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मंगलवार, 11 अक्टूबर 2022

आयुर्वेद मे अमृत (सर्दी मे ईश्वर का वरदान) ज्योतिष्मति (मालकंगनी)

 

आयुर्वेद मे अमृत (सर्दी मे ईश्वर का वरदान)
ज्योतिष्मति (मालकंगनी)


पूरा समझने के लिए 2 बार पढे। लेख बहुत लम्बा है इसलिए इसे प्रिंट करवा कर रख ले,
यदि आज बाजार मे मिलने वाले जीतने भी टॉनिक है (च्यवन प्राश, होर्लिक्स, बोर्नविटा, बूस्ट, बॉडी बिल्डिंग के सप्लीमेंट्स आदि ) यदि उन सब को भी बराबर मे रख दिया जाए तो हजारो रुपए के ये टॉनिक मालकंगनी के सामने कुछ नहीं। सर्दी मे इसके समान टॉनिक दूसरा कोई नहीं है। गरीब के लिए सोना चांदी च्यवनप्राश से हजार गुना बेहतर है तो पढे लिखे मूर्ख के लिए होर्लिक्स से हजार गुणा गुणकारी। समस्या यह है कि आयुर्वेद के महर्षियों द्वारा बताए गए इस अमृत का कोई अधनंगी हीरोइन विज्ञापन नहीं करती। इसलिए पढे लिखे मूर्खो को गुण नहीं लगता। पढे लिखे धनपशु मानते है कि जब तक कोई औरत टेलीविज़न पर कपड़े उतार कर कुछ ना बेचे तब तक वह चीज बेकार है। ईश्वर ने सृष्टि मे निर्धनों के लिए भी अमृत का निर्माण कर रखा है। जैसे ईश्वर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता उसी तरह ईश्वर का वरदान यह मालकंगनी भी अमीर गरीब सभी को लाभ पहुंचाती है।
इस लेख को लिखने मे मेरा वर्षो का अनुभव और परिश्रम लगा है। इसलिए फीस पर मेरा हक बनता है। मेरी फीस के लिए अवारा गाय को चारा खिलाए या निकट की गौशाला मे कुछ दान जरूर दे। यदि कोई गौशाला कुछ सामन बनाती है तो उसे जरुर ख़रीदे व् दूसरों को खरीदने को कहे. साथ मे महर्षि दयानन्द लिखित सत्यार्थ प्रकाश को पढे व अपने परिचितों को उपहार मे दे। यदि आप बिना फीस के प्रयोग करोगे तो समझिए आप चोरी कर रहे हैं।
यह एक पौधे के बीज हैं जो पूरे भारत मे सभी जड़ी बूटी वाले के यहाँ आसानी से मिल जाते हैं। इनमे एक गाढ़ा गहरे पीले रंग का तेल होता है। यह बहुत कड़वा होता है। यह सभी आयुर्वेदिक दवाई बेचने वालो की दुकान पर मिलता है। रोगन मालकांगनी/ मालकंगनी तेल/ ज्योतिष्मती तेल के नाम से मिलता है.
भिन्न भिन्न भाषाओं मे-
संस्कृत- ज्योतिष्मति – जो मति अर्थात बुद्धि को चमका दे
हिन्दी, उर्दू तथा अधिकांश
भारतीय भाषाओ मे मालकंगनी
लेटिन -- CELASTRUS PANICULATUS
बाजार मे यह बीज व तेल के रूप मे मिलती है। इन दोनों के गुण समान हैं। क्योंकि तेल बहुत कड़वा होता है इसलिए बीज का ही प्रयोग अधिक किया जाता है। इसके 1 बीज मे 6 छोटे बीज होते हैं। इसलिए जब मात्रा 1 बीज कही जाए तो उसका अर्थ है चने के आकार का बीज जिसमे 4-6 छोटे बीज होते हैं।
इसका प्रयोग किसे नहीं करना चाहिए –
1- जिसे भी स्थायी एनीमिया (Anemia) है वह इसका प्रयोग बिलकुल ना करे नहीं तो बहुत नुकसान होगा। जैसे थेलिसिमिया, परनीसियस एनीमिया, सिकल सेल एनीमिया, एडिसन डीजीज आदि।
2- व्याभिचारी बदचलन युवक युवती भी इससे दूर रहे। इसके सेवन करते समय संयम की जरूरत है। संयमी को ही इसका पूरा लाभ मिलता है।
3- जिसे शरीर के किसी भी हिस्से से खून बहता है या 1 साल के अंदर इस समस्या से पीड़ित रहा है वह इसका प्रयोग ना करे।
4- जिसे पेट मे अल्सर या अम्लपित्त है वह प्रयोग ना करे।
5- जिसे 1 साल के भीतर पीलिया (हेपटाइटिस) हुआ है वह इसका प्रयोग ना करे।
6- जिसे गहरे पीले रंग का मल आता है और बार बार शौच के लिए जाना पड़ता है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
7- जिसे KIDNEY गुर्दे का कोई रोग है या शरीर पर सूजन है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
8- जिसे इस्नोफिलिया है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
9- जिसके मुंह मे बार बार छाले हो जाते है जो एक्जीमा, सोराइसिस या खुजली से ग्रस्त हैं वह भी इसका प्रयोग ना करे।
10- गर्भवती स्त्री पर इसका कोई अनुभव नहीं है इसलिए गर्भवती इसका प्रयोग ना करे।
उपयोग-
1 इसका सबसे बड़ा उपयोग – आयुर्वेद मे जो बुद्धि बढ़ाने वाली दवाइयाँ हैं उनमे यह मालकंगनी भी है। विद्यार्थियो के लिए सर्दी मे यह अमृत है। च्यवन प्राश, कोड लीवर आयल आदि इसके सामने कोई गुण नहीं रखते। प्राचीन वैद्यो ने इसके स्मृति /याददाश्त/ मेमोरी बढ़ाने वाले गुण की बहुत प्रशंसा की है। दिमाग का अधिक प्रयोग करने वाले व् अधिक बोलने वाले जैसे अध्यापक, वकील, चिकित्सक आदि को इसका प्रयोग जरुर करना चाहिए. इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है
2 डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगो मे इसका बहुत अच्छा प्रभाव है। डिप्रेशन जैसे अनेक मानसिक रोगो मे मालकंगनी से तत्काल लाभ होता है। मनोरोग की एलोपैथी दवाइया प्रायः नींद को बढ़ाती है, परंतु यह नींद को सामन्य ही रखती है। सभी साइकोएक्टिव दवाइया (मानसिक रोगो की अङ्ग्रेज़ी दवाइया) सुस्ती लाती है, आँख, कान की शक्ति को कम करती है कमजोरी लाती है और खून की कमी कर देती है परंतु इसमे एसी कोई समस्या नहीं है। इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है
3 - नजले जुकाम, बार बार होने वाले जुकाम, मौसम बदलते ही होने वाले जुखाम, सारी सर्दी बने रहने वाले जुकाम मे चमत्कार दिखाती है। जो भी नजले, जुखाम से परेशान है वह इसका प्रयोग जरूर करे। कुछ दिन प्रयोग करने से 1 साल तक समस्या से मुक्ति पा लेंगे। बहुत से व्यक्ति जिन्हे बड़े अस्पतालो के ENT के विशेषज्ञो ने कह दिया था कि सारी उम्र दवाई खानी होगी उन्हे इससे कुछ ही दिन मे मुसीबत से मुक्ति मिल गई । यह ना सोचे कि हमने तो बड़े अस्पतालो मे हजारो रुपए के टेस्ट करवा लिए हजारो की दवाई खा चुके हमे कुछ नहीं हुआ तो इससे क्या होगा। तो एक बार जरूर आजमाए। जो वैद्य केवल स्वर्ण भस्म, मकरध्वज, सहस्रपुटी अभ्रक भस्म और मृगाक रस जैसी कीमती दवाइयो को ही आयुर्वेद मानते है एक बार वह ही इसका चमत्कार देखे। जो इन महंगी दवाइयो से ठीक ना हुए हो वह भी इस मामूली सी दवाई से ठीक हो जाएगे। इसी तरह बार बार होने वाली खांसी व् मौसम बदलते ही छाती में भारीपन भी इससे ठीक हो जाता है.
4 -जो व्यक्ति सर्दी मे प्रतिदिन सुबह घर से निकलते है वह इसका प्रयोग जरूर करे। जिसे सर्दी अधिक सताती है वह भी इसका जादू जरूर देखे। यह शरीर मे सर्दी सहन करने की क्षमता को बहुत अधिक बढ़ा देती है।
5 – जो बहुत जल्दी थक जाते है जिसे लगता है आधा दिन काम करने के बाद ही सारा शरीर दर्द कर रहा है जो बार बार चाय पीकर थकावट को दूर करने की कोशिश करते हैं उनके लिए यह आयुर्वेद की संजीवनी बूटी है। 10 दिन प्रयोग करने के बाद शरीर मे थकावट महसूस नहीं होगी।
6 जिन्हे तनाव से या नजले से या किसी भी कारण से सिर मे दर्द रहता है वह भी इसके प्रयोग से लाभ उठाए।
7 सर्दी में जिनके पैर ठन्डे हो जाते हैं व रात को सोते समय बिस्तर में भी जल्दी से गर्म नहीं होते वह इसे जरुर ले.
8 सर्दी में जिनके हाथों या पैरों की अंगुलिया सुन्न हो जाती हैं वह भी जरुर प्रयोग करे.
9 सर्दी में जिनके हाथ पैर या कंधे के छोटे या बड़े जोड़ अकड जाते हैं और हाथ पैर मोड़ने में जिन्हें समस्या होती है वह जरुर प्रयोग करे.
10 मंदबुद्धि बच्चे जिनकी आयु 5 साल से अधिक है उन्हें सर्दी में मालकंगनी व गर्मी में शंखपुष्पी दूध से दे. इस तरह 2-3 साल देने से बहुत से बच्चे ठीक हो जाते हैं. लाभ सभी को होता है. 5 साल के कम उम्र वालो को केवल शंखपुष्पी दे. बच्चो को दवाई की मात्रा उम्र के अनुसार कम दे.
11 जो व्यक्ति बार बार बीमार होते हैं व कमजोर हैं तथा ज़रा सा चलते ही सांस फूल जाती है वह भी इसका प्रयोग जरुर करे.
मात्रा व प्रयोग करने का तरीका –
बीज या तेल में से किसी भी चीज को प्रयोग कर सकते है. लाभ बराबर हैं.
तेल- 2 बूंद से 8 बूंद तक दिन में 2 बार 1 कप गर्म दूध से. ध्यान रहे यह तेल बहुत अधिक कड़वा है इसलिए जो कड़वी दवाई ना ले सके वह इसे ना ले.
बीज- इसके बीज लाकर साफ़ कर ले. फिर 100 ग्राम बीज को 2 चम्मच देशी में भून कर पीस ले. इतना ना भुने कि जल जाए. पीस कर बंद डिब्बे में रख दे. बच्चों के लिए इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला दे. आधा चम्मच दिन में 2 बार दूध से ले. जो घर से बाहर रहते हैं वह पानी से भी ले सकते हैं. यदि गर्मी लगे तो मात्रा कम कर दे. इसके साबुत बीज का प्रयोग किया जा सकता है. 1 से 4 बीज तक प्रतिदिन दूध या पानी से 2 समय ले.
जोड़ों के दर्द , कमर के दर्द, गर्दन जकड जाना, रीढ़ की हड्डी की में जकडन, कंधे का ना मुड़ना आदि दर्दो में इसके तेल को गर्म करके मालिश करे. मालिश के 2 घंटे बाद तक ठण्डा पानी ना पिए.

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