संदिग्ध पर्व (रक्षाबंधन) शंका समाधान
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रक्षा बन्धन का शास्त्रीय निर्णय 👉
गतवर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबन्धन
पर्व अल्पकालिन होगा। शास्त्रानुसार यह पर्व भद्रा रहित अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में करना चाहिए। भारत के कुछ प्रदेशों में यह पर्व उदय व्यापिनी पूर्णिमा में मनाने का प्रचलन है। इस वर्ष 19 अगस्त को प्रातः कॉल से दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक भद्रा दोष पाताल में व्याप्त है। अत: शास्त्र निर्णय अनुसार 19 अगस्त सोमवार को ही भद्रा के बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से अथवा प्रदोष काल के समय भद्रा रहित काल में सायं 06 बजकर 53 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक रक्षाबन्धन पर्व मनाया जायेगा। अति आवश्यक परिस्थिति में परिहार स्वरूप प्रातः 10:51 से 12:36 तक के समय को छोड़कर भद्रा पुच्छकाल प्रातः 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक में भी रक्षाबन्धन करना कुछ मर्यादा तक ग्राह्य रहेगा।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 👉 अगस्त 18, को अंतरात्रि 03:03 बजे से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त अगस्त 19 को रात्रि 11:55 पर।
भद्रा अन्त समय 👉 दिन 01:31
भद्रा पूँछ 👉 प्रातः 09:51 से 10:52
भद्रा मुख 👉 प्रातः 10:51 से 12:36
मुहूर्त प्रकाश में स्पष्ट ही कहा है कि पाताल की भद्रा शुभ फलदायक ही होती है है लेकिन फिर भी पर्व त्यौहार आदि में इसका त्याग कर सके तो अवश्य करें इसलिए अतिआवश्यक कार्य में मुख मात्र को छोड़कर सम्पूर्ण भद्रा में शुभ कार्य कर सकते हैं। रक्षाबंधन से पहले इस दिन प्रातः अथवा दोपहर के समय अपने घर के मुख्य द्वार पर गेरू (खड़िया) अथवा अन्य रूप से रक्षाबंधन का पूजन करते है वो लोग भद्रा पूँछ के समय प्रातः 09:51 से 10:52 तक देहरी पूजन संपन्न कर सकते है।
रक्षा बन्धन के लिये दोपहर का मुहूर्त👉 दिन 01 बजकर 32 मिनट से सायं 04 बजकर 16 मिनट तक।
रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त 👉 सायं 06 बजकर 53 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक।
रक्षाबंधन के विशेष उपाय
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यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य परेशानी में हो तो निम्न उपाय करना चाहिए।
रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लेवे।
उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार लगातार उल्टा उसार देवे। फिर उसी वक्त उस सामग्री को गर्म तवे पर डाल कर ऊपर से कटोरी उल्टी रखे। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये तब नीचे उतार लेवे व चौराहे पर किसी से फिकवां देवे। खुद नही फेके।
ध्यान रहे सरसो व लोंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप शादी सुदा है तो । अन्यथा खुद ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम मे नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे ना रखें तुरंत बाहर ले जाएं। इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करे।
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