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शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

शिर्डी संस्थान को भंग करो. पुरानी खबर आज भी हैं असरदार..,क्योंकि देश में हो रहा हैं धर्म का व्यापार.

शिर्डी संस्थान को भंग करो. पुरानी खबर आज भी हैं असरदार..,
क्योंकि देश में हो रहा हैं धर्म का व्यापार.

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देश में कमिटी (COME+EATY) शब्द घातक हैं. आओं खाओं व लूटो..., यह देश में कमिटी का हाल हैं. यदि इसमें राजनितिक तड़का लग जाये, यदि वह धर्म का व्यापार बन जाये तो जनता भी अंधविश्वास से पागल हो जाती है.
इस कमिटी (COME+EATY) ने देश के हिन्दू व मुस्लिम के वफ्फ़ बोर्ड, सिख व इसाई धर्मो की जमीन कब सरका दी. धर्म की आड़ से जनता को पता ही नहीं चलता हैं |
आस्था शब्द का मूल हैं ”आ और स्थापित हो जा”, यदि हमें उसे ग्रहण करने की धनात्मक शक्ति होगी तो पत्थर की आस्था भी हममे समाहित होगी.
शुरू में तो शिर्डी का मंदिर भी धुल फाक रहा था. शिर्डी के साईं बाबा की चमक १९७७ में मनोज कुमार द्वारा बने गई फिल्म शिर्डी के साईं बाबा से बनी. धर्म के नाम से व्यापार का हुजूम शुरू हुआ. १९७५ में जय संतोषी माता फिल्म जो १ लाख से भी कम में बनी थी...इस फिल्म ने आस्था से ७ करोड़ से ज्यादा कमाए, तथा खासकर देश के महिलाओं में यह आस्था धर कर , लोगों में गहरे प्रभाव से मन्नते पुरी हो रही थी ..., तथा मनोज कुमार के फिल्म की चमक ने धीरे –धीरे फीका कर संतोषी माता को पछाड़ दिया.
१९९० के दशक में मीडिया का दौर शुरू हो रहा था , इस प्रचार से, इसका राजनैतिक करण से मुम्बई के शिर्डी के मंदिर ने, आज सिद्धीविनायक मंदिर को भी पछाड़ दिया
आज भी देश में हजारो शिर्डी जैसे आस्थात्मक प्रतीक हैं. वे सुदूर व सड़क क्षेत्र से काफी बाहर हैं..., उनका व्यापारिक व्यवसाय में कठिनाई होने से.., आज भी जनता अनजान है. इसका एक कारण है कि, यदि यह हजारो आस्था के प्रतीक लोगों में श्रद्धा का सबक बने तो देश में तिरुपति, साई बाबा मंदिर व अन्य धनाड्य मंदिरों के दान खटाई में पढ़ जाएँगे. याद रहे आज पद्मानाभन मंदिर दुनिया के अमीर मंदिरों में हैं .., जिसकी संपत्ती का राज हाल में ही खुला है , कारण राजा द्वारा प्रजा की जमा पूंजी को अंग्रेजों के हाथ में न जाने देने व अपने स्वाभिमान से अंग्रेजो के पिछलग्गू नही बनें, नहीं तो आज की तरह देश की राजनीति में जो नरेशो के महल को लूट कर उन्हें अंग्रेज काल से आज तक देश के सत्ता की भागेदारी मिली हैं उसमे पद्मनाभम के राजा का भी नाम होता था .
जनता हैं..., भूख की लाचारी से, आस्था के नाम से अपने अगले जनम के कर्म उन्नत करने के लिए अन्धविश्वास में देश की कमिटी (COME+EATY) के हाथो अपने व देश को लूटवा रही है.
स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था, गंगा निर्मल हैं पानी की गुणवत्ता का कोई सानी नहीं है. हिन्दुओ को आवाहन किया था इस माँ कि पवित्रता का सन्मान करो और दूषित करने से बचाओ. अन्धविश्वास पर कहा था यदि गंगा में राख व मुर्दे बहाने से व आत्महत्या करने से स्वर्ग मिलता हैं तो गंगा में पैदा होने वाली मछली को स्वर्ग प्राप्ति होती हैं?. धर्म को विज्ञान की दृष्टी का शोध ही सनातन धर्म है.
बड़े दुःख के साथ लिखना पढ़ रहा है, हम अपने अतीत पर गर्व करते रहे लेकिन शोध को आगे न बढाते हुए वर्त्तमान में अतीत के भ्रम से अपने अगले जन्मो की सीढ़ी बना कर ऊपर चढ़ने के चक्कर में, और उसके ऊपर से राजनितिक कसाइयो को लूट का अधिकार मिला. तो उन्होंने वोट बैक बनाकर सनातन धर्म को, पश्चिम सभ्यता की आड़ में बैन करने का खेल , खेला जा रहा है ...
विदेशी लुटेरों ने हमारी शोध की पांडुलिपीया चुराकर, हमें जाती धर्म से बिखराकर , आज हमारी तकनीकी से हवाई जहाज तक बना लिए है...., जबकि हम उनके हवाई जहाज (तकनीकी) में आज तक पेट्रोल भर कर कर्ज में डूब रहें है...
याद रहें..., परमाणु बम के जनक अलबर्ट आइन्स्टीन ने कहा था, मेरे सफलता का श्रेय भारतीय ऋषी , मुनियों को जाता है..., जिनकी वजह से यह संभव हुआ


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