जय
श्री कृष्णा जेसा की सर्वविदित है की सांवरिया एवं स्वाति नक्षत्र ग्रुप
ने मिलकर दिवाली पर फटाके न फोड़ के दिवाली को प्रदुषण मुक्त करने का जो कदम
उठाया है और साथ ही एसे फिजूल के खर्चो का सही उपयोग करके गरीबों और
जरुरतमंदो की जरूरतों को पूरा करने हेतु लगाने का जो उद्देश्य पर एकमत होकर
निराश्रितों और जरुरतमंदो को मिठाई या जरुरत की वस्तुए वितरित करने का
निर्णय किया है और इस कार्य हेतु पुरे देश से कई धर्मप्रेमी
सहयोगियों ने दिल खोल के सहयोग करने की घोषणा भी की है जो सराहनीय है उन
सभी धर्मप्रेमी और नेक कार्य में सहयोग करने वाले सज्जनों का मैं हार्दिक
अभिनन्दन एवं आभार व्यक्त करता हूँ
इसी के साथ मुझे एक बात और दिमाग में आ रही है वो ये की सांवरिया का जो उद्देश्य है सम्पूर्ण भारत में गरीबी को ख़त्म करना/ निराश्रितों को अपने पैरो पर खड़ा करना आदि तो क्या हम इसके विरुद्ध कार्य तो नहीं कर रहे ?
क्या हम उन्हें(गरीबों) जानबूझकर आलसी और सेवा के नाम पर कार्य करने वाले लोगो की मुफ्त की सेवा का स्वाद तो नहीं लगा रहे ?
क्षमा चाहता हूँ पर मुझे एसा ही लगा इसलिए मेने बोला
अब यदि आप जानना चाहते हैं की आखिर में कहना क्या चाहता हूँ ?
तो मैं ये चाहता हूँ की जो मदद हम जरुरतमंदो की करने जा रहे हैं वो तो हमें ही है लेकिन साथ ही क्यों न जरुरतमंदो को देशहित के कार्य जेसे वृक्षारोपण, सार्वजनिक पार्को, स्थानों के रखरखाव का जिम्मा, देश के लिए कुछ अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित कर प्रोत्साहन स्वरुप उन्हें मिठाई या उपहार दिए जाये| इससे उन लोगो में एकता की भावना का विकास होगा| देश हित का कार्य होगा | और यदि संभव हुआ तो उनके लिए संभावित शिक्षा और रोजगार का निर्माण भी किया जा सकता है जो की उन्हें एक करने से ही संभव है |
क्योंकि यदि हम सभी लोग कितना भी चाहे तो इतने बड़े देश में जहाँ रोजाना ३० करोड़ भाई बहिन रोज भूखे सोते हैं सभी को हर दिन के लिए रोटी कपडा और छत अकेले नहीं दे सकते | हमें उन्हें ही एकमत/शिक्षित करके योग्य बनाकर उन्ही के जेसे लोगो के लिए मदद के लिए प्रेरित करना होगा ताकि एक एक कर एक दिन एक भी गरीब बेरोजगार निराश्रित नहीं रहेगा|
और इसी के साथ सभी सहयोगियों को भी अपने इस देश और समाज के लिए हितकर कदम पर गर्व होगा |
संक्षेप में उन्हें मुफ्त के लाभ दीजिये लेकिन एक जिम्मेदारी के साथ देश हित के कार्य में भी भागी बनाकर एक तीर से दो शिकार किये जा सकते हैं
मेरी बातो से यदि सहमत न भी हो तो कोई बात नहीं ये मेरा निजी विचार है जो भविष्य के लिए सोचकर लिखा गया था हम पहले की तरह जो कर रहे है वो तो दीवाली पूर्व सभी जगह सामान रूप से करना ही है
इसी के साथ मुझे एक बात और दिमाग में आ रही है वो ये की सांवरिया का जो उद्देश्य है सम्पूर्ण भारत में गरीबी को ख़त्म करना/ निराश्रितों को अपने पैरो पर खड़ा करना आदि तो क्या हम इसके विरुद्ध कार्य तो नहीं कर रहे ?
क्या हम उन्हें(गरीबों) जानबूझकर आलसी और सेवा के नाम पर कार्य करने वाले लोगो की मुफ्त की सेवा का स्वाद तो नहीं लगा रहे ?
क्षमा चाहता हूँ पर मुझे एसा ही लगा इसलिए मेने बोला
अब यदि आप जानना चाहते हैं की आखिर में कहना क्या चाहता हूँ ?
तो मैं ये चाहता हूँ की जो मदद हम जरुरतमंदो की करने जा रहे हैं वो तो हमें ही है लेकिन साथ ही क्यों न जरुरतमंदो को देशहित के कार्य जेसे वृक्षारोपण, सार्वजनिक पार्को, स्थानों के रखरखाव का जिम्मा, देश के लिए कुछ अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित कर प्रोत्साहन स्वरुप उन्हें मिठाई या उपहार दिए जाये| इससे उन लोगो में एकता की भावना का विकास होगा| देश हित का कार्य होगा | और यदि संभव हुआ तो उनके लिए संभावित शिक्षा और रोजगार का निर्माण भी किया जा सकता है जो की उन्हें एक करने से ही संभव है |
क्योंकि यदि हम सभी लोग कितना भी चाहे तो इतने बड़े देश में जहाँ रोजाना ३० करोड़ भाई बहिन रोज भूखे सोते हैं सभी को हर दिन के लिए रोटी कपडा और छत अकेले नहीं दे सकते | हमें उन्हें ही एकमत/शिक्षित करके योग्य बनाकर उन्ही के जेसे लोगो के लिए मदद के लिए प्रेरित करना होगा ताकि एक एक कर एक दिन एक भी गरीब बेरोजगार निराश्रित नहीं रहेगा|
और इसी के साथ सभी सहयोगियों को भी अपने इस देश और समाज के लिए हितकर कदम पर गर्व होगा |
संक्षेप में उन्हें मुफ्त के लाभ दीजिये लेकिन एक जिम्मेदारी के साथ देश हित के कार्य में भी भागी बनाकर एक तीर से दो शिकार किये जा सकते हैं
मेरी बातो से यदि सहमत न भी हो तो कोई बात नहीं ये मेरा निजी विचार है जो भविष्य के लिए सोचकर लिखा गया था हम पहले की तरह जो कर रहे है वो तो दीवाली पूर्व सभी जगह सामान रूप से करना ही है
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