ये कहानी इस तथ्य को पूर्णतया प्रस्तुत करती हैं!
कहानी एक ग़रीब किसान की लड़की की हैं जो अलग २ गावों के लोगों को दूध पहुचाने का काम करती थी ! उन्हीं लोगों मे एक पुरोहीत के घर भी दूध पहुचती थी ! उस पुरोहीत के घर जाने के लिए उस ग्वालिन को एक तेज धारा मे बहने वाली नदी को पार करके जाना पड़ता था ! दूसरे लोग उस नदी को एक टूटे से छोटी सी नाव से पार करते थे उसके बदले लोग, नाविक को एक छोटा सा धन का कुछ भाग नाविक को दे देते थे! एक दिन जब उस ग्वालिन को उस पुरोहित के घर आने मे देर हो गई और पुरोहित जो की रोज ताजे दूध से भगवान का अभिषेक करता था और देर हो जाने की वजह से उस पर चिल्लाया की अब मैं इससे क्या कर सकता हूँ?
उस ग्वालिन ने कहा की रोज की तरह आज भी मैं सुबह ही घर से निकली थी लेकिन एक ही नाविक उस नदी मे नाव चलता हैं और उसी नाविक के वापस आने के इंतजार करने की वजह से देर हो गई!
तब ये सुनकर पुरोहित ने गंभीर मुद्रा धारण करते हुए उसे कहा की लोग तो भगवान का नाम जपते हुए बड़े २ समुन्द्र पार कर जाते हैं और तुम ये छोटी सी नदी पार नही कर सकती?
उस ग्वालिन ने पुरोहित की इस बात को बड़ी ही गंभीरता से लिया! और रोज उस दिन के बाद से पुरोहित को सुबह ठीक समय पर दूध पहुचाने लगी! इतने सुबह सही समय पर ग्वालिन की आते देख, पुरोहित के मन मे
उत्सुकता उत्पन्न हुई कि वो रोज सुबह समय पर कैसे आ जाती हैं ! तो एक दिन वो पुरोहित अपने आप को रोक नही पाया और उस ग्वालिन के आते ही पूछा कि अब तो तुम कभी देर नही करती लगता हैं नदी मे और भी नाविक आ गये हैं! तब वो
ग्वालिन बोली नही पंडित जी अब तो मुझे नाविक की कोई ज़रूरत ही नही पड़ती ! आप ने ही तो उस दिन कहा था कि लोग बड़े २ समुंद्र भगवान का नाम जप कर पार कर लेते हैं और मैं ये छोटी सी नदी पार नही कर सकती !
तो बस रोज भगवान का नाम जपते हुए मैं वो छोटी सी नदी अब बस ५ मिनट मे पार कर लेती हूँ ! लेकिन उस पुरोहित को उस ग्वालिन की बातों पर विश्वास नही हुआ उसने कहा की तुम उस नदी को कैसे पैदल पार करती हो ये मुझे दिखा सकती हो? तब ग्वालिन और पुरोहित दोनो उस नदी की तरफ चल पड़े!
और वो ग्वालिन उस नदी के पानी पर पैदल चलने लगी ये देख कर वो पुरोहित भी उसके पीछे २ नदी पर चलने को आगे बढ़ा लेकिन जैसे ही पैर आगे नदी मे बढ़ाया वो नदी मे गिर पड़ा तब वो ग्वालिन ज़ोर से चिल्लाई की आपने भगवान का नाम नही लिया देखो आपके सारे कपड़े गीले हो गये! ये भगवान मे विश्वास नही हैं! अगर आप विश्वास नही करते किसी पर
तो आप सब कुछ खो देते हैं! विश्वास अपने आप पर और विश्वास भगवान पर यही जीवन का रहस्य हैं! यदि आप सभी तीन सौ और तीस लाख देवताओं में विश्वास है ... और अपने आप पर विश्वास नही हैं तो भी आपका उद्धार नही होगा! उस पुरोहित ने उस ग्वालिन को जो कहा उस ग्वालिन ने सच माना और वैसा ही किया लेकिन उस पुरोहित को न अपने द्वारा कही गई बातों पर ही विश्वास था और न ही भगवान पर विश्वास किया!
कहानी एक ग़रीब किसान की लड़की की हैं जो अलग २ गावों के लोगों को दूध पहुचाने का काम करती थी ! उन्हीं लोगों मे एक पुरोहीत के घर भी दूध पहुचती थी ! उस पुरोहीत के घर जाने के लिए उस ग्वालिन को एक तेज धारा मे बहने वाली नदी को पार करके जाना पड़ता था ! दूसरे लोग उस नदी को एक टूटे से छोटी सी नाव से पार करते थे उसके बदले लोग, नाविक को एक छोटा सा धन का कुछ भाग नाविक को दे देते थे! एक दिन जब उस ग्वालिन को उस पुरोहित के घर आने मे देर हो गई और पुरोहित जो की रोज ताजे दूध से भगवान का अभिषेक करता था और देर हो जाने की वजह से उस पर चिल्लाया की अब मैं इससे क्या कर सकता हूँ?
उस ग्वालिन ने कहा की रोज की तरह आज भी मैं सुबह ही घर से निकली थी लेकिन एक ही नाविक उस नदी मे नाव चलता हैं और उसी नाविक के वापस आने के इंतजार करने की वजह से देर हो गई!
तब ये सुनकर पुरोहित ने गंभीर मुद्रा धारण करते हुए उसे कहा की लोग तो भगवान का नाम जपते हुए बड़े २ समुन्द्र पार कर जाते हैं और तुम ये छोटी सी नदी पार नही कर सकती?
उस ग्वालिन ने पुरोहित की इस बात को बड़ी ही गंभीरता से लिया! और रोज उस दिन के बाद से पुरोहित को सुबह ठीक समय पर दूध पहुचाने लगी! इतने सुबह सही समय पर ग्वालिन की आते देख, पुरोहित के मन मे
उत्सुकता उत्पन्न हुई कि वो रोज सुबह समय पर कैसे आ जाती हैं ! तो एक दिन वो पुरोहित अपने आप को रोक नही पाया और उस ग्वालिन के आते ही पूछा कि अब तो तुम कभी देर नही करती लगता हैं नदी मे और भी नाविक आ गये हैं! तब वो
ग्वालिन बोली नही पंडित जी अब तो मुझे नाविक की कोई ज़रूरत ही नही पड़ती ! आप ने ही तो उस दिन कहा था कि लोग बड़े २ समुंद्र भगवान का नाम जप कर पार कर लेते हैं और मैं ये छोटी सी नदी पार नही कर सकती !
तो बस रोज भगवान का नाम जपते हुए मैं वो छोटी सी नदी अब बस ५ मिनट मे पार कर लेती हूँ ! लेकिन उस पुरोहित को उस ग्वालिन की बातों पर विश्वास नही हुआ उसने कहा की तुम उस नदी को कैसे पैदल पार करती हो ये मुझे दिखा सकती हो? तब ग्वालिन और पुरोहित दोनो उस नदी की तरफ चल पड़े!
और वो ग्वालिन उस नदी के पानी पर पैदल चलने लगी ये देख कर वो पुरोहित भी उसके पीछे २ नदी पर चलने को आगे बढ़ा लेकिन जैसे ही पैर आगे नदी मे बढ़ाया वो नदी मे गिर पड़ा तब वो ग्वालिन ज़ोर से चिल्लाई की आपने भगवान का नाम नही लिया देखो आपके सारे कपड़े गीले हो गये! ये भगवान मे विश्वास नही हैं! अगर आप विश्वास नही करते किसी पर
तो आप सब कुछ खो देते हैं! विश्वास अपने आप पर और विश्वास भगवान पर यही जीवन का रहस्य हैं! यदि आप सभी तीन सौ और तीस लाख देवताओं में विश्वास है ... और अपने आप पर विश्वास नही हैं तो भी आपका उद्धार नही होगा! उस पुरोहित ने उस ग्वालिन को जो कहा उस ग्वालिन ने सच माना और वैसा ही किया लेकिन उस पुरोहित को न अपने द्वारा कही गई बातों पर ही विश्वास था और न ही भगवान पर विश्वास किया!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.