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मंगलवार, 3 सितंबर 2024

सभी वरिष्ठ एवं अतिवृष्ट नागरिक भाइयों 55-80 से ऊपर की उम्र के, कृपया आप इसे अवश्य पढे। हो सकता है ये आपके जरूर काम आए..

सभी वरिष्ठ एवं अतिवृष्ट नागरिक भाइयों 55-80 से ऊपर की उम्र के, कृपया आप इसे अवश्य पढे। हो सकता है ये आपके जरूर काम आए.. 

           *आप जानते है कि आपका मन चाहे कितना ही जोशीला हो, साठ की उम्र पार होने पर भी यदि आप अपने आप को फुर्तीला ओर मन से ताकतवर समझते हो, लेकिन वास्तव में ढलती उम्र के साथ तन उतना ताकतवर ओर फ़ुर्तीला नहीं रह जाता।*

आपका शरीर ढलान पर होता है, जिससे ‘हड्डियां व जोड़ कमज़ोर होते है, पर *कभी कभी मन भ्रम बनाए रखता है कि ‘ये काम तो चुटकी में कर लूँगा’।* पर बहुत जल्दी सच्चाई सामने आ जाती है । मगर एक नुक़सान के साथ।

सीनियर सिटिज़न होने पर जिन बातों का ख़्याल रखा जाना चाहिए, ऐसी कुछ टिप्स दे रहा हूं। 

 -- *धोखा तभी होता है जब मन सोचता है ‘कर लूंगा’ और शरीर करने से ‘चूक’ जाता है। परिणाम एक एक्सीडेंट और शारीरिक क्षति!*

ये क्षति फ़्रैक्चर से लेकर ‘हेड इंज्यूरी’ तक हो सकती है। 
यानी कभी कभी जान लेवा भी हो जाती है।

-- *इसलिए जिन्हें भी हमेशा हड़बड़ी में रहने और काम करने की आदत हो, बेहतर होगा कि वे अपनी आदतें बदल डालें।*

*भ्रम न पालें, सावधानी बरतें क्योंकि अब आप पहले की तरह फ़ुर्तीले नहीं रह जाते हैं।*

छोटी सी चूक भी कभी बड़े नुक़सान का कारण बन जाती है।

-- *सुबह नींद खुलते ही तुरंत बिस्तर छोड़ खड़े न हों, क्योंकि आँखे तो खुल जाती है मगर शरीर व नसों का रक्त प्रवाह पूर्ण चेतन्य अवस्था मे नही हो पाता ।*

अतः पहले बिस्तर पर कुछ मिनट बैठे रहें और पूरी तरह चैतन्य हो लें। 

कोशिश करें कि बैठे बैठे ही स्लीपर/ चप्पलें पैर में डाल लें या खड़े होने पर मेज़ या किसी सहारे को पकड़कर ही चप्पलें पहनें। 

अक्सर यही समय होता है डगमगा कर गिर जाने का।

-- गिरने की सबसे ज़्यादा घटनाएँ बॉथरूम/वॉशरूम या टॉयलेट में ही होतीं हैं। 

आप चाहे अकेले, पति/पत्नी के साथ या संयुक्त परिवार में रहते हों, बॉथरूम में अकेले ही होते हैं।

-- *यदि आप घर में अकेले रहते हों, तो अतिरिक्त सावधानी बरतें क्योंकि गिरने पर यदि उठ न सके तो दरवाज़ा तोड़कर ही आप तक सहायता पहुँच सकेगी, वह भी तब, जब आप पड़ोसी तक समय से सूचना पहुँचाने में सफल हो सकेंगे।*

— *याद रखें बाथरूम में भी मोबाइल साथ हो ताकि वक़्त ज़रूरत काम आ सके।*

-- देशी शौचालय के बजाय हमेशा यूरोपियन कमोड वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें ! 

यदि न हो, तो समय रहते बदलवा लें, ज़रूरत पड़नी ही है, चाहे कुछ समय बाद।

 संभव हो तो कमोड के पास एक हैंडिल लगवा लें !

 कमज़ोरी की स्थिति में ये ज़रूरी हो जाता है।

बाजार में प्लास्टिक के वेक्यूम हैंडिल भी मिलते हैं, जो टॉइल जैसी चिकनी सतह पर चिपक जाते हैं, पर *इन्हें हर बार इस्तेमाल से पहले खींचकर ज़रूर परख लें।*

-- *हमेशा आवश्यक ऊँचे स्टूल पर बैठकर ही नहायें।*

 बॉथरूम के फ़र्श पर रबर की मैट ज़रूर बिछा रखें ताकि आप फिसलन से बच सकें।

-- *गीले हाथों से टाइल्स लगी दीवार का सहारा कभी न लें, हाथ फिसलते ही आप ‘डिसबैलेंस’ होकर गिर सकते हैं।*

-- बॉथरूम के ठीक बाहर सूती मैट भी रखें जो गीले तलवों से पानी सोख ले।
 कुछ सेकेण्ड उस पर खड़े होकर फिर फ़र्श पर पैर रखें वो भी सावधानी से। 

-- *अंडरगारमेंट हों या कपड़े, अपने चेंजरूम या बेडरूम में ही पहनें।अंडरवियर, पजामा या पैंट खडे़ खडे़ कभी नहीं पहनें।*

 हमेशा दीवार का सहारा लेकर या बैठकर ही उनके पायचों मे पैर डालें, फिर खड़े होकर पहनें, वर्ना दुर्घटना घट सकती है।

 *कभी कभी स्मार्टनेस की बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ जाती है।*

-- आप अपनी दैनिक ज़रूरत की चीज़ों को नियत जगह पर ही रखने की आदत डाल लें, जिससे उन्हें आसानी से उठाया या तलाशा जा सके।

*भूलने की ज़्यादा आदत हो, तो आवश्यक चीज़ों की लिस्ट मेज़ या दीवार पर लगा लें, घर से निकलते समय एक निगाह उस पर डाल लें, आसानी रहेगी।*

-- जो दवाएँ रोज़ाना लेनी हों, उनको प्लास्टिक के प्लॉनर में रखें जिससे जुड़ी हुई डिब्बियों में हफ़्ते भर की दवाएँ दिन वार रखी जाती हैं।

*अकसर भ्रम हो जाता है कि दवाएँ ले ली हैं या भूल गये।प्लॉनर में से दवा खाने मे चूक नहीं होगी।*

-- *सीढ़ियों से चढ़ते उतरते समय, सक्षम होने पर भी, हमेशा रेलिंग का सहारा लें, ख़ासकर ऑटोमैटिक सीढ़ियों पर।*

ध्यान रहे आपका शरीर आपके मन का अब *ओबीडियेंट सर्वेंट* नहीं रहा।

— बढ़ती आयु में कोई भी ऐसा कार्य जो आप सदैव करते रहे हैं, उसको बन्द नहीं करना चाहिए। 

कम से कम अपने से सम्बन्धित अपने कार्य स्वयं ही करें।

— *नित्य प्रातःकाल घर से बाहर निकलने, पार्क में जाने की आदत न छोड़ें, छोटी मोटी एक्सरसाइज भी करते रहे। नहीं तो आप योग व व्यायाम से दूर होते जाएंगे और शरीर के अंगों की सक्रियता ओर लचीला पन कम होती जाएगी। हर मौसम में कुछ योग-प्राणायाम अवश्य करते रहें।*

— *घर में या बाहर हुक्म चलाने की आदत छोड़ दें। अपना पानी, भोजन, दवाई इत्यादि स्वयं लें जिससे सक्रियता बनी रहे।*

 बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की सहायता लेनी चाहिए। 

— *घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ अधिक समय बिताएं, लेकिन उनको अधिक टोका-टोकी न करें। उनको प्यार से सिखायें।*

-- *ध्यान रखें कि आपको सबसे एडजस्ट करना है न कि सबको आपसे।*

-- इस एडजस्ट होने के लिए चाहे, बड़ा परिवार हो, छोटा परिवार हो, या कि पत्नी/पति हो, मित्र हो, पड़ोसी या समाज।

*एक मूल मंत्र सदैव उपयोग करें।*    
    
1. *नोन* अर्थात स्वाद पर नियंत्रण रखें।   

2. *मौन* कम से कम एवं आवश्यकता पर ही बोलें।   

3. *कौन* अपनी दखलंदाजी कम कर दें।                 

*नोन, मौन, कौन* के मूल मंत्र को जीवन में उतारते ही *वृद्धावस्था* प्रभु का वरदान बन जाएगी जिसको बहुत कम लोग उपभोग कर पाते हैं। 

*कितने भाग्यशाली हैं आप, इसको समझें।*

*कृपया इस संदेश को घर, रिश्तेदारों, आसपड़ोस के वरिष्ठ सदस्यों को भी अवश्य प्रेषित कीजिये।*
आपका 

जय श्री राम जय श्री कृष्णा
🙏🏻 🙏🏻

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