सुबह
उठ कर २ से ४ ग्लास पानी पीना चाहिए . इसके साथ अपनी प्रकृति के अनुसार
कोई ना कोई आयुर्वेदिक औषधि लेनी चाहिए . वात या पित्त प्रवृत्ति के लोगों
को आंवला , एलो वेरा , या बेल पत्र या नीम पत्र या वात प्रवृत्ति वालों को
मेथी दाना (भिगोया हुआ ); थायरोइड के मरीजों को भिगोया हुआ धनिया , कफ
प्रवृत्ति के लोगों को तुलसी , कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को गिलोय
घनवटी . इस प्रकार से रूटीन बना ले .
- खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है .
- चाय का पानी उबालते समय उसमे ऋतू अनुसार कोई ना कोई जड़ी बूटी अवश्य डाले .अदरक चाय के बुरे गुणों को कम करता है .
- सुबह घुमने जाते समय अपने आस पास के वृक्षों और पौधों पर नज़र डाले .
इनका आयुर्वेदिक महत्त्व समझे और इसके बारे में जानकारी फैलाइए . ताकि लोग
इन्हें संरक्षण दे और काटे नहीं .इसमें कोई ना कोई जड़ी बूटी अपनी चाय के
लिए चुन ले .
- हार्ट के मरीजों को अर्जुन की छाल चाय में डालनी चाहिए
- शकर जितनी कम डालेंगे हमारी आदत सुधरती जायेगी और मोटापा कम होता जाएगा .
- सफ़ेद शकर की जगह मधुरम का प्रयोग करे .
- चाय में तुलसी , इलायची , लेमन ग्रास , अश्वगंधा या दालचीनी डाली जा सकती है .
- चाय के पानी में थोड़ी देर दिव्य पेय डाल कर उबाले .
- वाग्भट के अष्टांग हृदयम में बताये गए सूत्रों के अनुसार दूध सुबह नहीं
लिया जाना चाहिए पर ये काढ़े के साथ लिया जा सकता है . अगर हम चाय के पानी
में दिव्य पेय या कोई भी जड़ी बूटी डाल कर ५-१० मी . उबाल ले तो ये एक काढा
ही तैयार हो जाएगा . अब इसमें हम दूध डाल के ले सकते है .
- जो बच्चें
मौसम बदलने पर बार बार बीमार पड़ते है उन्हें रोज़ थोड़ी चाय (जड़ी बूटी वाली
) दी जानी चाहिए .पेट गड़बड़ होने पर भी बच्चों को चाय देनी चाहिए .
-
चाय के साथ कोई नमकीन पदार्थ ना ले क्योंकि इसमें दूध होता है जिसके साथ
अगर नमक लिया जाए तो ये ज़हर पैदा करता है जिससे त्वचा रोग भी हो सकते है .
- चाय कम स्ट्रोंग पीनी चाहिए .
- दिन में २ कप से अधिक चाय कभी ना ले .
- चाय हमेशा स्वदेशी ब्रांड की ही ले ताकि हम सुबह का पहला काम तो देश के नाम कर सके .
- जो शाकाहारी है वे चाय बोन चायना के कप में ना ले क्योंकि ये कप हड्डियों के चूरे से ही बनाए जाते है .
(गर्मियों में बच्चें खेलकर आते है और खड़े खड़े फ्रिज से निकालकर चिल्ड
पानी पीने लगते है . ये एक बहुत ही गलत आदत है और इससे धीरे धीरे शरीर में
वात बढ़ने लगता है और बचपन से ही बच्चें मोटापे , अस्थमा , कड़े जोइंट्स का
शिकार हो जाते है.)
- फ्रिज का चिल्ड पानी और बर्फ इन दोनों का ही गुण धर्म गर्म होता है . इससे शरीर में गर्मी पैदा होगी .
- गर्मी आने पर भी अगर हम सादा पानी ही पीते रहे तो फ्रिज के पानी की आदत नहीं लग पाएगी और ये हमें बहुत सी परेशानियों से बचा लेगी
- बहुत अधिक गर्मी होने पर मटके का पानी पी सकते है .
- गर्मियों में ताम्बे के बर्तन में पानी नहीं पीना चाहिए . इन दिनों में चांदी के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए .
- पानी बैठ कर घूंट घूंट कर गिलास से पीने की आदत बनाए .
- बहुत ठन्डे पानी से पाचन खराब होता है .
- एक्सरसाइज या मेहनत के काम के बाद तो बिल्कुल भी ठंडा पानी न पिएं। ऐसा
करने से पिघला फैट फिर से जम जाता है। - आपका दिन शुभ हो ,मंगलमय हो .
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