बुजर्गों के लिए हेल्थ टिप्स:-
1. आहार और खानपान- खासकर इस उम्र में खाना हल्का,सुपाच्य ,कम तेल,मिर्च मसालेवाला और जहां तक हो सके शाकाहारी लें।
वैज्ञानिक शोधों से ये साबित हो चुका है कि जो लोग,कम खाते हैं और शाकाहारी खानपान अपनाते हैं वो ज्यादा लंबा और ज्यादा स्वस्थ जीवन ज्वेते हैं ,बनिस्बत उनलोगों के जो ज्यादा मात्रा में खाना खाते हैं और मांसाहार अपनाते हैं।
बढ़ती उम्र के साथ चूंकि ,मांसपेशियां शिथिल और कमजोर पड़ने लगती हैं,इसीलिये आहार में प्रोटीन की जरूरत भी बढ़ जाती है।इसी के मद्देनजर खाने में प्रोटीन के स्त्रोत,जैसे की दालें, सोयाबीन,चना,पनीर और टोफू(सोया पनीर) की मात्रा बढ़ा दें।कैल्शियम और विटामिन डी की कमी की वजह से हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं, जिस वजह से कमर में दर्द और जोड़ीं में दर्द बहुत ही आम समस्या बन जाती है।इसीलिए ये बहुत ज़रूरी हो जाता है ,की दूध,दही और दूध से बने पदार्थों के रूप में,खाने में भरपूर मात्रा में बराबर कैल्शियम लें।डॉक्टरी सलाह पर ,कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
खाने में साबुत अनाज और फाइबरयुक्त आहार लें।प्रचुर मात्रा में सब्ज़ियों और फलों का सेवन करें।1 मौसमी फल प्रतिदिन खाने का नियम ज़रूर बना लें।1 चम्मच घी के रूप में ,थोड़ी सी वसा का भी अवश्य ही सेवन करें।
खाना थोड़ी मात्रा में लें और बराबर लें ,जिससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहे।विशेषकर रात का खाना हल्का लें और जल्दी अवश्य ही लें।
वैज्ञानिक शोधों से ये साबित हो चुका है कि जो लोग,कम खाते हैं और शाकाहारी खानपान अपनाते हैं वो ज्यादा लंबा और ज्यादा स्वस्थ जीवन ज्वेते हैं ,बनिस्बत उनलोगों के जो ज्यादा मात्रा में खाना खाते हैं और मांसाहार अपनाते हैं।
बढ़ती उम्र के साथ चूंकि ,मांसपेशियां शिथिल और कमजोर पड़ने लगती हैं,इसीलिये आहार में प्रोटीन की जरूरत भी बढ़ जाती है।इसी के मद्देनजर खाने में प्रोटीन के स्त्रोत,जैसे की दालें, सोयाबीन,चना,पनीर और टोफू(सोया पनीर) की मात्रा बढ़ा दें।कैल्शियम और विटामिन डी की कमी की वजह से हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं, जिस वजह से कमर में दर्द और जोड़ीं में दर्द बहुत ही आम समस्या बन जाती है।इसीलिए ये बहुत ज़रूरी हो जाता है ,की दूध,दही और दूध से बने पदार्थों के रूप में,खाने में भरपूर मात्रा में बराबर कैल्शियम लें।डॉक्टरी सलाह पर ,कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
खाने में साबुत अनाज और फाइबरयुक्त आहार लें।प्रचुर मात्रा में सब्ज़ियों और फलों का सेवन करें।1 मौसमी फल प्रतिदिन खाने का नियम ज़रूर बना लें।1 चम्मच घी के रूप में ,थोड़ी सी वसा का भी अवश्य ही सेवन करें।
खाना थोड़ी मात्रा में लें और बराबर लें ,जिससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहे।विशेषकर रात का खाना हल्का लें और जल्दी अवश्य ही लें।
2. नींद-सात से आठ घंटे की तनावरहित
नींद लेने की कोशिश करें।अगर तनाव और अनिद्रा की समस्या है तो ध्यान ,योग
का सहारा लें।बहुत ज़रूरी है ,की सारे दिन किसी ना किसी गतिविधि में खुद को
व्यस्त रखें ,ताकि रात को नींद आने में समस्या ना हो।अगर फिर भी दिक्कत
महसूस हो तो,अनिद्रा की समस्या के लिए डॉ से मिलें।
3. व्यायाम-
नियम से हफ्ते में कम से कम 3 दिन,आधे घंटे के लिए, घूमना जारी रखें।अगर
शरीर में ताकत हो तो जिम ट्रेनर के संरक्षण में वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज
करने से ,हड्डियां मजबूत होंगी और मांसपेशियां भी कमजोर नही पड़ेगी।इसके साथ
ही साथ,अगर आप पहले से ही जॉगिंग या स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज करते रहें हो
,तो उसको जारी रखने में कोई हर्ज नही।
साथ ही आपको योग ,ध्यान,प्राणायाम और सूर्य नमस्कार करने से भी स्वास्थ की दृष्टि से बेहद लाभ मिलेंगे।
एक वैज्ञानिक शोध में तो ये भी देखा गया है ,की जो लोग डांस में रूचि रखते हैं और स्वयम डांस सीखते और करते हैं ,वो ज्यादा समय तक स्वस्थ और युवा बने रहते हैं और उनकी याददाश्त भी मजबूत होती है।तो हुई ना एक चौंकानेवाली मजेदार बात!
साथ ही आपको योग ,ध्यान,प्राणायाम और सूर्य नमस्कार करने से भी स्वास्थ की दृष्टि से बेहद लाभ मिलेंगे।
एक वैज्ञानिक शोध में तो ये भी देखा गया है ,की जो लोग डांस में रूचि रखते हैं और स्वयम डांस सीखते और करते हैं ,वो ज्यादा समय तक स्वस्थ और युवा बने रहते हैं और उनकी याददाश्त भी मजबूत होती है।तो हुई ना एक चौंकानेवाली मजेदार बात!
4. जीवनशैली-सिर्फ वृद्धावस्था ही
क्यों,बल्कि बाल्यपन से लेकर युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था,में,कुल मिलाकर
जीवन के हर पड़ाव में व्यक्ति को एक नियमित जीवनशैली अपनानी चाहिए
ही,जिसमें जल्दी सोना और सूर्योदय के साथ उठना ,एक बेहद कारगर आदत
है।निश्चित ही,नियमित दिनचर्या,स्वस्थ जीवन की अमूल्य कुंजी है।
5.
बीमारियां-वृद्धावस्था में एक बहुत बड़ा डर व्यक्ति को बीमार पड़ने का रहता
है।इस उम्र में लोगों को उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और जोड़ों की समस्या होना
बहुत ही आम होता है।अगर आप उच्च रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर) या डायबिटीज से
पीड़ित हैं तो नियमित तौर पर अपनी दवाइयों का बराबर सेवन करें।डॉ से पूछे
बिना अपनी दवाई अपनेआप कभी भी, यूँ ही बंद करने की बिलकुल भी गलती ना करें
,नहीं तो इन बीमारियों के चलते आपको हार्ट अटैक,स्ट्रोक या
पक्षाघात(पैरालिसिस) भी हो सकता है।स्वास्थ के लिए सजग और सचेत रहे ,लेकिन
लगातार चिंतित बिलकुल भी नही।साल में कम से कम एकबार, अपने शरीर का डॉक्टर
से पूरा चेकउप और खून पेशाब की जरूरी जांचें भी अवश्य कराएं।
6.
आँख,कान और दांत की देखभाल-इस उम्र में अक्सर पास की नज़र कमजोर हो जाती है
और कान से भी अक्सर कम सुनाई पड़ने लगता है।अगर आपको ऐसी कोई भी समस्या है
तो ठीक नंबर का चश्मा बनवाकर लगाने और हियरिंग ऐड(सुनने का उपकरण),इस्तेमाल
करने में रत्तीभर भी ना झिझकें।आखिर जब आपकी इंद्रियां सही से काम करेंगी,
तभी तो आप चिंतामुक्त जीवन का आनंद उठा पाएंगे।अगर आपने अपने दांतों की
हमेशा सही देखभाल की है,तो इस उम्र में भी आप सहीसलामत दांतो का लाभ उठा
पाएंगे।अगर दांतो या मसूड़ों में दिक्कत हो तो डेंटिस्ट से सलाह लेकर उचित
इलाज जरूर कराएं।आजकर दांतों के लिए बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध जो हैं।
7. धूम्रपान ,शराब,तंबाकू या गुटखा,किसी भी नशे का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें।
8. आखिरी,और सबसे महत्वपूर्ण सन्देश,जीवनभर आप अपनी जिम्मेदारियों का
निर्वाह करते रहे और घर के लिए रोटी का इंतज़ाम करने और बच्चों की अच्छी
परवरिश करने में लगे रहे।लेकिन उम्र का ये पड़ाव सिर्फ और सिर्फ आपके लिए और
आपके जीवनसाथी के लिए होना चाहिए है।
जीवनसाथी को भरपूर समय दें,उनको अब अपने जीवन की प्राथमिकता बनाएं।सारी अधूरी हसरतों को साथ में पूरा करने की कोशिश करें।खूब घूमें फिरें।अब बच्चों को अपनी ज़िम्मेदारियाँ स्वयम ही उठाने दें। नाती पोतों के साथ खूब खेलें ।खूब किस्से कहानियां सुनाएं।अपने जीवन से जुड़ी रोचक घटनाओं को बताएं।अपने अनुभव की अमूल्य धरोहर उन्हें सौंपे।दोस्तो और रिश्तेदारों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताएं।क्या मालूम, सांझ की इस बेला में किसका, कितना और कब तक साथ मिलें।
कोई पुराना शौक जो दिल के किसी कोने में पड़ा दम तोड़नेही वाला था, उसको शॉक ट्रीटमेंट देकर जागृत करें।टूटी कलम और कागज़ दोबारा उठा लें ,पुराना सितार या गिटार बजा लें।साथ में सालसा डांस क्लास ज्वाइन करें।
कुछ वक़्त अवश्य ही समाज को दें,फिर चाहे वो अस्पताल में या वृद्धाश्रम में बीमारों की देखभाल के लिए हो या की फिर अनाथ बच्चों को पढ़ाना हो।सामान का मोह त्याग दें ।सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीखकर, दिल की कहें ,दिल की सुनें और निरंतर नयी चीज़ें सीखते रहें।स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करते नहीं बनता ना?कोई बात नही। आज शाम ही, अपने आठ दस साल के पोते से सही तरीके से इस्तेमाल करना सीख लें।
घर में कम से कम ,बस ज़रुरत का अच्छी क्वालिटी का सामान रखें ।बाकी हो सके तो जरूरतमंदों को दे दें।
मन करे तो जीवनसाथी से जोर से लड़ भी लें।और फिर जब वो आपसे रूठकर,मुंह फुलाकर बैठ जाएं ,तो मनपसंद गरमा गरम जलेबी का दोना लाकर ,ज़बरदस्ती उनके मुंह में ठूंस दें और ज़ोर से खिलखिलाकर हंस पड़ें।जश्न मनाने का एक भी मौका ना छोड़ें ।बल्कि मौके ढूंढ ढूंढकर जश्न मनाएं।फिर चाहे घर में जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या कुछ और पर्व,त्यौहार।
जमा किया पैसा अपने लिए और अपने जीवन साथी जे ऊपर खर्च करें।
याद रखें, " पूत सपूत तो क्यों धन संचय,और पूत कपूत तो क्यों धन संचय।"
ईश्वर में आस्था रखें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा निरंतर जारी रखें।
दोस्तों,चलते चलते...
सर पर बड़े बड़ों का हाथ होना,ईश्वर की एक बहुत बड़ी नेमत होती है।उसके लिए प्रभु का शुक्रगुज़ार रहें।उनको बस थोड़ा सा प्यार और भरपूर सम्मान ज़रूर दें। फिर देखिये ,आपके घर आँगन की बगिया ,एक मज़बूत वट वृक्ष की छाया में कैसे फैलेगी फूलेगी।
जीवनसाथी को भरपूर समय दें,उनको अब अपने जीवन की प्राथमिकता बनाएं।सारी अधूरी हसरतों को साथ में पूरा करने की कोशिश करें।खूब घूमें फिरें।अब बच्चों को अपनी ज़िम्मेदारियाँ स्वयम ही उठाने दें। नाती पोतों के साथ खूब खेलें ।खूब किस्से कहानियां सुनाएं।अपने जीवन से जुड़ी रोचक घटनाओं को बताएं।अपने अनुभव की अमूल्य धरोहर उन्हें सौंपे।दोस्तो और रिश्तेदारों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताएं।क्या मालूम, सांझ की इस बेला में किसका, कितना और कब तक साथ मिलें।
कोई पुराना शौक जो दिल के किसी कोने में पड़ा दम तोड़नेही वाला था, उसको शॉक ट्रीटमेंट देकर जागृत करें।टूटी कलम और कागज़ दोबारा उठा लें ,पुराना सितार या गिटार बजा लें।साथ में सालसा डांस क्लास ज्वाइन करें।
कुछ वक़्त अवश्य ही समाज को दें,फिर चाहे वो अस्पताल में या वृद्धाश्रम में बीमारों की देखभाल के लिए हो या की फिर अनाथ बच्चों को पढ़ाना हो।सामान का मोह त्याग दें ।सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीखकर, दिल की कहें ,दिल की सुनें और निरंतर नयी चीज़ें सीखते रहें।स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करते नहीं बनता ना?कोई बात नही। आज शाम ही, अपने आठ दस साल के पोते से सही तरीके से इस्तेमाल करना सीख लें।
घर में कम से कम ,बस ज़रुरत का अच्छी क्वालिटी का सामान रखें ।बाकी हो सके तो जरूरतमंदों को दे दें।
मन करे तो जीवनसाथी से जोर से लड़ भी लें।और फिर जब वो आपसे रूठकर,मुंह फुलाकर बैठ जाएं ,तो मनपसंद गरमा गरम जलेबी का दोना लाकर ,ज़बरदस्ती उनके मुंह में ठूंस दें और ज़ोर से खिलखिलाकर हंस पड़ें।जश्न मनाने का एक भी मौका ना छोड़ें ।बल्कि मौके ढूंढ ढूंढकर जश्न मनाएं।फिर चाहे घर में जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या कुछ और पर्व,त्यौहार।
जमा किया पैसा अपने लिए और अपने जीवन साथी जे ऊपर खर्च करें।
याद रखें, " पूत सपूत तो क्यों धन संचय,और पूत कपूत तो क्यों धन संचय।"
ईश्वर में आस्था रखें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा निरंतर जारी रखें।
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सर पर बड़े बड़ों का हाथ होना,ईश्वर की एक बहुत बड़ी नेमत होती है।उसके लिए प्रभु का शुक्रगुज़ार रहें।उनको बस थोड़ा सा प्यार और भरपूर सम्मान ज़रूर दें। फिर देखिये ,आपके घर आँगन की बगिया ,एक मज़बूत वट वृक्ष की छाया में कैसे फैलेगी फूलेगी।
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Jai shree krishna
Thanks,
Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
sanwariyaa.blogspot.com
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Thanks,
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कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
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