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शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

खो गया वो भोला सा बचपन, और खो गयी वो दीवाली


रसोई घर के दरवाजे का सहारा लेकर
माँ को देखता था, और राह देखता था कि कब पकवान और मिठाईया बन कर तैयार होंगे? कब दीवाली आएगी?
अब सब कुछ इन पैकेट के फरसाण और पैकेट की मिठाइयों में कही खो गया है
खो गया वो भोला सा बचपन, और खो गयी वो दीवाली

हर त्यौहार पर काफी दिनो पहले सफाई। फिर घर सजाना।और फिर तरह तरह के पकवान।जो दीपावली के बाद काफी दिनो तक चलते थे। शाला जाते समय टिफिन मे यही बची हुई मिठाईयां, शकरपारे,गुजिया कितने अच्छे लगते थे। काश! वह पल फिर से लौट आए और हम बच्चे बन जाये।
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