सिर्फ
7 दिन में सफ़ेद दाग (श्वेत कुष्ठ) का सफाया,
इस उपाय से 146 रोगियों में से 142 पूर्णतः ठीक हुए, ये महत्त्वपूर्ण पोस्ट शेयर करना ना भूले
सिर्फ 7 दिन में सफ़ेद दाग (श्वेत कुष्ठ) खत्म होगी : दिवान हकीम परमानन्द जी के द्वारा अनभूत प्रयोग
आवश्यक सामग्री :
25 ग्राम देशी कीकर (बबूल) के सूखे पते
25 ग्राम पान की सुपारी (बड़े आकार की)
25 ग्राम काबली हरड का छिलका
बनाने की विधि :
उपरोक्त तीन वस्तुएँ लेकर दवा बनाये। कही से देशी कीकर (काटे वाला पेड़ जिसमे पीले फुल लगते है ) के ताजे पत्ते (डंठल रहित ) लाकर छाया में सुखाले कुछ घंटो में पत्ते सुख जायेगे बबूल के इन सूखे पत्तो को काम में ले पान वाली सुपारी बढिया ले इसका पावडर बना ले कबाली हरड को भी जौ कुट कर ले और इन सभी चीजो को यानि बबूल , सुपारी , काबली हरड का छिलका (बड़ी हरड) सभी को 25-25 ग्राम की अनुपात में ले कुल योग 75 ग्राम और 500 मिली पानी में उबाले पानी जब 125 मिली बचे तब उतर कर ठंडा होने दे और छान कर पी ले ये दवा एक दिन छोड़ कर दुसरे दिन पीनी है अर्थात मान लीजिये आज आप ने दवा ली तो कल नहीं लेनी है और इस काढ़े में 2 चमच खांड या मिश्री मिला ले (10 ग्राम) और ये निहार मुह सुबह –सुबह पी ले और 2 घंटे तक कुछ भी खाना नहीं है दवा के प्रभाव से शरीर शुद्धि हो और उलटी या दस्त आने लगे परन्तु दवा बन्द नहीं करे 14 दीन में सिर्फ 7 दिन लेनी है और फीर दवा बन्द कर दे कुछ महीने में घिरे –घिरे त्वचा काली होने लगेगी हकीम साहब का दावा है की ये साल भर में सिर्फ एक बार ही लेने से रोग निर्मूल (ख़त्म) हो जाता है अगर कुछ रह जाये तो दुसरे साल ये प्रयोग एक बार और कर ले नहीं तो दुबारा इसकी जरूरत नहीं पडती।
➡ पूरक उपचार
एक निम्बू, एक अनार और एक सेब तीनो का अलग – अलग ताजा रस निकालने के बाद अच्छी तरह परस्पर मिलाकर रोजाना सुबह शाम या दिन में किसी भी समय एक बार नियम पूर्वक ले। यह फलो का ताजा रस कम से कम दवा सेवन के प्रयोग आगे 2-3 महीने तक जारी रख सके तो अधिक लाभदायक रहेगा।
➡औषधियों की प्रयोग विधि :
दवा के सेवन काल के 14 दिनों में मक्खन घी दूध अधिक लेना हितकर है क्योकि दवा खुश्क है।
चौदह दिन दवा लेने के बाद कोई बिशेस परहेज पालन की जरुरत नहीं है श्वेत कुष्ठ के दुसरे इलाजो में कठीन परहेज पालन होती है परन्तु इस ईलाज में नातो सफेद चीजो का परहेज है और ना खटाई आदि का फीर भी आप मछली मांस अंडा नशीले पदार्थ शराब तम्बाकू आदि और अधिक मिर्च मसले तेल खटाई आदि का परहेज पालन कर सके तो अच्छा रहेगा।
दवा सेवन के 14 दिनों में कभी –कभी उलटी या दस्त आदि हो सकता है इससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे शारीरिक शुध्धी के द्वारा आरोग्य प्राप्त होनेका संकेत समझना चाहिए।
रोग दूर होने के संकेत हकीम साहब के अनुसार दवा के सेवन के लगभग 3 महीने बाद सफेद दागो के बीच तील की तरह काले भूरे या गुलाबी धब्धे ( तील की तरह धब्बे ) के रूप में चमड़ी में रंग परिवर्तन दिखाई देगा और साल भर में धीरे –धीरे सफेद दाग या निसान नष्ट हो कर त्वचा पहले जयसी अपने स्वभाविक रंग में आ जाएगी फीर भी यदि कुछ कसर रह जाये तो एक साल बीत जाने के बाद दवा की सात खुराके इसी तरह दुबारा ले सकते है।
दिवान हकीम साहब का दावा है की उतर्युक्त ईलाज से उनके 146 श्वेत कुष्ठ के रोगियों में से 142 रोगी पूर्णत : ठीक अथवा लाभान्वित हुये है कुछ सम्पूर्ण शरीर में सफेद रोगी भी ठीक हुये है निर्लोभी परोपकारी दीवान हकीम परमानन्द जी की अनुमति से बिस्तार से यह अनमोल योग मानव सेवा भावना के साथ जनजन तक पहुचा रहा हु इस आशा और उदात भावना के साथ की पाठक निश्वार्थ भावना से तथा बिना किसी लोभ के जनजन तक जरुर पहुचाये।
स्रोत : स्वदेशी चिकित्सा के चमत्कार लेख दीवान हकीम परमानन्द नई दिल्ली द्वारा अनभूत प्रयोग। अपने नजदीकी कुशल वैद्य या चिकित्सक की सलाह अवश्य ले तथा उनकी देख रेख में कोई कदम उठाएं।
इस उपाय से 146 रोगियों में से 142 पूर्णतः ठीक हुए, ये महत्त्वपूर्ण पोस्ट शेयर करना ना भूले
सिर्फ 7 दिन में सफ़ेद दाग (श्वेत कुष्ठ) खत्म होगी : दिवान हकीम परमानन्द जी के द्वारा अनभूत प्रयोग
आवश्यक सामग्री :
25 ग्राम देशी कीकर (बबूल) के सूखे पते
25 ग्राम पान की सुपारी (बड़े आकार की)
25 ग्राम काबली हरड का छिलका
बनाने की विधि :
उपरोक्त तीन वस्तुएँ लेकर दवा बनाये। कही से देशी कीकर (काटे वाला पेड़ जिसमे पीले फुल लगते है ) के ताजे पत्ते (डंठल रहित ) लाकर छाया में सुखाले कुछ घंटो में पत्ते सुख जायेगे बबूल के इन सूखे पत्तो को काम में ले पान वाली सुपारी बढिया ले इसका पावडर बना ले कबाली हरड को भी जौ कुट कर ले और इन सभी चीजो को यानि बबूल , सुपारी , काबली हरड का छिलका (बड़ी हरड) सभी को 25-25 ग्राम की अनुपात में ले कुल योग 75 ग्राम और 500 मिली पानी में उबाले पानी जब 125 मिली बचे तब उतर कर ठंडा होने दे और छान कर पी ले ये दवा एक दिन छोड़ कर दुसरे दिन पीनी है अर्थात मान लीजिये आज आप ने दवा ली तो कल नहीं लेनी है और इस काढ़े में 2 चमच खांड या मिश्री मिला ले (10 ग्राम) और ये निहार मुह सुबह –सुबह पी ले और 2 घंटे तक कुछ भी खाना नहीं है दवा के प्रभाव से शरीर शुद्धि हो और उलटी या दस्त आने लगे परन्तु दवा बन्द नहीं करे 14 दीन में सिर्फ 7 दिन लेनी है और फीर दवा बन्द कर दे कुछ महीने में घिरे –घिरे त्वचा काली होने लगेगी हकीम साहब का दावा है की ये साल भर में सिर्फ एक बार ही लेने से रोग निर्मूल (ख़त्म) हो जाता है अगर कुछ रह जाये तो दुसरे साल ये प्रयोग एक बार और कर ले नहीं तो दुबारा इसकी जरूरत नहीं पडती।
➡ पूरक उपचार
एक निम्बू, एक अनार और एक सेब तीनो का अलग – अलग ताजा रस निकालने के बाद अच्छी तरह परस्पर मिलाकर रोजाना सुबह शाम या दिन में किसी भी समय एक बार नियम पूर्वक ले। यह फलो का ताजा रस कम से कम दवा सेवन के प्रयोग आगे 2-3 महीने तक जारी रख सके तो अधिक लाभदायक रहेगा।
➡औषधियों की प्रयोग विधि :
दवा के सेवन काल के 14 दिनों में मक्खन घी दूध अधिक लेना हितकर है क्योकि दवा खुश्क है।
चौदह दिन दवा लेने के बाद कोई बिशेस परहेज पालन की जरुरत नहीं है श्वेत कुष्ठ के दुसरे इलाजो में कठीन परहेज पालन होती है परन्तु इस ईलाज में नातो सफेद चीजो का परहेज है और ना खटाई आदि का फीर भी आप मछली मांस अंडा नशीले पदार्थ शराब तम्बाकू आदि और अधिक मिर्च मसले तेल खटाई आदि का परहेज पालन कर सके तो अच्छा रहेगा।
दवा सेवन के 14 दिनों में कभी –कभी उलटी या दस्त आदि हो सकता है इससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे शारीरिक शुध्धी के द्वारा आरोग्य प्राप्त होनेका संकेत समझना चाहिए।
रोग दूर होने के संकेत हकीम साहब के अनुसार दवा के सेवन के लगभग 3 महीने बाद सफेद दागो के बीच तील की तरह काले भूरे या गुलाबी धब्धे ( तील की तरह धब्बे ) के रूप में चमड़ी में रंग परिवर्तन दिखाई देगा और साल भर में धीरे –धीरे सफेद दाग या निसान नष्ट हो कर त्वचा पहले जयसी अपने स्वभाविक रंग में आ जाएगी फीर भी यदि कुछ कसर रह जाये तो एक साल बीत जाने के बाद दवा की सात खुराके इसी तरह दुबारा ले सकते है।
दिवान हकीम साहब का दावा है की उतर्युक्त ईलाज से उनके 146 श्वेत कुष्ठ के रोगियों में से 142 रोगी पूर्णत : ठीक अथवा लाभान्वित हुये है कुछ सम्पूर्ण शरीर में सफेद रोगी भी ठीक हुये है निर्लोभी परोपकारी दीवान हकीम परमानन्द जी की अनुमति से बिस्तार से यह अनमोल योग मानव सेवा भावना के साथ जनजन तक पहुचा रहा हु इस आशा और उदात भावना के साथ की पाठक निश्वार्थ भावना से तथा बिना किसी लोभ के जनजन तक जरुर पहुचाये।
स्रोत : स्वदेशी चिकित्सा के चमत्कार लेख दीवान हकीम परमानन्द नई दिल्ली द्वारा अनभूत प्रयोग। अपने नजदीकी कुशल वैद्य या चिकित्सक की सलाह अवश्य ले तथा उनकी देख रेख में कोई कदम उठाएं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.