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मंगलवार, 29 जनवरी 2019

उठता लहंगा,बढ़ती इज्जत (??)

*उठता लहंगा,बढ़ती इज्जत (??)*

सन 1980 तक लड़कियाँ कालेज में साड़ी पहनती थी या फिर सलवार सूट। इसके बाद साड़ी पूरी तरह गायब हुई और सलवार सूट के साथ जीन्स आ गया। 2005 के बाद सलवार सूट लगभग गायब हो गया और इसकी जगह Skin Tight काले सफेद स्लैक्स आ गए। फिर *2010 तंक लगभग पारदर्शी स्लैक्स आ गए जिसमे आंतरिक वस्त्र पूरी तरह स्प्ष्ट दिखते हैं।*
फिर सूट, जोकि पहले घुटने या जांघो के पास से 2 भाग मे कटा होता था, वो 2012 के बाद कमर से 2 भागों में बंट गया और फिर

2015 के बाद यह सूट लगभग ऊपर नाभि के पास से 2 भागो मे बंट गया जिससे कि लड़की या महिला के नितंब पूरी तरह स्प्ष्ट दिखाई पड़ते हैं और  2 पहिया गाड़ी चलाती या पीछे बैठी महिला अत्यंत विचित्र सी दिखाई देती है, मोटी जाँघे, दिखता पेट।
*आश्चर्य की बात यह है कि यह पहनावा कालेज से लेकर 40 वर्ष या ऊपर उम्र की महिलाओ में अब भी दिख रहा है। बड़ी उम्र की महिलायें छोटी लड़कियों को अच्छा सिखाने की बजाए उनसे बराबरी की होड़ लगाने लगी है। नकलची महिलाए।*
अब कुछ नया हो रहा 2018 मे,  स्लैक्स  ही कुछ Printed या रंग बिरंगा सा  हो गया और सूट अब कमर तक आकर समाप्त हो गया  यानि उभरे हुए नितंब अब आपके दर्शन हेतु प्रस्तुत है.
साथ ही कालेजी लड़कियों या बड़ी महिलाओ मे एक नया ट्रेंड

और आ गया,  स्लैक्स अब पिंडलियों तंक पहुच गया, कट गया है नीचे से, इस्लाममिक पायजामे की तरह
और
*सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब वेशभूषा केवल हिन्दू लड़कियों/महिला ओ में ही दिखाई पड़ रही है.*
( हिन्दू पुरुषों की वेशभूषा में पिछले 40 वर्ष मे कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नही हुआ) जबकि इसके उलट
*मुस्लिम लड़कियाँ तो अब Mall जाती है, बड़े होटलों में, सामाजिक पार्टियों में जाती है, तो पूरा ढका हुआ बुर्का या सिर में चारो तरफ लिपटे कपड़े के साथ दिखाई पड़ती है।*

*हिन्दू लड़कियाँ /महिलायें जितना अधिक शरीर दिखाना चाह रही, मुस्लिम महिलायें उतना ही अधिक पहनावे के प्रति कठोर होते जा रही।*

कपिल के कॉमेडी शो में मंच पर आई एक VIP मेहमानों  में हिन्दू मुस्लिम महिलाओं की वेश-भूषा में यह स्पष्ट अंतर देखा जा सकता था।
पहले पुरुष साधारण या कम कपड़े पहनते थे, नारी सौम्यता पूर्वक अधिक कपड़े पहनती थी, पर अब टीवी सीरियलों, फिल्मों की चपेट में आकर हिन्दू नारी के आधे कपड़े स्वयं को Modern बनने में उतर चुके हैं।

यूरोप द्वारा प्रचारित नंगेपन के षडयंत्र की सबसे आसान शिकार, भारत की मॉडर्न हिन्दू महिलाए है, जो फैशन के नाम पर खुद को नंगा करने के प्रति वेहद गंभीर है, पर उन्हें यह ज्ञात नहीं कि वो जिसकी नकल कर इस रास्ते पर चल पड़ी है, उनको इस नंगापन के लिए विज्ञापनों में करोड़ो डॉलर मिलते है।
*पहनावे में यह बदलाव न पारसी महिलाओं में आया न मुस्लिम महिलाओं में आया, यह बदलाव सिर्फ और सिर्फ हिंदू महिलाओं में ही क्यों आया है ...? जरा इस पर विचार कीजियेगा।*

कल्याण - नारी अंक, गीताप्रेस अवश्य पढ़ें।
(जैसा प्राप्त हुआ वैसा प्रेषित किया)
🙏🙏

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