सेंधा नमक
= नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।
= नमक विशेषज्ञ एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है । श्रेष्ठ प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है ।
= प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुध्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
= सेंधा नमक की सबसे बडी समस्या है कि भारत मे यह काफ़ी कम मात्रा मे होता है , और वह भी शुद्ध नही होता है। भारत मे ८० प्रतिशत नमक समुद्री है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाडी यानि कि सेंधा नमक । सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान की मुल्तान की पहडियों मे है।
= ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।
= समुद्री और सेंधा नमक के दाम मे इतना अधिक अंतर है जिसके कारण लोग समुद्री नमक खरीद्ते हैं । समुद्री नमक जहां नौ रु किलो है तो सेंधा नमक का दाम रु ४० प्रति किलो है । सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है । साफ़ है कि इसका अधिक उपयोग करना पडता है ।और इसीलिये लाख उपयोगी होने के बावजूद लोग इसकी जगह समुद्री नमक से ही चला लेते है । पर अगर उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ हुई तो इसके इलाज में जो हज़ारो रुपये खर्च होंगे ; इसकी तुलना में दाम का ये फर्क कुछ भी नहीं ।
= सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
= यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।
= यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।
= रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
= यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है ।
= दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
सेंधा नमक के विशिष्ठ योग
= हिंगाष्ठक चूर्ण, लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ योग हैं ।
काला नमक
= यह भी ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, वायु शामक है । पेट फ़ूलने की समस्या मे मददरुप है। इसके सेवन से डकार शुद्ध आती है और छोटे बच्चो की कब्ज की समस्या मे इसका उपयोग होता है ।
= काला नमक बनाने के लिये सेंधा नमक और साजीखार सम प्रमाण मे ले। साजीखार का उपयोग पापड बनाने में होता है और यह पंसारी की दुकान पर आसानी से मिलता है। इस मिश्रण को पानी मे घोलें । अब इसे धीमी आंच पर गर्म करे और पूरा पानी जला दें । अंत मे जो बचेगा वह काला नमक है ।
= नमक आवश्यक है पर उसे कम से कम मात्रा में खाना चाहिए
= नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।
= नमक विशेषज्ञ एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है । श्रेष्ठ प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है ।
= प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुध्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
= सेंधा नमक की सबसे बडी समस्या है कि भारत मे यह काफ़ी कम मात्रा मे होता है , और वह भी शुद्ध नही होता है। भारत मे ८० प्रतिशत नमक समुद्री है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाडी यानि कि सेंधा नमक । सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान की मुल्तान की पहडियों मे है।
= ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।
= समुद्री और सेंधा नमक के दाम मे इतना अधिक अंतर है जिसके कारण लोग समुद्री नमक खरीद्ते हैं । समुद्री नमक जहां नौ रु किलो है तो सेंधा नमक का दाम रु ४० प्रति किलो है । सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है । साफ़ है कि इसका अधिक उपयोग करना पडता है ।और इसीलिये लाख उपयोगी होने के बावजूद लोग इसकी जगह समुद्री नमक से ही चला लेते है । पर अगर उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ हुई तो इसके इलाज में जो हज़ारो रुपये खर्च होंगे ; इसकी तुलना में दाम का ये फर्क कुछ भी नहीं ।
= सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
= यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।
= यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।
= रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
= यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है ।
= दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
सेंधा नमक के विशिष्ठ योग
= हिंगाष्ठक चूर्ण, लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ योग हैं ।
काला नमक
= यह भी ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, वायु शामक है । पेट फ़ूलने की समस्या मे मददरुप है। इसके सेवन से डकार शुद्ध आती है और छोटे बच्चो की कब्ज की समस्या मे इसका उपयोग होता है ।
= काला नमक बनाने के लिये सेंधा नमक और साजीखार सम प्रमाण मे ले। साजीखार का उपयोग पापड बनाने में होता है और यह पंसारी की दुकान पर आसानी से मिलता है। इस मिश्रण को पानी मे घोलें । अब इसे धीमी आंच पर गर्म करे और पूरा पानी जला दें । अंत मे जो बचेगा वह काला नमक है ।
= नमक आवश्यक है पर उसे कम से कम मात्रा में खाना चाहिए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.