*🙏क्या है नागपंचमी पर गुड़िया पीटने का राज?*🙏
*उत्तरप्रदेश में नागपंचमी का त्योहार पर गुड़िया पीटने की परंपरा है. हालांकि यह अपने आप में कुछ अनूठा है लेकिन इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं.*
*हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन उत्तर प्रदेश में गुड़िया को पीटने की अनोखी परंपरा निभायी जाती है*
*हम आपको बताते हैं इस परंपरा के पीछे की कुछ अनोखी कहनियां. इसमें से एक कहानी महिलाओं से जुड़ी है. जैसा की हम सभी कहते हैं कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती. यही कहावत नागपंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा के पीछे भी है.*
*औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचता नही जैसा की हम सभी जानते हैं कि तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी. इसके बाद तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या की शादी राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुई, जब वह व्याह कर ससुराल आई तो उसने यह राज एक सेविका को बताया और कहा कि वह किसी से न बोले. लेकिन उस सेविका ने इस बात को किसी दुसरे महिला को बता दी. इस तरह से यह बात पूरे नगर में फ़ैल गयी*.
*इस बात से क्रोधित होकर तक्षक के राजा ने नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा करके कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया. उसे इस बात का गुस्सा था कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती. तभी से गुड़िया पीटने की परंपरा मनाई जाती है.*
*इसके पीछे की दूसरी कहानी भाई-बहन की कहानी से जुड़ी है. भाई भगवान शिव का परम भक्त था और वह प्रतिदिन मंदिर जाता था. मंदिर में उसे एक नागदेवता के दर्शन होते थे. वह लड़का रोजाना उस नाग को दूध पिलाने लगा और धीरे-धीर दोनों में प्रेम हो गया. इसके बाद लड़के को देखते ही सांप अपनी मणि छोड़कर उसके पैरों में लिपट जाता था. इसी तरह एक दिन सावन के महीने में भाई-बहन मंदिर गए थे. मंदिर में नाग लड़के को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया. बहन ने जब देखा तो उसे लगा की नाग उसके भाई को काट रहा है. लड़की भाई की जान बचाने के लिए नाग को पीट-पीट कर मार डाला. इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी सुनाई तो लड़की रोने लगी.*
*फिर लोगों ने कहा कि नाग देवता का रूप होते हैं इसलिए दंड तो मिलेगा चूंकि यह गलती से हुआ है इसलिए कालांतर में लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा.*
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