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गुरुवार, 30 जुलाई 2020

उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन वालों को उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है


उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन वालों को उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है

कंपनी खोलना एक जुलाई से बहुत आसान हो गया है. घर बैठे सिर्फ आधार के जरिये कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा. सरकार ने सेल्फ डिक्लरेशन (स्व-घोषणा) के आधार पर कंपनी के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए नए दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं. नये दिशानिर्देश एक जुलाई 2020 से प्रभावी होंगे. अभी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कई तरह के दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि यह इनकम टैक्स और जीएसटी की प्रणालियों के साथ उद्यम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को जोड़ने से संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि जो भी जानकारियां प्रदान की जायेंगी, उनका सत्यापन स्थायी खाता संख्या (पैन संख्या) और जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) से किया जा सकता है.


एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "आधार नंबर के आधार पर किसी उद्यम को पंजीकृत किया जा सकता है. अन्य विवरण किसी भी कागज को अपलोड करने या जमा करने की आवश्यकता के बिना स्व-घोषणा के आधार पर दिये जा सकते हैं. इस तरह से अब किसी भी डॉक्यूमेंट को अपलोड करने की जरूरत नहीं होगी.’’ अधिसूचना में यह भी कहा गया कि अब लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) इकाइयों को उद्यम के नाम से जाना जायेगा. यह शब्द उपक्रम शब्द के अधिक करीब है. इसी तरह पंजीकरण प्रक्रिया को अब ‘उद्यम पंजीकरण’ कहा जायेगा.

जैसा कि पहले घोषित किया गया था, ‘प्लांट, मशीनरी अथवा उपकरण’ में निवेश और 'कारोबार' अब एमएसएमई के वर्गीकरण के लिये बुनियादी मानदंड हैं. अब किसी भी उद्यम के टर्नओवर की गणना करते समय वस्तुओं या सेवाओं या दोनों के निर्यात को उनके टर्नओवर की गणना से बाहर रखा जायेगा, भले ही संबंधित उपक्रम सूक्ष्म हो या लघु हो या मध्यम.

बयान में कहा गया, "पंजीकरण की प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जा सकती है. पोर्टल की जानकारी एक जुलाई 2020 से पहले सार्वजनिक कर दी जायेगी.’’ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एक जून 2020 को निवेश एवं कारोबार के आधार पर एमएसएमई के वर्गीकरण के नये मानदंडों की अधिसूचना जारी की थी. नये मानदंड एक जुलाई 2020 से प्रभावी होने वाले हैं.

एमएसएमई मंत्रालय ने उसी के आधार पर शुक्रवार को एक विस्तृत अधिसूचना जारी की. एमएसएमई मंत्रालय ने जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर सिंगल विन्डो सिस्टम के रूप में एमएसएमई के लिये एक मजबूत सुविधा तंत्र भी स्थापित किया है. बयान में कहा गया, "यह उन उद्यमियों की मदद करेगा, जो किसी भी कारण से उद्यम पंजीकरण दर्ज करने में सक्षम नहीं हैं. जिला स्तर पर, जिला उद्योग केंद्रों को उद्यमियों की सुविधा के लिये जिम्मेदार बनाया गया है."

जिन लोगों के पास वैध आधार नंबर नहीं है, वे इस सुविधा के लिये सिंगल विन्डो सिस्टम से संपर्क कर सकते हैं. आधार नामांकन अनुरोध या पहचान के साथ, बैंक फोटो पासबुक, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस और सिंगल विंडो सिस्टम उन्हें आधार संख्या प्राप्त करने के बाद पंजीकरण करने में सुविधा प्रदान करेगा. एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के वर्गीकरण, पंजीकरण और सुविधा की नयी प्रणाली एक अत्यंत सरल, तेज, सहज और पूरी दुनिया में सबसे आसान होगी. यह कारोबार सुगमता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा.

1 जुलाई 2020 के बाद में जिन व्यक्तियों का उद्योग आधार या एमएसएमई रजिस्ट्रेशन किया हुआ है उन्हें उद्यम रजिस्ट्रेशन में कन्वर्ट करना जरूरी है अन्यथा वह एमएसएमई यूनिट lepsed माने जाएंगे और उन्हें MSME आधार पर जो सब्सिडी एवं सरकारी सहायता प्राप्त होती है उद्यम रजिस्ट्रेशन के बिना वे यूनिट इसके लिए eligible नहीं होगी

उद्यम रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में एक जुलाई 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक पैन कार्ड और जीएसटी नंबर अनिवार्य नहीं है इसके बाद पैन कार्ड एवं जीएसटी नंबर अनिवार्य रहेगा
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गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है

*बेईमानी का पैसा*
 *पेट की एक-एक आंत*
 *फाड़कर निकलता है।*

        *एक सच्ची कहानी।*
रमेश चंद्र शर्मा, जो पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे, 
उन्होंने अपने जीवन का एक पृष्ठ खोल कर सुनाया 
जो पाठकों की आँखें भी खोल सकता है 
और शायद उस पाप से, जिस में वह भागीदार बना, उस से भी बचा सकता है।
      मेडिकल स्टोर अपने स्थान के कारण, काफी पुराना और अच्छी स्थिति में था। 
लेकिन जैसे कि कहा जाता है कि *धन एक व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट कर देता है*
 और यही बात रमेश चंद्र जी के साथ भी घटित हुई।

रमेश जी बताते हैं कि मेरा मेडिकल स्टोर बहुत अच्छी तरह से चलता था और मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी। 

अपनी कमाई से मैंने जमीन और कुछ प्लॉट खरीदे और अपने मेडिकल स्टोर के साथ एक क्लीनिकल लेबोरेटरी भी खोल ली।

 लेकिन मैं यहां झूठ नहीं बोलूंगा। मैं एक बहुत ही लालची किस्म का आदमी था, क्योंकि मेडिकल फील्ड में दोगुनी नहीं, बल्कि कई गुना कमाई होती है।

शायद ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे, कि मेडिकल प्रोफेशन में 10 रुपये में आने वाली दवा आराम से 70-80 रुपये में बिक जाती है।

 लेकिन अगर कोई मुझसे कभी दो रुपये भी कम करने को कहता तो मैं ग्राहक को मना कर देता। 
खैर, मैं हर किसी के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं।

वर्ष 2008 में, गर्मी के दिनों में एक बूढ़ा व्यक्ति मेरे स्टोर में आया। 
उसने मुझे डॉक्टर की पर्ची दी। मैंने दवा पढ़ी और उसे निकाल लिया। उस दवा का बिल 560 रुपये बन गया।

 लेकिन बूढ़ा सोच रहा था। उसने अपनी सारी जेब खाली कर दी लेकिन उसके पास कुल 180 रुपये थे। मैं उस समय बहुत गुस्से में था क्योंकि मुझे काफी समय लगा कर उस बूढ़े व्यक्ति की दवा निकालनी पड़ी थी और ऊपर से उसके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं थे।

बूढ़ा दवा लेने से मना भी नहीं कर पा रहा था। शायद उसे दवा की सख्त जरूरत थी। 
फिर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा, "मेरी मदद करो। मेरे पास कम पैसे हैं और मेरी पत्नी बीमार है।
 हमारे बच्चे भी हमें पूछते नहीं हैं। मैं अपनी पत्नी को इस तरह वृद्धावस्था में मरते हुए नहीं देख सकता।"  

लेकिन मैंने उस समय उस बूढ़े व्यक्ति की बात नहीं सुनी और उसे दवा वापस छोड़ने के लिए कहा। 

यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि वास्तव में उस बूढ़े व्यक्ति की दवा की कुल राशि 120 रुपये ही बनती थी। अगर मैंने उससे 150 रुपये भी ले लिए होते तो भी मुझे 30 रुपये का मुनाफा ही होता। 
लेकिन मेरे लालच ने उस बूढ़े लाचार व्यक्ति को भी नहीं छोड़ा। 

फिर मेरी दुकान पर खड़े एक दूसरे ग्राहक ने अपनी जेब से पैसे निकाले और उस बूढ़े आदमी के लिए दवा खरीदी। 
लेकिन इसका भी मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। मैंने पैसे लिए और बूढ़े को दवाई दे दी।

वक्त बीतता चला.....
 वर्ष 2009 आ गया। मेरे इकलौते बेटे को ब्रेन ट्यूमर हो गया। 
पहले तो हमें पता ही नहीं चला। लेकिन जब पता चला तो बेटा मृत्यु के कगार पर था। 
पैसा बहता रहा और लड़के की बीमारी खराब होती गई।

 प्लॉट बिक गए, जमीन बिक गई और आखिरकार मेडिकल स्टोर भी बिक गया लेकिन मेरे बेटे की तबीयत बिल्कुल नहीं सुधरी। 
उसका ऑपरेशन भी हुआ और जब सब पैसा खत्म हो गया तो आखिरकार डॉक्टरों ने मुझे अपने बेटे को घर ले जाने और उसकी सेवा करने के लिए कहा।

 उसके पश्चात 2012 में मेरे बेटे का निधन हो गया। मैं जीवन भर कमाने के बाद भी उसे बचा नहीं सका।

2015 में मुझे भी लकवा मार गया और मुझे चोट भी लग गई। 
आज जब मेरी दवा आती है तो उन दवाओं पर खर्च किया गया पैसा मुझे काटता है 
क्योंकि मैं उन दवाओं की वास्तविक कीमत को जानता हूं। 

एक दिन मैं कुछ दवाई लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर गया और 100 रु का इंजेक्शन मुझे 700 रु में दिया गया। 
लेकिन उस समय मेरी जेब में 500 रुपये ही थे और इंजेक्शन के बिना ही मुझे मेडिकल स्टोर से वापस आना पड़ा। 
*उस समय मुझे उस बूढ़े व्यक्ति की बहुत याद आई* और मैं घर चला गया।

मैं लोगों से कहना चाहता हूं, कि ठीक है कि हम सभी कमाने के लिए बैठे हैं
 क्योंकि हर किसी के पास एक पेट है। लेकिन वैध तरीके से कमाएं, ईमानदारी से कमाएं । 
गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है,
 क्योंकि *नरक और स्वर्ग केवल इस धरती पर ही हैं, कहीं और नहीं।* और आज मैं नरक भुगत रहा हूं। 

*पैसा हमेशा मदद नहीं करता। हमेशा ईश्वर के भय से चलो।*
 *उसका नियम अटल है क्योंकि*
 *कई बार एक छोटा सा लालच भी हमें बहुत बड़े दुख में धकेल सकता है।*
🙏🙏

34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव -नई शिक्षा नीति 2020

*✅  नई शिक्षा नीति 2020*

*✍️..10वीं बोर्ड खत्‍म, केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड, MPhil होगा बंद, अब कॉलेज की डिग्री 4 साल की!*
कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है. 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है.
👉नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा.
👉बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा.
👉अब सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी. जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा.
*👉9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा.*
*👉वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी.*
👉3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में MA कर सकेंगे, अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे!

*🔅नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिंदु*

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति आज हमारे सामने है|
भारत का स्वयं ‘विश्वगुरु’ एवं ‘आत्मनिर्भर’ बनने का सपना पूर्ण होने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है||
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने मंत्रालय के नाम में परिवर्तित करने का सुझाव दिया पहले इसे मानव संसाधन मंत्रालय के नाम से जाना जाता था अब इसे शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा|
कुल 27 मुद्दे इस नीति में उठाये गए है जिनमे से 10 मुद्दे स्कूल शिक्षा से सम्बंधित, 10 उच्च शिक्षा से सम्बंधित और 7 अन्य महत्वपूर्ण शिक्षा से जुड़े विषय है|
शिक्षा नीति में मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान अपर जोर दिया गया है|
गणित, विज्ञान, कला, खेल आदि सभी विषयो को समान रूप से सीखाने पर जोर दिया गया है|
राष्ट्रीय शिक्षा नीति मूल्याङ्कन व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन की बात कटी है और इसमें स्वयं, शिक्षक और सहपाठी के भी भागीदारी की बात करती है|
समग्रता:
पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा को एक व्यवस्था मानकर इस पर समग्र विचार हुआ है|
बहुभाषा और भारतीय भाषाओँ के शिक्षण पर जोर देने के साथ ही मातृभाषा में शिक्षण की आवश्यकता को समझते हुए इस पर जोर दिया गया है|
शिक्षा को संकाय (Faculty) के विभाजन से मुक्त करके, शिक्षा की समग्रता पर जोर दिया गया है|
सभी ज्ञानों की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने और सीखने के विभिन्न क्षेत्रों के बीच में हानिकारक पदानुक्रमों को खत्म करने और कला और विज्ञान के बीच, कला और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठिन अलगाव नहीं होगा।
इस प्रकार, यह सभी विषयों - विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, भाषा, खेल, गणित - स्कूल में व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के एकीकरण के साथ समान जोर सुनिश्चित करेगा।
कला, क्विज़, खेल और व्यावसायिक शिल्प से जुड़े विभिन्न प्रकार के संवर्धन गतिविधियों के लिए पूरे साल बस्ता रहित दिनों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति पर जोर:  कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उसके बाद तक, घरेलू भाषा/मातृभाषा /स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी।
व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार: प्रत्येक बच्चा कम से कम एक व्यवसाय सीखे और कई और बातों से अवगत हो। इससे श्रम की गरिमा पर और भारतीय कला और शिल्पकला से जुड़े विभिन्न व्यावसायिक कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया जाएगा।
शिक्षण-प्रशिक्षण के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम को विशेष महत्व

*उच्च शिक्षा*
3. गुणवत्ता की शर्तें और संकलन- भारत के नागरिक शिक्षा प्रणाली के लिए एक नया और आधुनिक दृष्टिकोण: 
एक व्यक्ति को एक या अधिक विशिष्ट क्षेत्रों का अध्ययन करने में सक्षम बनाना चाहिए गहन  स्तर पर रुचि, और चारित्रिक, नैतिक और संवैधानिक मूल्यों, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा की भावना, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, भाषा सहित विषयों की एक सीमा से परे साथ ही पेशेवर, तकनीकी और व्यावसायिक विषय को शामिल करते हुए  21 वीं सदी की क्षमताओं को विकसित करना  है। 
उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए व्यक्तिगत उपलब्धि और ज्ञान, रचनात्मक सार्वजनिक सहभागिता और समाजोपयोगी  योगदान को सक्षम करना चाहिए। 
4. इंस्टीट्यूशनल रिजल्ट और कंसॉलिडेशन
2040 तक, सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को  बहु-विषयक संस्थान बनना होगा, जिनमें से प्रत्येक का लक्ष्य 3,000 या अधिक छात्र होंगे।
विकास सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थानों में होगा, जिसमें बड़ी संख्या में उत्कृष्ट सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर जोर होगा

5. एक अधिक ऐतिहासिक और बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम: 
एक समग्र और बहुआयामी शिक्षा मानव के बौद्धिक, सौंदर्य, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तरीके से विकसित करने का लक्ष्य रखेगी। 
भाषा, साहित्य, संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, शिक्षा, गणित, सांख्यिकी, शुद्ध और अनुप्रयुक्त विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, खेल, अनुवाद और व्याख्या आदि विभागों को सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित और मजबूत किया जाएगा।
7. अंतर्राष्ट्रीयकरण
उच्च प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
11. शिक्षा में योग्यता और समावेश
उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में लैंगिक  संतुलन बढ़ाना 
सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों द्वारा उठाए जाने वाले कदम:
उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अवसर लागत और शुल्क को कम करें|
लोक- विद्या(holistic and Multidisciplinary education) अर्थात, भारत में विकसित महत्वपूर्ण व्यावसायिक ज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रमों में एकीकरण के माध्यम से छात्रों के लिए सुलभ हो जाएगा।
भारतीय भाषाओं में और द्विभाषी रूप से पढ़ाए जाने वाले अधिक डिग्री पाठ्यक्रम विकसित करना
वंचित शैक्षिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए सेतु  पाठ्यक्रम विकसित करना
13. सभी नए क्षेत्रों में गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान
14. नियामक प्रणाली: नियामक प्रणाली में 4 संस्थाओं के निर्माण से सुसुत्रीकरण-स्वागत योग्य कदम है|
17. व्यावसायिक शिक्षा: 
केवल कृषि विश्वविद्यालयों, कानूनी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, तकनीकी विश्वविद्यालयों और अन्य क्षेत्रों में स्टैंड-अलोन संस्थानों का उद्देश्य समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करने वाले बहु-विषयक संस्थान बनना होगा।
यह देखते हुए कि लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुलवादी विकल्पों का उपयोग करते हैं, हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अर्थ होना चाहिए, ताकि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष)|
18. भारतीय भाषा, कला, और संस्कृति का प्रचार
भारतीय कला और संस्कृति का प्रचार न केवल राष्ट्र के लिए बल्कि व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक जागरूकता और अभिव्यक्ति बच्चों में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली प्रमुख दक्षताओं में से एक हैं, ताकि उन्हें विभिन्न  संस्कृतियों और पहचान प्रदान की जा सके।
बचपन से देखभाल और शिक्षा के साथ शुरू होने वाली सभी प्रकार की भारतीय कलाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्रों के समक्ष प्रस्तुत  किया जाना चाहिए।
भारतीय भाषाओं के शिक्षण और सीखने को हर स्तर पर स्कूल और उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।भाषाओं के प्रासंगिक और जीवंत बने रहने के लिए, इन भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों, कार्यपुस्तिकाओं, वीडियो, नाटकों, कविताओं, उपन्यासों, पत्रिकाओं, आदि सहित उच्च गुणवत्ता वाली सीखने और प्रिंट सामग्री की एक स्थिर धारा होनी चाहिए।
भाषाओं को व्यापक रूप से प्रसारित किए जाने वाले अपने शब्दकोषों और शब्दकोशों में लगातार आधिकारिक अपडेट होना चाहिए, ताकि इन भाषाओं में सबसे मौजूदा मुद्दों और अवधारणाओं पर प्रभावी ढंग से चर्चा की जा सके। 
स्कूली बच्चों में भाषा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई पहल- स्कूल के सभी स्तरों पर संगीत, कला और शिल्प पर अधिक जोर; बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए तीन-भाषा सूत्र का प्रारंभिक कार्यान्वयन; जहां संभव हो घर / स्थानीय भाषा में शिक्षण; अधिक अनुभवात्मक भाषा सीखने का संचालन करना; मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में उत्कृष्ट स्थानीय कलाकारों, लेखकों, शिल्पकारों और अन्य विशेषज्ञों की भर्ती; मानविकी, विज्ञान, कला, शिल्प और स्पोर्ट्ससेट में आदिवासी और अन्य स्थानीय ज्ञान सहित पारंपरिक भारतीय ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना।
भारतीय भाषाओं में मजबूत विभाग और कार्यक्रम, तुलनात्मक साहित्य, रचनात्मक लेखन, कला, संगीत, दर्शन, आदि देश भर में लॉन्च और विकसित किए जाएंगे, और 4 वर्षीय बी.एड. इन विषयों में दोहरी डिग्री विकसित की जाएगी।
उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम और अनुवाद और व्याख्या, कला और संग्रहालय प्रशासन, पुरातत्व, पुरातत्व संरक्षण, ग्राफिक डिजाइन और उच्च शिक्षा प्रणाली के भीतर वेब डिजाइन में डिग्री भी बनाई  जाएंगी । 
उच्च शैक्षणिक संस्थानों   (HEI) के छात्रों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा करना, जो न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सों की विविधता, संस्कृति, परंपराओं और ज्ञान की समझ और प्रशंसा का कारण बनेगा।
संस्कृत को स्कूल में मजबूत प्रस्ताव  के साथ मुख्यधारा में लाया जाएगा - जिसमें तीन-भाषा सूत्र में भाषा के विकल्पों में से एक के साथ-साथ उच्च शिक्षा भी शामिल है। संस्कृत विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के बड़े बहु-विषयक संस्थान बनने की ओर अग्रसर होंगे।
पूरे देश में संस्कृत और सभी भारतीय भाषा संस्थानों और विभागों को काफी मजबूत किया जाएगा
भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित प्रत्येक भाषा के लिए, अकादमियों की स्थापना कुछ महान विद्वानों और मूल वक्ताओं से की जाएगी। आठवीं अनुसूची भाषाओं के लिए ये अकादमियां केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श या सहयोग से स्थापित की जाएंगी। अन्य अत्यधिक बोली जाने व भारतीय भाषाओं के लिए अकादमियाँ भी इसी तरह केंद्र और / या राज्यों द्वारा स्थापित की जा सकती हैं।
भारत में सभी भाषाओं, और उनकी संबंधित कला और संस्कृति को एक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म / पोर्टल / विकी के माध्यम से प्रलेखित किया जाएगा, ताकि लुप्तप्राय और सभी भारतीय भाषाओं और उनके संबंधित समृद्ध स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित किया जा सके।
स्थानीय मास्टर्स और / या उच्च शिक्षा प्रणाली के साथ भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए सभी उम्र के लोगों के लिए छात्रवृत्ति की स्थापना की जाएगी
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सोमवार, 27 जुलाई 2020

वो ज़माना और था..

वो ज़माना और था.......

 दरवाजों पे ताला नहीं भरोसा लटकता था , खिड़कियों पे पर्दे भी आधे होते थे,  ताकि रिश्ते अंदर आ सकें।

पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे।
 पड़ोस के घर बेटी पीहर आती थी तो सारे मौहल्ले में रौनक होती थी , गेंहूँ साफ करना किटी पार्टी सा हुआ करता था 

वो ज़माना और था......
 जब छतों पर किसके पापड़ और आलू चिप्स सूख रहें है बताना मुश्किल था।

जब हर रोज़ दरवाजे पर लगा लेटर बॉक्स टटोला जाता था , डाकिये का अपने घर की तरफ रुख मन मे उत्सुकता भर देता था ।

वो ज़माना और था......
जब रिश्तेदारों का आना,
 घर को त्योहार सा कर जाता था , मौहल्ले के सारे बच्चे हर शाम हमारे घर ॐ जय जगदीश हरे गाते .....और फिर हम उनके घर णमोकार मंत्र गाते ।

 जब बच्चे के हर जन्मदिन पर महिलाएं बधाईयाँ गाती थीं....और बच्चा गले मे फूलों की माला लटकाए अपने को शहंशाह समझता था।

जब बुआ और मामा जाते समय जबरन हमारे हाथों में पैसे पकड़ाते थे...और बड़े आपस मे मना करने और देने की बहस में एक दूसरे को अपनी सौगन्ध दिया करते थे।

वो ज़माना और था ......
कि जब शादियों में स्कूल के लिए खरीदे काले नए चमचमाते जूते पहनना किसी शान से कम नहीं हुआ करता था , जब छुट्टियों में हिल स्टेशन नहीं मामा के घर जाया करते थे....और अगले साल तक के लिए यादों का पिटारा भर के लाते थे।

कि जब स्कूलों में शिक्षक हमारे गुण नहीं हमारी कमियां बताया करते थे।

वो ज़माना और था......
कि जब शादी के निमंत्रण के साथ पीले चावल आया करते थे , दिनों तक रोज़ नायन गीतों का बुलावा देने आया करती थी।

 बिना हाथ धोये मटकी छूने की इज़ाज़त नहीं थी।

वो ज़माना और था......
 गर्मियों की शामों को छतों पर छिड़काव करना जरूरी  था ,  सर्दियों की गुनगुनी धूप में स्वेटर बुने जाते थे और हर सलाई पर नया किस्सा सुनाया जाता था।

रात में नाख़ून काटना मना था.....जब संध्या समय झाड़ू लगाना बुरा था ।

वो ज़माना और था........
 बच्चे की आँख में काजल और माथे पे नज़र का टीका जरूरी था ,  रातों को दादी नानी की कहानी हुआ करती थी ,  कजिन नहीं सभी भाई बहन हुआ करते थे ।

वो ज़माना और था......
 जब डीजे नहीं , ढोलक पर थाप लगा करती थी.. गले सुरीले होना जरूरी नहीं था, दिल खोल कर बन्ने बन्नी गाये जाते थे , शादी में एक दिन का महिला संगीत नहीं होता था आठ दस दिन तक गीत गाये जाते थे।

वो ज़माना और था......
कि जब कड़ी धूप में 10 पैसे का बर्फ का पानी.... गिलास के गिलास पी जाते थे मगर गला खराब नहीं होता था, 
जब पंगत में बैठे हुए रायते का दौना तुरंत  पी जाते..... ज्यों ही रायते वाले भैया को आते देखते थे।
जब बिना AC रेल का लंबा सफर पूड़ी, आलू और अचार के साथ बेहद सुहाना लगता था।

वो ज़माना और था.......
जब सबके घर अपने लगते थे......बिना घंटी बजाए बेतकल्लुफी से किसी भी पड़ौसी के घर घुस जाया करते थे ,  किसी भी छत पर अमचूर के लिए सूखते कैरी के टुकड़े उठा कर मुँह में रख लिया करते थे ,  अपने यहाँ जब पसंद की सब्ज़ी ना बनी हो तो पडौस के घर कटोरी थामे पहुँच जाते थे।

वो ज़माना और था.....
जब पेड़ों की शाखें हमारा बोझ उठाने को बैचेन हुआ करती थी , एक लकड़ी से पहिये को लंबी दूरी तक संतुलित करना विजयी मुस्कान देता था ,  गिल्ली डंडा, चंगा पो, सतोलिया और कंचे दोस्ती के पुल हुआ करते थे।

वो ज़माना और था.....
 हम डॉक्टर को दिखाने कम जाते थे डॉक्टर हमारे घर आते थे....डॉक्टर साहब का बैग उठाकर उन्हें छोड़ कर आना तहज़ीब हुआ करती थी 
 सबसे पसंदीदा विषय उद्योग हुआ करता था....भगवान की तस्वीर चमक से सजाते थे।
 इमली और कैरी खट्टी नहीं मीठी लगा करती थी।

वो ज़माना और था.....
जब बड़े भाई बहनों के छोटे हुए  कपड़े ख़ज़ाने से लगते थे , लू भरी दोपहरी में नंगे पाँव गालियां नापा करते थे।
 कुल्फी वाले की घंटी पर मीलों की दौड़ मंज़ूर थी ।

वो ज़माना और था......
जब मोबाइल नहीं धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता और कादम्बिनी के साथ दिन फिसलते जाते थे ,  TV नहीं प्रेमचंद के उपन्यास हमें कहानियाँ सुनाते थे।
 जब पुराने कपड़ों के बदले चमकते बर्तन लिए जाते थे।

वो ज़माना और था.......
स्वेटर की गर्माहट बाज़ार से नहीं खरीदी जाती थी। 
मुल्तानी मिट्टी से बालों को रेशमी बनाया जाता था 

वो ज़माना और था......
कि जब चौपड़ पत्थर के फर्श पे उकेरी जाती थी ,  पीतल के बर्तनों में दाल उबाली जाती थी , चटनी सिल पर पीसी जाती थी।

वो ज़माना और था.....
वो ज़माना वाकई कुछ और था।

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,

बड़े बावरे हिन्दी के मुहावरे
          
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,
फलों की ही बात ले लो...
 
 
आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती,
 
 
कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
 
 
सफलता के लिए बेलने पड़ते है कई पापड़,
आटे में नमक तो जाता है चल,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
 
 
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के दांत दूध के हैं,
तो कई दूध के धुले हैं,
 
 
कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,
 
 
शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,
 
 
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,
तो सभी के मुंह में पानी आता है,
 
भाई साहब अब कुछ भी हो,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,
जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते है,
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है,
सभी बहरे है, बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...
 
ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...
सच पूछो तो हिन्दी भाषा की जान हैं...

हिन्दू तो असली पाकिस्तान का है जो वहां रहकर भी अपने को हिन्दू बोलता है

*हिन्दू तो असली पाकिस्तान का है जो वहां रहकर भी अपने को हिन्दू बोलता है*

*अध्यापक : "सबसे अधिक हिन्दुओ वाला देश बताओ ?"*

*छात्र : "पाकिस्तान !"*

*अध्यापक  (चौंककर) : "तो सबसे कम हिन्दुओं वाला देश कौन सा है ?"*

*छात्र : "हिंदुस्तान !"*

*अध्यापक (घबराकर) : "कैसे ?"*

*छात्र : "सर यहाँ हिन्दू तो 'न' के बराबर ही समझिए, यहां तो सबसे ज्यादा 'सेक्यूलर' ही रहते हैं; और फिर जाट, गुर्जर, ठाकुर, ब्राह्मण, लाला, पटेल, कुर्मी, यादव, सोनार, लोहार, बढ़ई, प्रजापति, केवट, धुनिया, मल्लाह, कोरी, चमार, ढाढ़ी, पासी, पासवान...आदि... आदि रहते हैं !!"*

*"फिर हिंदू कहां रहते हैं ??"*

*"सर सोचिए !*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या अयोध्या में हिंदुओं के कातिल को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या रामसेतु को काल्पनिक बताने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या भगवा आतंकी कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या कश्मीर में हिंदुओं को मौत के घाट उतारने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या दशहरा छोड़कर मोहर्रम मनाने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 'मन्दिर में जाने वाले लड़की छेड़ते हैं !' कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या भगवान श्रीराम जी का प्रूफ मांगने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 'इस देश के संसाधनों पे पहला हक़ मुसलमानों का है !' कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो,क्या बुरहान, याकूब, ओसामा को शहीद कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या देश के दो टुकड़े (भारत-पाकिस्तान) करने वाले को सत्ता देते ??"*

*अध्यापक आंखों में आंसू लिए : "वाह बेटे बहुत सही कहा !"*

 जय श्री राम 
*वन्दे मातरम् !* 🇮🇳

कविता नही यह सीधे सीधे,रामभक्तो को निमन्त्रण है!

*पाँच अगस्त बस पांच नही,*
*यह पंचामृत कहलायेगा!*
*एक रामायण फिरसे अब,*
*राम मंदिर का लिखा जाएगा!!*

*जितना समझ रहे हो उतना,*
*भूमिपूजन आसान न था!*
*इसके खातिर जाने कितने,*
*माताओं का दीप बुझा!!*

*गुम्बज पर चढ़कर कोठारी,*
*बन्धुओं ने गोली खाई थी!*
*नाम सैकड़ो गुमनाम हैं,*
*जिन्होंने जान गवाई थी!!*

*इसी पांच अगस्त के खातिर,*
*पांचसौ वर्षो तक संघर्ष किया!*
*कई पीढ़ियाँ खपि तो खपि,*
*आगे भी जीवन उत्सर्ग किया!!*

*राम हमारे ही लिए नही बस,*
*उतने ही राम तुम्हारे हैं!*
*जो राम न समझसके वो,*
*सचमुच किस्मत के मारे हैं!!*

*एक गुजारिस है सबसे बस,*
*दीपक एक जला देना!*
*पाँच अगस्त के भूमिपूजन में,*
*अपना प्रकाश पहुँचा देना!!*

*नही जरूरत आने की कुछ,*
*इतनी ही हाजरी काफी है!*
*राम नाम का दीप जला तो,*
*कुछ चूक भी हो तो माफी है!!*

*कविता नही यह सीधे सीधे,*
*रामभक्तो को  निमन्त्रण है!*
*असल सनातनी कहलाने का,*
*समझो कविता आमंत्रण है!!*

*जय श्रीराम, जय जय श्रीराम💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐*

अशोक सिंघल - कोटि कोटि नमन इस इस महामानव के अयोध्या संघर्ष को।

#अग्रकुल_के_महासूर्य - जिन्होंने अपने तप से खुद को श्री राम जी का सच्चा वंशज सिद्ध किया..
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ताजमहल बनाने में दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग हुआ है। एक तो बहुमूल्य संगमरमर, जिसका उपयोग गुम्बद में हुआ। दूसरा एक साधारण पत्थर, जिसका उपयोग नींव में किया गया है, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं होता। आज के लालची गुम्बद के पत्थर बनने के लिए मरे जा रहे , चाहे वो धर्मगुरु हो या म्लेच्छ ।अरे उनका नाम तक नहीं ले रहे जिन्होंने सत्याग्रह , आन्दोलन यहां तक कि लाठियां तक खाई ।

इस राममंदिर निर्माण में एक नींव का पत्थर हमेशा अपने जेहन में रखियेगा - अशोक सिंघल । आज सब लम्बरदार बने हुए हैं,लेकिन न आप को भूला हूँ ....न भूलने दूंगा... 

कमी खलेगी #अयोध्या_राममंदिर_आंदोलन का हनुमान जिसने आखरी सांस तक राम लला के लिए संघर्ष किया, मन्दिर तो बनेगा पर  इस ऐतिहासिक पल में #अशोक_सिंघल_जी  की कमी बहुत खलेगी। अयोध्या के संघर्ष का अग्रणी सेना पति जिसने राम लला के मन्दिर निर्माण के लिए अपने जीवन की आहुति मन्दिर की नींव में रखी। अशोक जी की कमी इस पल में भावुक कर देती है अशोक जी के संघर्ष पर हजार पोस्ट लिखूं तो भी कम है। बस यूं समझो ये हनुमान थे अयोध्या आंदोलन संघर्ष के। अशोक जी सिंघल के बिना अयोध्या के सारे अध्याय अधूरे, विश्व हिंदू परिषद ओर बाबूजी अयोध्या आंदोलन की रीढ़ थे आखरी सांस तक रामलला के मंदिर के लिए लड़ते रहे और भीषण संघर्ष की सफलता के कुछ वर्ष पूर्व ही राम जी ने अपने बजरंगी को अपने पास बुला लिया, अशोक जी शरीर से नही है पर उनकी आत्मा आज भी मन्दिर निर्माण के पत्थरों को साफ कर रही होगी सिलाओ को उठा उठाकर नीव के पास रख रही होगी, बिना मन्दिर निर्माण के अशोक सिंघल जी मर नही सकते वो आज भी डटे है मन्दिर निर्माण के पत्थरों की आवाज सुनलो, अशोक सिंघल जी आज भी हमारे साथ है।

आपके वो शब्द आज भी कानों में गूँजते हैं कि ; 2030 तक पूरा विश्व हिंदू ;हिंदी; हिन्दुस्तान का अनुसरण करेगा । ‘जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।’, ‘अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है।’ 

कोटि कोटि नमन इस इस महामानव के अयोध्या संघर्ष को।

शनिवार, 25 जुलाई 2020

33 करोड नहीँ 33 कोटि देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ।

33 करोड नहीँ 33 कोटि देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं........
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ:
12 प्रकार हैँ आदित्य: ,धाता, मित,आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हैँ वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार हैँ- रुद्र: ,हर, बहुरुप,त्रयँबक,अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
कुल: 12+8+11+2=33
अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं।
अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने
ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये
यही है हमारी संस्कृति की पहेचान
( ०१ ) दो पक्ष-
कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !
( ०२ ) तीन ऋण -
देव ऋण , पितृ ऋण , ऋषि ऋण !
( ०३ ) चार युग -
सतयुग , त्रेतायुग ,द्वापरयुग , कलियुग !
( ०४ ) चार धाम -
द्वारिका , बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पूरी , रामेश्वरम धाम !
( ०५ ) चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
, ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) , गोवर्धन पीठ
( जगन्नाथपुरी ) , श्रन्गेरिपीठ !
( ०६ ) चार वेद-
ऋग्वेद , अथर्वेद , यजुर्वेद , सामवेद !
( ०७ ) चार आश्रम -
ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास !
( ०८ ) चार अंतःकरण -
मन , बुद्धि , चित्त , अहंकार !
( ०९ ) पञ्च गव्य -
गाय का घी , दूध , दही ,गोमूत्र , गोबर !
( १० ) पञ्च देव -
गणेश , विष्णु , शिव , देवी ,सूर्य !
( ११ ) पंच तत्त्व -
पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश !
( १२ ) छह दर्शन -
वैशेषिक , न्याय , सांख्य ,योग , पूर्व मिसांसा , दक्षिण मिसांसा !
( १३ ) सप्त ऋषि -
विश्वामित्र , जमदाग्नि ,भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !
( १४ ) सप्त पूरी -अयोध्यापूरी ,मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , काशी ,
कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !
( १५ ) आठ योग -
यम , नियम , आसन ,प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !
( १६ ) आठ लक्ष्मी -
आग्घ , विद्या , सौभाग्य ,अमृत , काम , सत्य , भोग एवं योग लक्ष्मी !
( १७ ) नव दुर्गा --
शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी ,चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी ,कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
( १८ ) दस दिशाएं -
पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , इशान , नेऋत्य , वायव्य , अग्नि , आकाश एवं पाताल !
( १९ ) मुख्य ११ अवतार -
मत्स्य , कच्छप , वराह ,नरसिंह , वामन , परशुराम ,श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !
( २० ) बारह मास -
चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ , अषाढ , श्रावण , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक ,मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फागुन !
( २१ ) बारह राशी -
मेष , वृषभ , मिथुन , कर्क , सिंह , कन्या , तुला , वृश्चिक , धनु , मकर , कुंभ , कन्या !
( २२ ) बारह ज्योतिर्लिंग -
सोमनाथ , मल्लिकार्जुन ,महाकाल , ओमकारेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम ,विश्वनाथ , त्र्यंबकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर ,भीमाशंकर ,नागेश्वर !
( २३ ) पंद्रह तिथियाँ -
प्रतिपदा ,द्वितीय , तृतीय ,
चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी ,दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावष्या !
( २४ ) स्मृतियां -
मनु , विष्णु , अत्री , हारीत ,
याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत ,कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य ,
लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !
आओ सभी भारतीय भाई बहन मिलके नया स्वच्छ भारत बनाये
ॐ शाति ।।
जय हिन्दी ।। जय संस्कृत ।।
जय भारत ।। वंदे मातरम् ।।

असली रुद्राक्ष - रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं, ओर क्या है उनका महत्व

रुद्राक्ष यानी रूद्र+आक्ष
आप सभी ने रुद्राक्ष का नाम तो सुना ही होगा लेकिन शायद आप में से बहुत से लोग रुद्राक्ष के बारे में बहुत काम जानते है l आइये आज आप को रुद्राक्ष से परिचित करवाते है l
रुद्राक्ष यानी रूद्र+आक्ष अर्थात भगवान शिव के आँशु और आशुंओ का सीधा सम्बन्ध हमारी भावनाओ से है जब भी आसूं बहेगा सुख में या दुःख में भावना में ही बहेगा l वास्तव में सारा खेल ही भावनाओ का है l और भावना मन से जुडी होती है और मन चन्द्रमा से संचालित है और चन्द्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है l
कहते है जब माँ सती ने हवन कुण्ड में अपने आप को भस्म कर लिया तो भगवान शिव अति दुखी हो विलाप करने लगे और तब उनके आसूं बह निकले वह आसूं जहाँ-जहाँ गिरे वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उतपन्न हुए तो इस प्रकार रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई l
रुद्राक्ष प्राप्ति के मुख्य स्थल - रुद्राक्ष मुख्यत हरिद्वार , देहरादून , ऋषिकेश , नेपाल, दक्षिण भारत के इलावा इंडोनेशिया इत्यादि में भरपूर मात्रा में पाया जाता है l अगर गुणवत्ता की बात करे तो हरीद्वार और नेपाल का रुद्राक्ष उत्तम माना गया है l इंडोनेशिया का रुद्राक्ष आकार में छोटा होता है l लेकिन आजकल इंडोनेशिया में रुद्राक्ष की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है सो वहां से अब टेनिस बाल के आकार का रुद्राक्ष भी मार्किट में आने लगे है l और वह असली है l दक्षिण भारत से विशेषता 2 मुखी और 1 मुखी काजू दाना मिलता है l
असली रुद्राक्ष की पहचान - कुछ लोग कहते है की रुद्राक्ष को पानी में छोड़ दो अगर वह डूब जाए तो नकली तैर जाए तो असली पर वास्तव में ऐसा बिलकुल नही है l वास्तव में क्या होता है की जिस रुद्राक्ष को भरपूर पोषण मिलता है वह थोड़ा घनत्व लिए होते है l और जो समय से पहले पेड़ से गिर जाए या तोड़ लिए जाए वह तोडा हल्के वजन में होते है l मैंने अपने जीवन काल में डूबने वाले असली और नकली दोनों रुद्राक्ष पाए है ऐसे ही तैरने वाले भी असली या नकली हो सकते है l सो यह रुद्राक्ष की पहचान का कोई पैमाना नही l आज कल नकली रुद्राक्ष भी बहुत बड़ी मात्र में बाजार में उपलब्ध है l अब देश में बहुत से लैब रुद्राक्ष टेस्ट करती है l 2 से 7 मुखी रुद्राक्ष आसनी से उपलब्ध है इससे ऊपर जितने मुख बढ़ते जाएंगे रुद्राक्ष उतना दुर्लभ और महंगा होता जाएगा l शिव पुराण में 1 से 21 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन है l लेकिन आजकल 34 मुखी तक बाज़ार में उपलब्ध है और वह भी असली है l
रुद्राक्ष के लाभ - वैसे तो शिव पुराण में रुद्राक्ष पर बहुत लिखा गया है इसे भगवान शिव के तुल्य ही स्थान दिया जाता है आजकल रुद्राक्ष पर बहुत शोध हो रहे है l और मैंने खुद अपने संस्थान में रुद्राक्ष कवच तैयार कर लोगो को पहनाए तो मुझे आश्चर्य जनक और सुखद परिणाम देखने को मिले खास कर बच्चो के पढाई, वैवाहिक , मानसिक , और आर्थिक विषयो से सबंधित l एक और बात जहाँ महंगे रत्त्न कार्य नही कर सकते वहां रुद्राक्ष बहुत अच्छे परिणाम देते है l मान ले कर्क या सिंह लग्न है है मंगल यहाँ योगकारक ग्रह बन जाता है और अगर मंगल छठे या आठवें भाव में आ गया तो अपने शुभ फल नही देगा और न ही हम यहाँ मूंगा रतन पहन सकते तो इस अवस्था में मंगल से सबंधित रुद्राक्ष धारण किया जाए तो शुभ परिणाम प्राप्त होते मैंने खुद देखे है l
रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं, ओर क्या है उनका महत्व
भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वियों के लिए ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोगों के लिए भी किया जाता है। जानिए, कैसे इंसानी जीवन में नकारात्मकता को कम करने में मदद करता है रुद्राक्ष:
1 मुखी रुद्राक्ष,,,पौराणिक मान्यताओके अनुसार, एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिवस्वरुप माना जाता है. ईसके निरंतर सानिध्यसे एव्ं ध्यानधारणासे , धारणकर्ता – वैश्विकज्ञान , उच्चतम चेतनावस्था पाते हुए त्रिकालदर्शी हो जाता है, और स्वर्गीय (ईश्वरीय) परम चेतना में विलीन हो जाता है।
यह मणि ईश्वरीय ज्ञान और आध्यात्मिक दृष्टि जागृत करने, आज्ञा चक्र पर प्रभावी सिद्ध होता है. भगवान शिव और की कृपा और पवित्र कर्मोके फलस्वरुप कुछ गिनेचुने भाग्यशाली व्यक्तियोको ही यह दुर्लभ मनी धारण करने का अवसर मिलता है। इसे धारण करने से व्यक्ति निश्चित रूप से मोक्ष मार्ग पे जाता है।
धारणकर्ता मन की इच्छाएं पूर्ण करने की, सारे विश्व पर शासन करने की, उसे अपने मुट्ठी में रखने की क्षमता प्राप्त करता है।धारण कर्ता हर एक परिस्थितीमे सुयोग्य निर्णय लेनेकी क्षमता प्राप्त करता है। वह भगवान शंकर की कृपा से सब सुख प्राप्त करता है। यह अभय लक्ष्मी दिलाता है। इसके धारण करने पर सूर्य जनित दोषों का निवारण होता है।
नेत्र संबंधी रोग, सिर दर्द, हृदय का दौरा, पेट तथा हड्डी संबंधित रोगों के निवारण हेतु इसको धारण करना चाहिए। यह यश और शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति, एकाग्रता, सांसारिक, शारीरिक, मानसिक तथा दैविक कष्टों से छुटकारा, मनोबल में वृद्धि होती है। कर्क, सिंह और मेष राशि वाले इसे माला रूप में धारण अवश्य करें।
एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र: ऊँ एं हे औं ऐं ऊँ। इस मंत्र का जाप 108 बार (एक माला) करना चाहिए तथा इसको सोमवार के दिन धारण करें।
2 मुखी रुद्राक्ष,,,,,दो मुखी रुद्राक्ष शिव का अर्धनारीश्वर स्वरुप है. इससे भगवान अर्द्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं। उसकी ऊर्जा से सांसारिक बाधाएं तथा दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है दूर होती हैं। इसे स्त्रियांे के लिए उपयोगी माना गया है।
संतान जन्म, गर्भ रक्षा तथा मिर्गी रोग के लिए उपयोगी माना गया है। ईससे पति-पत्नि, पिता-पुत्र, मित्र एव्ं व्यावसायिक संबंधोमे सौहार्द आता है. एकता बनाए रखनेवाला यह मणी आत्मिक शांती और पुर्णता प्रदान करता है. चंद्रमा की प्रतिकुलता से उत्पन्न दोषो का निवारण यह करता है।
हृदय, फेफड़ों, मस्तिष्क, गुर्दों तथा नेत्र रोगों में इसे धारण करने पर लाभ पहुंचता है। यह ध्यान लगाने में सहायक है। इसे धारण करने से सौहार्द्र लक्ष्मी का वास रहता है। धनु व कन्या राशि वाले तथा कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वालों के लिए इसे धारण करना लाभप्रद होता है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण का मंत्र: ऊँ ह्रीं क्षौं श्रीं ऊँ।
3 मुखी रुद्राक्ष,,,,यह अग्नीदेवता का प्रतिनिधीत्व करता है. सुर्य की प्रतिकुलता से उत्पन्न सभी दोषोका निवारण ३ मुखी रुद्राक्ष करता है. ३ मुखी रुद्राक्ष धारण करनेसे मनुष्य जन्मजन्मांतर के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष पाता है. ईससे पेट और यक्रूत की बिमारिया दुर होती है. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का रूप कहा गया है। मंगल इसका अधिपति ग्रह है।
मंगल ग्रह निवारण हेतु इसे धारण किया जाता है यह मूंगे से भी अधिक प्रभावशाली है। मंगल को लाल रक्त कण, गुर्दा, ग्रीवा, जननेन्द्रियों का कारक ग्रह माना गया है। अतः तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्लडप्रेशर, चेचक, बवासीर, रक्ताल्पता, हैजा, मासिक धर्म संबंधित रोगों के निवारण हेतु धारण करना चाहिए। उन व्यक्तियों के द्वारा इसे पहनना श्रेष्ठ है जो हीन भावना से ग्रस्त हो ,मन में किसी बात का डर हो ,आत्मग्लानि हो ,आत्म विश्वास का अभाव हो , मानसिक तनाव अथवा मानसिक रोग हो .इसके धारण करने से श्री, तेज एवं आत्मबल मिलता है।
यह सेहत व उच्च शिक्षा के लिए शुभ फल देने वाला है। इसे धारण करने से दरिद्रता दूर होती है तथा पढ़ाई व व्यापार संबंधित प्रतिस्पर्धा में सफलता मिलती है। अग्नि स्वरूप होने के कारण इसे धारण करने से अग्नि देव प्रसन्न होते हैं, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा शरीर स्वस्थ रहता है। मेष, सिंह, धनु राशि वाले तथा मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन लग्न के जातकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए।
इसे धारण करने से सर्वपाप नाश होते हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र – ऊँ रं हैं ह्रीं औं। इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार यथावत पढ़ें।
4 मुखी रुद्राक्ष,,,,,4 मुखी रुद्राक्ष के अधिपती ब्रह्मा है. ईसे ब्रह्म स्वरूप माना जाता है। ईससे स्मरणशक्ती, मौखिकशक्ती, व्यवहार चातुर्य, वाक्चातुर्य तथा बुध्दीमत्ता का विकास होता है।
बुध ग्रह की प्रतिकुलतासे उत्पन्न सभी दोषो का निवारण यह करता है. इसमें पन्ना रत्न के समान गुण हैं चार मुखी रुद्राक्ष व्यापारियों वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता बुद्धिजीवी कलाकार लेखक विद्यार्थी व् शिक्षक के लिए पहनना अत्यंत लाभकारी होता है इसके विलक्षण परिणाम मिलते है मानसिक रोग, पक्षाघात, पीत ज्वर, दमा तथा नासिका संबंधित रोगों के निदान हेतु इसे धारण करना चाहिए।
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वाणी में मधुरता, आरोग्य तथा तेजस्विता की प्राप्ति होती है। सेहत, ज्ञान, बुद्धि तथा खुशियों की प्राप्ति में सहायक है। इसे चारों वेदों का रूप माना गया है तथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्वर्ग फल देने वाला है। इसे धारण करने से सांसारिक दुःखों, शारीरिक, मानसिक, दैविक कष्टों तथा ग्रहों के कारण उत्पन्न बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ लग्न के जातकों को इसे धारण करना चाहिए। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र – ऊँ बां क्रां तां हां ईं। सोमवार को यह मंत्र 108 बार जपकर धारण करें।
5 मुखी रुद्राक्ष पाँच मुखी रुद्रकालाग्नी का प्रतिनिधीत्व करता है. इस रुद्राक्ष को रुद्र का स्वरूप कहा गया है। ईससे मन:शांती प्राप्त होती है. गुरु ग्रह की प्रतिकुलतासे उत्पन्न सभी दोषो का निवारण यह करता है. इसमें पुखराज के समान गुण होते हैं। 5 मुखी रुद्राक्ष भी व्यापारियों वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता बुद्धिजीवी कलाकार लेखक विद्यार्थी व् शिक्षक के लिए पहनना अत्यंत लाभकारी होता है इसके विलक्षण परिणाम मिलते है।
इसे धारण करने से निर्धनता, दाम्पत्य सुख में कमी, जांघ व कान के रोग, मधुमेह जैसे रोगों का निवारण होता है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालों को सुख, शांति व प्रसिद्धि प्राप्त होते हैं। यह हृदय रोगियों के लिए उत्तम है।
इससे आत्मिक विश्वास, मनोबल तथा ईश्वर के प्रति आसक्ति बढ़ती है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन वाले जातक इसे धारण कर सकते हैं। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ऊँ ह्रां क्रां वां हां। सोमवार की सुबह मंत्र एक माला जप कर, इसे काले धागे में विधि पूर्वक धारण करना चाहिए।
6 मुखी रुद्राक्ष,,,छः मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का स्वरूप है। ईसपर मंगल ग्रह का अधिपत्य है. ईसे धारण करनेपर साफसुथरी प्रतिमा, मजबूत निंव (Strong Base), के साथ जीवन मे स्थिरता प्राप्त होती है. ऐशो आराम तथा वाहनसुख की लालसा पुरी होती है. शुक्र ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे अवश्य धारण करना चाहिए।
नेत्र रोग, गुप्तेन्द्रियों, पुरुषार्थ, काम-वासना संबंधित व्याधियों में यह अनुकूल फल प्रदान करता है। इसके गुणों की तुलना हीरे से होती है। यह दाईं भुजा में धारण किया जाता है। इसे प्राण प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए तथा धारण के समय ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। इसे हर राशि के बच्चे, वृद्ध, स्त्री, पुरुष कोई भी धारण कर सकते हैं।
गले में इसकी माला पहनना अति उत्तम है। कार्तिकेय तथा गणेश का स्वरूप होने के कारण इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने वाले पर माँ पार्वती की कृपा होती है। आरोग्यता तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए वृष व तुला राशि तथा मिथुन, कन्या, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक इसे धारण कर लाभ उठा सकते हैं।
छः मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रीं क्लीं सौं ऐं’। इसे धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन ‘ऊँ ह्रीं हु्रं नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
7 मुखी रुद्राक्ष,,,सातमुखी रुद्राक्ष ऐश्वर्य की देवता महालक्ष्मी का प्रतिनिधीत्व करता है. ईसे धारण करने से संपन्नता, ऐश्वर्य तथा उन्नती के नये नये अवसर प्राप्त होते है. आर्थिक विपत्तीयोसे ग्रस्त लोग ईसे धारण करे।
व्यवसाय मे घाटा टालने या कम करने मे यह मददगार होता है. अगर सफलता देरी से मिलनेकी शिकायत है तो 7 मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करे., ईससे नाम, प्रतिष्ठा तथा सम्रूध्दि मे उत्तरोत्तर बढौत्तरी होती है. इस रुद्राक्ष के देवता सात माताएं व हनुमानजी हैं।
यह शनि ग्रह द्वारा संचालित है। इसे धारण करने पर शनि जैसे ग्रह की प्रतिकूलता दूर होती है तथा नपुंसकता, वायु, स्नायु दुर्बलता, विकलांगता, हड्डी व मांस पेशियों का दर्द, पक्षाघात, सामाजिक चिंता, क्षय व मिर्गी आदि रोगों में यह लाभकारी है। इसे धारण करने से कालसर्प योग की शांति में सहायता मिलती है।
यह नीलम से अधिक लाभकारी है तथा किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं देता है। इसे गले व दाईं भुजा में धारण करना चाहिए। इसे धारण करने वाले की दरिद्रता दूर होती है तथा यह आंतरिक ज्ञान व सम्मान में वृद्धि करता है।
इसे धारण करने वाला उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर चलता है तथा कीर्तिवान होता है। मकर व कुंभ राशि वाले, इसे धारण कर लाभ ले सकते हैं। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रं क्रीं ह्रीं सौं’। इसे सोमवार के काले धागे में धारण करें।
8 मुखी रुद्राक्ष आठमुखी रुद्राक्ष के स्वामी संकटमोचन श्री गणेशजी है तथा केतु ग्रह ईसका अधिपती है. यह मार्ग के सारे अवरोध दुर करता है और सभी कार्योमे यश देता है. विरोधीयोके मन तथा हेतू मे बदलाव लाकर शत्रुओको भी धारणकर्ता के हित मे सोचने के लिये बाध्य करता है।
अर्थात इसे धारण करने से द्वेष शत्रुता, और विरोध रखने वालो का मन बदल जाता है और सर्व्रत्र मित्रता बढ़ती है आठ मुखी रुद्राक्ष में कार्तिकेय, गणेश और गंगा का अधिवास माना जाता है। राहु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए।
मोतियाविंद, फेफड़े के रोग, पैरों में कष्ट, चर्म रोग आदि रोगों तथा राहु की पीड़ा से यह छुटकारा दिलाने में सहायक है। इसकी तुलना गोमेद से की जाती है। आठ मुखी रुद्राक्ष अष्ट भुजा देवी का स्वरूप है। यह हर प्रकार के विघ्नों को दूर करता है। इसे धारण करने वाले को अरिष्ट से मुक्ति मिलती है। इसे सिद्ध कर धारण करने से पितृदोष दूर होता है।
मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह अनुकूल है। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुंभ व मीन लग्न वाले इससे जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रां ग्रीं लं आं श्रीं’। सोमवार के दिन इसे काले धागे में धारण करें।
9 मुखी रुद्राक्ष,,,,,नौमुखी रुद्राक्ष की स्वामी नवदुर्गा है तथा राहु ईसका प्रतिनिधीत्व करता है. यह धारणकर्ता को अपार उर्जा, शक्ती तथा चैतन्य देता है. राहु की प्रतिकुलतासे उत्पन्न होनेवाले सभी दोषोका निवारण यह रुद्राक्ष करता है. नौ मुखी रुद्राक्ष को नव-दुर्गा स्वरूप माना गया है।
केतु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर भी इसे धारण करना चाहिए। ज्वर, नेत्र, उदर, फोड़े, फुंसी आदि रोगों में इसे धारण करने से अनुकूल लाभ मिलता है। इसे धारण करने स केतु जनित दोष कम होते हैं। यह लहसुनिया से अधिक प्रभावकारी है। ऐश्वर्य, धन-धान्य, खुशहाली को प्रदान करता है। धर्म-कर्म, अध्यात्म में रुचि बढ़ाता है।
मकर एवं कुंभ राशि वालों को इसे धारण करना चाहिए। नौमुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रीं बं यं रं लं’। सोमवार को इसका पूजन कर काले धागे में धारण करना चाहिए।
10 मुखी रुद्राक्ष,,,दशमुखी रुद्राक्ष के अधिपती भगवान महाविष्णु तथा यम देव है. यह रुद्राक्ष एक कवच का कार्य करता है जिसे धारण करनेपर नकारात्मक उर्जा से आसिम सुरक्षा प्राप्त होती है. ईससे न्यायालयीन मुकदमे, भूमी से जुडे व्यवहार (Real Estate) मे यश प्राप्त होता है तथा कर्ज से मुक्ती मिलती है।
10 मुखी रुद्राक्ष सारे नवग्रहो की प्रतिकुलतासे उत्पन्न दोषोका निवारण करता है. दस मुखी रुद्राक्ष में भगवान विष्णु तथा दसमहाविद्या का निवास माना गया है। इसे धारण करने पर प्रत्येक ग्रह की प्रतिकूलता दूर होती है। यह एक शक्तिशाली रुद्राक्ष है तथा इसमें नवरत्न मुद्रिका के समान गुण पाये जाते हैं।
सर्वग्रह इसके प्रभाव से शांत रहते हैं। यह सभी कामनाओं को पूर्ण करने में सक्षम है। जादू-टोने के प्रभाव से यह बचाव करता है। ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने से पूर्व इसे प्राण-प्रतिष्ठित अवश्य कर लेना चाहिए। मानसिक शांति, भाग्योदय तथा स्वास्थ्य का यह अनमोल खजाना है। मकर तथा कुंभ राशि वाले जातकों को इसे प्राण-प्रतिषिठत कर धारण करना चाहिए।
दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं ऊँ’। काले धागे में सोमवार के दिन धारण करें।
11 मुखी रुद्राक्ष,,,,,ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के अधिपती 11 रुद्र है. ईसका प्रभाव सारे ईंद्रिय, सशक्त भाषा, निर्भय जीवनपर होता है. ईससे सारे ग्रहोकी प्रतिकुलतासे उत्पन्न दोषो का निवारण होता है।
यह धारक को सही निर्णय लेने में मदद करता है ,यह बल व् बुद्धि प्रदान करता है , तथा शरीर को बलिष्ठ व् निरोगी बनाता है , विदेश में बसने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए इसे पहनने से लाभ मिलता है . ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का प्रतीक है। यह ग्यारह रुद्रों का प्रतीक है।
इसे शिखा में बांधकर धारण करने से हजार अश्वमेध यज्ञ तथा ग्रहण में दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इस रुद्राक्ष के धारणकर्ता को अकालमृत्यु का भय नहीं रहता. इसे धारण करने से समस्त सुखों में वृद्धि होती है। यह विजय दिलाने वाला तथा आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला है।
दीर्घायु व वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों तथा विकारों में यह लाभकारी है तथा जिस स्त्री को संतान प्राप्ति नहीं होती है इसे विश्वास पूर्वक धारण करने से बंध्या स्त्री को भी सकती है संतान प्राप्त हो। इसे धारण करने से बल व तेज में वृद्धि होती है। मकर व कुंभ राशि के व्यक्ति इसे धारण कर जीवन-पर्यंत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ रूं मूं औं’। विधि विधान से पूजन अर्चना कर काले धागे में सोमवार के दिन इसे धारण करना चाहिए।
12 मुखी रुद्राक्ष,,,बारह मुखी रुद्राक्ष के अधिपती सुर्यदेव है. धारण कर्ता को शासन करने की क्षमता, अलौकीक बुध्दीमत्ता की चमक, तेज और शक्ती जैसे सुर्यदेव के गुण प्राप्त होते है. आत्मिक उर्जा मे बढौतरी होती है. इसे धारण करने से व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता में वृद्धि और शासक का पद प्राप्त करता है।
बारहमुखी रुद्राक्ष प्रत्येक कार्य क्षेत्र से संलग्न व्यक्ति ,राजनीतिज्ञ, मंत्री ,उद्योग प्रमुख , व्यापारियों एवं यश प्रसिद्धि चाहने वालों को अवस्य धारण करना चाहिए ताकि उनमे ओजस्विता एवं कार्यक्षमता सतत बनी रहे . सरकारी अफसर व कर्मचारीयोके लिये 12 मुखी रुद्राक्ष विशेष लाभदायी सिध्द होता है।
ईससे प्रमोशन, मनचाही जगहपर पोस्टींग, पद, प्रतिष्ठा, Progress व अन्य लाभ प्राप्त होते है. UPSC व अन्य Competitive Exams कि तैय्यारी कर रहे Candidates के लिये भी यह रुद्राक्ष शुभफलदायी होता है। व्यक्तित्व निखारते हुए उँचे दर्जेका आत्मविश्वास एवं Commanding Power प्रदान करनेका कार्य भी यह रुद्राक्ष करता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष को विष्णु स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से सर्वपाप नाश होते हैं। इसे धारण करने से दोनों लोकों का सुख प्राप्त होता है तथा व्यक्ति भाग्यवान होता है। यह नेत्र ज्योति में वृद्धि करता है। यह बुद्धि तथा स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान दिलाता है। दरिद्रता का नाश होता है। मनोबल बढ़ता है ।
सांसारिक बाधाएं दूर होती हैं तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा असीम तेज एवं बल की प्राप्ति होती है। बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रीं क्षौंत्र घुणंः श्रीं’। मंत्रोच्चारण के साथ प्रातः काले धागे में सोमवार को पूजन अर्चन कर इसे धारण करें।
13 मुखी रुद्राक्ष,,,13 मुखी रुद्राक्ष के स्वामी ईन्द्रदेव (देवो के राजा) तथा अधिपती कामदेव होते है. धारणकर्ताकी सारी सांसारीक मनोकामनाए पुरी होती है।
कामदेव की क्रुपा से वशीकरण, आकर्षण ऐश्वर्य एवं प्रभावित करने की क्षमता , शक्ती तथा करिशमाई व्यक्तित्व प्राप्त होता है. अनेक सिध्दीयोको जाग्रुत करते हुए कुंडलिनी जाग्रुती मे सहाय्यकारी होता है. हमेशा Center of Attraction रहने हेतू यह रुद्राक्ष फिल्म अभिनेता एवं कलाजगत , राजनेता व कारोबारीयो तथा व्यापर से जुड़े लोगो के लिए अति श्रेष्ठा है।
ईससे धारणकर्ता के प्रती आकर्षण तथा जनाधार दिन ब दिन बढते जाता है. यह रुद्राक्ष साक्षात् इंद्र का स्वरूप है। यह समस्त कामनाओं एवं सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। निः संतान को संतान तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है अतुल संपत्ति की प्राप्ति होती है तथा भाग्योदय होता है। यह समस्त शक्ति तथा ऋद्धि-सिद्धि का दाता है।
यह कार्य सिद्धि प्रदायक तथा मंगलदायी है। सिंह राशि वालों के लिए यह उत्तम है। तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ इं यां आप औं‘ं प्रातः काल स्नान कर आसन पर भगवान के समक्ष बैठकर विधि-विधान से पूजन कर काले धागे में सोमवार को इसे धारण करना चाहिए। ‘ऊँ ह्रीं नमः’। मंत्र का भी उच्चारण किया जा सकता है।
14 मुखी रुद्राक्ष,,,,,चौदह मुखी रुद्राक्ष अनमोल ईश्वरीय रत्न है. ईसे साक्षात ‘देवमणी’ कहा जाता है. ईसके अधिपती स्वय्ं भगवान शिव और महाबली हनुमान है. धारणकर्ता को दुर्घटना, यातना व चिंतासे मुक्ती दिलाते हुए सफलता की ओर ले जाता है. इसे धारण करने से छठी इन्द्रिय जागृत हो जाती है एवं भविस्य में होने वाली घटनाओ का पहले ही ज्ञान होने लगता है और किसी भी विषय पर लिया गया निर्णय अंततः सफल ही होता है।
यह अपने प्रभाव से धारक को समस्त संकट , हानि , दुर्घटना ,रोग और चिंता से मुक्त करके ऐश्वर्य, धन-धान्य- , सुख शांति , समृद्धि प्रदान करता है . सांसारिक बाधाएं दूर होती हैं समस्त कामनाओं एवं सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। सभी कार्यों में सफलता मिलती है अतुल संपत्ति की प्राप्ति होती है तथा भाग्योदय होता है।
14 मुखी रुद्राक्ष के अधिपती ग्रह शनि और मंगल है. अर्थात यह रुद्राक्ष शनी तथा मंगल दोनो ग्रहोकी बाधा से उत्पन्न दोषो का निवारण करता है.जिन्हे साढेसाती, 4 था या 8 वा शनि चल रहा है, एेसे तमाम लोगोको ईसे पहेननेसे बडी राहत मिलती है. यह भगवान शंकर का सबसे प्रिय रुद्राक्ष है। यह हनुमान जी का स्वरूप है।
धारण करने वाले को परमपद प्राप्त होता है। इसे धारण करने से शनि व मंगल दोष की शांति होती है। दैविक औषधि के रूप में यह शक्ति बनकर शरीर को स्वस्थ रखता है। चैदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ औं हस्फ्रे खत्फैं हस्त्रौं हसत्फ्रैं’। सोमवार के दिन स्नानादि कर पूजन-अर्चन कर काले धागे में इसे धारण करें।
15 मुखी रुद्राक्ष,,,,यह रुद्राक्ष भगवान पशुपतीनाथ का स्वरुप है. यह रुद्राक्ष व्यानपार में वृद्धि के लिए होता है। पंद्रह मुखी रुद्राक्ष से ऊर्जा प्राप्त‍ होती है जिससे व्यरक्तिन अपने कार्य में सफल हो पाता है।
इस रुद्राक्ष को पहनने से बुद्धि तेज होती है। रुद्राक्ष पर भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है इसलिए पंद्रह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आपके व्या्पार पर भगवान शिव की कृपा प्राप्ता होती है। 15 मुखी रूद्राक्ष भगवान पशुपतिनाथ का प्रतीक तथा राहु द्वारा शासित है अर्थात् इस रुद्राक्ष को पहनने से आपको राहु की कृपा भी प्राप्तख होती है। यह रुद्राक्ष आपका उचित मार्गदर्शन करता है। 15 मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से आपको कभी भी धन का अभाव नहीं होता।
15 मुखी रुद्राक्ष त्व चा रोग दूर करने में भी प्रभावकारी होता है। इससे पौरुष शक्ति भी बढ़ती है। ह्रिदयरोग, मधुमेह, अस्थमा जैसे रोगे से राहत दिलाता है.
16 मुखी रुद्राक्ष,,,यह भगवान शिव का महाम्रुत्युंजय रुप है. ईसे विजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है. शत्रु को परास्त करते हुए दिग्विजयी होने मे का शुभाषिश यह प्रदान करता है.ईसे धारण करना प्रतिदिन 1,25,000 बार महाम्रुत्युंजय मंत्र का जाप करने बराबर है।
17 मुखी रुद्राक्ष,,,,सत्तरह मुखी रूद्राक्ष को सीता जी एवं राम जी का प्रतीक माना गया है. यह रुद्राक्ष राजयोग का सुख प्रदान करता है सुख एवं समृद्धि दायक होता है।
यह रुद्राक्ष राम सीता जी के संयुक्त बलों का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक दुर्लभ रूद्राक्ष है,. इस रूद्राक्ष के पहनने से सफलता, स्मृति ज्ञान, कुंडलिनी जागरण और तथा धन धान्य की वृद्धि होती है. 17 मुखी रुद्राक्ष भौतिक संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है ईसके अधिपती विश्व के निर्माता विश्वकर्मा है।
धारणकर्ता को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त होते है. यह रूद्राक्ष सभी पापों का शमन करता है. अपने पेशे मे व भाग्य मे लगातार बढौतरी चाहनेवाले व्यवसायी, प्रबंधक, सरकारी अधिकारी तथा राजकीय नेताओ के लिए 17 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायी होता है।
कात्यायनी तंत्र के अनुसार धारणकर्ता पर लगातार सफलता, अचानक संपत्ती तथा सांसारिक सुखो की वर्षा होती है. और अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. स्मृति हानि, शाररिक ऊर्जा की कमी से पीड़ित लोगों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है. इसके साथ ही जो महिलाएं इस रूद्राक्ष को धारण करती हैं उन्हें अच्छा वैवाहिक जीवन, बच्चे और दांपत्य सुख प्राप्त होता है, हिंदू वैदिक ग्रंथों के अनुसार, 17 मुखी रूद्राक्ष सभी कमियों को दूर करने सहायक है।
18 मुखी रुद्राक्ष, यह भूमीदेवी (माँ पृथ्वी )का स्वरुप है. यह धारणकर्ता के लिए व्यवसाय, भूमी व्यवहार तथा आपार वैभव के रास्ते खोलने वाला एक शक्तिशाली रुद्राक्ष है. अठारह मुखी रुद्राक्ष भूमि संबंधित कार्यों से जुडे़ लोगों के लिए उत्तम माना गया है प्रॉपर्टी कारोबार मे अल्प समय मे सफलता एव् विपुलता पाने हेतु ईसे धारण किया जाता है.लैण्ड डेवलपर्स, रियल एस्टेट ब्रोकर्स, कंन्सट्रक्शन व्यवसाई आदि कारोबारियों के लिए अत्यंत लाभदायक।
इस प्रकार, यह लौह अयस्क, जवाहरात, बिल्डरों, आर्किटेक्ट, संपत्ति डीलरों, ठेकेदारों, आर्किटेक्ट, किसानों, आदि के लिए उपयुक्त है.18 मुखी रूद्राक्ष को पहनने से सभी प्रकार के सम्मान, सफलता और प्रसिद्धि मिलेगी . निर्भय बनेंगे, दुर्घटनाओं और ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाव होगा. यह मधुमेह और लकवा जैसे रोगो मे आराम दिलाता है।
19 मुखी रुद्राक्ष, यह भगवान नारायण का स्वरुप है. यह मणी शरिर के सारे चक्र खोल देता है जिससे व्याधियोसे मुक्ती मिलती है. यह नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा के सारे अवरोध दुर करता है।
20 मुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप है. ईसमे नवग्रह, आठ दिकपाल तथा त्रिदेव की शक्तियॉ है जिससे व्यक्ती ईच्छाधारी बन जाता है.
21 मुखी रुद्राक्ष, यह दुर्लभ रुद्राक्ष कुबेर का स्वरुप है. धारण करने वाला अपार जमिन- जायदाद, सुख और भौतिक ईच्छाए पुर्ण होने का वरदान पाता है.
गौरीशंकर रुद्राक्ष, 2 मणी प्राक्रुतीक रुप से एकसाथ होने से शिव-पार्वती के एकरुप का प्रतिनिधीत्व करते है. ईसे धारण करने या घरमे रखने से परिवार के सारे सदस्योमे एकता तथा समाज के सभी वर्गो के साथ भाईचारा बना रहता है. जिनके विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए।
गणेश रुद्राक्ष, इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरुप माना जाता है. इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है. यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने में लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है।
गौरीपाठ रुद्राक्ष,,,यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का स्वरूप है. इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है।
गर्भ गौरी रूद्राक्ष, यह रुद्राक्ष उन महिलाओं के लिए बहुत ही लाभदायक है जो संतान की कामना रखती हैं या जिन्हें किसी कारण वश, संतान उत्पत्ति में विलंब का सामना करना पड़ रहा हो. इसके साथ ही साथ यह रुद्राक्ष गृभ की सुरक्षा करता है तथा जिन्हें गर्भ न ठहरता हो या गर्भपात हो जाता हो उनके लिए यह रुद्राक्ष अमूल्य निधि बनता है।

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