ये घटना 2015 की है जब उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधानी के चुनाव चल रहे थे...हस्तिनापुर के पास एक गुज्जर बहुल गांव में एक गुज्जर परिवार मे कुल 17 वोट थे.. अब आप सभी जानते हो कि ग्राम प्रधानी के इलेक्शन में 17 वोट बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं..इसलिए प्रधान पद का प्रत्येक उम्मीदवार उस घर को पूरी महत्त्वता दे रहा था...घर का मुखिया एक बुजुर्ग था जिसे शाम को पीने का शौक भी था
अब गांव देहात से जुड़ा हर व्यक्ति यह भी जानता है कि प्रधानी के चुनाव में शराब का बहुत बड़ा महत्त्व होता है तो इस गांव में भी शराब की दावतें खूब चल रही थी तो एक शाम एक प्रत्याशी पूरी एक पेटी शराब लेकर इस मुखिया के घर पहुंच जाता है मुखिया 17 वोट उसी प्रत्याशी को डलवाने का आश्वासन देकर वो शराब की पेटी रख लेता है....मुखिया के घर से निकलते ही इस प्रत्याशी को प्रधानी पद के दो अन्य प्रतिद्वंदी टकरा जाते हैं और पूछते हैं कि क्या तुम भी मुखिया के यहां शराब की पेटी देकर आये हो?
इस मुलाकात में भेद खुलता है कि मुखिया ने तीनो प्रत्याशीयों से वोट का आश्वासन देकर पूरी 3 पेटी शराब कब्जे में ले ली है
तीनो का पारा चढ़ जाता है कि मुखिया ने शराब की पेटी तो तीनों से ले ली...लेकिन वोट तो किसी एक को ही मिलेगी....इसका मतलब है मुखिया हममें से किन्ही दो को बेवकूफ बना रहा है
तीनो इकठ्ठे ही मुखिया के घर पर पहुंच गए और दूध का दूध और पानी का पानी करने निर्णय लिया
मुखिया के घर जाकर तीनो ने कहा कि “बाबा तुम वोट तो किसी एक को ही दोगे... लेकिन शराब की पेटी तुमने हम तीनों ने ले ली....इसका मतलब है कि तुम हमे मूर्ख बना रहे हो?...जिसको वोट देनी है उसकी पेटी रखो और बाकी दो लोगों की पेटियां वापस करो!
मुखिया ने हामी में सिर हिलाया और कहा कि...हां वोट तो किसी एक को ही दूंगा लेकिन शराब की पेटियां मैंने तुम तीनो से ली हैं...लेकिन अगर तुम तीनो अभी जानना चाहते हो कि मैं वोट किसे दूंगा तो मैं अभी इसका फैसला कर देता हूँ....तीनों प्रत्याशियों के कहा कि हां अभी बताओ
मुखिया ने अपने एक पोते को आवाज लगाकर बुलाया और अंदर कमरे में रखी तीनो शराब की पेटियां लाने को कहा
पोता..अंदर से शराब की तीन पेटियां उठाकर लाया और उनके बीच मे रख दी....मुखिया बोला “क्यों भाई... यही हैं ना तुम्हारी पेटियां"....तीनो ने सहमति में गर्दन हिलाई.....
मुखिया बोला...“अभी फैसला हो जाता है कि इस घर की 17 वोट तुम तीनों में किसको मिलेंगी....तुम तीनो में से जिसे भी लगता है कि मैं उसे वोट नही दूंगा अपनी शराब की पेटियां उठाकर ले जाये....जिसकी पेटी बचेगी....मेरे घर की 17 वोट उसकी!!”
अब मुखिया के इस मास्टर स्ट्रोक से तीनों प्रत्याशी हतप्रभ थे.... क्योंकि अब जो भी प्रत्याशी पहले शराब की पेटी उठाएगा...उसको तो वोट कतई ना मिलेगी और 17 वोट खोने को कोई तैयार नही था....तीनो एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे कि पहले पेटी कौन उठाये....लेकिन उठाने को कोई भी तैयार नही था....बहरहाल तीनो ने कहा कि बाबा...पेटी तू ही रख और जिसे चाहे वोट कर दे
गरीब सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण देकर मोदी ने भी ऐसा ही एक मास्टर स्ट्रोक खेला है...सारी विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी स्टंट या राजनैतिक स्टंट बताकर और इसकी घोषणा के समय को लेकर आलोचना कर रही हैं...लेकिन संसद में इस बिल का विरोध करना यह तय कर देगा...की सामान्य वर्ग का 15% वोट उस विरोधी पार्टी को तो कतई नही मिलेगा....और 15% वोटबैंक से कोई पंगा लेना नही चाहता....कांग्रेस ने मजबूरी में सही लेकिन संसद में बिल का समर्थन करने की घोषणा कर दी है केजरीवाल ने भी अनमने दिल से सही लेकिन समर्थन किया है....अभी यह पोस्ट लिखते-लिखते TV पर मायावती की प्रेस कांफ्रेंस भी देख रहा हूँ कि कैसे वह एक तरफ मोदी और भाजपा को कोस भी रही है और इस 10% आरक्षण का समर्थन भी कर रहीं है..
इन्हें न उगलते बन रहा है न निगलते.......यही है मोदी का मास्टर स्ट्रोक.....और अगले 2 महीने में आप ऐसे ही अन्य स्ट्रोक्स की उम्मीद भी कर सकते हैं.....क्योंकि मोदी ने पहले ही कहा था...की वह साढ़े चार साल केवल काम करेंगें...और कार्यकाल के अंत मे निखालिस राजनीति करेंगें
#ModiOnceMore 👍
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