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बुधवार, 27 जुलाई 2022

सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती

मां नर्मदा...🙏
कहते हैं नर्मदा नें अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया। लेकिन क्या सचमुच वह गुस्से की आग में चिरकुवांरी बनी रही या फिर प्रेमी शोणभद्र को दंडित करने का यही बेहतर उपाय लगा कि आत्मनिर्वासन की पीड़ा को पीते हुए स्वयं पर ही आघात किया जाए। नर्मदा की प्रेम-कथा लोकगीतों और लोककथाओं में अलग-अलग मिलती है लेकिन हर कथा का अंत कमोबेश वही कि शोणभद्र के नर्मदा की दासी जुहिला के साथ संबंधों के चलते नर्मदा नें अपना मुंह मोड़ लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ी। सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती है।

कथा 1:- नर्मदा और शोण भद्र की शादी होनें वाली थी। विवाह मंडप में बैठने से ठीक एन वक्त पर नर्मदा को पता चला कि शोणभद्र की दिलचस्पी उसकी दासी जुहिला (यह आदिवासी नदी मंडला के पास बहती है) में अधिक है। प्रतिष्ठत कुल की नर्मदा यह अपमान सहन ना कर सकी और मंडप छोड़कर उल्टी दिशा में चली गई। शोण भद्र को अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो वह भी नर्मदा के पीछे भागा यह गुहार लगाते हुए' लौट आओ नर्मदा'...।लेकिन नर्मदा को नहीं लौटना था सो वह नहीं लौटी।

अब आप कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि सचमुच नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की दो प्रमुख नदियों गंगा और गोदावरी से विपरीत दिशा में बहती है यानी पूर्व से पश्चिम की ओर। कहते हैं आज भी नर्मदा एक बिंदू विशेष से शोण भद्र से अलग होती दिखाई पड़ती है। कथा की फलश्रुति यह भी है कि नर्मदा को इसीलिए चिरकुंवारी नदी कहा गया है और ग्रहों के किसी विशेष मेल पर स्वयं गंगा नदी भी यहां स्नान करने आती हैं। इस नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है।

मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है, ‘कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती। परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है। यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।’ एक अन्य प्राचीन ग्रन्थ में सप्त सरिताओं का गुणगान इस तरह है।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदा सिन्धु कावेरी जलेSस्मिन सन्निधिं कुरु।।

कथा 2 :-  इस कथा में नर्मदा को रेवा नदी और शोणभद्र को सोनभद्र के नाम से जाना गया है। नद यानी नदी का पुरुष रूप। (ब्रह्मपुत्र भी नदी नहीं 'नद' ही कहा जाता है।) बहरहाल यह कथा बताती है कि राजकुमारी नर्मदा राजा मेखल की पुत्री थी। राजा मेखल नें अपनी अत्यंत रूपसी पुत्री के लिए यह तय किया कि जो राजकुमार गुलबकावली के दुर्लभ पुष्प उनकी पुत्री के लिए लाएगा वे अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ संपन्न करेंगे। राजकुमार सोनभद्र गुलबकावली के फूल ले आए अत: उनसे राजकुमारी नर्मदा का विवाह तय हुआ।

नर्मदा अब तक सोनभद्र के दर्शन ना कर सकी थी लेकिन उसके रूप, यौवन और पराक्रम की कथाएं सुनकर मन ही मन वह भी उसे चाहनें लगी। विवाह होने में कुछ दिन शेष थे लेकिन नर्मदा से रहा ना गया उसनें अपनी दासी जुहिला के हाथों प्रेम संदेश भेजने की सोची। जुहिला को सुझी ठिठोली। उसनें राजकुमारी से उसके वस्त्राभूषण मांगे और चल पड़ी राजकुमार से मिलने। सोनभद्र के पास पहुंची तो राजकुमार सोनभद्र उसे ही नर्मदा समझने की भूल कर बैठा। जुहिला की ‍नियत में भी खोट आ गया। राजकुमार के प्रणय-निवेदन को वह ठुकरा ना सकी। इधर नर्मदा का सब्र का बांध टूटने लगा। दासी जुहिला के आने में देरी हुई तो वह स्वयं चल पड़ी सोनभद्र से मिलनें।

वहां पहुंचने पर सोनभद्र और जुहिला को साथ देखकर वह अपमान की भीषण आग में जल उठीं। तुरंत वहां से उल्टी दिशा में चल पड़ी फिर कभी ना लौटने के लिए। सोनभद्र अपनी गलती पर पछताता रहा लेकिन स्वाभिमान और विद्रोह की प्रतीक बनी नर्मदा पलट कर नहीं आई।

अब इस कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि जैसिंहनगर के ग्राम बरहा के निकट जुहिला (इस नदी को दुषित नदी माना जाता है, पवित्र नदियों में इसे शामिल नहीं किया जाता) का सोनभद्र नद से वाम-पार्श्व में दशरथ घाट पर संगम होता है और कथा में रूठी राजकुमारी नर्मदा कुंवारी और अकेली उल्टी दिशा में बहती दिखाई देती है। रानी और दासी के राजवस्त्र बदलने की कथा इलाहाबाद के पूर्वी भाग में आज भी प्रचलित है।

कथा 3 :- कई हजारों वर्ष पहले की बात है। नर्मदा जी नदी बनकर जन्मीं। सोनभद्र नद बनकर जन्मा। दोनों के घर पास थे। दोनों अमरकंट की पहाड़ियों में घुटनों के बल चलते। चिढ़ते-चिढ़ाते। हंसते-रुठते। दोनों का बचपन खत्म हुआ। दोनों किशोर हुए। लगाव और बढ़ने लगा। गुफाओं, पहाड़‍ियों में ऋषि-मुनि व संतों नें डेरे डाले। चारों और यज्ञ-पूजन होने लगा। पूरे पर्वत में हवन की पवित्र समिधाओं से वातावरण सुगंधित होने लगा। इसी पावन माहौल में दोनों जवान हुए। उन दोनों नें कसमें खाई। जीवन भर एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ने की। एक-दूसरे को धोखा नहीं देने की।

एक दिन अचानक रास्ते में सोनभद्र नें सामने नर्मदा की सखी जुहिला नदी आ धमकी। सोलह श्रृंगार किए हुए, वन का सौन्दर्य लिए वह भी नवयुवती थी। उसनें अपनी अदाओं से सोनभद्र को भी मोह लिया। सोनभद्र अपनी बाल सखी नर्मदा को भूल गया। जुहिला को भी अपनी सखी के प्यार पर डोरे डालते लाज ना आई। नर्मदा नें बहुत कोशिश की सोनभद्र को समझाने की। लेकिन सोनभद्र तो जैसे जुहिला के लिए बावरा हो गया था।

नर्मदा नें किसी ऐसे ही असहनीय क्षण में निर्णय लिया कि ऐसे धोखेबाज के साथ से अच्छा है इसे छोड़कर चल देना। कहते हैं तभी से नर्मदा नें अपनी दिशा बदल ली। सोनभद्र और जुहिला नें नर्मदा को जाते देखा। सोनभद्र को दुख हुआ। बचपन की सखी उसे छोड़कर जा रही थी। उसनें पुकारा- 'न...र...म...दा...रूक जाओ, लौट आओ नर्मदा।

लेकिन नर्मदा जी नें हमेंशा कुंवारी रहने का प्रण कर लिया। युवावस्था में ही सन्यासिनी बन गई। रास्ते में घनघोर पहाड़ियां आईं। हरे-भरे जंगल आए। पर वह रास्ता बनाती चली गईं। कल-कल छल-छल का शोर करती बढ़ती गईं। मंडला के आदिमजनों के इलाके में पहुंचीं। कहते हैं आज भी नर्मदा की परिक्रमा में कहीं-कहीं नर्मदा का करूण विलाप सुनाई पड़ता है।

नर्मदा नें बंगाल सागर की यात्रा छोड़ी और अरब सागर की ओर दौड़ीं। भौगोलिक तथ्य देखिए कि हमारे देश की सभी बड़ी नदियां बंगाल सागर में मिलती हैं लेकिन गुस्से के कारण नर्मदा अरब सागर में समा गई।

नर्मदा की कथा जनमानस में कई रूपों में प्रचलित है लेकिन चिरकुवांरी नर्मदा का सात्विक सौन्दर्य, चारित्रिक तेज और भावनात्मक उफान नर्मदा परिक्रमा के दौरान हर संवेदनशील मन महसूस करता है। कहनें को वह नदी रूप में हैं लेकिन चाहे-अनचाहे भक्त-गण उनका मानवीयकरण कर ही लेते हैं। पौराणिक कथा और यथार्थ के भौगोलिक सत्य का सुंदर सम्मिलन उनकी इस भावना को बल प्रदान करता है और वे कह उठते हैं नमामि देवी नर्मदे...🙏🙏

हिन्दू दम्पत्तियों जागो !! - "गर्भपात महापाप" है।

🚩                *Voice Of Hinduism🔥* 
 
*🚩 हिन्दू दम्पत्तियों जागो !! -     "गर्भपात महापाप" है।*

*🚩 ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है उससे दुगना पाप गर्भपात करने से लगता है। इस गर्भपातरूप महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है, इसमें तो उस स्त्री का त्याग कर देने का ही विधान है।*
*(पाराशर स्मृतिः 4.20)*

*🚩 यदि अन्न पर गर्भपात करने वाले की दृष्टि भी पड़ जाय तो वह अन्न अभक्ष्य हो जाता है।* 
*(मनुस्मृतिः 4.208)*

*🚩 गर्भस्थ शिशु को अनेक जन्मों का ज्ञान होता है। इसलिए 'श्रीमद्भागवत' में उसको ऋषि (ज्ञानी) कहा गया है। अतः उसकी हत्या से बढ़कर और क्या पाप होगा !*

*🚩 संसार का कोई भी श्रेष्ठ धर्म गर्भपात को समर्थन नहीं देता है और न ही दे सकता है क्योंकि यह कार्य मनुष्यता के विरूद्ध है। जीवमात्र को जीने का अधिकार है। उसको गर्भ में ही नष्ट करके उसके अधिकार को छीनना महापाप है।*

*🚩 गर्भ में बालक निर्बल और असहाय अवस्था में रहता है। वह अपने बचाव का कोई उपाय भी नहीं कर सकता तथा अपनी हत्या का प्रतिकार भी नहीं कर सकता। अपनी हत्या से बचने के लिए वह पुकार भी नहीं सकता, रूदन भी नहीं कर सकता। उसका कोई अपराध भी नहीं है – ऐसी अवस्था में जन्म लेने से पहले ही उस निरपराध, निर्दोष, असहाय बच्चे की हत्या कर देना पाप की, कृतघ्नता की, दुष्टता की, नृशंसता की, क्रूरता की, अमानुषता की, अन्याय की आखिरी हद (पराकाष्ठा) है।*
*-स्वामी रामसुखदासजी*

*🚩 श्रेष्ठ पुरुषों ने ब्रह्महत्या आदि पापों का प्रायश्चित बताया है, पाखण्डी और परनिन्दक का भी उद्धार होता है, किंतु जो गर्भस्थ शिशु की हत्या करता है, उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है।*
*(नारद पुराणः पूर्वः 7.53)*

*🚩 संन्यासी की हत्या करने वाला तथा गर्भ की हत्या करने वाला भारत में 'महापापी' कहलाता है। वह मनुष्य कुंभीपाक नरक में गिरता है। फिर हजार जन्म गीध, सौ जन्म सूअर, सात जन्म कौआ और सात जन्म सर्प होता है। फिर 60 हजार वर्ष विष्ठा का कीड़ा होता है। फिर अनेक जन्मों में बैल होने के बाद कोढ़ी मनुष्य होता है।*
*(देवी भागवतः 9.34.24,27.28)*

*🚩 जैसे ब्रह्महत्या महापाप है ऐसे गर्भपात भी महापाप हैं। शास्त्र में तो गर्भपात को ब्रह्महत्या से भी दुगुना पाप बताया गया है।*

*🚩 यत्पापं ब्रह्महत्याया द्विगुणं गर्भपातने।*
 *प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते॥*
*(पाराशरस्मृति: ४.२०)* 

*🚩 गर्भस्राव (सफाई), गर्भपात और भ्रूणहत्या इन तीनों को किसी भी तरह से करने पर महापाप लगता है।*

*🚩 विषवृक्षोऽपि संवर्ध्य स्वयं छेत्तुमसाम्प्रतम्।*
*सृष्टि रचयिता देवता पितामह ब्रह्माजी ने भी कहा है कि अपने द्वारा लगाया हुआ विषवृक्ष भी स्वयं नहीं काटा जाता।"*

*🚩 जिस गर्भ को स्त्री-पुरुष मिलकर पैदा करते हैं, स्वयं ही उसकी हत्या कर देना कितना घृणित पाप है !*

*🚩 गर्भ में आया हुआ जीव जन्म लेने के बाद न जाने कितने अच्छे-अच्छे लौकिक और पारमार्थिक कार्य करता, समाज व देश की सेवा करता, संत-महापुरुष बनकर अनेक लोगों को सन्मार्ग में लगाता, अपना तथा औरों का कल्याण करता, परन्तु जन्म लेने से पहले ही उसकी हत्या कर देना कितना बड़ा पातक है !*

*🚩 मनुष्यों में हिन्दू जाति सर्वश्रेष्ठ है। उसमें बड़े विलक्षण ऋषि-मुनि, संत, महात्मा, दार्शनिक, वैज्ञानिक, विचारक पैदा होते आये हैं। जब इस जाति के मनुष्यों को जन्म ही नहीं लेने देंगे तो फिर ऐसे श्रेष्ठ विलक्षण पुरुष विधर्मियों के यहाँ पैदा होंगे।*

*🚩 जैसे, अब तक हिन्दुओं के यहाँ लगभग बारह करोड़ शिशुओं का जन्म रोका गया है। अतः वे बारह करोड़ शिशु विधर्मियों के यहाँ जन्म लेंगे तो विधर्मियों की संख्या हिन्दुओं की संख्या से चौबीस करोड़ बढ़ जाएगी क्योंकि जिन व्यक्तियों ने संततिनिरोध किया है, उनके आगे होनेवाली कई संतानों का भी स्वतः निरोध हुआ है।* 

*🚩 अगर प्रत्येक व्यक्ति की दो या तीन संतानों का भी निरोध माना जाय तो यह संख्या चौबीस या छत्तीस करोड़ तक पहुँच जाती है।*

*🚩 विधर्मियों की संख्या बढ़ेगी तो फिर वे हिन्दुओं का ही नाश करेंगे। अतः हिन्दुओं को अपनी संतान परम्परा नष्ट नहीं करनी चाहिये।*

*🚩 मुसलमान तो कहते हैं कि संतान होना खुदा का विधान (नैमत) है। उसको बदलने का अधिकार मनुष्य को नहीं है। जो उसके विधान को बदलते हैं वे अनधिकार चेष्टा करते हैं।*

*🏴 परिवार नियोजन करनेवालों की संख्या कम हो जाती है। अतः मुसलमानों ने यह सोचा कि परिवार नियोजन नहीं करेंगे तो अपनी जन-संख्या बढ़ेगी और जन-संख्या बढ़ने से अपना ही राज्य हो जायेगा क्योंकि वोटों का जमाना है। भारत हिन्दुओं का देश एक दिन इस्लामिक राष्ट्र में तबदील (परिवर्तित) हो जाएगा।*

*🚩 इसीलिये वे केवल अपनी संख्या बढ़ाने की धुन में हैं। परंतु हिन्दू केवल अपनी थोड़ी-सी सुख-सुविधा के लिये नसबन्दी, गर्भपात आदि महापाप  करने में लगे हुए हैं।*

*🚩 अपनी संख्या तेजी से कम हो रही है- इस तरफ भी उनकी दृष्टि नहीं है और परलोक में इस महापाप का भयंकर दण्ड भोगना पड़ेगा- इस तरफ भी उनकी दृष्टि नहीं है।*

*🚩 केवल खाने-पीने, सुख भोगने की तरफ तो पशुओं की भी दृष्टि रहती है। अगर यही दृष्टि मनुष्य की भी है तो यह मनुष्यता नहीं है।*

*🚩 लोग गर्भ परीक्षण करवाते हैं और गर्भ में कन्या हो तो गर्भपात करा देते हैं। क्या यह नारी जाति को समान अधिकार देना हुआ ? क्या यह उसका सम्मान करना हुआ ?* 

*🚩 समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा में बीस वर्ष के बाद लड़कों को कुँवारा रहना पड़ेगा क्योंकि मादा भ्रूणहत्या से लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ कम उत्पन्न हुई हैं।* 

*🚩 परिवार नियोजन के कार्यक्रम से जीवन निर्वाह के साधनों में तो वृद्धि नहीं हुई है, पर ऐसी अनेक बुराइयों की वृद्धि अवश्य हुई है जिनसे हिन्दू समाज का घोर पतन हुआ है। वह दिन पर दिन ओजहीन और दुर्बल हुआ है।*

*🚩 पहले जनसंख्या कम थी तो विदेशों से अन्न मँगवाना पड़ता था, अब जनसंख्या बढ़ी तो हम निर्यात कर रहे हैं। अतः जहाँ वृक्ष अधिक होते हैं वहाँ वर्षा अधिक होती है तो क्या मनुष्य अधिक होंगे तो अन्न अधिक नहीं होगा ?*

*🚩 नसबन्दी के द्वारा पुरुषत्व का अवरोध करने से, नाश करने से शारीरिक शक्ति भी नष्ट होती है और उत्साह, निर्भयता आदि मानसिक शक्ति भी नष्ट होती है।*

*🚩 जो नसबन्दी के द्वारा अपना पुरुषत्व नष्ट कर देते हैं, वे नपुंसक (हिजड़े) हैं। उनके द्वारा पितरों को पिण्ड-पानी नहीं मिलता। ऐसे पुरुष को देखना भी अशुभ माना गया है।*

*🚩 जिन माताओं ने नसबन्दी ऑपरेशन करवाया है उनमें से बहुतों को लाल एवं सफेद प्रदर हो गया है। ऑपरेशन करवाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है, उठते-बैठते समय आँखों के आगे अंधेरा छा जाता है, छाती व पीठ में दर्द होने लगता है और काम करने की हिम्मत नहीं होती।*

*🚩 जो स्त्रियाँ नसबन्दी-ऑपरेशन करा लेती हैं उनका स्त्रीत्व अर्थात् गर्भ धारण करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। ऐसी स्त्रियों का दर्शन भी अशुभ है, अपशकुन है।*

*🚩 नसबन्दी ऑपरेशन कराना व्यभिचार को खुला अवसर देना है, जो बड़ा भारी पाप है। पशुओं की बलि देने, वध करने को 'अभिचार' कहते हैं। उससे भी जो विशेष अभिचार होता है उसे 'व्यभिचार' (वि + अभिचार) कहते हैं।*

*🚩 परिवार नियोजन के दुष्परिणाम भुगतने के बाद अनेक देशों ने संतति-निरोध पर प्रतिबन्ध लगा दिया और जनसंख्या वृद्धि के उपाय लागू कर दिये।* 

*🚩 जर्मनी की सरकार ने संतति-निरोध के उपायों के प्रचार एवं प्रसार पर रोक लगा दी और विवाह को प्रोत्साहन देने के लिये विवाह ऋण देने शुरू कर दिये।* 

*🚩 सन् १९३५ में एक कानून बनाया गया, जिसके अनुसार एक बच्चा पैदा होने पर इन्कम टैक्स में १५ प्रतिशत छूट, दो बच्चे होने पर ३५ प्रतिशत, तीन पर ५५ प्रतिशत, चार पर ७५ प्रतिशत, पाँच पर ९५ प्रतिशत और छः बच्चे होने पर इन्कम टैक्स माफ कर देने की बात कही गयी। इससे वहाँ की जनसंख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई।*

*🚩 फ्रांस, इंग्लैण्ड, इटली, स्वीडन आदि देशों ने भी संतति निरोध पर प्रतिबन्ध लगाया। इटली में तो यहाँ तक कानून बना दिया गया कि संतति निरोध का प्रचार एवं प्रसार करनेवाले को एक वर्ष की कैद तथा जुर्माना किया जा सकता है।* 

*🚩 आश्चर्य की बात है कि परिवार नियोजन के जिन दुष्परिणामों को पश्चिमी देश भुगत चुके हैं, उनको देखने के बाद भी भारत सरकार, हिन्दू समाज में इस कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है। विज्ञापन में भी हिन्दू स्त्री और पुरूष संतति निरोध का प्रचार कर रहे हैं। जहाँ से हिन्दू संख्याबल घटेगा, वहाँ से हिन्दू धर्म, हिन्दू संत, गौमाता, तीर्थ व मंदिर सबका विनाश हो जाएगा।*

*विनाशकाले विपरीत बुद्धि ! 🔥🔥*

साइबर क्राइम अलर्ट - सस्ते दर पर ऑन लाइन तत्काल कर्ज देने वालो से रहे सावधान

‼️ *साइबर क्राइम अलर्ट* ‼️
*सस्ते दर पर ऑन लाइन तत्काल कर्ज देने वालो से रहे सावधान*

*इंस्टैंट लोन  देने के लिए इंस्टेंट लोन एप्लीकेशन इंस्टाल कराकर चुराते  है मोबाइल से डेटा*

 *पुलिस में रिपोर्ट करने ,व रिकार्ड खराब करने की धमकी देकर करते है वसूली*

अगर आपको पैसे की जरूरत है ,आप लोन लेना चाहते है ,और अगर ऑनलाइन लोन लेने के बारे में  सोंच रहे है तो  सावधान हो जाइए।
मिनटों में लोन देने वाले ऐप्स के झांसे में आकर लोग बर्बाद हो रहे हैं
असल में पूरा एक गिरोह लोगो को ठगने में लगा हुआ है !भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  ने भी इंस्टेंट लोन एप्लीकेशन से बचने हेतु अलर्ट जारी किया है ।

एक पूरा एक गैंग है, जिसमें ज्यादा अनाधिकृत लोग लगे हैं जिन्हें रिजर्व बैंक से लोन देने का अधिकार नहीं मिला है, इसके बावजूद वे खुलेआम मिनटों में लोन का ऑफर देकर लोगों को फंसा रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान से ये सारे एप्लीकेशन एक्टिवेट हुए है ,और पैसों की कमी से जूझ रहे लोगो को सस्ते दर पे लोन मुहैया कराने का झांसा देकर अपने जाल में फंसा रहे है।
 
गैंग द्वारा कस्टमर  से तीन महीने का बैंक स्टेटमेंट, आधार कार्ड या पैन कार्ड की कॉपी लेकर तुरंत यानी कुछ मिनटों में ही लोन दे दिया जाता है। जिसे चुकाने के लिए निश्चित समयावधि ढ़ी जाती है ,अगर एक एप्लीकेशन से ली गई लोन आप चुका नही पाते तो दूसरी एप्लीकेशन का नाम बता कर उसे इंस्टाल करा कर उससे लोन लेकर पिछले लोन की भरपाई करने को कहा जाता है।
ग्राहक को गूगल प्ले स्टोर से एप्लिकेशन को डाउनलोड करने को कहा जाता है ,ऐप्प को इंस्टाल करते समय ग्राहक , पर्सनल डिटेल (जैसे फोटो गैलरी) और कॉन्टैक्ट लिस्ट साझा करने की परमिशन ऍप्लिकेशन को दे देते है ,जिससे ग्राहक के मोबाइल की पूरी डाटा सारे संपर्क नम्बर सहित चुरा लिया जाता है ,और ग्राहक को लोन दे दिया जाता है।।
ग्राहक को विश्वास में लेते है कि उनके अच्छे सिबिल स्कोर रिकार्ड के कारण ही उनको लोन दिया जा रहा है।

ये लोन देने के बाद  30 से 35 % का सालाना ब्याज तो लेते है ,साथ ही समय पर रकम वापस प्रति दिन 3,000 रुपये तक की पेनाल्टी की रकम भी वसूलते है ।ये खुद ही लोन के पैसा वापस देने के लिए दूसरे लोन ऍप्लिकेसन की जानकारी देते है और उनसे लोन लेने के लिए उत्प्रेरित करते है।

बहुत ही काम समय मे इनके द्वारा 1 हजार से लेकर 50 हजार तक लोन दे दिया जाता है  बाद में , इनके रिकवरी एजेंट लोगों को प्रताड़ित करते है  यहां तक कि ये कंपनियां लोन लेने वाले लोगों के पर्सनल डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर कर उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देने की धमकी फ़ोन से देते है कस्टमर के मोबाइल से एप्प इंस्टाल करा कर  चुराए हुये मोबाइल डेटा ,कांटेक्ट डिटेल के सारे लोगो को फोन कर परेशान भी किया जाता है। और इतने सामाजिक अपमान से क्षुब्ध होकर कई  लोग गलत दिशा में कदम तक उठा लेते है।

कस्टमर को बार बार फ़ोन कर परेशान किया जाता है. फिर उनके परिवार के सदस्यों को फोन कर धमकाया जाता है और गालियां दी जाती हैं. इसके बाद भी अगर कोई लोन नहीं चुका पाता तो उसके कॉन्टैक्ट लिस्ट के लोगों, दोस्तों को फोन कर, उन्हें व्हाट्सऐप मैसेज भेजकर ग्राहक को अपमानित किया जाता है ।जो इनके काम करने का तरीका है, फर्जी लीगल नोटिस भी भेजी जाती है।

प्रोसेसिंग फीस और जीएसटी के नाम पर बड़ी रकम काट देते है।
यदि कोई 5 हजार रुपये का लोन ले रहा है तो उससे प्रोसेसिंग और जीएसटी के नाम पर 1180 रुपये तक की रकम काटकर महज 3,820 रुपये दिए जाते हैं।कर्जदार के कॉन्टैक्ट लिस्ट के लोगों को फोन कर उसे बदनाम कर देते हैं
परेशान होकर कर्ज लेने वाले कई लोग जान तक देने के लिए उतारू हो जाते है

*कुछ इंस्टेंट लोन ऍप्लिकेशन*

Bright cash 
Gold mal
Cash park
Lendmall
Cashbus
Helo loan
Small lone
Koco cash
Enjoy loan
Rupeeslend
Cashfish

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार
'ग्राहकों को कभी भी केवाईसी दस्तावेजों की प्रति बगैर पहचान वाले व्यक्ति, अनाधिकृत ऐप को नहीं देना चाहिए और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए इस तरह के ऐप और बैंक खाते की जानकारी अधिकृत एजेंसी को देनी चाहिये ।

लोन रजिस्टर्ड NBFC से मिल रहा है या नही रिजर्व बैंक की वेबसाइट से पंजीकृत एनबीएफसी का नाम और पता जाना जा सकता है और पोर्टल के माध्यम से इकाइयों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

*क्या करें*

ग्राहकों को लोन लेने के लिए सुरक्षित ,अधिकृत फाइनेंसियल बॉडीज का चुनाव करना चाहिए ,जो आरबीआई से पंजीकृत हो ,किसी भी  अनजान ऍप्लिकेशन के माध्यम से लोन लेना घातक हो सकता है ,ऐसी किसी भी प्रकार की घटना होने पर नजदीकी पुलिस थाने अथवा साइबर सेल से तत्काल संपर्क करें।

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

यह कैसे हो सकता है कि "शिवस्वरूप भगवान शंकर बाबा अमरनाथ" के रूप मे हमारे पास हो और "शक्तिस्वरूपा भगवती माँ शारदा बार्डर के उस पार पीओके मे हो?

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कल क्या कहा जान लीजिए....!




उन्होंने कहा....यह कैसे हो सकता है कि "शिवस्वरूप भगवान शंकर बाबा अमरनाथ" के रूप मे हमारे पास हो और "शक्तिस्वरूपा भगवती माँ शारदा बार्डर के उस पार पीओके मे हो?"

हमने 370 यूं ही नही हटाई "मां शारदा को बाबा अमरनाथ के करीब लाने का वायदा" हमने इस देश की जनता से किया है..
"शक्तिपीठ माँ शारदा और मार्तंड तीर्थ" कश्मीर की नही पूरे देश की आत्मा है..
कश्मीर की धरती पर "पीओके स्थित मां शारदा पीठ को लाने का एलान" क्या यूं ही कर दिया रक्षामंत्री ने?

हम ऐसा नही मानते..!!

याद कीजिए 370 हटाते हुए मोटा भाई संसद मे दहाडते हुए कहा था "पीओके हमारा है,माँ शारदा हमारी है और एक दिन हम पीओके लेकर रहेंगे" 

तो क्या कश्मीर की धरती पर "शारदा पीठ लेने की ललकार पाकिस्तान को बड़ी धमकी है?"

क्या मोदी 2 के आखिरी बर्षो का तयशुदा ऐजेंडा है?

राजनाथ सिंह का कद मोदी मंत्रिमंडल मे मोदी के बाद दूसरा है..

तो जाहिर है माँ शारदा और बाबा अमरनाथ को जोड़ने की बात उन्होंने यूं ही नही कह दी?

माना जा सकता है कि अगले आम चुनाव से पहले भारत सरकार कश्मीर वापस लेने का यह ऐजेंडा भी पूरा कर लेना चाहती हो..यह सबको पता है कि इस देश मे यह काम केवल मोदी के जमाने मे ही संभव है....................मोदी के मुकाबले विपक्ष के जितने नेता अगला पीएम बनने का ख्वाब देख रहे है उनमें से किसी मे भी ऐसा माद्दा नही है जो पीओके ले सके............आजादी के बाद लोगो ने आधा कश्मीर पाकिस्तान को कब्जाने तो दिया परन्तु उसे वापस लाने की बात किसी ने नही की..
पीओके की बात तो दूर किसी ने 370 जैसी अमानवीय और असंवैधानिक धारा को हटाने का ख्वाब तक नही देखा..कश्मीर के हिन्दूओं के 50 हजार मंदिर आजाद भारत मे तोडे गए इन्हे आक्रांताओं ने नही हमारे अपने देश के कश्मीरी आतंकियों ने तोडा......................राजनाथ सिंह यदि "शारदापीठ यानि शक्ति को अमरनाथ यानि शिव से जोडने की बात श्रावण मास मे कर रहे है"तो अर्थ
समझिए, सब जानते है कि कांवड यात्रा चल रही है हरिद्वार से ही अब तक लाखों करोड़ो कांवडियें देश के विभिन्न राज्यों की ओर निकल पड़े है..
"कल्पना किजिए अगली कांवड़ यात्रा का जलाभिषेक यदि कश्मीर के शिवालयों मे हो जाय तो?"

वैसे यह एक महज भाव है, योजना नही..हम जानते है कि दुनियां की सबसे बहादुर फौजों मे से एक हमारी फौजें पीओके लेने मे पूरी तरह सक्षम है"

यह आप भी जानते है कि पीओके उसी तरह वापस आयेगा जिस तरह बंग्लादेश बनाया गया था..........
.........अब सावन के महीने मे यदि शिवभक्ति की बात चल ही पड़ी है तो यकीन मानिए,जल्द ही अंजाम तक पहुंचेगी भी,शायद बहुत जल्दी ही..संघ से भी सांकेत आ चुका है...कुछ तो अंदखाने मे चल रहा है....कल कारगिल विजय दिवस भी है!

बहरहाल देश के 100 करोड़ लोगो का स्वप्न कभी तो पूरा होना ही है..
"भगवान भोलेनाथ एक दिन यह भी जरूर पूरा करायेंगे" 

जय माँ शारदे...जय बाबा बर्फानी🙏🙏🙏
(साभार ट्विटर)

#वंदेमातरम्

सोमवार, 25 जुलाई 2022

सर्वदोष नाश निवारणा रुद्राभिषेक विधि

, :       🙏श्री गणेशाय नम:🙏    :         ‼️  जय माता दी ‼️

 सर्वदोष नाश निवारणा रुद्राभिषेक विधि



रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं शिव को ही रुद्र कहा जाता है क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप हैं रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं की शिव जी का अभिषेक करना परम कल्याणकारी है.

रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है.

रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि- सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं.

वैसे तो रुद्राभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है परन्तु त्रियोदशी तिथि,प्रदोष काल और सोमवार को इसको करना परम कल्याण कारी है श्रावण मास में किसी भी दिन किया गया रुद्राभिषेक अद्भुत व् शीघ्र फल प्रदान करने वाला होता है.


 रुद्राभिषेक क्या है

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान करना अथवा कराना रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है.


 रुद्राभिषेक क्यों किया जाता हैं? 

रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं.


 रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ?

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे उसी समय माता पार्वती ने मर्त्यलोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मर्त्यलोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है? भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करता है वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए.


रुद्राभिषेक की पूर्ण विधि

पोस्ट में हमने भक्तो की सुविधा हेतु महादेव का आसान लौकिक मंत्रो से पूजन विधि बताई थी पूजा समाप्ति के उपरांत शिव अभिषेक का नियम है इसके लिये आवश्यक सामग्री पहले ही एकत्रित करलें.


 सामग्री

बाल्टी अथवा बड़ा पात्र जल के लिये संभव हो तो गंगाजल से अभिषेक करे। श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) श्रृंगी पीतल एवं अन्य धातु की भी बाजार में सहज उपलब्ध हो जाती है
लोटा आदि रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है यह पंचामृत से की जाने वाली पूजा है इस पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है प्रभावशाली मंत्रो और शास्त्रोक्त विधि से विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूजा को संपन्न करवाया जाता है इस पूजा से जीवन में आने वाले संकटो एवं नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है ब्राह्मण के अभाव में स्वयं भी संस्कृत ज्ञान होने पर रुद्राष्टाध्यायी के पाठ से अथवा अन्य परिस्थितियों में शिवमहिम्न का पाठ करके भी अभिषेक किया जा सकता है.


 रुद्राभिषेक से लाभ

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा। रुद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है जो की इस प्रकार से हैं.


   ,🛑 रुद्राभिषेक कीस प्रकार करे 🛑

 जल से अभिषेक

हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें

सर्वप्रथम भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें तत्पश्चाततांबे को छोड़ अन्य किसी भी पात्र विशेषकर चांदी के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें,  ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें.


 दूध से अभिषेक



शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें
भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें.

अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। खासकर तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए इससे ये सब मदिरा समान हो जाते हैं तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक बिल्कुल वर्जित होता है। क्योंकि तांबे के पात्र में दूध अर्पित या उससे भगवान शंकर को अभिषेक कर उन्हें अनजाने में आप विष अर्पित करते हैं पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें.


 फलों का रस

अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें.
भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें, शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें.


 सरसों के तेल से अभिषेक



ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें.

भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें फिर ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें  ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें,  शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें.


 चने की दाल
किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें.



भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें फिर ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें,  ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें,  पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए

-ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें.

 काले तिल से अभिषेक



तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें इसके लिये सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए -ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें.


 शहद मिश्रित गंगा जल



संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।

सबसे पहले भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें अभिषेक करते हुए -ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा’ का जाप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।


 घी व शहद



रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करे

इसके लिये सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें फिर ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा” का जाप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें.


 कुमकुम केसर हल्दी

आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें
सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-‘ॐ नम: शिवाय’ फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें. अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा’  शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें


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