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देश बड़ा या धर्म?
अगर मुझसे ये सवाल आज से 2 साल पहले पूछा गया होता तो देश बोलने में एक सेकेण्ड नहीं लगाता पर आज मैं 'धर्म' बोलने में देर नहीं करूँगा*।
*देश......*… *क्या है देश???*
जब तक आप इस देश में है *जब तक आप इस देश में सुरक्षित हैं* तभी तक तो है ये आपका देश।
देश तो ये तब भी कहलायेगा जब कोई इस देश पर कब्जा कर ले *और आपको भगा दे*… *लेकिन तब ये देश उस आक्रमणकारी का होगा* आपका नहीं।
मतलब साफ है जब तक देश में आपका राज है *तभी तक देश आपका है*।
देश बचता है धर्म से *......*…
जिस मजहब के लोगों के पास *एक भी देश नहीं था उसने सिर्फ धर्म पर अडिग रहकर 56 देश बना लिए* सवाल ये नहीं कि उनका मजहब खराब था या अच्छा।
जिसने धर्म से ज्यादा राष्ट्रीयता को महत्व दिया *उसके हाथ से देश निकल गया* हमारे हाथों से पाकिस्तान के रूप में, अफगानिस्तान के रूप में *देश का बड़ा भाग क्यों निकला???*
क्योंकि हम धार्मिक कम सेक्युलर ज्यादा हो गए *अगर हिंदू कट्टरवादी होते* अड़ जाते *लड़ जाते कि जान जायेगी* लेकिन दूसरे धर्म के लोगों को नहीं देंगे *अपनी जगह तब पाकिस्तान नहीं बनता*।
कैराना, कांधला, अलीगढ़, आसाम, कश्मीर आदि क्यों हिंदुओं के हाथ से निकला *क्योंकि उनके लिए देश पहले था धर्म नहीं* नतीजा धर्म भी गया और देश (स्थान) भी गया।
*अब दो सवाल है ......*…
*1- क्या पाकिस्तान में हिंदू धर्म है?*
*2- क्या पाकिस्तान हमारा देश रहा?*
यानिकि देश भी गया और धर्म भी गया *क्यों गया??*
क्योंकि भारत की तरफ से मोहनदास गांधी जवाहरलाल नेहरू जैसे एक जमात ने धर्म छोड़कर सेकुलरिज्म अपनाया।
*जबकि जिन्ना ने सिर्फ अपने धर्म की बात कहा* देश भी माँगा और वो भी धर्म के आधार पर माँगा *खून किया सब धर्म के लिए* नतीजा उसका सिर्फ धर्म ही नहीं बचा बल्कि और बढ़ा *साथ में देश भी पाया*।
हिंदू उल्टा करते हैं *देश के नाम पर धर्म छोड़ देते हैं* धर्म छोड़ते ही कमजोर हो जाते हैं *और इनके हाथ से धर्म तो जाता ही है* देश भी निकल जाता है।
मेरा पक्ष यही है *इस सवाल पर* आपका सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है *बस सोच और दूरदृष्टि जरुरी है* अथवा पिछले 800 साल की *गुलामी की दास्तान.........🤔
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