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शनिवार, 16 अप्रैल 2011

माँ की ममता का कोई क्या क़र्ज़ चुकाएगा

माँ से बड़ा दुनिया में
कोई हो न पायेगा माँ की ममता का कोई क्या क़र्ज़ चुकाएगा


अनमोल रतन
हमको माँ दुनिया से प्यारी है
देवी के जैसे हमको माँ ये हमारी है

माँ के आँचल में हर कोई जन्नत पायेगा
माँ की ममता का कोई क्या क़र्ज़ चुकाएगा
हर कोई बेटा बेटी माँ के साथ रहे ...
माँ की बातों का
कभी शिकवा न करे

जुल्म करेगा माँ पे जो वो दोजग जायेगा
माँ की ममता का कोई क्या क़र्ज़ चुकाएगा
जाने कितने दुःख सहकर माँ हमको पालती
माँ की ही ममता हर दुःख को है टालती
माँ छोड के सागर कुछ न कर पायेगा
माँ की ममता का कोई क्या क़र्ज़ चुकाएगा

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