही से नही पच रहा है। तो किसी के पेट में गैस भी बन रहा है। इन रोगों से ठीक होने के लिए लोग रोज नया दवाई का डोज ले रहे है। इसी के चलते आज देश में लाखो देशी और विदेशी दवाई कंपनिया फल फूल रही है। देश और दुनिया के लाखो डॉक्टर भी इसी के चलते भारत में अपनी रोजी रोटी चला रहे है। लाखो दवाई कंपनियों का रोज विज्ञापन tv radio और अखबारों में आ रहा है। हर डॉक्टर रोग को ठीक करने का दावा कर रहा है। लोग भाग भाग कर डॉक्टर के पास जा रहे है अपनी जिन्दगी बचाने के लिए रोज नई कीमत चूका रहे है। मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में जाकर कर अपने भगवान को मना रहे है। दुःख की बात ये है कि कोई भगवान मान नही रहा है कही भूकम कही सुनामी आ जा रहा है। तो कही कही पर भाई भाई को मार कर खा जा रहा है। ये सब देख कर मुछे बहुत मजा आ रह है । क्योकि इन्सान सिर्फ इन्सान को ही नही जानवरों को भी खा रहा है। आप को ये सब पढने के बाद कुछ समझ में आ रहा है तो अपने बचने का उपाय सोच ले। क्योकि आप के बच्चे आप के सामने मर जायेगे । जानते है क्यों ? क्योकि आप के बच्चे आप से अधिक जहरीली हवा जहरीला पानी और जहरीला भोजन करेगे। क्या अमेरिका के लोग अनपढ़ है? उनको अंग्रेजी नही आती। क्या वहा फेक्टरी कम है? क्या अमेरिका के पास पैसा नही है। क्या अमेरिका के पास अच्छी तकनिक नही है। फिर वहा पर लोग बेरोजगार क्यों है। जो काम अमेरिका करके हार चूका है उसी काम को हम करने में लगे हुये है। लोगो को रोजगार देने के लिए फेक्टरी लगाना। लोगो को खूब अंग्रेजी पढाना । क्या ये सब करने के बाद सबको रोजगार मिल जायेगा। फेक्टरी लगाने के लिए अबतक जितने किसान परिवारों की ज़मीनों को छीना गया है । उनमे से 10% लोगो को भी रोजगार नही मिला है। इससे ये इस सिद्ध होता है कि फेक्टरी लगाने से रोजगार घटेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी। मतलब जितना अधिक मशीनीकरण होगा उतना अधिक इन्सान और जानवर बेरोजगार होगे जिसके कारण भूख से मरेगे। ट्रेक्टर के चलते बैलो को काटा जा रहा है। मशीनों के चलते इंसानों की डिमांड घट गयी है। जिस मिटटी को खनने के लिए 100 आदमी लगते थे उनको एक jcb एक आदमी मिलकर खन देता है मतलब 99 आदमी का रोजगार खा गया गया jcb। उसका फायदा jcb कंपनी को हुआ और jcb के मालिक को हुआ । फिर विकास किसका होगा नेता पूंजीपति अधिकारी का या फिर जनता का। बेरोजगारी हटाओ वैदिक जीवन पद्धति अपनाओ। धरती को स्वर्ग बनाओ। वैदिक भारत, अखंड भारत, आज़ाद भारत का निर्माण करने के लिय जो भी साथी तन, मन, धन से सहयोग करना चाहते है। वो सभी 09793282313 पर संपर्क करे। क्योकि इंडिया का विकास हो रहा है और भारत का विनाश हो रहा है। गॉव को शहर बनाने का खेल चल रहा है इन्सान और जानवर दोनों को अपनी धरतीमाता से अलग किया जा रहा है। लोग चिल्ला रहे है विकास हो रहा है फेक्ट्री लगेगी तो नौकरी मिलेगी। फिर अमेरिका में कोई बेरोजगार ही नही होता। क्योकि उनके पास न तकनीकी की कमी है और न ही पैसे की वो सबके लिए फेक्ट्री लगा देते सबको रोजगार मिल जाता। ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा करने से क्या फायदा क्योकि हमे तो सिर्फ अग्नि वायु धरती जल आकाश सबका विनाश करके ही विकास करना है। पंचतत्वो में जहर घोल दिया गया है। जिसके चलते जल थल नभ में रहने वाले सारे जीव परेशान है। जबकि वैदिक भारत का विज्ञानं सभी जीवो को नया जीवन प्रदान करता है। सम्पूर्ण जीव जगत के कल्याण के लिए यज्ञ करता है।
अगर ये गोबर गैस प्लांट हर गॉव और शहर में बना दिया जाये और इंसानों का मल मूत भी इसमें मिला दिया जाये जितना भी गिला कूड़ा है सबको इसमे डाल दिया जाये तो बिजली गैस और खाद की समस्या को हमेशा के लिए खतम किया जा सकता है। सफाई के नाम पर साफ होने वाले अरबो रूपये को बचाया जा सकता है और इसी पैसे को गोबर गैस प्लांट बनाने में लगाया जा सकता है।नदियों को बांध मुक्त और नाला मुक्त किया जा सकता है।
केवल ट्रेन के मलमूत्र से करोड़ो की कमाई की जा सकती है और पटरी को साफ सुथरा भी रखा जा सकता है। सफाई के नाम पर होने वाला बड़ा खर्चा भी बचाया जा सकता है। यही काम शहरों के सीवर से भी हो सकता है। लाखो घरो को बिजली और गैस और किसानो को अच्छी खाद भी मिल सकता है। गंगा युमना को भी साफ सुथरा रखा जा सकता है बिना एक रुपया खर्च किये बिना मगर येसा ये सरकार होने नही देगी। क्योकि कमीशन नही मिलेगा। कोई भी सरकार हो सबको टैक्स चहिये सबको कमीशन चाहिए सबको तनखा चाहिए मोटी मोटी भले इस देश की जनता टैक्स देते देते क्यों न मर जाये। कभी येसा ही टेक्स अंग्रेजो ने अपने विकास के लिए लिया था जैसे आज की सरकार ले रही है। रोड टैक्स टोल टैक्स हाउस टैक्स बिजली टैक्स पानी टैक्स सफाई टैक्स इनकम टैक्स और कौन कौन से टैक्स चल रहे है आप को पता हो तो बता दे। ये टैक्स जनता से क्यों वसूले जा रहे है क्योकि इंडियन गवर्मेंट को विकास करना है। जैसे बिर्टिश इंडियन गवर्मेंट विकास कर रही थी । क्योकि बिर्टिश इंडियन गवर्मेंट आप से 100 रुपया टैक्स वसूल करती थी और इंडियन गवर्मेंट आप से 1000रुपया टैक्स वसूल रही है मतलब आप पहले से ज्यादा गुलाम है। क्योकि ये सरकार आप को लूट कर आप का विकास करेगी आप की सुरक्षा करेगी क्या आप को मंजूर है ।क्यों न हम सब मिलकर अपना विकास करे और इस लूट से हमेशा के लिए बचे। गंगा युमना हर साल लाखो गावो को खुद साफ कर देती है। बस इतना हमको करना है की अपनी गंदगी को नदियों में नही डालना है और रोड पर नही फेकना है। जो भी होगा अच्छा होगा । सरकार तो नेता की बनेगी जनता तो सडक पर ही मरेगी। भूखी मरेगी या फिर उल्टा सीधा खा कर मरेगी। नेता जी महल में रहगे और हम गन्दी बस्ती में यही हमारा जन्म सिद्ध अधिकार। लोग चिल्ला रहे है वोट दो वोट दो बस हमे वोट केवल हम ईमानदार है बाकि सब बेईमान है हम गरीबो के साथ है। मगर झुग्गी में रहने को नही तैयार है हमको भी VIP इलाके में VIP मकान चाहिए। क्योकि हम विधायक है सांसद है मंत्री है मुख्यमंत्री है प्रधानमंत्री है। फिर भी हम गरीबो के साथ है। क्योकि हमने गरीबी हटाने का नारा दिया है। किसानो की जमीन में फसलो की जगह फेक्ट्री लगा दिया अब केवल किसान भूखा नही मरेगा बल्कि फेक्ट्री का धुँआ खा कर मरेगा। अब किसान का लड़का उस फेक्ट्री में नौकर बनेगा। फिर वो तरक्की करेगा। हवा में जहर घुलेगा नदिया नाला बनेगी जमीन बंजर होगे फिर हम विकास करेगे। यही सपना नेता जी आप को दिखा रहे है। रोज नई कम्पनी से देश को लूटवा रहे है। अख़बार में tv में रेडियो में शहरों में गॉव में सब जगह विकास विकास चिल्ला रहे है । मै पूछता हूँ क्या आप का विकास हो गया। इस देश का हर आदमी ही नही बल्कि जानवर भी बीमार हो गया पेड़ पोधे भी बीमार होकर अल्प आयु में दम तोड़ है। आज हम ग्लोबल वार्मिंग पे चर्चा करके रो रहे है ये दुनिया खतरे में है हमारे विकास से फिर भी अपने अहंकार में हम जी रहे है। आखिर क्यों?

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