
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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रविवार, 31 जुलाई 2011
सोमवार, 25 जुलाई 2011
एक बात जो रोने को मजबूर कर दे !

स्रष्टि के निर्माण के समय श्री ब्रम्हा ने सोचा ki में जिव को प्रथ्वी पर
केसे भेजू इन्हें तो हर पल प्रभु का साथ चाहिये प्रभु बिन तो ये रह नहीं
सकता तब श्रीक्रष्ण प्रभु ने स्वयं उन्हें माँ रूपी उपाय बताया क्योकि माँ
ही सर्वोपरि है जिसने माँ बाप को दुःख दिया वो कभी सुखी नहीं रह पाया !
सुबह से शाम सख्त और कड़ी मेहनत के बाद जब घर आया तो
बाप ने पूछा क्या कमाया
बीवी ने पूछा क्या बचाया
ओलाद ने पूछा क्या लाया
सिर्फ माँ ने पूछा बेटा तुने क्या खाया ...............
श्री भागवत कथा कहती हे सारी समस्याओ से मुक्ति हेतु आज भी प्रात: उठकर
माता पिता के चरण स्पर्श करो आपको खुद ही महसूस हो जायेगा ,,,,,,,, क़ि माँ
क्या है !
और आज भी कई लोग
१) माँ बाप क़ि सेवा तो दूर आदर भी नहीं करते
२) उन्हें सम्मान तो दूर प्यार भी नहीं दे सकते
३) रखना तो दूर अनाथ आश्रम में भेज देते हे ..
४) इंदौर में जैन परिवार के एक बेटे ने पेसो के लिए माँ बाप को मार डाला ..
मत दो मान, सम्मान , इज्जत ,रुपये , पैसा , बंगले , मोटर गाड़ी , ५६ भोग , मत घुमाओ तीरथ ,
सिर्फ दे दो प्यार के दो बोल...
१) माँ तू केसी हे
२) माँ तो भोजन कर ले
पहले पढाया जाता था
पहले पढाया जाता था "ग" से "गणेश" , जिस शब्द से बच्चा बुद्धि ,धर्म, भगवान गणेश,पितृ सेवा और संस्कृति सीखता था पर हमारी सरकार को पसंद नहीं आया ! सरकार कहने लगी इससे साम्प्रदायीक्ता फैलती है, इसलिए अब पढ़iना प्रारम्भ किया गया "ग" से "गधा" !
परम तत्व को भूल बच्चा क्या सीखेगा ?सिर्फ नाशवान भौतिक सुख के लिए कर्म करना और उनके पीछे भागना ! अधर्मयता !
Jannat Paana
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अधर्म कि घिरी घटा कुचक्र है पनप रहे
पुण्य धर्म भूमि पर अधर्म कर्म बढ़ रहे
व्यथा विशाल राष्ट्र कि
आज हम समझ सके, विशुद्ध राष्ट्र भाव से ,
ये देश महक उठे
सोमवार, 18 जुलाई 2011
बचपन के दुःख कितने अच्छे हुआ करते थे
बचपन के दुःख कितने अच्छे हुआ करते थे
तब दिल नही खिलोने टुटा करते थे
आज एक आंसू गिरे तो सहा नही जाता
बचपन में तो जी भर कर रोया करते थे :'
रविवार, 10 जुलाई 2011
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