यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 17 मई 2022

वजूखाना ही वो तालाब है, जिसके भीतर असली बाबा विश्वनाथ विद्यमान हैं।

वजूखाना ही वो तालाब है, जिसके भीतर असली बाबा विश्वनाथ विद्यमान हैं।
इस पोस्ट में जो नक्शा लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखा काशी विश्वनाथ मंदिर का है। जिसे जेम्स प्रिंसेप ने इसे 1827 में बनाया था। इस नक्शे में काशी विश्वेश्वर मन्दिर के गर्भगृह को बीचो बीच दिखाया गया है। जेम्स प्रिंसेप (1827) और अटलेकर (1937) के मुताबिक मुख्य शिवलिंग तालाबनुमा संरचना के भीतर स्थित था। जिसे वजूखाना बना दिया गया। मौजूदा विश्वनाथ मंदिर में भी शिवलिंग को इसलिए चौकोर तालाबनुमा संरचना के भीतर रखा गया है। 

1827 में जेम्स प्रिंसेप और बीएचयू 1937 के जर्नल में एएस अल्टेकर, साइट का विस्तृत विवरण देते हैं।  यहां के नक्शे, स्थिति को समझने में मदद कर सकते हैं।  दोनों का उल्लेख है कि लिंग एक सजावटी जलाशय में खड़ा था।

उसकी किताब के विवरण का हिंदी रूपांतरण

"प्रिंसेप ने हमें सूचित किया कि का मुख्य लिंग केंद्र में एक 'सजावटी जलाशय में खड़ा था,' जिसमें गंगा के पानी को ले जाने के लिए नीचे एक नाला था, जो दिन-रात लगातार डाला जाता था।  इससे स्पष्ट है कि यद्यपि विश्वनाथ के मंदिर का जमीनी स्तर 7 फीट ऊंचा था, फिर भी लिंग अपने पुराने स्थान पर बना रहा, इस प्रकार इसके चारों ओर एक जलाशय का निर्माण आवश्यक हो गया।  विश्वनाथ के वर्तमान मंदिर में भी लिंग एक जलाशय में है, हालांकि कोई नहीं है अब हम समझ सकते हैं कि ऐसा करने के लिए संरचनात्मक आवश्यकता क्यों है।  यह तो काफी।  जब रानी अहिल्याबाई द्वारा नया मंदिर बनवाया गया था, तो एक जलाशय में लिंग के होने की पुरानी परंपरा को अच्छी तरह से याद किया गया था और इसका पालन करने का निर्णय लिया गया था।"

इसमे यह भी बताया गया है कि "नंदी मंदिर मुक्तिमंडप के दक्षिण में और ज्ञानवीपी के पश्चिम में था" जैसा कि नक्शे में बताया गया है। और वर्तमान में नंदी वैसे ही स्थित है ।

जेम्स प्रिंसेप का वाक्य की "मुख्य लिंग केंद्र में एक सजावटी जलाशय में स्थित था" और वजूखाने में कथाकथित फव्वारा भी जलाशय में खड़ा है ।

मतलब ये कि वजूखाना ही वो तालाब है जिसके भीतर असली विश्वनाथ हैं।

 अत: यह सिद्ध हो चुका 

सत्य कुछ समय के लिए दबाया जा सकता है किन्तु उसे खत्म नहीं किया जा सकता।
वो उद्घाटित अवश्य होता है.... 

हर हर महादेव 🔱

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya