500
-700 वर्षों से हमें यही सिखाया पढाया जा रहा है कि तुम बेकार हो, खराब
हो, तुम जंगली हो, तुम तो हमेशा लड़ते रहते हो, तुम्हारे अन्दर सभ्यता नहीं
है,
तुम्हारी कोई संस्कृती नहीं है, तुम्हारा कोई दर्शन नहीं है, तुम्हारे पास कोई गौरवशाली इतिहास नहीं है, तुम्हारे पास कोई ज्ञान विज्ञान नहींहै आदि आदि।
मित्रों अंग्रेजों के एक एक अधिकारी भारत आते गए और भारत व भारत वासियों कोकोसते गए। अंग्रजों से पहले
तुम्हारी कोई संस्कृती नहीं है, तुम्हारा कोई दर्शन नहीं है, तुम्हारे पास कोई गौरवशाली इतिहास नहीं है, तुम्हारे पास कोई ज्ञान विज्ञान नहींहै आदि आदि।
मित्रों अंग्रेजों के एक एक अधिकारी भारत आते गए और भारत व भारत वासियों कोकोसते गए। अंग्रजों से पहले
ये
गालियाँ हमें फ्रांसीसी देतेथे, और फ्रांसीसियों से पहले ये गालियाँ हमें
पुर्तगालियों ने दीं। इसी क्रम मेंलॉर्ड मैकॉले का भी भारत में आगमन हुआ।
किन्तु मैकॉले की नीति कुछ अलग थी। उसका विचार था कि एक एक अंग्रेज़ अधिकारी भारत वासियों को कब तक कोसतारहेगा? कुछ ऐसी परमानेंट व्यवस्था करनी होगी कि हमेशा भारत वासी खुद को नीचा ही देखें और हीन भावना से ग्रसित रहें।
इसलिएउसने जो व्यवस्था दी उसका नाम रखा Education System. सारा सिस्टम उसने ऐसा रचा कि भारत वासियों को केवल वह सब कुछ पढ़ाया जाए जिससे वे हमेशा गुलाम ही रहें। और उन्हें अपने धर्म संस्कृती से घृणा हो जाए। इस शिक्षा में हमें यहाँ तक पढ़ाया कि भारतवासी सदियों से गौमांस का भक्षण कर रहे हैं। अब आप ही सोचे यदि भारत वासी सदियों से गाय का मांस खाते थे तो आज के हिन्दू ऐसा क्यों नहीं करते?
और इनके द्वारा दी गयी सबसे गंदी गाली यह है कि हम भारत वासी आर्य बाहर से आये थे। आर्यों ने भारतके मूल द्रविड़ों पर आक्रमण करके उन्हें दक्षिण तक खदेड़ दिया और सम्पूर्ण भारत पर अपना कब्ज़ा ज़मा लिया। और हमारे देश के वामपंथी चिन्तक आज भी इसे सच साबित करने के प्रयास में लगे हैं।
इतिहास में हमें यही पढ़ाया गया कि कैसे एक राजा ने दूसरे राजा पर आक्रमण किया। इतिहास मेंकेवल राजा ही राजा हैं प्रजा नदारद है, हमारे ऋषि मुनि नदारद हैं। और राजाओं की भी बुराइयां ही हैं अच्छाइयां गायब हैं। आप जरा सोचे कि अगर इतिहास में केवल युद्ध ही हुए तो भारत तो हज़ार साल पहले ही ख़त्म हो गया होता।
और राजा भी कौन कौन से गजनी, तुगलक, ऐबक, लोदी, तैमूर, बाबर, अकबर, सिकंदर जो कि भारतीय थे ही नहीं। राजा विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान गायब हैं। इनका ज़िक्र तो इनके आक्रान्ता के सम्बन्ध में आता है। जैसे सिकंदर की कहानी में.
किन्तु मैकॉले की नीति कुछ अलग थी। उसका विचार था कि एक एक अंग्रेज़ अधिकारी भारत वासियों को कब तक कोसतारहेगा? कुछ ऐसी परमानेंट व्यवस्था करनी होगी कि हमेशा भारत वासी खुद को नीचा ही देखें और हीन भावना से ग्रसित रहें।
इसलिएउसने जो व्यवस्था दी उसका नाम रखा Education System. सारा सिस्टम उसने ऐसा रचा कि भारत वासियों को केवल वह सब कुछ पढ़ाया जाए जिससे वे हमेशा गुलाम ही रहें। और उन्हें अपने धर्म संस्कृती से घृणा हो जाए। इस शिक्षा में हमें यहाँ तक पढ़ाया कि भारतवासी सदियों से गौमांस का भक्षण कर रहे हैं। अब आप ही सोचे यदि भारत वासी सदियों से गाय का मांस खाते थे तो आज के हिन्दू ऐसा क्यों नहीं करते?
और इनके द्वारा दी गयी सबसे गंदी गाली यह है कि हम भारत वासी आर्य बाहर से आये थे। आर्यों ने भारतके मूल द्रविड़ों पर आक्रमण करके उन्हें दक्षिण तक खदेड़ दिया और सम्पूर्ण भारत पर अपना कब्ज़ा ज़मा लिया। और हमारे देश के वामपंथी चिन्तक आज भी इसे सच साबित करने के प्रयास में लगे हैं।
इतिहास में हमें यही पढ़ाया गया कि कैसे एक राजा ने दूसरे राजा पर आक्रमण किया। इतिहास मेंकेवल राजा ही राजा हैं प्रजा नदारद है, हमारे ऋषि मुनि नदारद हैं। और राजाओं की भी बुराइयां ही हैं अच्छाइयां गायब हैं। आप जरा सोचे कि अगर इतिहास में केवल युद्ध ही हुए तो भारत तो हज़ार साल पहले ही ख़त्म हो गया होता।
और राजा भी कौन कौन से गजनी, तुगलक, ऐबक, लोदी, तैमूर, बाबर, अकबर, सिकंदर जो कि भारतीय थे ही नहीं। राजा विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान गायब हैं। इनका ज़िक्र तो इनके आक्रान्ता के सम्बन्ध में आता है। जैसे सिकंदर की कहानी में.
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